मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

आरती श्री सूर्यदेव जी की Aarti Shri Surya Dev Ji Ki

आरती श्री सूर्यदेव जी की Aarti Shri Surya Dev Ji Ki



जय जय जय रविदेव, 
जय जय जय रविदेव।
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राजनीति मदहारी 
शतदल जीवन दाता।
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षटपद मन मुदकारी 
हे दिनमणि ताता।
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जग के हे रविदेव, 
जय जय जय रविदेव।
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नभमंडल के वासी 
ज्योति प्रकाशक देवा।
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निज जनहित सुखसारी 
तेरी हम सब सेवा।
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करते हैं रवि देव, 
जय जय जय रविदेव।
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कनक बदनमन मोहित 
रुचिर प्रभा प्यारी।
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हे सुरवर रविदेव, 
जय जय जय रविदेव।।

श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा Shri Vindheshwari Chalisa || Vindhyavasini Chalisa || नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब || Namo Namo Vindheshwari Lyrics in Hindi and English

श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा Shri Vindheshwari Chalisa || Vindhyavasini Chalisa || नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब || Namo Namo Vindheshwari Lyrics in Hindi and English

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दोहा
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नमो नमो विन्ध्येश्वरी, 
नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज में 
करती नहीं विलम्ब।
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जय जय विन्ध्याचल रानी, 
आदि शक्ति जग विदित भवानी।
सिंहवाहिनी जय जग माता, 
जय जय त्रिभुवन सुखदाता।
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कष्ट निवारिणी जय जग देवी, 
जय जय असुरासुर सेवी।
महिमा अमित अपार तुम्हारी, 
शेष सहस्र मुख वर्णत हारी।
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दीनन के दुख हरत भवानी, 
नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी।
सब कर मनसा पुरवत माता, 
महिमा अमित जग विख्याता।
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जो जन ध्यान तुम्हारो लावे, 
सो तुरतहिं वांछित फल पावै।
तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी, 
तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी।
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रमा राधिका श्यामा काली, 
तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली।
उमा माधवी चण्डी ज्वाला, 
बेगि मोहि पर होहु दयाला।
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तू ही हिंगलाज महारानी, 
तू ही शीतला अरु विज्ञानी।
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता, 
तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता।
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तू ही जाह्नवी अरु उत्राणी, 
हेमावती अम्बे निरवाणी।
अष्टभुजी वाराहिनी देवी, 
करत विष्णु शिव जाकर सेवा।
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चौसठ देवी कल्यानी, 
गौरी मंगला सब गुण खानी।
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी, 
भद्रकाली सुन विनय हमारी।
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वज्र धारिणी शोक नाशिनी, 
आयु रक्षिणी विन्ध्यवासिनी।
जया और विजया बैताली, 
मातु संकटी अरु विकराली।
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नाम अनन्त तुम्हार भवानी, 
बरनै किमि मानुष अज्ञानी।
जापर कृपा मातु तव होई, 
तो वह करै चहै मन जोई।
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कृपा करहुं मोपर महारानी, 
सिद्ध करिए अब यह मम बानी।
जो नर धरै मात कर ध्याना, 
ताकर सदा होय कल्याना।
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विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै, 
जो देवी का जाप करावै।
जो नर कहं ऋण होय अपारा, 
सो नर पाठ करै शतबारा।
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निश्चय ऋण मोचन होइ जाई, 
जो नर पाठ करै मन लाई।
अस्तुति जो नर पढ़ै पढ़ावै, 
या जग में सो अति सुख पावै।
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जाको व्याधि सतावे भाई, 
जाप करत सब दूर पराई।
जो नर अति बन्दी महं होई, 
बार हजार पाठ कर सोई।
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निश्चय बन्दी ते छुटि जाई, 
सत्य वचन मम मानहुं भाई।
जा पर जो कछु संकट होई, 
निश्चय देविहिं सुमिरै सोई।
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जा कहं पुत्र होय नहिं भाई, 
सो नर या विधि करे उपाई।
पांच वर्ष सो पाठ करावै, 
नौरातन में विप्र जिमावै।
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निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी, 
पुत्र देहिं ताकहं गुण खानी।
ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै, 
विधि समेत पूजन करवावै।
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नित्य प्रति पाठ करै मन लाई, 
प्रेम सहित नहिं आन उपाई।
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा, 
रंक पढ़त होवे अवनीसा।
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यह जनि अचरज मानहुं भाई, 
कृपा दृष्टि तापर होइ जाई।
जय जय जय जग मातु भवानी, 
कृपा करहुं मोहिं पर जन जानी।
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श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा Shri Vindheshwari Chalisa || Vindhyavasini Chalisa || नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब || Namo Namo Vindheshwari Lyrics in Hindi and English

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Dohā
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Namo namo vindhyeshvarī, 
Namo namo jagadamba।
Santajanoan ke kāj mean 
Karatī nahīan vilamba।
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Jaya jaya vindhyāchal rānī, 
Ādi shakti jag vidit bhavānī।
Sianhavāhinī jaya jag mātā, 
Jaya jaya tribhuvan sukhadātā।
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Kaṣhṭa nivāriṇī jaya jag devī, 
Jaya jaya asurāsur sevī।
Mahimā amit apār tumhārī, 
Sheṣh sahasra mukh varṇat hārī।
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Dīnan ke dukh harat bhavānī, 
Nahian dekhyo tum sam koī dānī।
Sab kar manasā puravat mātā, 
Mahimā amit jag vikhyātā।
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Jo jan dhyān tumhāro lāve, 
So turatahian vāanchhit fal pāvai।
Tū hī vaiṣhṇavī tū hī rudrāṇī, 
Tū hī shāradā aru brahmāṇī।
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Ramā rādhikā shyāmā kālī, 
Tū hī mātu santan pratipālī।
Umā mādhavī chaṇḍī jvālā, 
Begi mohi par hohu dayālā।
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Tū hī hiangalāj mahārānī, 
Tū hī shītalā aru vijnyānī।
Durgā durga vināshinī mātā, 
Tū hī lakṣhmī jag sukh dātā।
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Tū hī jāhnavī aru utrāṇī, 
Hemāvatī ambe niravāṇī।
Aṣhṭabhujī vārāhinī devī, 
Karat viṣhṇu shiv jākar sevā।
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Chausaṭh devī kalyānī, 
Gaurī mangalā sab guṇ khānī।
Pāṭan mumbā danta kumārī, 
Bhadrakālī sun vinaya hamārī।
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Vajra dhāriṇī shok nāshinī, 
Āyu rakṣhiṇī vindhyavāsinī।
Jayā aur vijayā baitālī, 
Mātu sankaṭī aru vikarālī।
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Nām ananta tumhār bhavānī, 
Baranai kimi mānuṣh ajnyānī।
Jāpar kṛupā mātu tav hoī, 
To vah karai chahai man joī।
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Kṛupā karahuan mopar mahārānī, 
Siddha karie ab yah mam bānī।
Jo nar dharai māt kar dhyānā, 
Tākar sadā hoya kalyānā।
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Vipati tāhi sapanehu nahian āvai, 
Jo devī kā jāp karāvai।
Jo nar kahan ṛuṇ hoya apārā, 
So nar pāṭh karai shatabārā।
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Nishchaya ṛuṇ mochan hoi jāī, 
Jo nar pāṭh karai man lāī।
Astuti jo nar paḍhai paḍhāvai, 
Yā jag mean so ati sukh pāvai।
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Jāko vyādhi satāve bhāī, 
Jāp karat sab dūr parāī।
Jo nar ati bandī mahan hoī, 
Bār hajār pāṭh kar soī।
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Nishchaya bandī te chhuṭi jāī, 
Satya vachan mam mānahuan bhāī।
Jā par jo kachhu sankaṭ hoī, 
Nishchaya devihian sumirai soī।
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Jā kahan putra hoya nahian bhāī, 
So nar yā vidhi kare upāī।
Pāancha varṣha so pāṭh karāvai, 
Naurātan mean vipra jimāvai।
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Nishchaya hohian prasanna bhavānī, 
Putra dehian tākahan guṇ khānī।
Dhvajā nāriyal āni chaḍha़āvai, 
Vidhi samet pūjan karavāvai।
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Nitya prati pāṭh karai man lāī, 
Prem sahit nahian ān upāī।
Yah shrī vindhyāchal chālīsā, 
Ranka paḍht hove avanīsā।
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Yah jani acharaj mānahuan bhāī, 
Kṛupā dṛuṣhṭi tāpar hoi jāī।
Jaya jaya jaya jag mātu bhavānī, 
Kṛupā karahuan mohian par jan jānī।
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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

श्री सूर्य चालीसा Shri Surya Chalisa || कनक बदन कुण्डल मकर || Kanak Badan Kundal Makar || जय सविता जय जयति दिवाकर || Jay Savita Jay Jayati Diwakar

श्री सूर्य चालीसा Shri Surya Chalisa || कनक बदन कुण्डल मकर || Kanak Badan Kundal Makar || जय सविता जय जयति दिवाकर || Jay Savita Jay Jayati Diwakar


दोहा

कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अंग।
पद्मासन स्थित ध्याइये, शंख चक्र के संग।।

चौपाई

जय सविता जय जयति दिवाकर, सहस्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर।
भानु, पतंग, मरीची, भास्कर, सविता, हंस, सुनूर, विभाकर।

विवस्वान, आदित्य, विकर्तन, मार्तण्ड, हरिरूप, विरोचन।
अम्बरमणि, खग, रवि कहलाते, वेद हिरण्यगर्भ कह गाते।

सहस्रांशु, प्रद्योतन, कहि कहि, मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि।
अरुण सदृश सारथी मनोहर, हांकत हय साता चढि़ रथ पर।

मंडल की महिमा अति न्यारी, तेज रूप केरी बलिहारी।
उच्चैश्रवा सदृश हय जोते, देखि पुरन्दर लज्जित होते।

मित्र, मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर, सविता,
सूर्य, अर्क, खग, कलिहर, पूषा, रवि,

आदित्य, नाम लै, हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै।
द्वादस नाम प्रेम सो गावैं, मस्तक बारह बार नवावै।

चार पदारथ सो जन पावै, दुख दारिद्र अघ पुंज नसावै।
नमस्कार को चमत्कार यह, विधि हरिहर कौ कृपासार यह।

सेवै भानु तुमहिं मन लाई, अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई।
बारह नाम उच्चारन करते, सहस जनम के पातक टरते।

उपाख्यान जो करते तवजन, रिपु सों जमलहते सोतेहि छन।
छन सुत जुत परिवार बढ़तु है, प्रबलमोह को फंद कटतु है।

अर्क शीश को रक्षा करते, रवि ललाट पर नित्य बिहरते।
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत, कर्ण देश पर दिनकर छाजत।

भानु नासिका वास करहु नित, भास्कर करत सदा मुख कौ हित।
ओठ रहैं पर्जन्य हमारे, रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे।

कंठ सुवर्ण रेत की शोभा, तिग्मतेजसः कांधे लोभा।
पूषा बाहु मित्र पीठहिं पर, त्वष्टा-वरुण रहम सुउष्णकर।

युगल हाथ पर रक्षा कारन, भानुमान उरसर्मं सुउदरचन।
बसत नाभि आदित्य मनोहर, कटि मंह हंस, रहत मन मुदभर।

जंघा गोपति, सविता बासा, गुप्त दिवाकर करत हुलासा।
विवस्वान पद की रखवारी, बाहर बसते नित तम हारी।

सहस्रांशु, सर्वांग सम्हारै, रक्षा कवच विचित्र विचारे।
अस जोजजन अपने न माहीं, भय जग बीज करहुं तेहि नाहीं।

दरिद्र कुष्ट तेहिं कबहुं न व्यापै, जोजन याको मन मंह जापै।
अंधकार जग का जो हरता, नव प्रकाश से आनन्द भरता।

ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही, कोटि बार मैं प्रनवौं ताही।
मन्द सदृश सुतजग में जाके, धर्मराज सम अद्भुत बांके।

धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा, किया करत सुरमुनि नर सेवा।
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों, दूर हटत सो भव के भ्रम सों।

परम धन्य सो नर तनधारी, हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी।
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन, मध वेदांगनाम रवि उदय।

भानु उदय वैसाख गिनावै, ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै।
यम भादों आश्विन हिमरेता, कातिक होत दिवाकर नेता।

अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं, पुरुष नाम रवि हैं मलमासहिं।

दोहा

भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य।
सुख सम्पत्ति लहै विविध, होंहि सदा कृतकृत्य।।

शनिवार, 9 अप्रैल 2011

नमो नमो दुर्गे सुख करनी || श्री दुर्गा चालीसा || Shri Durga Chalisa Lyrics in Hindi and English

नमो नमो दुर्गे सुख करनी || श्री दुर्गा चालीसा || Shri Durga Chalisa Lyrics in Hindi and English

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नमो नमो दुर्गे सुख करनी, 
नमो नमो अम्बे दुख हरनी।
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निराकार है ज्योति तुम्हारी, 
तिहूं लोक फैली उजियारी।
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शशि ललाट मुख महा विशाला, 
नेत्र लाल भृकुटी विकराला।
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रूप मातु को अधिक सुहावै, 
दरश करत जन अति सुख पावै।
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तुम संसार शक्ति मय कीना, 
पालन हेतु अन्न धन दीना।
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अन्नपूरना हुई जग पाला, 
तुम ही आदि सुन्दरी बाला।
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प्रलयकाल सब नाशन हारी, 
तुम गौरी शिव शंकर प्यारी।
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शिव योगी तुम्हरे गुण गावैं, 
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावै।
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रूप सरस्वती को तुम धारा, 
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा।
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धरा रूप नरसिंह को अम्बा, 
परगट भई फाड़कर खम्बा।
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रक्षा करि प्रहलाद बचायो, 
हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो।
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लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं, 
श्री नारायण अंग समाहीं।
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क्षीरसिंधु में करत विलासा, 
दयासिंधु दीजै मन आसा।
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हिंगलाज में तुम्हीं भवानी, 
महिमा अमित न जात बखानी।
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मातंगी धूमावति माता, 
भुवनेश्वरि बगला सुख दाता।
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श्री भैरव तारा जग तारिणी, 
क्षिन्न भाल भव दुख निवारिणी।
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केहरि वाहन सोह भवानी, 
लांगुर वीर चलत अगवानी।
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कर में खप्पर खड्ग विराजै, 
जाको देख काल डर भाजै।
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सोहे अस्त्र और त्रिशूला, 
जाते उठत शत्रु हिय शूला।
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नाग कोटि में तुम्हीं विराजत, 
तिहुं लोक में डंका बाजत।
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शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे, 
रक्तबीज शंखन संहारे।
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महिषासुर नृप अति अभिमानी, 
जेहि अधिभार मही अकुलानी।
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रूप कराल काली को धारा, 
सेना सहित तुम तिहि संहारा।
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परी गाढ़ संतन पर जब-जब, 
भई सहाय मात तुम तब-तब।
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अमरपुरी औरों सब लोका, 
तव महिमा सब रहे अशोका।
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बाला में है ज्योति तुम्हारी, 
तुम्हें सदा पूजें नर नारी।
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प्रेम भक्ति से जो जस गावैं, 
दुख दारिद्र निकट नहिं आवै।
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ध्यावें जो नर मन लाई, 
जन्म मरण ताको छुटि जाई।
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जागी सुर मुनि कहत पुकारी, 
योग नहीं बिन शक्ति तुम्हारी।
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शंकर अचारज तप कीनो, 
काम अरु क्रोध सब लीनो।
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निशदिन ध्यान धरो शंकर को, 
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको।
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शक्ति रूप को मरम न पायो, 
शक्ति गई तब मन पछितायो।
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शरणागत हुई कीर्ति बखानी, 
जय जय जय जगदम्ब भवानी।
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भई प्रसन्न आदि जगदम्बा, 
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा।
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मोको मातु कष्ट अति घेरो, 
तुम बिन कौन हरे दुख मेरो।
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आशा तृष्णा निपट सतावै, 
रिपु मूरख मोहि अति डरपावै।
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शत्रु नाश कीजै महारानी, 
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी।
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करो कृपा हे मातु दयाला, 
ऋद्धि सिद्धि दे करहुं निहाला।
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जब लगि जियौं दया फल पाऊँ , 
तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊँ ।
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दुर्गा चालीसा जो गावै, 
सब सुख भोग परम पद पावै।
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देवीदास शरण निज जानी, 
करहुं कृपा जगदम्ब भवानी।
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दोहा
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शरणागत रक्षा करे, 
भक्त रहे निशंक।
मैं आया तेरी शरण में, 
मातु लीजिए अंक।।
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नमो नमो दुर्गे सुख करनी || श्री दुर्गा चालीसा || Shri Durga Chalisa Lyrics in Hindi and English

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Namo namo durge sukh karanī, 
Namo namo ambe dukh haranī।
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Nirākār hai jyoti tumhārī, 
Tihūan lok failī ujiyārī।
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Shashi lalāṭ mukh mahā vishālā, 
Netra lāl bhṛukuṭī vikarālā।
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Rūp mātu ko adhik suhāvai, 
Darash karat jan ati sukh pāvai।
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Tum sansār shakti maya kīnā, 
Pālan hetu anna dhan dīnā।
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Annapūranā huī jag pālā, 
Tum hī ādi sundarī bālā।
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Pralayakāl sab nāshan hārī, 
Tum gaurī shiv shankar pyārī।
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Shiv yogī tumhare guṇ gāvaian, 
Brahmā viṣhṇu tumhean nit dhyāvai।
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Rūp sarasvatī ko tum dhārā, 
De subuddhi ṛuṣhi munin ubārā।
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Dharā rūp narasianha ko ambā, 
Paragaṭ bhaī fāḍakar khambā।
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Rakṣhā kari prahalād bachāyo, 
Hiraṇākush ko svarga paṭhāyo।
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Lakṣhmī rūp dharo jag māhīan, 
Shrī nārāyaṇ aanga samāhīan।
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Kṣhīrasiandhu mean karat vilāsā, 
Dayāsiandhu dījai man āsā।
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Hiangalāj mean tumhīan bhavānī, 
Mahimā amit n jāt bakhānī।
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Mātangī dhūmāvati mātā, 
Bhuvaneshvari bagalā sukh dātā।
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Shrī bhairav tārā jag tāriṇī, 
Kṣhinna bhāl bhav dukh nivāriṇī।
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Kehari vāhan soh bhavānī, 
Lāangur vīr chalat agavānī।
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Kar mean khappar khaḍga virājai, 
Jāko dekh kāl ḍar bhājai।
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Sohe astra aur trishūlā, 
Jāte uṭhat shatru hiya shūlā।
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Nāg koṭi mean tumhīan virājata, 
Tihuan lok mean ḍankā bājata।
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Shumbha nishumbha dānav tum māre, 
Raktabīj shankhan sanhāre।
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Mahiṣhāsur nṛup ati abhimānī, 
Jehi adhibhār mahī akulānī।
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Rūp karāl kālī ko dhārā, 
Senā sahit tum tihi sanhārā।
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Parī gāḍha santan par jaba-jaba, 
Bhaī sahāya māt tum taba-taba।
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Amarapurī auroan sab lokā, 
Tav mahimā sab rahe ashokā।
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Bālā mean hai jyoti tumhārī, 
Tumhean sadā pūjean nar nārī।
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Prem bhakti se jo jas gāvaian, 
Dukh dāridra nikaṭ nahian āvai।
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Dhyāvean jo nar man lāī, 
Janma maraṇ tāko chhuṭi jāī।
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Jāgī sur muni kahat pukārī, 
Yog nahīan bin shakti tumhārī।
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Shankar achāraj tap kīno, 
Kām aru krodh sab līno।
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Nishadin dhyān dharo shankar ko, 
Kāhu kāl nahian sumiro tumako।
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Shakti rūp ko maram n pāyo, 
Shakti gaī tab man pachhitāyo।
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Sharaṇāgat huī kīrti bakhānī, 
Jaya jaya jaya jagadamba bhavānī।
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Bhaī prasanna ādi jagadambā, 
Daī shakti nahian kīn vilambā।
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Moko mātu kaṣhṭa ati ghero, 
Tum bin kaun hare dukh mero।
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Āshā tṛuṣhṇā nipaṭ satāvai, 
Ripu mūrakh mohi ati ḍarapāvai।
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Shatru nāsh kījai mahārānī, 
Sumirauan ikachit tumhean bhavānī।
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Karo kṛupā he mātu dayālā, 
Ṛuddhi siddhi de karahuan nihālā।
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Jab lagi jiyauan dayā fal pāū , 
Tumharo jas maian sadā sunāū ।
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Durgā chālīsā jo gāvai, 
Sab sukh bhog param pad pāvai।
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Devīdās sharaṇ nij jānī, 
Karahuan kṛupā jagadamba bhavānī।
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Dohā
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Sharaṇāgat rakṣhā kare, 
Bhakta rahe nishanka।
Maian āyā terī sharaṇ mean, 
Mātu lījie aanka।।
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बुधवार, 6 अप्रैल 2011

श्री रविदास चालीसा Shri Ravi Das Chalisa || Shree Ravidas Chalisa In Hindi || Shree Ravidas Chalisa Lyrics In Hindi

श्री रविदास चालीसा Shri Ravi Das Chalisa || Shree Ravidas Chalisa In Hindi || Shree Ravidas Chalisa Lyrics In Hindi || Sant Ravidas Chalisa

दोहा

बन्दौ वीणा पाणि को, देहु आय मोहिं ज्ञान।
पाय बुद्धि रविदास को, करौं चरित्र बखान।
मातु की महिमा अमित है, लिखि न सकत है दास।
ताते आयों शरण में, पुरवहुं जन की आस।

चौपाई

जै होवै रविदास तुम्हारी, कृपा करहु हरिजन हितकारी।
राहू भक्त तुम्हारे ताता, कर्मा नाम तुम्हारी माता।

काशी ढिंग माडुर स्थाना, वर्ण अछुत करत गुजराना।
द्वादश वर्ष उम्र जब आई, तुम्हरे मन हरि भक्ति समाई।

रामानन्द के शिष्य कहाये, पाय ज्ञान निज नाम बढ़ाये।
शास्त्र तर्क काशी में कीन्हों, ज्ञानिन को उपदेश है दीन्हों।

गंग मातु के भक्त अपारा, कौड़ी दीन्ह उनहिं उपहारा।
पंडित जन ताको लै जाई, गंग मातु को दीन्ह चढ़ाई।

हाथ पसारि लीन्ह चैगानी, भक्त की महिमा अमित बखानी।
चकित भये पंडित काशी के, देखि चरित भव भयनाशी के।

रत्न जटित कंगन तब दीन्हां, रविदास अधिकारी कीन्हां।
पंडित दीजौ भक्त को मेरे, आदि जन्म के जो हैं चेरे।

पहुंचे पंडित ढिग रविदासा, दै कंगन पुरइ अभिलाषा।
तब रविदास कही यह बाता, दूसर कंगन लावहु ताता।

पंडित ज तब कसम उठाई, दूसर दीन्ह न गंगा माई।
तब रविदास ने वचन उचारे, पंडित जन सब भये सुखारे।

जो सर्वदा रहै मन चंगा, तौ घर बसति मातु है गंगा।
हाथ कठौती में तब डारा, दूसर कंगन एक निकारा।

चित संकोचित पंडित कीन्हें, अपने अपने मारग लीन्हें।
तब से प्रचलित एक प्रसंगा, मन चंगा तो कठौती में गंगा।

एक बार फिरि परयो झमेला, मिलि पंडितजन कीन्हो खेला।
सालिगराम गंग उतरावै, सोई प्रबल भक्त कहलावै।

सब जन गये गंग के तीरा, मूरति तैरावन बिच नीरा।
डूब गई सबकी मझधारा, सबके मन भयो दुख अपारा।

पत्थर की मूर्ति रही उतराई, सुर नर मिलि जयकार मचाई।
रहयो नाम रविदास तुम्हारा, मच्यो नगर महं हाहाकारा।

चीरि देह तुम दुग्ध बहायो, जन्म जनेउ आप दिखाओ।
देखि चकित भये सब नर नारी, विद्वानन सुधि बिसरी सारी।

ज्ञान तर्क कबिरा संग कीन्हों, चकित उनहुं का तुक करि दीन्हों।
गुरु गोरखहिं दीन्ह उपदेशा, उन मान्यो तकि संत विशेषा।

सदना पीर तर्क बहु कीन्हां, तुम ताको उपदेश है दीन्हां।
मन मह हारयो सदन कसाई, जो दिल्ली में खबरि सुनाई।

मुस्लिम धर्म की सुनि कुबड़ाई, लोधि सिकन्दर गयो गुस्साई।
अपने गृह तब तुमहिं बुलावा, मुस्लिम होन हेतु समुझावा।

मानी नहिं तुम उसकी बानी, बंदीगृह काटी है रानी।
कृष्ण दरश पाये रविदासा, सफल भई तुम्हरी सब आशा।

ताले टूटि खुल्यो है कारा, नाम सिकन्दर के तुम मारा।
काशी पुर तुम कहं पहुंचाई, दै प्रभुता अरुमान बड़ाई।

मीरा योगावति गुरु कीन्हों, जिनको क्षत्रिय वंश प्रवीनो।
तिनको दै उपदेश अपारा, कीन्हों भव से तुम निस्तारा।

दोहा

ऐसे ही रविदास ने, कीन्हें चरित अपार।
कोई कवि गावै कितै, तहूं न पावै पार।
नियम सहित हरिजन अगर, ध्यान धरै चालीसा।
ताकी रक्षा करेंगे, जगतपति जगदीशा।


चित्र indianpublicholidays.com से साभार