श्री नाग स्तोत्र || Shri Naag Stotra || श्री नाग गायत्री मंत्र || Shri Naag Gayatri Mantra || अथ सर्प स्तोत्र || Ath Sarp Stotra || Snake Mantra
श्री नाग स्तोत्र || Shri Naag Stotra
अनंतं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शड्खपालं धार्तराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मानाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः।।
तस्य विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयीं भवेत्।
श्री नाग गायत्री मंत्र || Shri Naag Gayatri Mantra
ॐ नवकुलाय विद्यमहे विषदंताय धीमहि तन्नो सर्प: प्रचोदयात् ।।
अथ सर्प स्तोत्र || Ath Sarp Stotra
विष्णु लोके च ये सर्पा: वासुकी प्रमुखाश्च ये ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदश्च ।।१।।
रुद्र लोके च ये सर्पा: तक्षक: प्रमुखस्तथा
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।२।।
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।३।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखाद्य:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।४।।
कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।5।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।६।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।७।।
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।८।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।९।।
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति च ।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।१०।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जंलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।११।।
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।१२।
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