जन्म समय मॉं की सौतन ने | Janm Samay Maa ki Sautan ne | Shri Golu Ashtak | श्री ग्वेल अष्टक | Shri Gwail Ashtak Lyrics in Hindi 
जन्म समय मॉं की सौतन ने 
हे ग्वेल दियो तुमको दुख भारी 
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काली के पास में प्रस्तर डारिके
डारो तुम्हें जहॉं थी बहु झारी 
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बाल न बॉंका हुआ गोरिया तेरो
पा करके यह वेदना सारी 
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मौसानी क्या कर लेती उसे
जाके नाम से संकट जात है टारी 
नाम से संकट जात हैं टारी 
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मौसेरी मॉंओं ने जीवित जानके
मारन की तोहि बात बिचारी 
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रात समय उस बालक को
धरी आए नदी मह वे अत्याचारी 
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होके प्रसन्न नदी जल में
उस बालक ने वह रात गुजारी 
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मौसानी क्या कर लेती उसे
जाके नाम से संकट जात है टारी 
नाम से संकट जात हैं टारी 
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स्वप्न दियो भाना धेवर को 
समझाई कथा उसको यह सारी 
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स्वप्न के बीच लखी उसने 
वह देव स्वरूप महाछवि न्यारी 
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टूटत स्वप्न विचारिकैं बात कैं
शोक भयो मन में अति भारी 
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मौसानी क्या कर लेती उसे
जाके नाम से संकट जात है टारी 
नाम से संकट जात हैं टारी 
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प्रात समय उस धेवर ने 
मन में जब स्वप्न की बात बिचारी 
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दौडि़ पड्यो नदिया की दिशा वह 
तन मन की सुधि सारी बिसारी 
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कूदि गयो मझधार में धेवर 
देखने को वह रूप सुखारी 
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मौसानी क्या कर लेती उसे
जाके नाम से संकट जात है टारी 
नाम से संकट जात हैं टारी 
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ज्योति स्वरूप महाछविके 
जल के तल में वह रूप निहारी 
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आनन्द मग्न भयो तब धेवर 
मनहु मिली सुख सम्पति भारी 
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गोरा था गोरिया नाम धरो 
घर ले गयो विश्व की सम्पति सारी 
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मौसानी क्या कर लेती उसे
जाके नाम से संकट जात है टारी 
नाम से संकट जात हैं टारी 
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बाल समय प्यारे गोरिया की
तब फैल गई कल कीरति सारी 
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झालु के नैन गए ललचाइ
कि आवौं मैं देखिये मूरत न्यारी 
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बात सुनी जब धेवर की
कहो कैसे बच्यो यह नीर मझारी 
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मौसानी क्या कर लेती उसे
जाके नाम से संकट जात है टारी 
नाम से संकट जात हैं टारी 
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बालक ग्वेल ने बालक काल की 
भूपति से कहदी कथा सारी 
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नैनन नीर बह्यो नृप को
वह भूल गयो तन की सुधि सारी 
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मात की सौतों ने मारन की तोहि
बात किया में थी पूरी बिचारी 
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मौसानी क्या कर लेती उसे
जाके नाम से संकट जात है टारी 
नाम से संकट जात हैं टारी 
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राजा कह्यो उठ लाल मेरे 
तुम्हें देख रही चम्पावत सारी 
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पापी को दण्ड दो न्यायी को न्याय दो 
काली के सारे हरो दुख भारी 
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दूध का दूध करो जल का जल
न्याय में कीरति फैले तुम्हारी 
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मौसानी क्या कर लेती उसे
जाके नाम से संकट जात है टारी 
नाम से संकट जात हैं टारी 
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गौर वर्ण हे ग्वेल जी बिनती बारम्बार 
कलिका भार उतारने लियो देव अवतार
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