सूर्य नमस्कार // Surya Namaskar // Sun Salutation
सूर्य नमस्कार क्या है // What is Surya Namaskar in hindi?
सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है। सूर्य नमस्कार १२ शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है, जो एक उत्तम कार्डियो-वॅस्क्युलर व्यायाम भी है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।
सूर्य नमस्कार करने के क्या लाभ हैं ? What are the benefits of doing Surya Namaskar?
यदि हम प्रतिदिन नियम से सूर्य नमस्कार का अभ्यास करेंगे तो हमें किसी भी तरह के अन्य व्यायाम एवं योगासन करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। प्रतिदिन सुबह के समय सूर्य के सामने इसे करने से शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी प्राप्त होता है जिससे शरीर को मजबूती मिलने के साथ ही स्वस्थ रखने में भी मदद मिलती है।
सूर्य नमस्कार कैसे किया जाता है? // How to do Surya Namaskar?
1. प्रणामासन // Pranamasana
खुले मैदान में योगा मैट के ऊपर खड़े हो जाएं और सूर्य को नमस्कार करने के हिसाब से खड़े हो जाएं। सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को जोड़ कर सीने से सटा लें और गहरी, लंबी सांस लेते हुए आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं।
2. हस्तउत्तनासन // Hastuttanasana
पहली अवस्था में खड़े रहते हुए सांस लीजिए और हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथ कानों से सटे हुए हों। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।
3. पादहस्तासन // Pada Hastasana
सूर्य नमस्कार की यह खासियत होती है कि इसके सारे चरण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। हस्तोतानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है। इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरे-धीरे छोड़ना होता है। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों।
4. अश्व संचालनासन // Ashwa Sanchalanasana
हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस लें और बांए पैर को पीछे की ओर ले जाएं और दांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं। हाथों को जमीन पर पूरे पंजों को फैलाकर रखें। ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं।
5. दंडासन // Dandasana
गहरी सांस लेते हुए दांये पैर को भी पीछे की ओर ले जाएं और शरीर को एक सीध में रखे और हाथों पर जोर देकर इस अवस्था में रहें।
6. अष्टांग नमस्कार // Ashtanga Namaskar
अब धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें। पूरे शरीर पर ठोड़ी, छाती, हाथ, पैर को जमीन पर छुआएं और अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं।
7. भुजंगासन // Bhujangasana
कोहनी को कमर से सटाते हुए हाथों के पंजे के बल से छाती को ऊपर की ओर उठाएं। गर्दन को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं।
8. अधोमुख शवासन // Adhomukh Shavasana
भुजंगासन से सीधे इस अवस्था में आएं। अधोमुख शवासन के चरण में कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं लेकिन पैरों की एड़ी जमीन पर टिका कर रखें। शरीर को अपने V के आकार में बनाएं।
9. अश्व संचालासन // Ashwa Sanchalasana
अब एक बार फिर से अश्व संचालासन की मुद्रा में आएं लेकिन ध्यान रहें अबकी बार बांये पैर को आगे की ओर रखें।
10. पादहस्तासन // Padahastasana
अश्न संचालनासन मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद अब पादहस्तासन की मुद्रा में आएं। इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरे-धीरे छोड़ना होता है। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों।
11. हस्तउत्तनासन // Hastuttanasan
पादहस्तासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद हस्तउत्तनासन की मुद्रा में वापस आ जाएं। इसके लिए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।
12. प्रणामासन // Pranamasan
हस्तउत्तनासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद सूर्य की तरफ चेहरा कर एक बार फिर से प्रणामासन की मुद्रा में आ जाएं।
सूर्यनमस्कार मन्त्र // Sun Salutation Mantra
ॐ ध्येयः सदा सवितृमण्डल मध्यवर्ति
नारायणः सरसिजासन्संनिविष्टः ।
केयूरवान मकरकुण्डलवान किरीटी
हारी हिरण्मयवपुधृतशंखचक्रः ।।
ॐ ह्रां मित्राय नमः ।
ॐ ह्रीं रवये नमः ।
ॐ ह्रूं सूर्याय नमः ।
ॐ ह्रैं भानवे नमः ।
ॐ ह्रौं खगाय नमः ।
ॐ ह्रः पूष्णे नमः ।
ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः ।
ॐ ह्रीं मरीचये नमः ।
ॐ ह्रूं आदित्याय नमः ।
ॐ ह्रैं सवित्रे नमः ।
ॐ ह्रौं अर्काय नमः ।
ॐ ह्रः भास्कराय नमः ।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः
ॐ श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः ।।
आदितस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने
जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं दोषनाशते ।
अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्
सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धारयाम्यहम् ।।
योगेन चित्तस्य पदेन वाचा मलं शरीरस्य च वैद्यकेन ।
योपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनां पतंजलिं प्रांजलिरानतोऽस्मि ।।
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