रविवार, 28 नवंबर 2021

श्री राधा चालीसा || श्री राधे वृषभानुजा भक्तनि प्राणाधार || Shri Radhe Vrishbhanuja || Shri Radha Chalisa || Radha Stuti || Radha Keertan

श्री राधा चालीसा || श्री राधे वृषभानुजा  भक्तनि प्राणाधार || Shri Radhe Vrishbhanuja || Shri Radha Chalisa || Radha Stuti || Radha Keertan

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।।दोहा ।।
श्री राधे वृषभानुजा
भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी
प्राणवौ बारम्बार ।।
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जैसो तैसो रावरौ
कृष्ण प्रिया सुखधाम।
चरण शरण निज दीजिये
सुन्दर सुखद ललाम ।।
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।। चौपाई ।।
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जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा ।
कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥
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नित्य विहारिनि रस विस्‍तारिनि ।
अमित मोद मंगल दातारा ।।
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रास विलासिनि रस विस्तारिनि ।
सहचरि सुभग यूथ मन भावनि।।
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नित्य किशोरी राधा गोरी ।
श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ।।
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करुना सागर हिय उमंगिनी ।
ललितादिक सखियन की संगिनि ।।
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दिनकर कन्या कूल विहारिनि ।
कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनि ।।
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नित्य श्याम तुमरौ गुण गावैं ।
राधा राधा कहि हरषावैं ।।
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मुरली में नित नाम उचारें ।
तुम कारण लीला वपु धारें ।।
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प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।
श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।।
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नवल किशोरी अति छवि धामा ।
द्युति लघु लगै कोटि रति कामा ।।
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गौरांगी शशि निंदक वदना ।
सुभग चपल अनियारे नैना ।।
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जावक युत युग पंकज चरना ।
नूपुर ध्वनि प्रीतम मन हरना ।।
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सन्‍तत सहचरि सेवा करहीं ।
महा मोद मंगल मन भरहीं ।।
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रसिकन जीवन प्राण अधारा ।
राधा नाम सकल सुख सारा ।।
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अगम अगोचर नित्य स्वरूपा ।
ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ।।
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उपजेउ जासु अंश गुण खानी ।
कोटिन उमा रमा ब्रह्मनी ।।
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नित्य धाम गोलोक विहारिनि ।
जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ।।
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शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।
पार न पॉंइ शेष अरु शारद ।।
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राधा शुभ गुण रूप उजारी ।
निरखि प्रसन्‍न होता बनवारी ।।
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ब्रज जीवन धन राधा रानी ।
महिमा अमित न जाय बखानी ।।
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प्रीतम संग देइ गल बाहीं ।
बिहरत नित वृन्दावन माहीं ।।
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राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा ।
एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।।
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श्री राधा मोहन मन हरनी ।
जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ।।
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कोटिक रूप धरें नन्द नन्‍दा ।
दरश करन हित गोकुल चन्‍दा ।।
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रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।
मान करौ जब अति दुःख पावें ।।
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प्रफुलित होत दर्श जब पावें ।
विविध भांति नित विनय सुनावें ।।
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वृन्‍दारण्‍य विहारिणि श्यामा ।
नाम लेत पूरण सब कामा ।।
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कोटिन यज्ञ तपस्या करहूँ ।
विविध नेम व्रत हिय में धरहूँ  ।।
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तउ न श्याम भक्ताहिं अहनावें ।
जब लगि राधा नाम न गावें ।।
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वृंदाविपिन स्वामिनी राधा ।
लीला वपु तव अमित अगाधा ।।
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स्वयं कृष्ण पावहिं नहिं पारा ।
और तुम्‍हैं को जानन हारा ।।
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श्रीराधा रस प्रीती अभेदा ।
सादर गान करत नित वेदा ।।
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राधा त्यागि कृष्ण को भजिहैं ।
ते सपनेहुँ जग जलधि न तरिहैं ।।
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कीरति कुँवरि लाडली राधा ।
सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा।। 
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नाम अमंगल मूल नासवन।
विविध ताप हर हरि मनभावन।।
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राधा नाम ले जो कोई ।
सहजहिं दामोदर वश होई ।।
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राधा नाम परम सुखदायी ।
भजतहिं कृपा करहिं यदुराई ।।
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यशुमति नंदन पीछे फिरहैं ।
जो कोउ राधा नाम सुमिरिहैं ।।
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रास विहारिनि श्यामा प्यारी ।
करहुँ कृपा बरसाने वारी ।।
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वृन्दावन है शरण तिहारी ।
जय जय जय वृशभानु दुलारी ।।
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।। दोहा ।।
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श्री राधा सर्वेश्वरी रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहुँ निरंतर बास मैं श्री वृन्दावन धाम ।।
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श्री राधा चालीसा || श्री राधे वृषभानुजा  भक्तनि प्राणाधार || Shri Radhe Vrishbhanuja || Shri Radha Chalisa || Radha Stuti || Radha Keertan
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।। Doha ।।
Shri Radhe Vrishbhanuja
Bhaktani Praanadhaar ।
Vrindaavipin Vihaarini
Praanavau Baarambaar ।।
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Jaiso Taiso Ravarau
Krishn Priya Sukhadhaam।
Charan Sharan Nij Deejie
Sundar Sukhad Lalaam ।।
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।। Chaupai ।।
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Jai Vrishbhanu Kunvari Shri Shyaama ।
Keerati Nandini Shobha Dhaama ॥
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Nitya Vihaarini Ras Vistaarini ।
Amit Mod Mangal Daataara ।।
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Raas Vilaasini Ras Vistaarini ।
Sahchari Subhag Yooth Man Bhaavani।।
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Nitya Kishori Radha Gori ।
Shyaam Prannaadhan Ati Jia Bhori ।।
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Karuna Saagar Hiy Umangini ।
Lalitaadik Sakhiyan Ki Sangini ।।
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Dinkar Kanya Kool Vihaarini ।
Krishn Praan Priya Hiy Hulasavani ।।
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Nitya Shyaam Tumarau Gun Gaavain ।
Radha Radha Kahi Harshaavain ।।
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Murali Mein Nit Naam Uchaarein ।
Tum Kaaran Leela Vapu Dhaarein ।।
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Prem Swaroopini Ati Sukumaari ।
Shyaam Priya Vrishbhanu Dulaari ।।
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Naval Kishori Ati Chhavi Dhaama ।
Dyuti Laghu Lagai Koti Rati Kaama ।।
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Gaurangi Shashi Nindak Vadana ।
Subhag Chapal Aniyare Naina ।।
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Jaavak Yut Yug Pankaj Charna ।
Noopur Dhvani Preetam Man Harna ।।
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Santat Sahchari Seva Karahin ।
Maha Mod Mangal Man Bharahin ।।
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Rasikan Jeevan Praan Adhaara ।
Radha Naam Sakal Sukh Saara ।।
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Agam Agochar Nitya Swaroopa ।
Dhyaan Dharat Nishidin Brajbhupa ।।
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Upjeu Jasu Ansh Gun Khani ।
Kotin Uma Rama Brahmani ।।
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Nitya Dhaam Golok Vihaarini ।
Jan Rakshak Dukh Dosh Nasaavani ।।
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Shiv Aj Muni Sanakaadik Naarad ।
Paar Na Paain Shesh Aru Shaarad ।।
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Radha Shubh Gun Roop Ujaari ।
Nirakhi Prasann Hota Banwaari ।।
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Braj Jeevan Dhan Radha Rani ।
Mahima Amit Na Jaay Bakhaani ।।
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Preetam Sang Dei Gal Baahin ।
Biharat Nit Vrindaavan Maahin ।।
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Radha Krishn Krishn Kahain Radha ।
Ek Roop Dou Preeti Agaadha ।।
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Shri Radha Mohan Man Harni ।
Jan Sukh Daayak Praphulit Badni ।।
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Kotik Roop Dharein Nand Nanda ।
Darash Karan Hit Gokul Chanda ।।
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Raas Keli Kar Tumhein Rijhaavein ।
Maan Karau Jab Ati Dukh Paavein ।।
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Praphulit Hot Darash Jab Paavein ।
Vividh Bhaanti Nit Vinay Sunaavein ।।
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Vrindaarany Vihaarini Shyaama ।
Naam Let Poorn Sab Kaama ।।
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Kotin Yagya Tapasya Karahoon ।
Vividh Nem Vrat Hiy Mein Dharahoon ।।
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Tau Na Shyaam Bhaktaahin Ahanaavein ।
Jab Lagi Radha Naam Na Gaavein ।।
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Vrindaavipin Swaamini Radha ।
Leela Vapu Tav Amit Agaadha ।।
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Swayam Krishn Paavahin Nahin Paaraa ।
Aur Tumhain Ko Jaanan Haaraa ।।
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ShriRadha Ras Preeti Abheda ।
Saadar Gaan Karat Nit Veda ।।
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Radha Tyaagi Krishn Ko Bhajihain ।
Te Sapnehun Jag Jaladhi Na Tarihain ।।
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Keerati Kunvari Laadli Radha ।
Sumirat Sakal Mitahin Bhav Baadha।।
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Naam Amangal Mool Naasavan।
Vividh Taap Har Hari Manbhaavan।।
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Radha Naam Le Jo Koi ।
Sahjahi Daamodar Vash Hoi ।।
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Radha Naam Param Sukhdaayi ।
Bhjatahin Kripa Karahin Yadurai ।।
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Yashumati Nandan Peechhe Firahain ।
Jo Kou Radha Naam Sumirihain ।।
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Raas Vihaarini Shyaama Pyaari ।
Karahun Kripa Barsane Vaari ।।
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Vrindaavan Hai Sharan Tihari ।
Jai Jai Jai Vrishbhanu Dulaari ।।
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।। Doha ।।
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Shri Radha Sarveshwari Rasikeshwar Dhanashyaam ।
Karahun Nirantar Baas Main Shri Vrindaavan Dhaam ।।
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आरती श्री वृषभानुसुता की // Aarati Shri Vrishbhanusuta Ki // Shri Radha Ji Ki Aarti // Radha Rani Ji Ki Aarti // Shri Radha Stuti // Shri Radha Sarkar Ki Aarti

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बुधवार, 24 नवंबर 2021

श्री शीतला माता की चालीसा || जय जय माता शीतला तुमहिं धरै जो ध्यान || Shri Sheetala Chalisa || Jay Jay Mata Sheetala || Sheetala Stuti

 श्री शीतला माता की चालीसा // जय जय माता शीतला  तुमहिं धरै जो ध्यान // Shri Sheetala Chalisa // Jay Jay Mata Sheetala // Sheetala Stuti 

श्री शीतला धाम कड़े कौशाम्‍बी उ०प्र०

।।दोहा।।


जय जय माता शीतला

तुमहिं धरै जो ध्यान।

होय विमल शीतल हृदय

विकसै बंद्धि बल ज्ञान।।


घट -घट वासी शीतला

शीतल प्रभा तुम्हार।

शीतल छइयां में झुलइ

मइया पलना डार।।


।। चौपाई ।।


जय-जय- जय श्री शीतला भवानी।

जय जग जननि सकल गुणखानी।


गृह -गृह शक्ति तुम्हारी राजित।

पूरण शरद चंद्र सम साजित।।


विस्फोटक से जलत शरीरा।

शीतल करत हरत सब पीरा।।


मात शीतला तव शुभनामा।

सबके गाढे आवहिं कामा।।


शोकहरी शंकरी भवानी।

बाल-प्राणक्षरी सुख दानी।।


शुचि मार्जनी कलश कर राजै।

मस्तक तेज सूर्य सम राजै।।


चौसठ योगिन संग में गावैं।

वीणा ताल मृदंग बजावै।।


नृत्य नाथ भैरौं दिखलावैं।

सहज शेष शिव पार ना पावैं।।


धन्य धन्य धात्री महारानी।

सुरनर मुनि तव सुयश बखानी।।


ज्वाला रूप महा बलकारी।

दैत्य एक विस्फोटक भारी।।


घर घर प्रविशत कोई न रक्षत।

रोग रूप धरि बालक भक्षत।।


हाहाकार मच्यो जगभारी।

सक्यो न जब यह संकट टारी।।


तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा।

कर में लिये मार्जनी सूपा।।


विस्फोटकहिं पकड़ि कर लीन्हो।

मूसल प्रमाण बहुविधि कीन्हो।।


बहुत प्रकार वह विनती कीन्हा।

मैय्या नहिं भल मैं कछु कीन्हा।।


अबनहिं मातु काहु गृह जइहौं।

जहँ अपवित्र वही घर रहिहौं।।


भभकत तन शीतल भय जइहौं।

विस्फोटक भय घोर नसइहौं ।।


श्री शीतलहिं भजे कल्याना।

वचन सत्य भाषे भगवाना।।


विस्फोटक भय जिहि गृह भाई।

भजै देवि कहँ यही उपाई।।


कलश शीतला का सजवावै।

द्विज से विधिवत पाठ करावै।।


तुम्हीं शीतला, जग की माता।

तुम्हीं पिता जग की सुखदाता।।


तुम्हीं जगद्धात्री सुखसेवी।

नमो नमामी शीतले देवी।।


नमो सुखकरनी दु:खहरणी।

नमो- नमो जगतारणि धरणी।।


नमो नमो त्रैलोक्य वंदिनी।

दुखदारिद्रक निकंदिनी।।


श्री शीतला , शेढ़ला, महला।

रुणलीहृणनी मातृ मंदला।।


हो तुम दिगम्बर तनुधारी।

शोभित पंचनाम असवारी।।


रासभ, खर , बैसाख सुनंदन।

गर्दभ दुर्वाकंद निकंदन।।


सुमिरत संग शीतला माई।

जाही सकल सुख दूर पराई।।


गलका, गलगन्डादि जु होई।

ताकर मंत्र न औषधि कोई।।


एक मातु जी का आराधन।

और नहीं कोई है साधन।।


निश्चय मातु शरण जो आवै।

निर्भय मन इच्छित फल पावै।।


कोढी निर्मल काया धारै।

अंधा दृग निज दृष्टि निहारै।।


बंध्या नारी पुत्र को पावै।

जन्म दरिद्र धनी होइ जावै।।


मातु शीतला के गुण गावत।

लखा मूक को छंद बनावत।।


यामे कोई करै जनि शंका।

जग में मैया का ही डंका।।


भगत कमल प्रभुदासा।

तट प्रयाग से पूरब पासा।।


ग्राम तिवारी पूर मम बासा।

ककरा गंगा तट दुर्वासा ।।


अब विलंब मैं तोहि पुकारत।

मातृ कृपा कौ बाट निहारत।।


पड़ा द्वार सब आस लगाई।

अब सुधि लेत शीतला माई।।


।।  दोहा ।।


यह चालीसा शीतला

पाठ करे जो कोय।


सपनें दुख व्यापे नही

नित सब मंगल होय।

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श्री शीतला माता की आरती || जय शीतला माता || Shri Shitala Mata Ki Aarti || Jay Sheetala Mata || Aarti Lyrics in Hindi 

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मंगलवार, 23 नवंबर 2021

आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की || कुण्‍डेश्‍वर नाथ की आरती || Kundeshwar Nath Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की || कुण्‍डेश्‍वर नाथ की आरती || Kundeshwar Nath Ki Aarti Lyrics in Hindi and English


श्री कुण्‍डेश्‍वर धाम || Shri Kundeshwar Dham Tikamgarh

श्री कुण्‍डेश्‍वर धाम मध्‍यप्रदेश के टीकमगढ़ मुख्‍यालय से ललितपुर जाने वाले मार्ग पर लगभग 6 किमी दूर स्थित एक अति प्राचीन एवं पौराणिक तीर्थस्‍थल है। यह पवित्र स्‍थल विन्‍ध्‍य पर्वत की श्रेणियों पर जमड़ार नदी के तट पर स्थित है। टीकमगढ़ मुख्‍यालय सड़क मार्ग एवं रेलमार्ग के द्वारा सागर, छतरपुर, जबलपुर, दमोह, झॉंसी, ललितपुर तथा झॉंसी होते हुए प्रयागराज से जुड़ा हुआ है। ओरछा के प्रसिद्ध श्री रामराज मन्दिर से यह मात्र 100 किमी की दूरी पर स्थित है और श्री रामराजा मन्दिर के मुख्‍य द्वार से ही टीकमगढ़ के लिए बस सेवा उपलब्‍ध है। टीकमगढ़ मुख्‍यालय से मन्दिर जाने के लिए अनेक तरह के वाहन उपलब्‍ध रहते हैं। मन्दिर की देखरेख हेतु एक लोकन्‍यास की स्‍थापना की गयी है जो कि श्री श्री 108 श्री आशुतोश अपर्णा धर्म सेतु के नाम से श्री कुण्‍डेश्‍वर महादेव की सेवा में सतत तत्‍पर है। आप जब भी ओरछा पधारें तो श्री कुण्‍डेश्‍वर महादेव के दर्शन का लाभ ले सकते हैं। मन्दिर प्रबन्‍धन की ओर से यात्रियों के ठहरने की व्‍यवस्‍था भी मन्दिर प्रबन्‍धन द्वारा की जाती है। मन्दिर परिसर में स्थित कार्यालय में सम्‍पर्क करके समस्‍त सुविधाओं का लाभ लिया जा सकता है। इस मन्दिर में प्रतिदिन भगवान भोले नाथ की अनेकों प्रकार से स्‍तुति एवं अभिषेक किया जाता है उनमें से एक मंगल आरती यहॉं प्रस्‍तुत की जा रही है। ऐसा बताया गया कि इस आरती की रचना ओरछा राजपरिवार के राजगुरु पं० कपिलदुव तैलंग जी के द्वारा की गयी है-



आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की || कुण्‍डेश्‍वर नाथ की आरती || Kundeshwar Nath Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

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आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की।
आरति विमल चन्‍द्रशेखर की।।
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शैल सुता वामांग विराजें।
नन्‍दीश्‍वर गणपति शुभ साजें।
अनुपम छवि कामादिक लाजें।
शूलपाणि पशुपति शिव हर की।
आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की।।
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गंगा सम जमड़ार वहति है।
कल-कल मिस कल कीर्ति कहति है।
दर्शन कर सुख शान्ति मिलत‍ि है।
शोभा ललित कलानिधि हर की।
आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की।।
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स्‍वयं प्रकट अद्भुत छवि धारी।
महिमा अमित अतुल सुखकारी।
अर्चन भजन सकल अघहारी।
जय-जय मान-दान श्री हर की।
आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की।।
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आरति श्री कुण्‍डेश्‍वर हर की || कुण्‍डेश्‍वर नाथ की आरती || Kundeshwar Nath Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

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Ārati shrī kuṇḍeshvar har kī।
Ārati vimal chandrashekhar kī।।
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Shail sutā vāmāanga virājean।
Nandīshvar gaṇapati shubh sājean।
Anupam chhavi kāmādik lājean।
Shūlapāṇi pashupati shiv har kī।
Ārati shrī kuṇḍeshvar har kī।।
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Gangā sam jamaḍaār vahati hai।
Kala-kal mis kal kīrti kahati hai।
Darshan kar sukh shānti milatai hai।
Shobhā lalit kalānidhi har kī।
Ārati shrī kuṇḍeshvar har kī।।
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Svayan prakaṭ adbhut chhavi dhārī।
Mahimā amit atul sukhakārī।
Archan bhajan sakal aghahārī।
Jaya-jaya māna-dān shrī har kī।
Ārati shrī kuṇḍeshvar har kī।।
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सोमवार, 22 नवंबर 2021

जानकी जी की स्‍तुति || Janki Ji Ki Stuti || भइ प्रगट किशोरी || Bhai Prakat Kishori || Sita Mata Ki Stuti

जानकी जी की स्‍तुति || Janki Ji Ki Stuti ||  भइ प्रगट किशोरी || Bhai Prakat Kishori || Sita Mata Ki Stuti 

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भइ प्रगट किशोरी,
दोहा
धरनि निहोरी,
जनक नृपति सुखकारी।
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अनुपम बपुधारी,
रूप सँवारी,
आदि शक्ति सुकुमारी।
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मनि कनक सिंघासन,
कृतवर आसन,
शशि शत शत उजियारी।
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शिर मुकुट बिराजे,
भूषन साजे,
नृप लखि भये सुखारी।
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सखि आठ सयानी,
मन हुलसानी,
सेवहिं शील सुहाई।
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नरपति बड़भागी,
अति अनुरागी,
अस्तुति कर मन लाई।
**
जय जय जय सीते,
श्रुतिगन गीते,
जेहिं शिव शारद गाई।
**
सो मम हित करनी,
भवभय हरनी,
प्रगट भईं श्री आई।
**
नित रघुवर माया,
भुवन निकाया,
रचइ जासु रुख पाई।
**
सोइ अगजग माता,
निज जनत्राता,
प्रगटी मम ढिग आई।
**
कन्या तनु लीजै,
अतिसुख दीजै,
रुचिर रूप सुखदाई।
**
शिशु लीला करिये,
रुचि अनुसरिये,
मोरि सुता हरषाई।
**
सुनि भूपति बानी,
मन मुसुकानी,
बनी सुता शिशु सीता।
**
तब रोदन ठानी,
सुनि हरषानी,
रानी परम बिनीता।
**
लिये गोद सुनैना,
जल भरि नैना,
नाचत गावत गीता।
**
यह सुजस जे गावहिं,
श्रीपद पावहिं,
ते न होहिं भव भीता।
**
रामचन्द्र सुख करन हित,
प्रगटि मख महि सीय।
**
"गिरिधर" स्वामिनि जग जननि,
चरित करत कमनीय।।
**
जनकपुर जनकलली जी की जय
अयोध्या रामजी लला की जय
**

(समस्‍त चित्र गूगल से साभार)

शुक्रवार, 12 नवंबर 2021

श्री भागवत जी की आरती || आरती अतिपावन पुराण की || Shri Bhagwat Ji Ki Aarti || Aarti Ati Pawan Puran Ki ||

श्री भागवत जी की आरती || आरती अतिपावन पुराण की || Shri Bhagwat Ji Ki Aarti || Aarti Ati Pawan Puran Ki || 



आरती अतिपावन पुराण की।

धर्म भक्ति विज्ञान खान की।।


महापुराण भागवत निर्मल।

शुक-मुख-विगलित निगम-कल्प-फल।।

परमानन्द-सुधा रसमय फल।

लीला रति रस रसिनधान की।।

आरती अतिपावन पुराण की।

धर्म भक्ति विज्ञान खान की।।


कलिमल मथनि त्रिताप निवारिणी।

जन्म मृत्युमय भव भयहारिणी ।।

सेवत सतत सकल सुखकारिणी।

सुमहौषधि हरि चरित गान की।।

आरती अतिपावन पुराण की।

धर्म भक्ति विज्ञान खान की।।


विषय विलास विमोह विनाशिनी।

विमल विराग विवेक विनाशिनी।।

भागवत तत्व रहस्य प्रकाशिनी।

परम ज्योति परमात्मा ज्ञान को।।

आरती अतिपावन पुराण की।

धर्म भक्ति विज्ञान खान की।।


परमहंस मुनि मन उल्लासिनी।

रसिक ह्रदय रस रास विलासिनी।।

भुक्ति मुक्ति रति प्रेम सुदासिनी।

कथा अकिंचन प्रिय सुजान की।।

आरती अतिपावन पुराण की।

धर्म भक्ति विज्ञान खान की।।