रविवार, 28 नवंबर 2021

ललिता माता चालीसा || जयति-जयति जय ललिते माता || Shri Lalita Mata Chalisa || Jayati Jayati Jay Lalita Mata || Lalita Mata Stuti || Arti Lyrics in Hindi

ललिता माता चालीसा || जयति-जयति जय ललिते माता || Shri Lalita Mata Chalisa || Jayati Jayati Jay Lalita Mata || Lalita Mata Stuti || Arti Lyrics in Hindi


।। चौपाई ।।

 

जयति-जयति जय ललिते माता। 

तव गुण महिमा है विख्याता।।


तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी। 

सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।।

 

तू कल्याणी कष्ट निवारिणि। 

तू सुख दायिनी, विपदा हारिणि ।।


मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी। 

भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।।

 

आदि शक्ति श्री विद्या रूपा। 

चक्र स्वामिनी देह अनूपा।।


हृदय निवासिनी-भक्त तारिणी। 

नाना कष्ट विपति दल हारिणी।।

 

दश विद्या है रूप तुम्हारा। 

श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा।।


धूमा, बगला, भैरवी, तारा। 

भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।।

 

षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी। 

ललितेशक्ति तुम्हारी संगी।।


ललिते तुम हो ज्योतित भाला। 

भक्तजनों का काम संभाला।।

 

भारी संकट जब-जब आए। 

उनसे तुमने भक्त बचाए।।


जिसने कृपा तुम्हारी पाई। 

उसकी सब विधि से बन आई।।

 

संकट दूर करो मां भारी। 

भक्तजनों को आस तुम्हारी।।


त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी। 

जय-जय-जय शिव की महारानी।।

 

योग सिद्धि पावें सब योगी। 

भोगें भोग महा सुख भोगी।।


कृपा तुम्हारी पाके माता। 

जीवन सुखमय है बन जाता।।

 

दुखियों को तुमने अपनाया। 

महा मूढ़ जो शरण न आया।।


तुमने जिसकी ओर निहारा। 

मिली उसे संपत्ति, सुख सारा।।

 

आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी। 

महाशक्ति जय-जय, भय हारी।।


कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा। 

लीला ललिते करें अनूपा।।

 

महा-महेश्वरी, महाशक्ति दे। 

त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।।


महा महा-नन्दे कल्याणी। 

मूकों को देती हो वाणी।।

 

इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी। 

होता तव सेवा अनुरागी।।


जो ललिते तेरा गुण गावे। 

उसे न कोई कष्ट सतावे।।

 

सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी। 

तुम हो सर्वशक्ति संचालिनी।।


आया मॉं जो शरण तुम्हारी। 

विपदा हरी उसी की सारी।।

 

नामा कर्षिणी, चिंता कर्षिणी। 

सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।।


महिमा तव सब जग विख्याता। 

तुम हो दयामयी जग माता।।

 

सब सौभाग्य दायिनी ललिता। 

तुम हो सुखदा करुणा कलिता।।


आनंद, सुख, संपत्ति देती हो। 

कष्ट भयानक हर लेती हो।।

 

मन से जो जन तुमको ध्यावे। 

वह तुरंत मन वांछित पावे।।


लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली। 

तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।।

 

मूलाधार, निवासिनी जय-जय। 

सहस्रार गामिनी मॉं जय-जय।।


छ: चक्रों को भेदने वाली। 

करती हो सबकी रखवाली।।

 

योगी, भोगी, क्रोधी, कामी। 

सब हैं सेवक सब अनुगामी।।


सबको पार लगाती हो मॉं। 

सब पर दया दिखाती हो मां।।

 

हेमावती, उमा, ब्रह्माणी। 

भण्डासुर की हृदय विदारिणी।।


सर्व विपति हर, सर्वाधारे। 

तुमने कुटिल कुपंथी तारे।।

 

चन्द्र-धारिणी, नैमिश्वासिनी। 

कृपा करो ललिते अधनाशिनी।।


भक्तजनों को दरस दिखाओ। 

संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।।

 

जो कोई पढ़े ललिता चालीसा। 

होवे सुख आनंद अधीसा।।


जिस पर कोई संकट आवे। 

पाठ करे संकट मिट जावे।।

 

ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा। 

पूर्ण मनोरथ होवे सारा।।


पुत्रहीन संतति सुख पावे। 

निर्धन धनी बने गुण गावे।।

 

इस विधि पाठ करे जो कोई। 

दु:ख बंधन छूटे सुख होई।।


जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें। 

पढ़ें चालीसा तो सुख पावें।।

 

सबसे लघु उपाय यह जानो। 

सिद्ध होय मन में जो ठानो।।


ललिता करे हृदय में बासा। 

सिद्धि देत ललिता चालीसा।।

 

।। दोहा ।।

 

ललिते मां अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम।

श्रद्धा से सिर नाय कर करते तुम्हें प्रणाम।।


श्री ललिता माता की आरती || श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि || Shri Lalita Mata Ki Aarti || Shri Mateshwari Jay Tripureshwari || Lalita Mata Prayagraj Allahabad

आरती श्री वृषभानुसुता की || Aarati Shri Vrishbhanusuta ki || Shri Radha Ji Ki Aarti || Radha Rani Ji Ki Aarti || Shri Radha Stuti || Shri Radha Sarkar Ki Aarti ||

आरती श्री वृषभानुसुता की || Aarati Shri Vrishbhanusuta ki || Shri Radha Ji Ki Aarti || Radha Rani Ji Ki Aarti || Shri Radha Stuti || Shri Radha Sarkar Ki Aarti || 


आरती श्री वृषभानुसुता की

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।


त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि

विमल विवेकविराग विकासिनि।।


पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि

सुन्दरतम छवि सुन्दरता की।।


आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।


मुनि मन मोहन मोहन मोहनि

मधुर मनोहर मूरति सोहनि।।


अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि

प्रिय अति सदा सखी ललिता की।।


आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।


संतत सेव्य सत मुनि जनकी

आकर अमित दिव्यगुन गनकी।।


आकर्षिणी कृष्ण तन मन की

अति अमूल्य सम्पति समता की।।


आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।


कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि

चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।।


जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि

आदि अनादि शक्ति विभुता की।।


आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।

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श्री राधे वृषभानुजा  भक्तनि प्राणाधार || Shri Radhe Vrishbhanuja || Shri Radha Chalisa || Radha Stuti || Radha Keertan || श्री राधा चालीसा

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श्री राधा चालीसा || श्री राधे वृषभानुजा भक्तनि प्राणाधार || Shri Radhe Vrishbhanuja || Shri Radha Chalisa || Radha Stuti || Radha Keertan

श्री राधा चालीसा // श्री राधे वृषभानुजा  भक्तनि प्राणाधार //Shri Radhe Vrishbhanuja//Shri Radha Chalisa//Radha Stuti//Radha Keertan 


।।दोहा ।।

श्री राधे वृषभानुजा

भक्तनि प्राणाधार ।

वृन्दाविपिन विहारिणी

प्राणवौ बारम्बार ।।


जैसो तैसो रावरौ

कृष्ण प्रिया सुखधाम।

चरण शरण निज दीजिये

सुन्दर सुखद ललाम ।।


।। चौपाई ।।

जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा ।

कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥


नित्य विहारिनि रस विस्‍तारिनि ।

अमित मोद मंगल दातारा ।।


रास विलासिनि रस विस्तारिनि ।

सहचरि सुभग यूथ मन भावनि।।


नित्य किशोरी राधा गोरी ।

श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ।।


करुना सागर हिय उमंगिनी ।

ललितादिक सखियन की संगिनि ।।


दिनकर कन्या कूल विहारिनि ।

कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनि ।।


नित्य श्याम तुमरौ गुण गावैं ।

राधा राधा कहि हरषावैं ।।


मुरली में नित नाम उचारें ।

तुम कारण लीला वपु धारें ।।


प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।

श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।।


नवल किशोरी अति छवि धामा ।

द्युति लघु लगै कोटि रति कामा ।।


गौरांगी शशि निंदक वदना ।

सुभग चपल अनियारे नैना ।।


जावक युत युग पंकज चरना ।

नूपुर ध्वनि प्रीतम मन हरना ।।


सन्‍तत सहचरि सेवा करहीं ।

महा मोद मंगल मन भरहीं ।।


रसिकन जीवन प्राण अधारा ।

राधा नाम सकल सुख सारा ।।


अगम अगोचर नित्य स्वरूपा ।

ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ।।


उपजेउ जासु अंश गुण खानी ।

कोटिन उमा रमा ब्रह्मनी ।।


नित्य धाम गोलोक विहारिनि ।

जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ।।


शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।

पार न पॉंइ शेष अरु शारद ।।


राधा शुभ गुण रूप उजारी ।

निरखि प्रसन्‍न होता बनवारी ।।


ब्रज जीवन धन राधा रानी ।

महिमा अमित न जाय बखानी ।।


प्रीतम संग देइ गल बाहीं ।

बिहरत नित वृन्दावन माहीं ।।


राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा ।

एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।।


श्री राधा मोहन मन हरनी ।

जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ।।


कोटिक रूप धरें नन्द नन्‍दा ।

दरश करन हित गोकुल चन्‍दा ।।


रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।

मान करौ जब अति दुःख पावें ।।


प्रफुलित होत दर्श जब पावें ।

विविध भांति नित विनय सुनावें ।।


वृन्‍दारण्‍य विहारिणि श्यामा ।

नाम लेत पूरण सब कामा ।।


कोटिन यज्ञ तपस्या करहूँ ।

विविध नेम व्रत हिय में धरहूँ  ।।


तउ न श्याम भक्ताहिं अहनावें ।

जब लगि राधा नाम न गावें ।।


वृंदाविपिन स्वामिनी राधा ।

लीला वपु तव अमित अगाधा ।।


स्वयं कृष्ण पावहिं नहिं पारा ।

और तुम्‍हैं को जानन हारा ।।


श्रीराधा रस प्रीती अभेदा ।

सादर गान करत नित वेदा ।।


राधा त्यागि कृष्ण को भजिहैं ।

ते सपनेहुँ जग जलधि न तरिहैं ।।


कीरति कुँवरि लाडली राधा ।

सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा।। 


नाम अमंगल मूल नासवन।

विविध ताप हर हरि मनभावन।।


राधा नाम ले जो कोई ।

सहजहिं दामोदर वश होई ।।


राधा नाम परम सुखदायी ।

भजतहिं कृपा करहिं यदुराई ।।


यशुमति नंदन पीछे फिरहैं ।

जो कोउ राधा नाम सुमिरिहैं ।।


रास विहारिनि श्यामा प्यारी ।

करहुँ कृपा बरसाने वारी ।।


वृन्दावन है शरण तिहारी ।

जय जय जय वृशभानु दुलारी ।।


।। दोहा ।।

श्री राधा सर्वेश्वरी रसिकेश्वर धनश्याम ।

करहुँ निरंतर बास मैं श्री वृन्दावन धाम ।।

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बुधवार, 24 नवंबर 2021

श्री शीतला माता की चालीसा || जय जय माता शीतला तुमहिं धरै जो ध्यान || Shri Sheetala Chalisa || Jay Jay Mata Sheetala || Sheetala Stuti

 श्री शीतला माता की चालीसा // जय जय माता शीतला  तुमहिं धरै जो ध्यान // Shri Sheetala Chalisa // Jay Jay Mata Sheetala // Sheetala Stuti 

श्री शीतला धाम कड़े कौशाम्‍बी उ०प्र०

।।दोहा।।


जय जय माता शीतला

तुमहिं धरै जो ध्यान।

होय विमल शीतल हृदय

विकसै बंद्धि बल ज्ञान।।


घट -घट वासी शीतला

शीतल प्रभा तुम्हार।

शीतल छइयां में झुलइ

मइया पलना डार।।


।। चौपाई ।।


जय-जय- जय श्री शीतला भवानी।

जय जग जननि सकल गुणखानी।


गृह -गृह शक्ति तुम्हारी राजित।

पूरण शरद चंद्र सम साजित।।


विस्फोटक से जलत शरीरा।

शीतल करत हरत सब पीरा।।


मात शीतला तव शुभनामा।

सबके गाढे आवहिं कामा।।


शोकहरी शंकरी भवानी।

बाल-प्राणक्षरी सुख दानी।।


शुचि मार्जनी कलश कर राजै।

मस्तक तेज सूर्य सम राजै।।


चौसठ योगिन संग में गावैं।

वीणा ताल मृदंग बजावै।।


नृत्य नाथ भैरौं दिखलावैं।

सहज शेष शिव पार ना पावैं।।


धन्य धन्य धात्री महारानी।

सुरनर मुनि तव सुयश बखानी।।


ज्वाला रूप महा बलकारी।

दैत्य एक विस्फोटक भारी।।


घर घर प्रविशत कोई न रक्षत।

रोग रूप धरि बालक भक्षत।।


हाहाकार मच्यो जगभारी।

सक्यो न जब यह संकट टारी।।


तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा।

कर में लिये मार्जनी सूपा।।


विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो।

मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो।।


बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा।

मैय्या नहिं भल मैं कछु कीन्हा।।


अबनहिं मातु काहु गृह जइहौं।

जहँ अपवित्र वही घर रहिहौं।।


भभकत तन शीतल भय जइहौं।

विस्फोटक भय घोर नसइहौं ।।


श्री शीतलहिं भजे कल्याना।

वचन सत्य भाषे भगवाना।।


विस्फोटक भय जिहि गृह भाई।

भजै देवि कहँ यही उपाई।।


कलश शीतला का सजवावै।

द्विज से विधिवत पाठ करावै।।


तुम्हीं शीतला, जग की माता।

तुम्हीं पिता जग की सुखदाता।।


तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी।

नमो नमामी शीतले देवी।।


नमो सुखकरनी दु:खहरणी।

नमो- नमो जगतारणि धरणी।।


नमो नमो त्रैलोक्य वंदिनी।

दुखदारिद्रक निकंदिनी।।


श्री शीतला , शेढ़ला, महला।

रुणलीहृणनी मातृ मंदला।।


हो तुम दिगम्बर तनुधारी।

शोभित पंचनाम असवारी।।


रासभ, खर , बैसाख सुनंदन।

गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन।।


सुमिरत संग शीतला माई।

जाही सकल सुख दूर पराई।।


गलका, गलगन्डादि जु होई।

ताकर मंत्र न औषधि कोई।।


एक मातु जी का आराधन।

और नहीं कोई है साधन।।


निश्चय मातु शरण जो आवै।

निर्भय मन इच्छित फल पावै।।


कोढी निर्मल काया धारै।

अंधा दृग निज दृष्टि निहारै।।


बंध्या नारी पुत्र को पावै।

जन्म दरिद्र धनी होइ जावै।।


मातु शीतला के गुण गावत।

लखा मूक को छंद बनावत।।


यामे कोई करै जनि शंका।

जग में मैया का ही डंका।।


भगत कमल प्रभुदासा।

तट प्रयाग से पूरब पासा।।


ग्राम तिवारी पूर मम बासा।

ककरा गंगा तट दुर्वासा ।।


अब विलंब मैं तोहि पुकारत।

मातृ कृपा कौ बाट निहारत।।


पड़ा द्वार सब आस लगाई।

अब सुधि लेत शीतला माई।।


।।  दोहा ।।


यह चालीसा शीतला

पाठ करे जो कोय।


सपनें दुख व्यापे नही

नित सब मंगल होय।

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श्री शीतला माता की आरती || जय शीतला माता || Shri Shitala Mata Ki Aarti || Jay Sheetala Mata || Aarti Lyrics in Hindi 

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मंगलवार, 23 नवंबर 2021

आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की || कुण्‍डेश्‍वर नाथ की आरती || Kundeshwar Nath Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की || कुण्‍डेश्‍वर नाथ की आरती || Kundeshwar Nath Ki Aarti Lyrics in Hindi and English


श्री कुण्‍डेश्‍वर धाम || Shri Kundeshwar Dham Tikamgarh

श्री कुण्‍डेश्‍वर धाम मध्‍यप्रदेश के टीकमगढ़ मुख्‍यालय से ललितपुर जाने वाले मार्ग पर लगभग 6 किमी दूर स्थित एक अति प्राचीन एवं पौराणिक तीर्थस्‍थल है। यह पवित्र स्‍थल विन्‍ध्‍य पर्वत की श्रेणियों पर जमड़ार नदी के तट पर स्थित है। टीकमगढ़ मुख्‍यालय सड़क मार्ग एवं रेलमार्ग के द्वारा सागर, छतरपुर, जबलपुर, दमोह, झॉंसी, ललितपुर तथा झॉंसी होते हुए प्रयागराज से जुड़ा हुआ है। ओरछा के प्रसिद्ध श्री रामराज मन्दिर से यह मात्र 100 किमी की दूरी पर स्थित है और श्री रामराजा मन्दिर के मुख्‍य द्वार से ही टीकमगढ़ के लिए बस सेवा उपलब्‍ध है। टीकमगढ़ मुख्‍यालय से मन्दिर जाने के लिए अनेक तरह के वाहन उपलब्‍ध रहते हैं। मन्दिर की देखरेख हेतु एक लोकन्‍यास की स्‍थापना की गयी है जो कि श्री श्री 108 श्री आशुतोश अपर्णा धर्म सेतु के नाम से श्री कुण्‍डेश्‍वर महादेव की सेवा में सतत तत्‍पर है। आप जब भी ओरछा पधारें तो श्री कुण्‍डेश्‍वर महादेव के दर्शन का लाभ ले सकते हैं। मन्दिर प्रबन्‍धन की ओर से यात्रियों के ठहरने की व्‍यवस्‍था भी मन्दिर प्रबन्‍धन द्वारा की जाती है। मन्दिर परिसर में स्थित कार्यालय में सम्‍पर्क करके समस्‍त सुविधाओं का लाभ लिया जा सकता है। इस मन्दिर में प्रतिदिन भगवान भोले नाथ की अनेकों प्रकार से स्‍तुति एवं अभिषेक किया जाता है उनमें से एक मंगल आरती यहॉं प्रस्‍तुत की जा रही है। ऐसा बताया गया कि इस आरती की रचना ओरछा राजपरिवार के राजगुरु पं० कपिलदुव तैलंग जी के द्वारा की गयी है-



आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की || कुण्‍डेश्‍वर नाथ की आरती || Kundeshwar Nath Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

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आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की।
आरति विमल चन्‍द्रशेखर की।।
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शैल सुता वामांग विराजें।
नन्‍दीश्‍वर गणपति शुभ साजें।
अनुपम छवि कामादिक लाजें।
शूलपाणि पशुपति शिव हर की।
आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की।।
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गंगा सम जमड़ार वहति है।
कल-कल मिस कल कीर्ति कहति है।
दर्शन कर सुख शान्ति मिलत‍ि है।
शोभा ललित कलानिधि हर की।
आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की।।
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स्‍वयं प्रकट अद्भुत छवि धारी।
महिमा अमित अतुल सुखकारी।
अर्चन भजन सकल अघहारी।
जय-जय मान-दान श्री हर की।
आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की।।
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आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की || कुण्‍डेश्‍वर नाथ की आरती || Kundeshwar Nath Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

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Ārati shrī kuṇḍeshvar har kī।
Ārati vimal chandrashekhar kī।।
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Shail sutā vāmāanga virājean।
Nandīshvar gaṇapati shubh sājean।
Anupam chhavi kāmādik lājean।
Shūlapāṇi pashupati shiv har kī।
Ārati shrī kuṇḍeshvar har kī।।
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Gangā sam jamaḍaār vahati hai।
Kala-kal mis kal kīrti kahati hai।
Darshan kar sukh shānti milatai hai।
Shobhā lalit kalānidhi har kī।
Ārati shrī kuṇḍeshvar har kī।।
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Svayan prakaṭ adbhut chhavi dhārī।
Mahimā amit atul sukhakārī।
Archan bhajan sakal aghahārī।
Jaya-jaya māna-dān shrī har kī।
Ārati shrī kuṇḍeshvar har kī।।
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