मंगलवार, 1 मई 2018

सरस्‍वती वन्‍दना || Saraswati Vandana || हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी || He Hansvahini Gyandayini

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

जग सिरमौर बनाएं भारत,

वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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साहस शील हृदय में भर दे,

जीवन त्याग-तपोमर कर दे,

संयम सत्य स्नेह का वर दे,

स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥1॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम,

मानवता का त्रास हरें हम,

सीता, सावित्री, दुर्गा मां,

फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥2॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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रविवार, 15 अप्रैल 2018

सरस्वती वंदना || वीणावादिनी बुद्धि की दाता || Saraswati Vandana || Veena Vadini Buddhi Ki Data



वीणावादिनी बुद्धि की दाता

वीणावादिनी, स्वरदायिनी माँ

नारायणी स्वर दो !


सिद्धि दायिनी वीणाधारिणी

कर करतब करि कारिणी माँ

स्वर्दायिनी स्वर दो !


ब्रह्माणी, शिव पूजनी

दिन रात सदा मनभावनी माँ

वीणावादिनी स्वर दो !


जय -जय -जय माँ दाता

जय -जय -जय जयकारिणी

वीणा वादिनी स्वर दो !


जिह्वा पर नित वास करो

हिय में माँ उल्लास भरो

वीणा वादिनी स्वर दो !


परमारथ हो ह्रदय में माँ

निर्मल मन मेरा कर दो

वीणा वादिनी स्वर दो !


काया कल्प करो तनका

प्रतिपल माँ तूँ वर दो

वीणा वादिनी स्वर दो !


करुणा तेज भरो तन में

सागर सा वाणी मन दो

वीणा वादिनी स्वर दो !!


आभार - यह वन्‍दना श्री सुखमंगल सिंह जी द्वारा उपलब्‍ध कराई गयी है इस हेतु हार्दिक आभार। 

विनम्र अनुरोध: अपनी उपस्थिति दर्ज करने एवं हमारा उत्साहवर्धन करने हेतु कृपया टिप्पणी (comments) में जय मॉं सरस्‍वती अवश्य अंकित करें।

बुधवार, 21 मार्च 2018

दुर्गा मैया की आरती || जय अम्‍बे गौरी, मैया जय श्‍यामा गौरी || Durga Aarti || Jay Ambe Gauri

दुर्गा मैया की आरती || जय अम्‍बे गौरी, मैया जय श्‍यामा गौरी || Durga Aarti || Jay Ambe Gauri

जय अम्‍बे गौरी, मैया जय श्‍यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्‍यावत , हरि ब्रह्मा शिवरी।। जय० ।।


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।

उज्‍ज्‍वल से दोउ नैना, चन्‍द्रबदन नीको ।। जय० ।।


कनक समान कलेवर, रक्‍ताम्‍बर राजै।

रक्‍त पुष्‍प गलमाला, कण्‍ठन पर साजै।। जय० ।।


केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्‍परधारी।

सुर नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी।। जय० ।।


कानन कुण्‍डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चन्‍द्र दिवाकर, राजत सम ज्‍योति।। जय० ।।


शुम्‍भ निशुम्‍भ विाडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।। जय० ।।


चण्‍ड मुण्‍ड संघारे, शोणित बीज हरे।

मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय० ।।


ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय० ।।


चौसठ योगिनी गावत, ऩत्‍य करत भैरो।

बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ।। जय० ।।


तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता।

भक्‍तन की दुख हरता, सुख-सम्‍पत्ति करता।। जय० ।।


भुजा चार अति शोभित, खड़ग खप्‍पर धारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर रानी।। जय० ।।


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्‍योति।। जय० ।।


श्री अम्‍बे जी की आरती, जो कोई नद गावै।

कहत शिवानन्‍द स्‍वामी, सुख सम्‍पति पावै।। जय० ।।



सब प्रेम से बोलो अम्‍बे मैया की जय
दुर्गा मैया की जय

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

जय भगवद्गीते , जय भगवद्गीते | श्री मदभगवद्गीता की आरती | Shri Madbhagwadgeeta ki Aarti || आरती || Aarti || Jay Bhagwatgeete

श्री मदभगवद्गीता की आरती || जय भगवद्गीते , जय भगवद्गीते || Shri Madbhagwadgeeta ki Aarti || आरती || Aarti || Jay Bhagwatgeete


जय भगवद्गीते  
जय भगवद्गीते ।
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हरि-हिय-कमल विहारिणि 
सुन्‍दर सुपुनीते।।
कर्म-सुकर्म-प्रकाशिनि 
कामासक्तिहरा।
तत्‍त्‍वज्ञान-विकाशिनि 
विद्या ब्रह्म परा ।। जय ०
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निश्‍चल-भक्ति-विधायिनि 
निर्मल, मलहारी।
शरण-रहस्‍य-प्रदायिनि 
सब विधि सुखकारी।। जय ०
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राग-द्वेष-विदारिणि 
कारिणि मोद सदा।
भव-भय-हारिणि, 
तारिणि परमानन्‍दप्रदा ।। जय ०  
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आसुर-भाव-विनाशिनि 
नाशिनि तम-रजनी।
दैवी सद्गुणदायिनि 
हरि-रसिका सजनी ।। जय ०
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समता, त्‍याग सिखावनि 
हरि-मुखकी बानी ।
सकल शास्‍त्र की स्‍वामिनि 
श्रुतियों की रानी ।। जय ०
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दया-सुधा बरसावनि 
मातु कृपा कीजै।
हरिपद-प्रेम दान कर 
अपनो कर लीजै।। जय ०
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बुधवार, 3 जनवरी 2018

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के || Aarti Kije Raja Ramchandra Ji Ke || आरती || Aarti || श्री रामचन्‍द्र जी की आरती || Shri Ram Chandra Ji Ki Aarti

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के || Aarti Kije Raja Ramchandra Ji Ke || आरती || Aarti || श्री रामचन्‍द्र जी की आरती || Shri Ram Chandra Ji  Ki Aarti



आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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पहली आरती पुष्‍प की माला

पहली आरती पुष्‍प की माला

पुष्‍प की माला हरिहर पुष्‍प की माला

कालिय नाग नाथ लाये कृष्‍ण गोपाला हो।

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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दूसरी आरती देवकी नन्‍दन

दूसरी आरती देवकी नन्‍दन

देवकी नन्‍दन हरिहर देवकी नन्‍दन

भक्‍त उबारे असुर निकन्‍दन हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे  

तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे

त्रिभुवन मोहे हरिहर त्रिभुवन मोहे हो

गरुण सिंहासन राजा रामचन्‍द्र शोभै हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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चौथी आरती चहुँ युग पूजा

चौथी आरती चहुँ युग पूजा

चहुँ युग पूजा हरिहर चहुँ युग पूजा

चहुँ ओरा राम नाम अउरु न दूजा हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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पंचम आरती रामजी के भावै

पंचम आरती रामजी के भावै

रामजी के भावै हरिहर रामजी के भावै

रामनाम गावै परमपद पावौ हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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षष्‍ठम आरती लक्ष्‍मण भ्राता

षष्‍ठम आरती लक्ष्‍मण भ्राता

लक्ष्‍मण भ्राता हरिहर लक्ष्‍मण भ्राता

आरती उतारे कौशिल्‍या माता हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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सप्‍तम आरती ऐसो तैसो

सप्‍तम आरती ऐसो तैसो

ऐसो तैसो हरिहर ऐसो तैसो

ध्रुव प्रहलाद विभीषण जैसो हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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अष्‍टम आरती लंका सिधारे

अष्‍टम आरती लंका सिधारे

लंका सिधारे हरिहर लंका सिधारे

रावन मारे विभीषण तारे हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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नवम आरती वामन देवा

नवम आरती वामन देवा

वामन देवा हरिहर वामन देवा

बलि के द्वारे करें हरि सेवा हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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कंचन थाल कपूर की बाती

कंचन थाल कपूर की बाती

कपूर की बाती हरिहर कपूर की बाती

जगमग ज्‍योति जले सारी राती हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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तुलसी के पात्र कण्‍ठ मन हीरा

तुलसी के पात्र कण्‍ठ मन हीरा

कण्‍ठ मन हीरा हरिहर कण्‍ठ मन हीरा

हुलसि हुलसि गये दास कबीरा हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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जो राजा रामजी के आरती गावै

जो राजा रामजी के आरती गावै

आरती गावै हरिहर आरती गावै

बैठ बैकुण्‍ठ परम पद पावै हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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