बुधवार, 29 नवंबर 2023

आरति कीजै जनक-ललीकी | श्रीजानकीजी की आरती | Arati Kije Janak Lali Ki | Shri Janki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

आरति कीजै जनक-ललीकी | श्रीजानकीजी की आरती | Arati Kije Janak Lali Ki | Shri Janki Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi


आरति कीजै जनक-ललीकी। 
राममधुपमन कमल-कलीकी ॥
रामचंद्र मुखचंद्र चकोरी।
अंतर साँवर बाहर गोरी।। 
सकल सुमंगल सुफल फलीकी ॥
*****
पिय दृगमृग जुग बंधन डोरी ।
पीय प्रेम रस-राशि किशोरी ।। 
पिय मन गति विश्राम थलीकी । 
रूप-रास-गुननिधि जग स्वामिनि।। 
प्रेम प्रबीन राम अभिरामिनि ।।
सरबस धन 'हरिचंद' अलीकी ।।
*****

बुधवार, 22 नवंबर 2023

क्या करें भगवान बता दो ?| Kya Karen Bhagwan Bata Do | प्रार्थना | Prarthana

क्या करें भगवान बता दो ?| Kya Karen Bhagwan Bata Do | प्रार्थना | Prarthana 


क्या करें भगवान बता दो ? 
दोष अन्तर में भरे हैं। 
देखकर उनको डरे हैं। 
दुदर्शा हैं कर रहे 
इनको हटा दो। 
क्या करें भगवान बता दो ? 
*****
क्या करें भगवान बता दो ? 
उम्र बीती जा रही है । 
मृत्यु सन्मुख आ रही है। 
कुछ न कर पाया - 
तुम्हीं बिगड़ी बनादो ।
क्या करें भगवान बता दो ? 
*****
क्या करें भगवान बता दो ? 
और अब मैं कहाँ जाऊँ। 
निज व्यथा किसको सुनाऊँ । 
दया निधि करके दया  
दर्शन दिखा दो । 
क्या करें भगवान बता दो ? 
*****
क्या करें भगवान बता दो ? 
सुनी है महिमा तुम्हारी । 
तुम्हें कहते है दुःखहारी । 
शरण हूँ 'पथिक' 
मेरा भय भगा दो । 
क्या करें भगवान बता दो ?
*****

ॐ जय जानकीनाथा जय श्री रघुनाथा | Om Jay Jankinatha Jay Shri Raghunatha | Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय जानकीनाथा जय श्री रघुनाथा | Om Jay Jankinatha Jay Shri Raghunatha | Shri Ram Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi 


ॐ जय जानकीनाथा 
जय श्री रघुनाथा ।
दोउ कर जोरें बिनवौं 
प्रभु! सुनिये बाता ॥
ॐ जय जानकीनाथा
*****
तुम रघुनाथ हमारे 
प्राण पिता माता ।
तुम ही सज्जन-संगी 
भक्ति मुक्ति दाता ॥
ॐ जय जानकीनाथा
*****
लख चौरासी काटो 
मेटो यम त्रासा ।
निशदिन प्रभु मोहि रखिये 
अपने ही पासा ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
राम भरत लछिमन 
सँग शत्रुहन भैया ।
जगमग ज्योति विराजै 
शोभा अति लहिया ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
हनुमत नाद बजावत 
नेवर झमकाता ।
स्वर्णथाल कर आरती 
करत कौशल्या माता ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
सुभग मुकुट सिर 
धनु सर, कर शोभा भारी ।
मनीराम दर्शन करि 
पल-पल बलिहारी ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
जय जानकिनाथा 
हो प्रभु जय श्री रघुनाथा ।
हो प्रभु जय सीता माता 
हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥
*****
हो प्रभु जय चारौं भ्राता 
हो प्रभु जय हनुमत दासा ।
दोउ कर जोड़े विनवौं 
प्रभु मेरी सुनो बाता ॥
ॐ जय जानकीनाथा॥

महारानी गंगा मैया मेरा उद्धार करदे | श्री गंगा जी की आरती | Maharani Ganga Maiya Mera Uddhar Kar De

महारानी गंगा मैया मेरा उद्धार करदे | श्री गंगा जी की आरती | Maharani Ganga Maiya Mera Uddhar Kar De


महारानी गंगा मैया
मेरा उद्धार करदे
कृपा से अपनी माता 
बेड़े को पार करदे । 
*****
स्वर्ग से आई मैया
जगत को तारने को 
चरणों में लगाले मुझको 
इतना उपकार करदे। 
*****
तेरा प्रवाह मैया 
पापों का नाश करता 
भक्तों की खातिर मैया 
अमृत की धार करदे। 
*****
बनके सवाली मैया 
आए जो द्वार तेरे 
तू जगदम्बे उसका 
पूरा भण्डार करदे। 
*****
'चमन' नादान मैया 
करता सदा विनती 
जगत की जननी 
सुखिया सारा संसार करदे।
*****

मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

करवा चौथ व्रत कथा (कहानी) //Karva Chauth Vrat Katha Book & Pooja Vidhi// Lyrics in Hindi PDF // Lyrics in English

करवा चौथ व्रत कथा (कहानी) //Karva Chauth Vrat Katha Book & Pooja Vidhi// Lyrics in Hindi PDF // Lyrics in English


हिन्दू धर्म की मान्‍यता के अनुसार कार्तिक महीने में पूर्णिमा के चौथे दिन करवा चौथ वाला त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लम्‍बी आयु की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन शाम को करवा चौथ कथा पढ़ / सुन कर चंद्रमा निकलने के बाद वे चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और पति का तिलक आदि करने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं। इस दिन भगवान शिव, गणेश जी और स्कन्द यानि कार्तिकेय के साथ बनी गौरी के चित्र की सभी उपचारों के साथ पूजा की जाती है। कहते हैं कि इस व्रत को करने से जीवन में पति का साथ हमेशा बना रहता है। साथ ही, सौभाग्य की प्राप्ति और जीवन में सुख-शान्ति बनी रहती है।

क्या है करवा चौथ की सरगी? What is Sargi in Karwa Chauth

सरगी के माध्‍यम से सास अपनी बहू को सुहाग का आशीर्वाद देती है। सरगी की थाल में 16 श्रृंगार की सभी समाग्री, मेवा, फल, मिष्ठान आदि होते हैं। सरगी में रखे गए व्यंजनों को ग्रहण करके ही इस व्रत का आरंभ किया जाता है। सास न हो तो जेठानी या बहन के माध्‍यम से भी यह रस्म निभायी जा सकती है। 

सरगी के सेवन का शुभ मुहूर्त Shubh Muhurt for Sargi

करवा चौथ व्रत वाले दिन सरगी सूर्योदय से पूर्व ब्रह्ममुहूर्त में प्रात: 4 से 5 बजे के करीब कर लेना चाहिए। सरगी में भूलकर भी तेल मसाले वाली चीजों को ग्रहण न करें। इससे व्रत का फल नहीं मिलता है। ब्रह्म मुहूर्त में सरगी का सेवन अच्छा माना जाता है। 

करवा चौथ 2023 का शुभ मुहूर्त //Karwa Chauth 2023 ka Shubh Muhurt

इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 31 अक्तूबर मंगलवार को रात 9 बजकर 30 मिनट से हो रही है। यह तिथि अगले दिन 1 नवंबर को रात 9 बजकर 19 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि और चंद्रोदय के समय को देखते हुए करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर 2023, बुधवार को रखा जाएगा। 1 नवंबर को करवा चौथ वाले दिन चंद्रोदय 8 बजकर 26 मिनट पर होगा। वहीं इस दिन शाम 5 बजकर 44 मिनट से 7 बजकर 02 मिनट तक पूजा का शुभ मुहूर्त है। 1 नवंबर को करवा चौथ के दिन सर्वार्थ सिद्धि और शिव योग का संयोग बन रहा है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 33 मिनट से 2 नवंबर को सुबह 04 बजकर 36 मिनट रहेगा। इसके अलावा 1 नवंबर की दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से शिवयोग शुरू हो जाएगा। इन दोनों शुभ संयोग की वजह से इस साल करवा चौथ का महत्व और बढ़ गया है। 

करवा चौथ 2023 पूजा विधि // Karva Chauth Puja Vidhi 

करवा चौथ पूजा करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ कर लें और लकड़ी की चौकी बिछाकर उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की तस्वीर या चित्र रखें। साथ ही, उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित कर उसमें थोड़े-से अक्षत डालें। इसके बाद कलश पर रोली, अक्षत का टीका लगाएं और गर्दन पर मौली बांधें। तीन जगह चार पूड़ी और 4 लड्डू लें, अब एक हिस्से को कलश के ऊपर, दूसरे को मिट्टी या चीनी के करवे पर और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्ले में बांध कर रख लें। अब करवाचौथ माता के सामने घी का दीपक जलाकर कथा पढ़ें। पूजा करने के बाद साड़ी के पल्ले और करवे पर रखे प्रसाद को बेटे या अपने पति को खिला दें। वहीं, कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें। पानी से भरे हुए कलश को पूजा स्थल पर ही रहने दें। चन्द्रोदय के समय इसी कलश के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग चंद्रमा को लगाएं। इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें। 

करवा चौथ का उजमन // Karwa Chauth ka Ujman

एक थाल में चार-चार पूड़ियाँ तेरह जगह रखकर उनके ऊपर थोड़ा-थोड़ा हलवा रख दें। थाल में एक साड़ी, ब्लाउज और सामर्थ्यानुसार रुपये भी रखें। फिर उसके चारों ओर रोली-चावल से हाथ फेरकर अपनी सासूजी के चरण स्पर्श कर उन्हें दे दें। तदुपरांत तेरह ब्राह्मण/ब्राह्मणियों को आदर सहित भोजन कराएं, दक्षिणा दें तथा रोली की बिन्‍दी /तिलक लगाकर उन्हें विदा करें। 

Karva Chauth Vrat Katha 2023 PDF (करवाचौथ व्रत की कथा (कहानी) PDF Download) Karva Chauth Vrat Katha Book PDF – ਕਰਵਾ ਚੌਥ ਵਰਤ ਦੀ ਕਹਾਣੀ 

एक साहूकार के एक पुत्री और सात पुत्र थे। करवा चौथ के दिन साहूकार की पत्नी, बेटी और बहुओं ने व्रत रखा। रात्रि को साहूकार के पुत्र भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन करने के लिए कहा। बहन वोली- “भाई! अभी चन्द्रमा नहीं निकला है, उसके निकलने पर मैं अर्घ्य देकर भोजन करूँगी।” इस पर भाइयों ने नगर से बाहर जाकर अग्नि जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा- “बहन! चन्द्रमा निकल आया है, अर्घ्य देकर भोजन कर लो।” बहन अपनी भाभियों को भी बुला लाई कि तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्य दे दो, किन्तु वे अपने पतियों की करतूत जानती थीं। उन्होंने कहा- “अभी चन्द्रमा नहीं निकला है। तुम्हारे भाई चालाकी करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं।” किन्तु बहन ने भाभियों की बात पर ध्यान नहीं दिया और भाइयों द्वारा दिखाए प्रकाश को ही अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार व्रत भंग होने से गणेश जी उससे रुष्ट हो गए। इसके बाद उसका पति सख्त बीमार हो गया और जो कुछ घर में था, उसकी बीमारी में खर्च हो गया। साहूकार की पुत्री को जब अपने दोष का पता लगा तो वह पश्चाताप से भर उठी। गणेश जी से क्षमा-प्रार्थना करने के बाद उसने पुनः विधि-विधान से चतुर्थी का व्रत करना आरम्भ कर दिया। श्रद्धानुसार सबका आदर सत्कार करते हुए, सबसे आशीर्वाद लेने में ही उसने मन को लगा दिया। इस प्रकार उसके श्रद्धाभक्ति सहित कर्म को देख गणेश जी उस पर प्रसन्न हो गए। उन्होंने उसके पति को जीवनदान दे उसे बीमारी से मुक्त करने के पश्चात् धन-सम्पत्ति से युक्त कर दिया। इस प्रकार जो कोई छल-कपट से रहित श्रद्धाभक्तिपूर्वक चतुर्थी का व्रत करेगा, वह सब प्रकार से सुखी होते हुए कष्ट-कंटकों से मुक्त हो जाएगा। 

करवा चौथ का महत्व // Karwa Chauth Ka Mahatva

करवा चौथ हिन्दुओं का एक प्रमुख त्‍यौहार है। यह उत्‍तर भारत के पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान में प्रमुखता से मनाया जाता है। यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह पर्व सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ मनाती हैं। यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले करीब 4 बजे के बाद शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद संपूर्ण होता है। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाओं तक सभी नारियाँ करवाचौथ का व्रत बडी़ श्रद्धा एवं उत्साह के साथ रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार यह व्रत कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चन्द्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन करना चाहिए। पति की दीर्घायु एवं अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए इस दिन भालचन्द्र गणेश जी की अर्चना की जाती है। करवाचौथ में भी संकष्टीगणेश चतुर्थी की तरह दिन भर उपवास रखकर रात में चन्द्रमा को अर्घ्य देने के उपरान्‍त ही भोजन करने का विधान है। वर्तमान समय में करवाचौथ व्रतोत्सव ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार में प्रचलित प्रथा के अनुसार ही मनाती हैं लेकिन अधिकतर स्त्रियां निराहार रहकर चन्द्रोदय की प्रतीक्षा करती हैं। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। यह व्रत 12 वर्ष तक अथवा 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है। अवधि पूरी होने के पश्चात इस व्रत का उद्यापन (उपसंहार) किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियाँ आजीवन रखना चाहें वे जीवनभर इस व्रत को कर सकती हैं। इस व्रत के समान सौभाग्यदायक व्रत अन्य कोई दूसरा नहीं है। अतः सुहागिन स्त्रियाँ अपने सुहाग की रक्षा के लिए इस व्रत का सतत पालन करें।

करवा चौथ की आरती Karwa Chauth Aarti Download 

ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 
ओम जय करवा मैया। 

सब जग की हो माता, 
तुम हो रुद्राणी। 
यश तुम्हारा गावत, 
जग के सब प्राणी।। 
ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, 
जो नारी व्रत करती। 
दीर्घायु पति होवे,
दुख सारे हरती।। 
ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 

होए सुहागिन नारी, 
सुख संपत्ति पावे। 
गणपति जी बड़े दयालु, 
विघ्न सभी नाशे।। 
ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 

करवा मैया की आरती, 
व्रत कर जो गावे। 
व्रत हो जाता पूरन, 
सब विधि सुख पावे।। 
ओम जय करवा मैया, 
माता जय करवा मैया। 
जो व्रत करे तुम्हारा, 
पार करो नइया।। 
*****
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