मंगलवार, 1 मई 2018

सरस्‍वती वन्‍दना || Saraswati Vandana || हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी || He Hansvahini Gyandayini

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

जग सिरमौर बनाएं भारत,

वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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साहस शील हृदय में भर दे,

जीवन त्याग-तपोमर कर दे,

संयम सत्य स्नेह का वर दे,

स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥1॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम,

मानवता का त्रास हरें हम,

सीता, सावित्री, दुर्गा मां,

फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥2॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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