संकटमोचक पद्मावती स्तोत्र || Sankatmochak Padmavati Stotra || Jay Jay Jay Padmavati Maata || जय-जय-जय पद्मावती माता
****
।। दोहा ।।
**
देवी मां पद्मावती,
ज्योति रूप महान।
विघ्न हरो मंगल करो,
करो मात कल्याण।
**
।। चौपाई।।
**
जय-जय-जय पद्मावती माता,
तेरी महिमा त्रिभुवन गाता।
मन की आशा पूर्ण करो मां,
संकट सारे दूर करो मां ।।
**
तेरी महिमा परम निराली,
भक्तों के दुख हरने वाली।
धन-वैभव-यश देने वाली,
शान तुम्हारी अजब निराली।।
**
बिगड़ी बात बनेगी तुम से,
नैया पार लगेगी तुम से।
मेरी तो बस एक अरज है,
हाथ थाम लो यही गरज है।।
**
चतुर्भुजी मां हंसवाहिनी,
महर करो मां मुक्तिदायिनी।
किस विध पूजूं चरण तुम्हारे,
निर्मल हैं बस भाव हमारे।।
**
मैं आया हूं शरण तुम्हारी,
तू है मां जग तारणहारी।
तुम बिन कौन हरे दुख मेरा,
रोग-शोक-संकट ने घेरा।।
**
तुम हो कल्पतरु कलियुग की,
तुमसे है आशा सतयुग की।
मंदिर-मंदिर मूरत तेरी,
हर मूरत में सूरत तेरी।।
**
रूप तुम्हारे हुए हैं अनगिन,
महिमा बढ़ती जाती निशदिन ।
तुमने सारे जग को तारा,
सबका तूने भाग्य संवारा।।
**
हृदय-कमल में वास करो मां,
सिर पर मेरे हाथ धरो मां।
मन की पीड़ा हरो भवानी,
मूरत तेरी लगे सुहानी ।।
**
पद्मावती मां पद्म-समाना,
पूज रहे सब राजा-राणा।
पद्म-हृदय पद्मासन सोहे,
पद्म-रूप पद-पंकज मोहे।।
**
महामंत्र का मिला जो शरणा,
नाग-योनी से पार उतरना।
पारसनाथ हुए उपकारी,
जय-जयकार करे नर-नारी।।
**
पारस प्रभु जग के रखवाले,
पद्मावती प्रभु पार्श्व उबारे।
जिसने प्रभु का संकट टाला,
उसका रूप अनूप निराला ।।
**
कमठ-शत्रु क्या करे बिगाड़े,
पद्मावती जहं काज सुधारे।
मेघमाली की हर चट्टानें,
मां के आगे सब चित खाने ।।
**
मां ने प्रभु का कष्ट निवारा,
जन्म-जन्म का कर्ज उतारा।
पद्मावती दया की देवी,
प्रभु-भक्तों की अविरल सेवी ।।
**
प्रभु भक्तों की मंशा पूरे,
चिंतामणि सम चिंता चूरे।
पारस प्रभु का जयकारा हो,
पद्मावती का झंकारा हो ।।
**
माथे मुकुट भाल सूरज ज्यों,
बिंदिया चमक रही चंदा।
अधरों पर मुस्कान शोभती,
मां की मूरत नित्य मोहती।।
**
सुरनर मुनिजन मां को ध्यावे,
संकट नहीं सपने में आवे।
मां का जो जयकारा बोले,
उनके घर सुख-संपत्ति बोले ।।
**
ॐ ह्रीं श्री क्लीं मंत्र से ध्याऊं,
धूप-दीप-नैवेद्य चढ़ाऊं।
रिद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति दाता,
सोया भाग्य जगा दो माता ।।
**
मां को पहले भोग लगाऊं,
पीछे ही खुद भोजन पाऊं।
मां के यश में अपना यश हो,
अंतरमन में भक्ति-रस हो।।
**
सुबह उठो मां की जय बोलो,
सांझ ढले मां की जय बोलो।
जय-जय मां जय-जय नित तेरी,
मदद करो मां अविरल मेरी।।
**
शुक्रवार मां का दिन प्यारा,
जिसने पांच बरस व्रत धारा।
उसका काज सदा ही संवरे,
मां उसकी हर मंशा पूरे ।।
**
एकासन-व्रत-नियम पालकर,
धूप-दीप-चंदन पूजन कर।
लाल-वेश हो चूड़ी-कंगना,
फल-श्रीफल-नैवेद्य भेंटना ।।
**
मन की आशा पूर्ण हुए जब,
छत्र चढ़ाएं चांदी का तब।
अंतर में हो शुक्रगुजारी,
मां का व्रत है मंगलकारी।।
**
मैं हूं मां बालक अज्ञानी,
पर तेरी महिमा पहचानी।
सांचे मन से जो भी ध्यावे,
सब सुख भोग परम पद पावे।।
**
जीवन में मां का संबल हो,
हर संकट में नैतिक बल हो।
पाप न होवे पुण्य संजोएं,
ध्यान धरें अंतरमन धोएं।।
**
दीन-दुखी की मदद हो मुझसे,
मात-पिता की अदब हो मुझसे।
अंतर-दृष्टि में विवेक हो,
घर-संपति सब नेक-एक हो ।।
**
कृपादृष्टि हो माता मुझ पर,
मां पद्मावती जरा रहम कर।
भूलें मेरी माफ करो मां,
संकट सारे दूर करो मां ।।
**
पद्म नेत्र पद्मावती जय हो,
पद्म-स्वरूपी पद्म हृदय हो।
पद्म-चरण ही एक शरण है,
पद्मावती मां विघ्न-हरण है।।
**
।।दोहा।।
**
पद्म रूप पद्मावती,
पारस प्रभु हैं शीष।
'ललित' तुम्हारी शरण में,
दो मंगल आशीष ।।
**
पार्श्व प्रभु जयवंत हैं,
जिन शासन जयवंत।
पद्मावती जयवंत हैं,
जयकारी भगवंत ।।
**
चरण-कमल में 'चन्द्र' का,
नमन करो स्वीकार।
भक्तों की अरजी सुनो,
वरते मंगलाचार ।।
**
।। Dohā ।।
**
Devī māan padmāvatī,
Jyoti rūp mahāna।
Vighna haro mangal karo,
Karo māt kalyāṇa।
**
।। chaupāī।।
**
Jaya-jaya-jaya padmāvatī mātā,
Terī mahimā tribhuvan gātā।
Man kī āshā pūrṇa karo māan,
Sankaṭ sāre dūr karo māan ।।
**
Terī mahimā param nirālī,
Bhaktoan ke dukh harane vālī।
Dhana-vaibhava-yash dene vālī,
Shān tumhārī ajab nirālī।।
**
Bigaḍaī bāt banegī tum se,
Naiyā pār lagegī tum se।
Merī to bas ek araj hai,
Hāth thām lo yahī garaj hai।।
**
Chaturbhujī māan hansavāhinī,
Mahar karo māan muktidāyinī।
Kis vidh pūjūan charaṇ tumhāre,
Nirmal haian bas bhāv hamāre।।
**
Maian āyā hūan sharaṇ tumhārī,
Tū hai māan jag tāraṇahārī।
Tum bin kaun hare dukh merā,
Roga-shoka-sankaṭ ne gherā।।
**
Tum ho kalpataru kaliyug kī,
Tumase hai āshā satayug kī।
Mandira-mandir mūrat terī,
Har mūrat mean sūrat terī।।
**
Rūp tumhāre hue haian anagina,
Mahimā baḍhatī jātī nishadin ।
Tumane sāre jag ko tārā,
Sabakā tūne bhāgya sanvārā।।
**
Hṛudaya-kamal mean vās karo māan,
Sir par mere hāth dharo māan।
Man kī pīḍaā haro bhavānī,
Mūrat terī lage suhānī ।।
**
Padmāvatī māan padma-samānā,
Pūj rahe sab rājā-rāṇā।
Padma-hṛudaya padmāsan sohe,
Padma-rūp pada-pankaj mohe।।
**
Mahāmantra kā milā jo sharaṇā,
Nāga-yonī se pār utaranā।
Pārasanāth hue upakārī,
Jaya-jayakār kare nara-nārī।।
**
Pāras prabhu jag ke rakhavāle,
Padmāvatī prabhu pārshva ubāre।
Jisane prabhu kā sankaṭ ṭālā,
Usakā rūp anūp nirālā ।।
**
Kamaṭha-shatru kyā kare bigāḍae,
Padmāvatī jahan kāj sudhāre।
Meghamālī kī har chaṭṭānean,
Māan ke āge sab chit khāne ।।
**
Māan ne prabhu kā kaṣhṭa nivārā,
Janma-janma kā karja utārā।
Padmāvatī dayā kī devī,
Prabhu-bhaktoan kī aviral sevī ।।
**
Prabhu bhaktoan kī manshā pūre,
Chiantāmaṇi sam chiantā chūre।
Pāras prabhu kā jayakārā ho,
Padmāvatī kā zankārā ho ।।
**
Māthe mukuṭ bhāl sūraj jyoan,
Biandiyā chamak rahī chandā।
Adharoan par muskān shobhatī,
Māan kī mūrat nitya mohatī।।
**
Suranar munijan māan ko dhyāve,
Sankaṭ nahīan sapane mean āve।
Māan kā jo jayakārā bole,
Unake ghar sukha-sanpatti bole ।।
**
Aum hrīan shrī klīan mantra se dhyāūan,
Dhūpa-dīpa-naivedya chaḍhaāūan।
Riddhi-siddhi sukha-sanpatti dātā,
Soyā bhāgya jagā do mātā ।।
**
Māan ko pahale bhog lagāūan,
Pīchhe hī khud bhojan pāūan।
Māan ke yash mean apanā yash ho,
Aantaraman mean bhakti-ras ho।।
**
Subah uṭho māan kī jaya bolo,
Sāanjha ḍhale māan kī jaya bolo।
Jaya-jaya māan jaya-jaya nit terī,
Madad karo māan aviral merī।।
**
Shukravār māan kā din pyārā,
Jisane pāancha baras vrat dhārā।
Usakā kāj sadā hī sanvare,
Māan usakī har manshā pūre ।।
**
Ekāsana-vrata-niyam pālakara,
Dhūpa-dīpa-chandan pūjan kara।
Lāla-vesh ho chūḍaī-kanganā,
Fala-shrīfala-naivedya bheanṭanā ।।
**
Man kī āshā pūrṇa hue jaba,
Chhatra chaḍhaāean chāandī kā taba।
Aantar mean ho shukragujārī,
Māan kā vrat hai mangalakārī।।
**
Maian hūan māan bālak ajnyānī,
Par terī mahimā pahachānī।
Sāanche man se jo bhī dhyāve,
Sab sukh bhog param pad pāve।।
**
Jīvan mean māan kā sanbal ho,
Har sankaṭ mean naitik bal ho।
Pāp n hove puṇya sanjoean,
Dhyān dharean aantaraman dhoean।।
**
Dīna-dukhī kī madad ho mujhase,
Māta-pitā kī adab ho mujhase।
Aantara-dṛuṣhṭi mean vivek ho,
Ghara-sanpati sab neka-ek ho ।।
**
Kṛupādṛuṣhṭi ho mātā muz para,
Māan padmāvatī jarā raham kara।
Bhūlean merī māf karo māan,
Sankaṭ sāre dūr karo māan ।।
**
Padma netra padmāvatī jaya ho,
Padma-svarūpī padma hṛudaya ho।
Padma-charaṇ hī ek sharaṇ hai,
Padmāvatī māan vighna-haraṇ hai।।
**
।।Dohā।।
**
Padma rūp padmāvatī,
Pāras prabhu haian shīṣha।
'lalita' tumhārī sharaṇ mean,
Do mangal āshīṣh ।।
**
Pārshva prabhu jayavanta haian,
Jin shāsan jayavanta।
Padmāvatī jayavanta haian,
Jayakārī bhagavanta ।।
**
Charaṇa-kamal mean 'chandra' kā,
Naman karo svīkāra।
Bhaktoan kī arajī suno,
Varate mangalāchār ।।
**
।। दोहा ।।
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देवी मां पद्मावती,
ज्योति रूप महान।
विघ्न हरो मंगल करो,
करो मात कल्याण।
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।। चौपाई।।
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जय-जय-जय पद्मावती माता,
तेरी महिमा त्रिभुवन गाता।
मन की आशा पूर्ण करो मां,
संकट सारे दूर करो मां ।।
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तेरी महिमा परम निराली,
भक्तों के दुख हरने वाली।
धन-वैभव-यश देने वाली,
शान तुम्हारी अजब निराली।।
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बिगड़ी बात बनेगी तुम से,
नैया पार लगेगी तुम से।
मेरी तो बस एक अरज है,
हाथ थाम लो यही गरज है।।
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चतुर्भुजी मां हंसवाहिनी,
महर करो मां मुक्तिदायिनी।
किस विध पूजूं चरण तुम्हारे,
निर्मल हैं बस भाव हमारे।।
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मैं आया हूं शरण तुम्हारी,
तू है मां जग तारणहारी।
तुम बिन कौन हरे दुख मेरा,
रोग-शोक-संकट ने घेरा।।
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तुम हो कल्पतरु कलियुग की,
तुमसे है आशा सतयुग की।
मंदिर-मंदिर मूरत तेरी,
हर मूरत में सूरत तेरी।।
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रूप तुम्हारे हुए हैं अनगिन,
महिमा बढ़ती जाती निशदिन ।
तुमने सारे जग को तारा,
सबका तूने भाग्य संवारा।।
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हृदय-कमल में वास करो मां,
सिर पर मेरे हाथ धरो मां।
मन की पीड़ा हरो भवानी,
मूरत तेरी लगे सुहानी ।।
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पद्मावती मां पद्म-समाना,
पूज रहे सब राजा-राणा।
पद्म-हृदय पद्मासन सोहे,
पद्म-रूप पद-पंकज मोहे।।
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महामंत्र का मिला जो शरणा,
नाग-योनी से पार उतरना।
पारसनाथ हुए उपकारी,
जय-जयकार करे नर-नारी।।
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पारस प्रभु जग के रखवाले,
पद्मावती प्रभु पार्श्व उबारे।
जिसने प्रभु का संकट टाला,
उसका रूप अनूप निराला ।।
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कमठ-शत्रु क्या करे बिगाड़े,
पद्मावती जहं काज सुधारे।
मेघमाली की हर चट्टानें,
मां के आगे सब चित खाने ।।
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मां ने प्रभु का कष्ट निवारा,
जन्म-जन्म का कर्ज उतारा।
पद्मावती दया की देवी,
प्रभु-भक्तों की अविरल सेवी ।।
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प्रभु भक्तों की मंशा पूरे,
चिंतामणि सम चिंता चूरे।
पारस प्रभु का जयकारा हो,
पद्मावती का झंकारा हो ।।
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माथे मुकुट भाल सूरज ज्यों,
बिंदिया चमक रही चंदा।
अधरों पर मुस्कान शोभती,
मां की मूरत नित्य मोहती।।
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सुरनर मुनिजन मां को ध्यावे,
संकट नहीं सपने में आवे।
मां का जो जयकारा बोले,
उनके घर सुख-संपत्ति बोले ।।
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ॐ ह्रीं श्री क्लीं मंत्र से ध्याऊं,
धूप-दीप-नैवेद्य चढ़ाऊं।
रिद्धि-सिद्धि सुख-संपत्ति दाता,
सोया भाग्य जगा दो माता ।।
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मां को पहले भोग लगाऊं,
पीछे ही खुद भोजन पाऊं।
मां के यश में अपना यश हो,
अंतरमन में भक्ति-रस हो।।
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सुबह उठो मां की जय बोलो,
सांझ ढले मां की जय बोलो।
जय-जय मां जय-जय नित तेरी,
मदद करो मां अविरल मेरी।।
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शुक्रवार मां का दिन प्यारा,
जिसने पांच बरस व्रत धारा।
उसका काज सदा ही संवरे,
मां उसकी हर मंशा पूरे ।।
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एकासन-व्रत-नियम पालकर,
धूप-दीप-चंदन पूजन कर।
लाल-वेश हो चूड़ी-कंगना,
फल-श्रीफल-नैवेद्य भेंटना ।।
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मन की आशा पूर्ण हुए जब,
छत्र चढ़ाएं चांदी का तब।
अंतर में हो शुक्रगुजारी,
मां का व्रत है मंगलकारी।।
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मैं हूं मां बालक अज्ञानी,
पर तेरी महिमा पहचानी।
सांचे मन से जो भी ध्यावे,
सब सुख भोग परम पद पावे।।
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जीवन में मां का संबल हो,
हर संकट में नैतिक बल हो।
पाप न होवे पुण्य संजोएं,
ध्यान धरें अंतरमन धोएं।।
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दीन-दुखी की मदद हो मुझसे,
मात-पिता की अदब हो मुझसे।
अंतर-दृष्टि में विवेक हो,
घर-संपति सब नेक-एक हो ।।
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कृपादृष्टि हो माता मुझ पर,
मां पद्मावती जरा रहम कर।
भूलें मेरी माफ करो मां,
संकट सारे दूर करो मां ।।
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पद्म नेत्र पद्मावती जय हो,
पद्म-स्वरूपी पद्म हृदय हो।
पद्म-चरण ही एक शरण है,
पद्मावती मां विघ्न-हरण है।।
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।।दोहा।।
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पद्म रूप पद्मावती,
पारस प्रभु हैं शीष।
'ललित' तुम्हारी शरण में,
दो मंगल आशीष ।।
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पार्श्व प्रभु जयवंत हैं,
जिन शासन जयवंत।
पद्मावती जयवंत हैं,
जयकारी भगवंत ।।
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चरण-कमल में 'चन्द्र' का,
नमन करो स्वीकार।
भक्तों की अरजी सुनो,
वरते मंगलाचार ।।
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संकटमोचक पद्मावती स्तोत्र || Sankatmochak Padmavati Stotra || Jay Jay Jay Padmavati Maata || जय-जय-जय पद्मावती माता
**।। Dohā ।।
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Devī māan padmāvatī,
Jyoti rūp mahāna।
Vighna haro mangal karo,
Karo māt kalyāṇa।
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।। chaupāī।।
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Jaya-jaya-jaya padmāvatī mātā,
Terī mahimā tribhuvan gātā।
Man kī āshā pūrṇa karo māan,
Sankaṭ sāre dūr karo māan ।।
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Terī mahimā param nirālī,
Bhaktoan ke dukh harane vālī।
Dhana-vaibhava-yash dene vālī,
Shān tumhārī ajab nirālī।।
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Bigaḍaī bāt banegī tum se,
Naiyā pār lagegī tum se।
Merī to bas ek araj hai,
Hāth thām lo yahī garaj hai।।
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Chaturbhujī māan hansavāhinī,
Mahar karo māan muktidāyinī।
Kis vidh pūjūan charaṇ tumhāre,
Nirmal haian bas bhāv hamāre।।
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Maian āyā hūan sharaṇ tumhārī,
Tū hai māan jag tāraṇahārī।
Tum bin kaun hare dukh merā,
Roga-shoka-sankaṭ ne gherā।।
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Tum ho kalpataru kaliyug kī,
Tumase hai āshā satayug kī।
Mandira-mandir mūrat terī,
Har mūrat mean sūrat terī।।
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Rūp tumhāre hue haian anagina,
Mahimā baḍhatī jātī nishadin ।
Tumane sāre jag ko tārā,
Sabakā tūne bhāgya sanvārā।।
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Hṛudaya-kamal mean vās karo māan,
Sir par mere hāth dharo māan।
Man kī pīḍaā haro bhavānī,
Mūrat terī lage suhānī ।।
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Padmāvatī māan padma-samānā,
Pūj rahe sab rājā-rāṇā।
Padma-hṛudaya padmāsan sohe,
Padma-rūp pada-pankaj mohe।।
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Mahāmantra kā milā jo sharaṇā,
Nāga-yonī se pār utaranā।
Pārasanāth hue upakārī,
Jaya-jayakār kare nara-nārī।।
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Pāras prabhu jag ke rakhavāle,
Padmāvatī prabhu pārshva ubāre।
Jisane prabhu kā sankaṭ ṭālā,
Usakā rūp anūp nirālā ।।
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Kamaṭha-shatru kyā kare bigāḍae,
Padmāvatī jahan kāj sudhāre।
Meghamālī kī har chaṭṭānean,
Māan ke āge sab chit khāne ।।
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Māan ne prabhu kā kaṣhṭa nivārā,
Janma-janma kā karja utārā।
Padmāvatī dayā kī devī,
Prabhu-bhaktoan kī aviral sevī ।।
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Prabhu bhaktoan kī manshā pūre,
Chiantāmaṇi sam chiantā chūre।
Pāras prabhu kā jayakārā ho,
Padmāvatī kā zankārā ho ।।
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Māthe mukuṭ bhāl sūraj jyoan,
Biandiyā chamak rahī chandā।
Adharoan par muskān shobhatī,
Māan kī mūrat nitya mohatī।।
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Suranar munijan māan ko dhyāve,
Sankaṭ nahīan sapane mean āve।
Māan kā jo jayakārā bole,
Unake ghar sukha-sanpatti bole ।।
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Aum hrīan shrī klīan mantra se dhyāūan,
Dhūpa-dīpa-naivedya chaḍhaāūan।
Riddhi-siddhi sukha-sanpatti dātā,
Soyā bhāgya jagā do mātā ।।
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Māan ko pahale bhog lagāūan,
Pīchhe hī khud bhojan pāūan।
Māan ke yash mean apanā yash ho,
Aantaraman mean bhakti-ras ho।।
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Subah uṭho māan kī jaya bolo,
Sāanjha ḍhale māan kī jaya bolo।
Jaya-jaya māan jaya-jaya nit terī,
Madad karo māan aviral merī।।
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Shukravār māan kā din pyārā,
Jisane pāancha baras vrat dhārā।
Usakā kāj sadā hī sanvare,
Māan usakī har manshā pūre ।।
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Ekāsana-vrata-niyam pālakara,
Dhūpa-dīpa-chandan pūjan kara।
Lāla-vesh ho chūḍaī-kanganā,
Fala-shrīfala-naivedya bheanṭanā ।।
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Man kī āshā pūrṇa hue jaba,
Chhatra chaḍhaāean chāandī kā taba।
Aantar mean ho shukragujārī,
Māan kā vrat hai mangalakārī।।
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Maian hūan māan bālak ajnyānī,
Par terī mahimā pahachānī।
Sāanche man se jo bhī dhyāve,
Sab sukh bhog param pad pāve।।
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Jīvan mean māan kā sanbal ho,
Har sankaṭ mean naitik bal ho।
Pāp n hove puṇya sanjoean,
Dhyān dharean aantaraman dhoean।।
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Dīna-dukhī kī madad ho mujhase,
Māta-pitā kī adab ho mujhase।
Aantara-dṛuṣhṭi mean vivek ho,
Ghara-sanpati sab neka-ek ho ।।
**
Kṛupādṛuṣhṭi ho mātā muz para,
Māan padmāvatī jarā raham kara।
Bhūlean merī māf karo māan,
Sankaṭ sāre dūr karo māan ।।
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Padma netra padmāvatī jaya ho,
Padma-svarūpī padma hṛudaya ho।
Padma-charaṇ hī ek sharaṇ hai,
Padmāvatī māan vighna-haraṇ hai।।
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।।Dohā।।
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Padma rūp padmāvatī,
Pāras prabhu haian shīṣha।
'lalita' tumhārī sharaṇ mean,
Do mangal āshīṣh ।।
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Pārshva prabhu jayavanta haian,
Jin shāsan jayavanta।
Padmāvatī jayavanta haian,
Jayakārī bhagavanta ।।
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Charaṇa-kamal mean 'chandra' kā,
Naman karo svīkāra।
Bhaktoan kī arajī suno,
Varate mangalāchār ।।
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