श्री गोलू देव चालीसा || Shri Golu Dev Chalisa Lyrics in Hindi || Lyrics in English
॥ दोहा ॥
बुद्धिहीन हूँ नाथ मैं,
करो बुद्धि का दान।
सत्य न्याय के धाम तुम,
हे गोलू भगवान।।
जय काली के वीर सुत,
हे गोलू भगवान।
सुमिरन करने मात्र से,
कटते कष्ट महान।।
जप कर तेरे नाम को,
खुले सुखों के द्वार।
जय जय न्याय गौरिया नमन
करे स्वीकार।।
।। चौपाई ।।
जय जय ग्वेल महाबलवाना।
हम पर कृपा करो भगवाना।।
न्याय सत्य के तुम
अवतारा।
दुखियों का दुख हरते सारा
।।
द्वार पे आके जो भी
पुकारे।
मिट जाते पल में दुख सारे।।
तुम जैसा नहीं कोई दूजा ।
पुनित होके भी बिन सेवा
पूजा ।।
शरण में आये नाथ तिहारी।
रक्षा करना हे अवतारी ।।
माँ की सौत थी अत्याचारी
।
तुमको कष्ट दिये अतिभारी ।।
झाड़ी में तुमको गिरवाया।
विविध भांतिथा तुम्हे
सताया ।।
नदी मध्य जल में डुबवाया।
फिर भी मार तुम्हें नहीं
पाया ।।
सरल हृदय था धेवरहे का।
हरिपद रति बहुनिगुनविवेका।।
भाना नाम सकल जग जाना।
जल में देख बाल भगवाना।।
मन प्रसन्न तन कुलकित
भारी।
बोला जय हे नाथ तुम्हारी ।।
कर गयी बालक गोद उठायो।
हृदय लगा किहीं अति सुख
पायो।।
मन प्रसन्न मुख वचन न
आवा।
मन हूँ महानिधि धेवर पावा।।
नहूँ उरततेहि शिशु द्रिह
ले आयो।
नाम गौरिया तब रखवायो।।
सकल काज तज शिशु संगरहयी।
देखी बाल लीला सुख लहयी ।।
करत खेल या चरज अनेका।
देखी चकित हुई बुद्धि
विवेका।।
ध्यालु कथा सुनीं जब
काना।
देखन चले ग्वेल भगवाना।।
देखनपति बालक मुस्काया।
जन्मकाल यें कांड सुनाया ।।
सौतेली जननी की करनी।
ग्वेल पति संग मुख सब
बरनी ।।
निपति ग्वेल निज हृदय
लगायो।
प्रेम पुरत नय नन जल पायो
।।
चल हूँ तात अब निजरज धामी।
दंड देव में सातों: रानी।।
काट - काट सिर कठिन
कृपाना।
कुटिल नारी हरि लेहूँ में
प्राणा ।।
हृदय कम्प ऊपजा अति
क्रोधा।
दंड देहु सुत नारी अबोधा।।
सुनहुँ तात एक बात हमारी।
क्षमा करोहुँ ये सब नारी
बिचारी।।
हम ही देखी होई मृतक
समाना।
जब लगी जियें पड़ी पछताना।।
अयशतात केहि कारण लेहूँ।
मात सौत कह दंड न देहुँ ।।
दया वन्त प्रिय ग्वेल
सुझाना।
मनुज नहीं तुम देव महाना ।।
अमर सदा हो नाम तुम्हारा।
ग्वेल गौरिया गोलू प्यारा
।।
राज करहुँ चम्पावत वीरा।
हरहुँ तात जन-जन की पीरा ।।
मात - पिता भय धन्य
तुम्हारें।
उदय आज हुए पुण्य हमारे।।
पितुआ ज्ञाधर सविनय शीशा।
ग्वेल बनें चम्पावत ईशा।।
सत्य न्याय है तुम्हें
प्यारा।
तीनों हित तुमने कनधारा।।
दुखियों के दुख देखन पाते।
सुनी पुकार तुम उस थल
जाते।।
विश्व विविध है न्याय
तुम्हारे।
निर्बल के तुम एक सहारे ।।
चितई नमला मंदिर तेरे।
बजते घंटे जहाज घनेरे ।।
घोड़ाखाल प्रिय धाम
तुम्हारा।
चमड़खान तुमको अति प्यारा।।
ताड़ीखेत में महिमा
न्यारी ।
चम्पावत रजधानी प्यारी ।।
गाँव - गाँव में थान
तुम्हारें।
न्याय हेतु जन तुम ही
पुकारें ।।
सदा कृपा करना हे स्वामी।
ग्वेल देव हे अन्तर्यामी ।।
ये दस बार पाठ कर जोई।
विपदा टरें सदा सुख होई ।।
।। दोहा ।।
जय गोलू जय गौरिया,
जय काली के लाल।
मौसानी ना कर सकी,
तेरा बांका बाल ।।
सुमिरन करके नाम का,
मिटते कष्ट हजार ।
जय हे न्यायी देवता,
हे गोलू अवतार ।।
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