बुधवार, 29 नवंबर 2023

आज बनी छबि भारी श्रीराघवजीकी | Aaj Bani Chhabi Bhari Shri Raghav Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

आज बनी छबि भारी श्रीराघवजीकी | Aaj Bani Chhabi Bhari Shri Raghav Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi 


आज बनी छबि भारी श्रीराघवजीकी। 
सहित जानकी रत्नसिंहास।।। 
राजत अवधबिहारी ।।
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रवि, शशि कोटि देखि छबि लाजे ।
तिलक पटल द्युतिकारी।।
बदनमयंक तापत्रयमोचन ।
मंद हासरस न्यारी ।।
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बाम अंग श्रीसीता (जी) सोहैं। 
हनुमत आज्ञाकारी।। 
गौर श्याम सुंदर तन सोहैं। 
चन्द्रबदन उजियारी ।।
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रत्नजटित आभूषण सोहै ।
मोतिनकी छबि भारी ।।
क्रीट मुकुट मकराकृत कुंडल। 
गल बनमाला प्‍यारी ।। 
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बाहु विशाल विभूषण सुन्दर ।
कर शुचि सारंगधारी ।।
कटि पट पीत बसनकी सोभा ।
मोहन मदन निहारी ।। 
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मुनिजन चरण सरोरुह सेवत ।
ध्यान धरत त्रिपुरारी ।।
आज बनी छबि भारी श्रीराघवजीकी। 
सहित जानकी रत्नसिंहासन ।।
राजत अवधबिहारी ।।
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आरति श्रीजनक-दुलारीकी | Arati Shri Janak Dulari Ki | Janaki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

आरति श्रीजनक-दुलारीकी | Arati Shri Janak Dulari Ki | Janaki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi


आरति श्रीजनक-दुलारीकी । 
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥ 
आरति श्रीजनक-दुलारीकी । 
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥
*****
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि। 
नित्य सत्य साकेत-विहारिणि।। 
परम दयामयि दीनोद्धारिणि। 
मैयाभक्तन-हितकारीकी ॥
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥
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सती शिरोमणि पति-हित-कारिणि। 
पति-सेवा हित वन-वन चारिणि।। 
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि। 
त्याग-धर्म-मूरति-धारीकी ॥ 
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥
*****
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई। 
नाम लेत पावन मति आई।। 
सुमिरत कटत कष्ट दुखदाई। 
शरणागत-जन-भय-हारीकी ॥
सीताजी रघुबर-प्यारीकी ॥
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आरती जनक-ललीकी कीजै | Arati Janak Lali Ki Kije | Janaki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

आरती जनक-ललीकी कीजै | Arati Janak Lali Ki Kije | Janaki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi  


आरती जनक-ललीकी कीजै। 
सुबरन-थार बारि घृत-बाती, 
तन निज बारि रूप-रस पीजै॥ 
आरती जनक-ललीकी कीजै। 
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गौर-बरन सुंदर तन सोभा 
नख-सिख छबि नैननि भरि लीजै। 
आरती जनक-ललीकी कीजै। 
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सरस-माधुरी स्वामिनि मेरी 
चरन-कमलमें चित नित दीजै ॥
आरती जनक-ललीकी कीजै। 
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आरति कीजै जनक-ललीकी | श्रीजानकीजी की आरती | Arati Kije Janak Lali Ki | Shri Janki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

आरति कीजै जनक-ललीकी | श्रीजानकीजी की आरती | Arati Kije Janak Lali Ki | Shri Janki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi


आरति कीजै जनक-ललीकी। 
राममधुपमन कमल-कलीकी ॥
रामचंद्र मुखचंद्र चकोरी।
अंतर साँवर बाहर गोरी।। 
सकल सुमंगल सुफल फलीकी ॥
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पिय दृगमृग जुग बंधन डोरी ।
पीय प्रेम रस-राशि किशोरी ।। 
पिय मन गति विश्राम थलीकी । 
रूप-रास-गुननिधि जग स्वामिनि।। 
प्रेम प्रबीन राम अभिरामिनि ।।
सरबस धन 'हरिचंद' अलीकी ।।
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बुधवार, 22 नवंबर 2023

क्या करें भगवान बता दो ?| Kya Karen Bhagwan Bata Do | प्रार्थना | Prarthana

क्या करें भगवान बता दो ?| Kya Karen Bhagwan Bata Do | प्रार्थना | Prarthana 


क्या करें भगवान बता दो ? 
दोष अन्तर में भरे हैं। 
देखकर उनको डरे हैं। 
दुदर्शा हैं कर रहे 
इनको हटा दो। 
क्या करें भगवान बता दो ? 
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क्या करें भगवान बता दो ? 
उम्र बीती जा रही है । 
मृत्यु सन्मुख आ रही है। 
कुछ न कर पाया - 
तुम्हीं बिगड़ी बनादो ।
क्या करें भगवान बता दो ? 
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क्या करें भगवान बता दो ? 
और अब मैं कहाँ जाऊँ। 
निज व्यथा किसको सुनाऊँ । 
दया निधि करके दया  
दर्शन दिखा दो । 
क्या करें भगवान बता दो ? 
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क्या करें भगवान बता दो ? 
सुनी है महिमा तुम्हारी । 
तुम्हें कहते है दुःखहारी । 
शरण हूँ 'पथिक' 
मेरा भय भगा दो । 
क्या करें भगवान बता दो ?
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