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रविवार, 3 मार्च 2024

जय जय आरती वेणु गोपाला | Jay Jay Aarti Venu Gopala | Lyrics in Hindi and English

जय जय आरती वेणु गोपाला | Jay Jay Aarti Venu Gopala | Lyrics in Hindi and English

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जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
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जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
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जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
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जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
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महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
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जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
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जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
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जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
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जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय 
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जय जय आरती वेणु गोपाला | Jay Jay Aarti Venu Gopala | Lyrics in Hindi and English

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Jaya jaya āratī veṇu gopālā
Veṇu gopālā veṇu lolā
Pāp vidurā navanīt chorā
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Jaya jaya āratī veankaṭaramaṇā
Veankaṭaramaṇā sankaṭaharaṇā
Sītā rām rādhe shyāma
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Jaya jaya āratī gaurī manohara
Gaurī manohar bhavānī shankara
Sadāshiv umā maheshvara
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Jaya jaya āratī rāj rājeshvari
Rāj rājeshvari tripurasundari
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Mahā sarasvatī mahā lakṣhmī
Mahā kālī mahā lakṣhmī
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Jaya jaya āratī ānjaneya
Ānjaneya hanumantā
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Jaya jaya ārati dattātreya
Dattātreya trimurti avatāra
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Jaya jaya āratī siddhi vināyaka
Siddhi vināyak shrī gaṇesha
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Jaya jaya āratī subrahmaṇya
Subrahmaṇya kārtikeya 
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शनिवार, 20 जनवरी 2024

चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी | Chintapurni Chinta Dur Karni | Chintapurni Aarti Lyrics in Hindi

चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी | Chintapurni Chinta Dur Karni | Chintapurni Aarti Lyrics in Hindi and English

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चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
जन को तारो भोली मां 
काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा 
सिंह पर भई असवार भोली मां
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
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एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा 
तीजे त्रिशूल संभालो,
भोली मां। 
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
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चौथे हाथ चक्कर गदा 
पांचवे-छठे मुंडो की माला,
भोली मां
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
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सातवें से रूंड मुंड बिदारे 
आठवे से असुर संहारो ,
भोली मां....
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
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चम्‍पे का बाग लगा अति सुंदर 
बैठी दीवान दीवान लगाये,
भोली मां 
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
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हरि ब्रम्हा तेरे भवन विराजे 
लाल चंदोया बैठी तरल 
भोली मां....
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
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औखी घाटी विकटा पैंडा 
तले बहे दरिया ,
भोली मां....
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
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सुमन चरण ध्यानु जस गावे 
भक्‍तां दी पज निभाओ भोली मां 
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी 
जन को तारो भोली मां
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चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी | Chintapurni Chinta Dur Karni | Chintapurni Aarti Lyrics in Hindi and English

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Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
Jan ko tāro bholī māan 
Kālī dā putra pavan dā ghoḍa़ā 
Sianha par bhaī asavār bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
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Ek hāth khaḍag dūje mean khāanḍā 
Tīje trishūl sanbhālo,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
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Chauthe hāth chakkar gadā 
Pāanchave-chhaṭhe muanḍo kī mālā,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
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Sātavean se rūanḍa muanḍa bidāre 
Āṭhave se asur sanhāro ,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
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Champe kā bāg lagā ati suandar 
Baiṭhī dīvān dīvān lagāye,
Bholī māan 
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
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Hari bramhā tere bhavan virāje 
Lāl chandoyā baiṭhī taral 
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
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Aukhī ghāṭī vikaṭā paianḍā 
Tale bahe dariyā ,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
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Suman charaṇ dhyānu jas gāve 
Bhaktāan dī paj nibhāo bholī māan 
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī 
Jan ko tāro bholī māan
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चिन्तापूर्णि देवी (Chintpurni Devi) एक संक्षिप्‍त परिचय :

पौराणिक कथा: चिन्तापूर्णि देवी की कथा के अनुसार, राजा दशरथ नामक एक राजा था जो अपनी नगरी का नाम बाड़ी रखता था। राजा की पत्नी का नाम धृति था और उन्हें वीरता और साहस की प्रतिष्ठा थी। एक दिन राजा और रानी ने वन में विश्राम के लिए यात्रा किया। वहां रानी ने एक सुंदर बालिका को संगीत के लिए देखा और उसकी आदर्श स्त्री बनाने का संकल्प किया। वे उस बालिका को धन्यवाद देने गए और वहां देवी ने उनसे वर मांगा कि वह हमेशा उनकी पूजा की जाएंगी। देवी ने राजा और रानी की इच्छा को पूरा करने का व्रत लिया और वहां स्थानीय लोगों को अपनी कृपा दिखाई।

मंदिर की स्थापना: चिन्तापूर्णि मंदिर की स्थापना 11वीं शताब्दी में हुई थी, और इसे समर्पित किया गया था चिंताओं के निवारण के लिए। मंदिर का निर्माण बालू, लकड़ी, और मांस के आसपास के क्षेत्रों से किया गया है।

आराधना विधि: यहां की पूजा में अश्वत्थ वृक्ष का खास महत्व है, जिसे "कटुकुटी" कहा जाता है। इस पूजा में बेल पत्र, दूध, मिठाई, फल, और सुगंधित धूप का उपयोग किया जाता है।

चिन्तापूर्णि देवी मंदिर के निकट वायुनाथ, जवालाजी, बगलामुखी, और चमुंडा देवी के मंदिर भी हैं। इन स्थलों का दौरा करने से भक्तों को अधिक पुण्य मिलता है।

मेला और यात्रा: नवरात्रि के दौरान यहां एक बड़ा मेला लगता है जिसमें लाखों भक्त भारी संख्या में आते हैं। यह मेला चैत्र और आश्वयुज मास में आयोजित होता है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम: मंदिर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भक्ति संगीत समारोहों का आयोजन होता है, जो स्थानीय और बाहरी आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। चिन्तापूर्णि देवी का मंदिर भक्तों के बीच एक प्रमुख श्रद्धास्थल है जो चिंताओं से मुक्ति की कामना करने वालों के लिए प्रसिद्ध है।
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बुधवार, 10 जनवरी 2024

जगमग जगमग जोत जली है | Jagmag Jagmag Jot Jali Hai | Aarti Lyrics in Hindi and English

जगमग जगमग जोत जली है | Jagmag Jagmag Jot Jali Hai | Aarti Lyrics in Hindi

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जगमग जगमग जोत जली है 
राम आरती होन लगी है 
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भक्ति का दीपक प्रेम की बाती 
आरति संत करें दिन राती 
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आनन्द की सरिता उभरी है 
जगमग जगमग जोत जली है 
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कनक सिंघासन सिया समेता 
बैठहिं राम होइ चित चेता 
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वाम भाग में जनक लली है 
जगमग जगमग जोत जली है
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आरति हनुमत के मन भावै 
राम कथा नित शंकर गावै 
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सन्तों की ये भीड़ लगी है 
जगमग जगमग जोत जली है 
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जगमग जगमग जोत जली है | Jagmag Jagmag Jot Jali Hai | Aarti Lyrics in English
Jagamag jagamag jot jalī hai 
Rām āratī hon lagī hai 
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Bhakti kā dīpak prem kī bātī 
Ārati santa karean din rātī 
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Ānanda kī saritā ubharī hai 
Jagamag jagamag jot jalī hai 
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Kanak sianghāsan siyā sametā 
Baiṭhahian rām hoi chit chetā 
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Vām bhāg mean janak lalī hai 
Jagamag jagamag jot jalī hai
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Ārati hanumat ke man bhāvai 
Rām kathā nit shankar gāvai 
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Santoan kī ye bhīḍa lagī hai 
Jagamag jagamag jot jalī hai 
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मंगलवार, 9 जनवरी 2024

कूष्मांडा जय जग सुखदानी | Kushmanda Jay Jag Sukhdani | Aarti Lyrics in Hindi and English

कूष्मांडा जय जग सुखदानी | Kushmanda Jay Jag Sukhdani | Aarti Lyrics in Hindi

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कूष्मांडा जय जग सुखदानी
मुझ पर दया करो महारानी
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पिगंला ज्वालामुखी निराली
शाकंबरी माँ भोली भाली
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लाखों नाम निराले तेरे
भक्त कई मतवाले तेरे
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भीमा पर्वत पर है डेरा
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा
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सबकी सुनती हो जगदंबे
सुख पहुँचाती हो माँ अंबे
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तेरे दर्शन का मैं प्यासा
पूर्ण कर दो मेरी आशा
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माँ के मन में ममता भारी
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी
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तेरे दर पर किया है डेरा
दूर करो माँ संकट मेरा
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मेरे कारज पूरे कर दो
मेरे तुम भंडारे भर दो
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तेरा दास तुझे ही ध्याए
भक्त तेरे दर शीश झुकाए
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कूष्मांडा जय जग सुखदानी | Kushmanda Jay Jag Sukhdani | Aarti Lyrics in English

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Kūṣhmāanḍā jaya jag sukhadānī
Muz par dayā karo mahārānī
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Piganlā jvālāmukhī nirālī
Shākanbarī māँ bholī bhālī
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Lākhoan nām nirāle tere
Bhakta kaī matavāle tere
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Bhīmā parvat par hai ḍerā
Svīkāro praṇām ye merā
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Sabakī sunatī ho jagadanbe
Sukh pahuchātī ho mā aanbe
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Tere darshan kā maian pyāsā
Pūrṇa kar do merī āshā
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Mā ke man mean mamatā bhārī
Kyoan nā sunegī araj hamārī
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Tere dar par kiyā hai ḍerā
Dūr karo mā sankaṭ merā
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Mere kāraj pūre kar do
Mere tum bhanḍāre bhar do
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Terā dās tuze hī dhyāe
Bhakta tere dar shīsh zukāe
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सोमवार, 8 जनवरी 2024

आरती करिए सियावर की | Aarti Kariye Siyavar Ki | Shri Ram Aarti Lyrics in Hindi and English

आरती करिए सियावर की | Aarti Kariye Siyavar Ki | Shri Ram Aarti Lyrics in Hindi

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आरती करिए सियावर की 
अवधपति रघुवर सुन्दर की
जगत में लीला विस्तारी 
कमल दल लोचन हितकारी
मुरती अलखित घुंघराली 
मुकुट छवि लगती है प्यारी
मृदुल जब मुख मुस्काते है 
छिनकर मन ले जाते है
नवल रघुवीर 
हरे सब पीर 
बड़े है वीर
जयति जय करुणा सागर की 
अवधपति रघुवर सुन्दर की
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गले मे हीरो का है हार 
पीटपत ओढ़त राजदुलार
दृगन की चितवन पर बलिहार 
दिया है हमने तन मन वार
चरण है कोमल कमल विशाल 
छबीले है दशरथ के लाल
सलोने श्याम 
नवल अभिराम 
पुरण सब काम
सूरत है सकल चराचर की 
अवधपति रघुवर सुन्दर की
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अहिल्या गौतम की दारा 
नाथ ने क्षण में निस्तारा
जटायु शबरी को तारा 
नाथ केवट को उद्धारा
शरण मे कपि सुकंठ आये 
विभीषण अभय दान पाए
मान मद त्याग 
मोह से जाग 
किया अनुराग
कृपा है रघुवर सुंदर की 
अवधपति रघुवर सुन्दर की
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अधम जब खल बढ़ जाते है 
नाथ जब जग में आते है
विविध लीला दर्शाते हैं 
धर्म की लाज बचाते है
बसों नयनन में श्री रघुनाथ 
मात श्री जनकनंदनी साथ
मनुज अवतार 
लिए हर बार 
प्रेम विस्तार
विनय है लक्ष्मण अनुचर की 
अवधपति रघुवर सुन्दर की
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आरती करिए सियावर की | Aarti Kariye Siyavar Ki | Shri Ram Aarti Lyrics in English

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Āratī karie siyāvar kī 
Avadhapati raghuvar sundar kī
Jagat mean līlā vistārī 
Kamal dal lochan hitakārī
Muratī alakhit ghuangharālī 
Mukuṭ chhavi lagatī hai pyārī
Mṛudul jab mukh muskāte hai 
Chhinakar man le jāte hai
Naval raghuvīr 
Hare sab pīr 
Bade hai vīra
Jayati jaya karuṇā sāgar kī 
Avadhapati raghuvar sundar kī
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Gale me hīro kā hai hār 
Pīṭapat odhat rājadulāra
Dṛugan kī chitavan par balihār 
Diyā hai hamane tan man vāra
Charaṇ hai komal kamal vishāl 
Chhabīle hai dasharath ke lāla
Salone shyām 
Naval abhirām 
Puraṇ sab kāma
Sūrat hai sakal charāchar kī 
Avadhapati raghuvar sundar kī
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Ahilyā gautam kī dārā 
Nāth ne kṣhaṇ mean nistārā
Jaṭāyu shabarī ko tārā 
Nāth kevaṭ ko uddhārā
Sharaṇ me kapi sukanṭha āye 
Vibhīṣhaṇ abhaya dān pāe
Mān mad tyāg 
Moh se jāg 
Kiyā anurāga
Kṛupā hai raghuvar suandar kī 
Avadhapati raghuvar sundar kī
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Adham jab khal badh jāte hai 
Nāth jab jag mean āte hai
Vividh līlā darshāte haian 
Dharma kī lāj bachāte hai
Basoan nayanan mean shrī raghunāth 
Māt shrī janakanandanī sātha
Manuj avatār 
Lie har bār 
Prem vistāra
Vinaya hai lakṣhmaṇ anuchar kī 
Avadhapati raghuvar sundar kī
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गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

ॐ जय -जय शान्तपते | Om Jay Shantpate | श्रृंग ऋषि की आरती | Shring Rishi ki Arti Lyrics in Hindi

ॐ जय -जय शान्तपते | Om Jay Shantpate | Arti Lyrics in Hindi

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ॐ जय -जय शान्तपते  
प्रभु जय -जय शान्तपते 
पूज्य पिता हम सबके 
तुम पालन करते 
ॐ जय -जय शान्तपते  
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शान्ता संग विराजे 
ऋषि श्रृंग बलिहारी  
प्रभु ऋषि श्रृंग बलिहारी
जस गिरिजा संग सोहे 
भोले त्रिपुरारी  
ॐ जय -जय शान्तपते  
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लोमपाद की रजधानी में 
जब दुर्भिक्ष परयो  
प्रभु जब दुर्भिक्ष परयो
वृष्टि हेतु बुलवाये 
जाय सुभिक्ष करयो  
ॐ जय -जय शान्तपते  
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महायज्ञ पुत्रेष्ठी 
दशरथ घर कीनो  
प्रभु दशरथ घर कीनो
प्रकट भये प्रतिपाला 
दीन शरण लीनो । 
ॐ जय -जय शान्तपते 
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शीश जटा शुभ सोहे 
श्रृंग एक धरता  
प्रभु श्रृंग एक धरता
सकल शास्त्र के वेत्ता 
हम सबके करता  
ॐ जय -जय शान्तपते
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सब बालक हम तेरे 
तुम सबके स्वामी  
प्रभु तुम सबके स्वामी 
शरण गहेंगे तुमरी 
ऋषि तव अनुगामी  
ॐ जय -जय शान्तपते
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विनय हमारी तुमसे 
सब पर कृपा करो  
प्रभु सब पर कृपा करो  
विद्या बुद्धि बढ़ाओ
उज्ज्वल भाव भरो  
ॐ जय -जय शान्तपते
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हम संतान तुम्हारी
श्रद्धा चित्त लावें  
प्रभु श्रद्धा चित्त लावें  
मंडल आरती ऋषि श्रृंग की 
प्रेम सहित गावें 
ॐ जय -जय शान्तपते
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बुधवार, 20 दिसंबर 2023

जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके | Jo Nahi Dhyaye Tumhe Ambike | Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi

जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके | Jo Nahi Dhyaye Tumhe Ambike | Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi
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संक्षिप्‍त परिचय - अन्नपूर्णा दो शब्दों से मिलकर बना है- 'अन्न' का अर्थ है भोजन और 'पूर्णा' का अर्थ है 'पूरी तरह से भरा हुआ'। अन्नपूर्णा भोजन और रसोई की देवी हैं। वह देवी पार्वती का अवतार हैं जो शिव की पत्नी हैं। वह पोषण की देवी हैं और अपने भक्तों को कभी भोजन के बिना नहीं रहने देतीं।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा (Goddess Annapurna) की तस्वीर रसोईघर में लगाने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। उनका दूसरा नाम 'अन्नदा' है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर सूखा पड़ गया। जमीन बंजर हो गई। फसलें, फलों आदि की पैदावार ना होने से जीवन का संकट आ गया। तब भगवान शिव ने पृथ्वीवासियों के कल्याण के लिए भिक्षुक का स्वरूप धारण किया और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया। देवी दुर्गा शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक हैं, देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं, देवी सरस्वती ज्ञान और शिक्षा से जुड़ी हैं, देवी काली व्यक्तिगत राक्षसों और नकारात्मकता को दूर करने में मदद करती हैं, देवी अन्नपूर्णा की पूजा भोजन और पोषण के लिए की जाती है। वास्तु शास्त्र की मानें तो माता अन्नपूर्णा की तस्वीर के लिए सबसे शुभ दिशा पूर्व-दक्षिण यानी कि आग्नेय कोण का मध्य भाग होता है। इस दिशा में देवताओं का वास होता है। इसलिए यहां मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है और कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।
आप सभी माता अन्‍नपूर्णा की प्राप्ति हेतु आरती का पाठ कर सकते हैं -
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके 
कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो 
लेत होत सब काम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर 
कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती 
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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चूमहि चरण चतुर चतुरानन 
चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर 
शोभा लखहि ललाम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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देवि देव! दयनीय दशा में 
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल 
शरण रूप तब धाम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या 
श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी 
वर दे तू निष्काम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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शनिवार, 9 दिसंबर 2023

जय माँ चामुण्‍डे देवी शामा जगदम्‍बे | Jay Ma Chamunde Devi Shama Jagdambe | Aarti Lyrics in Hindi

जय माँ चामुण्‍डे देवी शामा जगदम्‍बे | Jay Ma Chamunde Devi Shama Jagdambe | Aarti Lyrics in Hindi


जय माँ चामुण्‍डे 
देवी शामा जगदम्‍बे
चरण शरण हमआये 
चरण शरण हमआये 
कष्‍ट हरो अम्‍बे
ओम जय माँ चामुण्‍डे 
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जय माँ चामुण्‍डे 
देवी शामा जगदम्‍बे
चरण शरण हमआये 
चरण शरण हमआये 
कष्‍ट हरो अम्‍बे
ओम जय माँ चामुण्‍डे 
**
अपरम्‍बार अनन्‍ता 
भवनिधि तारक मॉं
तू है भवनिधि तारक मॉं
दीन सहायक देवी
दीन सहायक देवी
कष्‍ट निवारक मॉं
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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खडग खपर ले रण में 
कालिका रूप धरा 
मैया चण्‍डी का रूप धरा
दुष्‍ट दैत्‍य कई मारे
दुष्‍ट दैत्‍य कई मारे
देवों का कष्‍ट हरा 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे 
**
चण्‍ड मुण्‍ड हननी काली 
तू ही है रुद्राणी 
मैया तू ही है रुद्राणी 
साधक के दुख पल में
साधक के दुख पल में
हरती हो महारानी
ओम जय मॉं चामुण्‍डे 
**
सकल विकार मिटाती 
पाप ताप हर लेती
मैया पाप ताप हर लेती
साची परम पद पा तू
साची परम पद पा तू
संतों को वर देती
ओम जय मॉं चामुण्‍डे 
**
धन वैभव सुख शान्ति
गौरव यश दायिनी 
मैया गौरव यश दायिनी  
दुविधा को सुविधा करती 
दुविधा को सुविधा करती 
करुणा फलदायिनी 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
मंगल मय उद्धारिणी 
चण्डिका भयहरणी 
मैया चण्डिका भयहरणी 
सर्व सुख प्रदायिनी 
सर्व सुख प्रदायिनी 
जगदेवा जगजननी
ओम जय मॉं चामुण्‍डे  
**
शक्ति साहस बल मॉं
तुमसे ही मिलता 
मैया तुमसे ही मिलता 
तेरी दया से सबका
तेरी कला से सबका 
जीवन रथ चलता 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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सेवक अश्रु से जो 
तरे चरण धोता 
मैया चरण तेरे धोये 
उन भक्‍तों के पल में
उन भक्‍तो  के पल में 
काज हैं सिद्ध होते 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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गुणीजन योगी तपस्‍वी 
निर्गुण गान करें
मैया निर्गुण गान करें
निर्धन तेरे दर आके
निर्धन तेरे दर आके
सदा धनवान बने
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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लिखा विधाता का मॉं
द्वार तेरे बदले
मैंया द्वार तेरे बदले
तुमसे अन धन लेकर
तुमसे अन धन लेकर
तीनों लोक पले
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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तेरी अनुकम्‍पा का है
सागर अति गहरा
मैया सागर अति गहरा
केसरि सुत बजरंगी
केसरि सुत बजरंगी
द्वार पे दे पहरा
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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निर्मल मॉं तेरे द्वारे 
अमृत धारा बहे
मैया अमृत धारा बहे
कितने अनगिन दोशी
कितने अनगिन दोषी
मैया निर्दोष किये 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
जय मॉं चामुण्‍डे
देवी शामा जगदम्‍बे
चरण शरण हम आये
चरण शरण हम आये
कष्‍ट हरो अम्‍बे
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
जय मॉं चामुण्‍डे
देवी शामा जगदम्‍बे
चरण शरण हम आये
चरण शरण हम आये
कष्‍ट हरो अम्‍बे
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**

जय चामुंडा माता | Jay Chamunda Mata | Chamunda Mata Aarti Lyrics in Hindi

जय चामुंडा माता | Jay Chamunda Mata | Chamunda Mata Aarti Lyrics in Hindi

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जय चामुंडा माता 
मैया जय चामुंडा माता। 
शरण आए जो तेरे 
सब कुछ पा जाता ॥
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चंड मुंड दो राक्षस 
हुए हैं बलशाली। 
उनको तूने मारा 
कोप दृष्टि डाली॥
** 
चौंसठ योगिनी आकर 
तांडव नृत्य करें। 
बावन भैरो झूमें 
विपदा आन हरें॥ 
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शक्ति धाम कहातीं 
पीछे शिव मंदर। 
ब्रह्मा विष्‍णु नारद 
मंत्र जपें अंदर ॥
**
सिंहराज यहां रहते 
घंटा ध्‍वनि बाजे
निर्मल धारा जल की 
बडेर नदी साजे॥
**
क्रोथ रूप में खप्पर 
खाली नहीं रहता 
शान्‍त रूप जो ध्‍यावे 
आनन्‍द भर देता ॥
**
हनुमत बाला योगी
ठाढे बलशाली 
कारज पूरण करती 
दुर्गा महाकाली ॥
**
रिद्धि सिद्धि देकर 
जन के पाप हरे 
शरणागत जो होता 
आनन्‍द राज करे॥
**
शुभ गुण मन्दिर वाली 
ओम कृपा कीजै
दुख जीवन के संकट
आकर हर लीजै॥
*****

बुधवार, 29 नवंबर 2023

जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी | Jugal Chhabi Ki Aarti Karu Niki | भगवान् श्रीसीताराम जी की आरती | Shri Sitaram Ki Arti Lyrics in Hindi

जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी | Jugal Chhabi Ki Aarti Karu Niki | भगवान् श्रीसीताराम जी की आरती | Shri Sitaram Ki Arti Lyrics in Hindi


जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
गौर-बरन श्रीजनकललीकी, 
स्याम-बरन सिय-पीकी। ॥
जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
*****
मुकुट चंद्रिका में द्युति राजै 
अगनित सूर्य-ससीकी। 
सुंदर अंग-अंगमें छबि है 
कोटिन काम-रतीकी ॥
*****
जुगलरूप में सबही पटतर 
उपमा हो गई फीकी। 
रामेस्वर लखि ललित जुगल छबि 
हुलसत हिय सबही की ॥
*****
जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
गौर-बरन श्रीजनकललीकी, 
स्याम-बरन सिय-पीकी। ॥
जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
*****

आज बनी छबि भारी श्रीराघवजीकी | Aaj Bani Chhabi Bhari Shri Raghav Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

आज बनी छबि भारी श्रीराघवजीकी | Aaj Bani Chhabi Bhari Shri Raghav Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi 


आज बनी छबि भारी श्रीराघवजीकी। 
सहित जानकी रत्नसिंहास।।। 
राजत अवधबिहारी ।।
*****
रवि, शशि कोटि देखि छबि लाजे ।
तिलक पटल द्युतिकारी।।
बदनमयंक तापत्रयमोचन ।
मंद हासरस न्यारी ।।
*****
बाम अंग श्रीसीता (जी) सोहैं। 
हनुमत आज्ञाकारी।। 
गौर श्याम सुंदर तन सोहैं। 
चन्द्रबदन उजियारी ।।
*****
रत्नजटित आभूषण सोहै ।
मोतिनकी छबि भारी ।।
क्रीट मुकुट मकराकृत कुंडल। 
गल बनमाला प्‍यारी ।। 
*****
बाहु विशाल विभूषण सुन्दर ।
कर शुचि सारंगधारी ।।
कटि पट पीत बसनकी सोभा ।
मोहन मदन निहारी ।। 
*****
मुनिजन चरण सरोरुह सेवत ।
ध्यान धरत त्रिपुरारी ।।
आज बनी छबि भारी श्रीराघवजीकी। 
सहित जानकी रत्नसिंहासन ।।
राजत अवधबिहारी ।।
*****

आरति श्रीजनक-दुलारीकी | Arati Shri Janak Dulari Ki | Janaki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

आरति श्रीजनक-दुलारीकी | Arati Shri Janak Dulari Ki | Janaki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi


आरति श्रीजनक-दुलारीकी । 
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥ 
आरति श्रीजनक-दुलारीकी । 
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥
*****
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि। 
नित्य सत्य साकेत-विहारिणि।। 
परम दयामयि दीनोद्धारिणि। 
मैयाभक्तन-हितकारीकी ॥
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥
*****
सती शिरोमणि पति-हित-कारिणि। 
पति-सेवा हित वन-वन चारिणि।। 
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि। 
त्याग-धर्म-मूरति-धारीकी ॥ 
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥
*****
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई। 
नाम लेत पावन मति आई।। 
सुमिरत कटत कष्ट दुखदाई। 
शरणागत-जन-भय-हारीकी ॥
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥
*****

आरति कीजै जनक-ललीकी | श्रीजानकीजी की आरती | Arati Kije Janak Lali Ki | Shri Janki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

आरति कीजै जनक-ललीकी | श्रीजानकीजी की आरती | Arati Kije Janak Lali Ki | Shri Janki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi


आरति कीजै जनक-ललीकी। 
राममधुपमन कमल-कलीकी ॥
रामचंद्र मुखचंद्र चकोरी।
अंतर साँवर बाहर गोरी।। 
सकल सुमंगल सुफल फलीकी ॥
*****
पिय दृगमृग जुग बंधन डोरी ।
पीय प्रेम रस-राशि किशोरी ।। 
पिय मन गति विश्राम थलीकी । 
रूप-रास-गुननिधि जग स्वामिनि।। 
प्रेम प्रबीन राम अभिरामिनि ।।
सरबस धन 'हरिचंद' अलीकी ।।
*****

बुधवार, 22 नवंबर 2023

ॐ जय जानकीनाथा जय श्री रघुनाथा | Om Jay Jankinatha Jay Shri Raghunatha | Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय जानकीनाथा जय श्री रघुनाथा | Om Jay Jankinatha Jay Shri Raghunatha | Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi 


ॐ जय जानकीनाथा 
जय श्री रघुनाथा ।
दोउ कर जोरें बिनवौं 
प्रभु! सुनिये बाता ॥
ॐ जय जानकीनाथा
*****
तुम रघुनाथ हमारे 
प्राण पिता माता ।
तुम ही सज्जन-संगी 
भक्ति मुक्ति दाता ॥
ॐ जय जानकीनाथा
*****
लख चौरासी काटो 
मेटो यम त्रासा ।
निशदिन प्रभु मोहि रखिये 
अपने ही पासा ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
राम भरत लछिमन 
सँग शत्रुहन भैया ।
जगमग ज्योति विराजै 
शोभा अति लहिया ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
हनुमत नाद बजावत 
नेवर झमकाता ।
स्वर्णथाल कर आरती 
करत कौशल्या माता ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
सुभग मुकुट सिर 
धनु सर, कर शोभा भारी ।
मनीराम दर्शन करि 
पल-पल बलिहारी ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
जय जानकिनाथा 
हो प्रभु जय श्री रघुनाथा ।
हो प्रभु जय सीता माता 
हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
हो प्रभु जय चारौं भ्राता 
हो प्रभु जय हनुमत दासा ।
दोउ कर जोड़े विनवौं 
प्रभु मेरी सुनो बाता ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥

महारानी गंगा मैया मेरा उद्धार करदे | श्री गंगा जी की आरती | Maharani Ganga Maiya Mera Uddhar Kar De

महारानी गंगा मैया मेरा उद्धार करदे | श्री गंगा जी की आरती | Maharani Ganga Maiya Mera Uddhar Kar De


महारानी गंगा मैया
मेरा उद्धार करदे
कृपा से अपनी माता 
बेड़े को पार करदे । 
*****
स्वर्ग से आई मैया
जगत को तारने को 
चरणों में लगाले मुझको 
इतना उपकार करदे। 
*****
तेरा प्रवाह मैया 
पापों का नाश करता 
भक्तों की खातिर मैया 
अमृत की धार करदे। 
*****
बनके सवाली मैया 
आए जो द्वार तेरे 
तू जगदम्बे उसका 
पूरा भण्डार करदे। 
*****
'चमन' नादान मैया 
करता सदा विनती 
जगत की जननी 
सुखिया सारा संसार करदे।
*****

मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

करवा चौथ व्रत कथा (कहानी) //Karva Chauth Vrat Katha Book & Pooja Vidhi// Lyrics in Hindi PDF // Lyrics in English

करवा चौथ व्रत कथा (कहानी) //Karva Chauth Vrat Katha Book & Pooja Vidhi// Lyrics in Hindi PDF // Lyrics in English


हिन्दू धर्म की मान्‍यता के अनुसार कार्तिक महीने में पूर्णिमा के चौथे दिन करवा चौथ वाला त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लम्‍बी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन शाम को करवा चौथ कथा पढ़ / सुन कर चंद्रमा निकलने के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और पति का तिलक आदि करने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और स्कन्द यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की सभी उपचारों के साथ पूजा की जाती है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से जीवन में पति का साथ हमेशा बना रहता है। साथ ही, सौभाग्य की प्राप्ति और जीवन में सुख-शान्ति बनी रहती है।

क्या है करवा चौथ की सरगी? What is Sargi in Karwa Chauth

सरगी के माध्‍यम से सास अपनी बहू को सुहाग का आशीर्वाद देती है। सरगी की थाल में 16 श्रृंगार की सभी समाग्री, मेवा, फल, मिष्ठान आदि होते हैं। सरगी में रखे गए व्यंजनों को ग्रहण करके ही इस व्रत का आरंभ किया जाता है। सास न हो तो जेठानी या बहन के माध्‍यम से भी यह रस्म निभायी जा सकती है। 

सरगी के सेवन का शुभ मुहूर्त Shubh Muhurt for Sargi

करवा चौथ व्रत वाले दिन सरगी सूर्योदय से पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में प्रात: 4 से 5 बजे के करीब कर लेना चाहिए। सरगी में भूलकर भी तेल मसाले वाली चीजों को ग्रहण न करें। इससे व्रत का फल नहीं मिलता है। ब्रह्म मुहूर्त में सरगी का सेवन अच्छा माना जाता है। 

करवा चौथ 2023 का शुभ मुहूर्त //Karwa Chauth 2023 ka Shubh Muhurt

इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 31 अक्तूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट से हो रही है। यह तिथि अगले दिन 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा। 1 नवंबर को करवा चौथ वाले दिन चंद्रोदय 8 बजकर 26 मिनट पर होगा। वहीं इस दिन शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। 1 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से 2 नवंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट रहेगा। इसके अलावा 1 नवंबर की दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा। इन दोनों शुभ संयोग की वजह से इस साल करवा चौथ का महत्व और बढ़ गया है। 

करवा चौथ 2023 पूजा विधि // Karva Chauth Puja Vidhi 

करवा चौथ पूजा करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ कर लें और लकड़ी की चौकी बिछाकर उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की तस्वीर या चित्र रखें। साथ ही, उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित कर उसमें थोड़े-से अक्षत डालें। इसके बाद कलश पर रोली, अक्षत का टीका लगाएं और गर्दन पर मौली बांधें। तीन जगह चार पूड़ी और 4 लड्डू लें, अब एक हिस्से को कलश के ऊपर, दूसरे को मिट्टी या चीनी के करवे पर और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्ले में बांध कर रख लें। अब करवाचौथ माता के सामने घी का दीपक जलाकर कथा पढ़ें। पूजा करने के बाद साड़ी के पल्ले और करवे पर रखे प्रसाद को बेटे या अपने पति को खिला दें। वहीं, कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें। पानी से भरे हुए कलश को पूजा स्थल पर ही रहने दें। चन्द्रोदय के समय इसी कलश के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग चंद्रमा को लगाएं। इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें। 

करवा चौथ का उजमन // Karwa Chauth ka Ujman

एक थाल में चार-चार पूड़ियाँ तेरह जगह रखकर उनके ऊपर थोड़ा-थोड़ा हलवा रख दें। थाल में एक साड़ी, ब्लाउज और सामर्थ्यानुसार रुपये भी रखें। फिर उसके चारों ओर रोली-चावल से हाथ फेरकर अपनी सासूजी के चरण स्पर्श कर उन्हें दे दें। तदुपरांत तेरह ब्राह्मण/ब्राह्मणियों को आदर सहित भोजन कराएं, दक्षिणा दें तथा रोली की बिन्‍दी /तिलक लगाकर उन्हें विदा करें। 

Karva Chauth Vrat Katha 2023 PDF (करवाचौथ व्रत की कथा (कहानी) PDF Download) Karva Chauth Vrat Katha Book PDF – ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ 

एक साहूकार के एक पुत्री और सात पुत्र थे। करवा चौथ के दिन साहूकार की पत्नी, बेटी और बहुओं ने व्रत रखा। रात्रि को साहूकार के पुत्र भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने के लिए कहा। बहन वोली- “भाई! अभी चन्द्रमा नहीं निकला है, उसके निकलने पर मैं अर्घ्य देकर भोजन करूँगी।” इस पर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा- “बहन! चन्द्रमा निकल आया है, अर्घ्य देकर भोजन कर लो।” बहन अपनी भाभियों को भी बुला लाई कि तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दे दो, किन्तु वे अपने पतियों की करतूत जानती थीं। उन्होंने कहा- “अभी चन्द्रमा नहीं निकला है। तुम्हारे भाई चालाकी करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं।” किन्तु बहन ने भाभियों की बात पर ध्यान नहीं दिया और भाइयों द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग होने से गणेश जी उससे रुष्ट हो गए। इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था, उसकी बीमारी में खर्च हो गया। साहूकार की पुत्री को जब अपने दोष का पता लगा तो वह पश्चाताप से भर उठी। गणेश जी से क्षमा-प्रार्थना करने के बाद उसने पुनः विधि-विधान से चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया। श्रद्धानुसार सबका आदर सत्कार करते हुए, सबसे आशीर्वाद लेने में ही उसने मन को लगा दिया। इस प्रकार उसके श्रद्धाभक्ति सहित कर्म को देख गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए। उन्होंने उसके पति को जीवनदान दे उसे बीमारी से मुक्त करने के पश्चात् धन-सम्पत्ति से युक्त कर दिया। इस प्रकार जो कोई छल-कपट से रहित श्रद्धाभक्तिपूर्वक चतुर्थी का व्रत करेगा, वह सब प्रकार से सुखी होते हुए कष्ट-कंटकों से मुक्त हो जाएगा। 

करवा चौथ का महत्व // Karwa Chauth Ka Mahatva

करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्‍यौहार है। यह उत्‍तर भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रमुखता से मनाया जाता है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरान्‍त ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा के लिए इस व्रत का सतत पालन करें।

करवा चौथ की आरती Karwa Chauth Aarti Download 

ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 
ओम जय करवा मैया। 

सब जग की हो माता, 
तुम हो रुद्राणी। 
यश तुम्हारा गावत, 
जग के सब प्राणी।। 
ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, 
जो नारी व्रत करती। 
दीर्घायु पति होवे,
दुख सारे हरती।। 
ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 

होए सुहागिन नारी, 
सुख संपत्ति पावे। 
गणपति जी बड़े दयालु, 
विघ्न सभी नाशे।। 
ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 

करवा मैया की आरती, 
व्रत कर जो गावे। 
व्रत हो जाता पूरन, 
सब विधि सुख पावे।। 
ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 
*****
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सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

अम्बे तू है जगदम्बे काली //Ambe Tu Hai Jagdambe Kali Lyrics in Hindi and English // Navratri Special Aarti

अम्बे तू है जगदम्बे काली |Ambe Tu Hai Jagdambe Kali Lyrics in Hindi | Navratri Special Aarti



अम्बे तू है जगदम्बे काली
जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गायें भारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
*****
तेरे भक्त जनों पे माता 
भीड़ पड़ी है भारी
मैया भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो माँ 
करके सिंह सवारी 
मॉं करके सिंह सवारी
सौ-सौ सिहों से भी बलशाली
अष्टभुजाओं वाली
दुश्टों को तू ही घन तारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
*****
माँ-बेटे का है इस जग में 
बड़ा ही निर्मल नाता
मैया बड़ा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने हैं पर ना 
माता सुनी कुमाता
माता सुनी कुमाता
सब पे करुणा करने वाली
अमृत बरसाने वाली
दुखियों के दुखड़े निवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
*****
नहीं मांगते धन और दौलत 
ना चांदी ना सोना
ना चांदी ना सोना
हम तो मांगे माँ तेरे चरणों में 
एक छोटा सा कोना
मैया एक छोटा सा कोना
सबकी बिगड़ी बनाने वाली
लाज बचाने वाली
सतियों के सत को संवारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
*****
चरण शरण में खड़े तुम्हारी, 
ले पूजा की थाली
मैया ले पूजा की थाली
वरद हस्त सर पर रख दो माँ 
संकट हरने वाली
माँ संकट हरने वाली
मय्या भर दो भक्ति रस प्याली, 
अष्ट भुजाओं वाली
भक्तों के कारज तू ही सारती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
ओ मैया हम सब उतारे तेरी आरती
*****

सोमवार, 7 अगस्त 2023

श्री गोलू देव की आरती || Shri Golu Dev Ki Aarti Lyrics in Hindi \\जय गोलज्यू महाराज \\ Jay Goljyu Maharaj

श्री गोलू देव की आरती || Shri Golu Dev Ki Aarti Lyrics in Hindi || Lyrics in English


जय गोलज्यू महाराज,

जय हो जय गोलज्यू महाराज ..!


जय गोल ज्यू महाराज,

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


ज्योत जगुनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


जय गोल ज्यू महाराज,

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जगुनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


पाड़ी में बगन तू आछे ,

लुवे को पिटार में नादान,

(देवा लुवे को पीटार में नादान)

गोरी घाट भाना पायो..

पड़ी गयो गोरिया नाम..!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


हरुआ, कलुवा भाई तेरो,

बड़ छेना जो दीवान..!

माता कालिंका तेरी…

बाबू झालो राज…!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


जय हो जय गोल ज्यू महाराज

जय हो जय गोल ज्यू महाराज

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


सुखिले लुकड़ टांक तेरो

कांठ का घोड़ में सवार !

(देवा काठ को घोड़ में सवार )

लुवे की लगाम हाथयू में..

चाबुक छू हथियार…!!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


जय हो जय गोल ज्यू महाराज .

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


न्याय तेरो हूँ साची,

सब उनी तेरो द्वार,

देवा सब उनी तेरो द्वार !

जो मांखी तेरो नो ल्यूं …

लगे वीक नय्या पार !


जय गोल ज्यू महाराज !!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज .

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


दूध, बतास और नारियल,

फूल चडनी तेरो द्वार,

देवा फूल चडनी तेरो द्वार !

प्रथम मंदीर चम्पावत..

फिर चितई, घोड़ाखाल.!

जय गोल ज्यू महाराज !!


जय हो जय गोल ज्यू महाराज .

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


*****

(2)


ॐ जय-जय गोल्ज्यू महाराज, 

स्वामी जय गोल्ज्यू महाराज ।

कृपा करो हम दीन रंक पर, 

दुख हरियो प्रभु आज ।।ॐ।।


राज झलराव के तुम बालक होकर, 

जग में बड़े बलवान ।

सब देवों में तुम्हारा, 

प्रथम मान है आज ।। ॐ जय ।।


भान धेवर में धर्म पुत्र बनकर, 

काठ के घोड़े में चढ़ कर ।

दिखाये कई चमत्‍कार, 

किया सभी का उद्धार ।। ॐ जय।।


जो भी भक्तगण भक्तिभाव से, 

गोल्ज्यू दरबार में आये ।

शीश प्रभु के चरणों मे झुकाये, 

उसकी सब बधाये ।

और विघ्न गोल्ज्यू हर लेते ।। ॐ जय ।।


न्याय देवता है प्रभु करते है इंसाफ ।

क्षमा शांति दो हे गोल्ज्यू प्रमाण लो महाराज ।।ॐ जय ।।


जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे, 

प्रभु भक्ति सहित गावे ।

सब दुख उसके मिट जाते, 

पाप उतर जाते ।। ॐ जय ।।


बोलो न्याय देवता श्री 1008 गोल्ज्यू देवता की जय ।


*****
(3)
ओम जय गोलू देवा 
प्रभु जयगोलू स्‍वामी
सदा कृपा बरसाना 
सदा कृपा बरसाना 
हे अन्‍तर्यामी 
ओम जय गोलू स्‍वामी  

ओम जय गोलू देवा 
प्रभु जयगोलू स्‍वामी
सदा कृपा बरसाना 
सदा कृपा बरसाना 
हे अन्‍तर्यामी 
ओम जय गोलू स्‍वामी  

चम्‍पावत में जन्‍मे 
घर घर वास कियो 
प्रभु घर घर वास कियो 
दुखियों के दुख हरने 
दुखियों का दुख हरने 
मानव जन्‍म लियो 
ओम जय गोलू स्‍वामी 

श्‍वेताम्‍बर धारण कर  
श्‍वेत रंग प्रेमी 
प्रभु श्‍वेत रंग प्रेमी 
काष्‍ठ अश्‍व में राजत
काष्‍ठ अश्‍व में राजत
गति है अलबेली 
ओम जय गोलू स्‍वामी 

विनम्र अनुरोध: अपनी उपस्थिति दर्ज करने एवं हमारा उत्साहवर्धन करने हेतु कृपया टिप्पणी (comments) में जय गोलू देवता अवश्य अंकित करें।

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