चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी | Chintapurni Chinta Dur Karni | Chintapurni Aarti Lyrics in Hindi and English
**चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
जन को तारो भोली मां
काली दा पुत्र पवन दा घोड़ा
सिंह पर भई असवार भोली मां
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
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एक हाथ खड़ग दूजे में खांडा
तीजे त्रिशूल संभालो,
भोली मां।
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
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चौथे हाथ चक्कर गदा
पांचवे-छठे मुंडो की माला,
भोली मां
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
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सातवें से रूंड मुंड बिदारे
आठवे से असुर संहारो ,
भोली मां....
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
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चम्पे का बाग लगा अति सुंदर
बैठी दीवान दीवान लगाये,
भोली मां
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
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हरि ब्रम्हा तेरे भवन विराजे
लाल चंदोया बैठी तरल
भोली मां....
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
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औखी घाटी विकटा पैंडा
तले बहे दरिया ,
भोली मां....
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
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सुमन चरण ध्यानु जस गावे
भक्तां दी पज निभाओ भोली मां
चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी
जन को तारो भोली मां
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चिंतपूर्णी चिंता दूर करनी | Chintapurni Chinta Dur Karni | Chintapurni Aarti Lyrics in Hindi and English
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Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
Jan ko tāro bholī māan
Kālī dā putra pavan dā ghoḍa़ā
Sianha par bhaī asavār bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
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Ek hāth khaḍag dūje mean khāanḍā
Tīje trishūl sanbhālo,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
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Chauthe hāth chakkar gadā
Pāanchave-chhaṭhe muanḍo kī mālā,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
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Sātavean se rūanḍa muanḍa bidāre
Āṭhave se asur sanhāro ,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
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Champe kā bāg lagā ati suandar
Baiṭhī dīvān dīvān lagāye,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
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Hari bramhā tere bhavan virāje
Lāl chandoyā baiṭhī taral
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
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Aukhī ghāṭī vikaṭā paianḍā
Tale bahe dariyā ,
Bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
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Suman charaṇ dhyānu jas gāve
Bhaktāan dī paj nibhāo bholī māan
Chiantapūrṇī chiantā dūr karanī
Jan ko tāro bholī māan
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चिन्तापूर्णि देवी (Chintpurni Devi) एक संक्षिप्त परिचय :
पौराणिक कथा: चिन्तापूर्णि देवी की कथा के अनुसार, राजा दशरथ नामक एक राजा था जो अपनी नगरी का नाम बाड़ी रखता था। राजा की पत्नी का नाम धृति था और उन्हें वीरता और साहस की प्रतिष्ठा थी। एक दिन राजा और रानी ने वन में विश्राम के लिए यात्रा किया। वहां रानी ने एक सुंदर बालिका को संगीत के लिए देखा और उसकी आदर्श स्त्री बनाने का संकल्प किया। वे उस बालिका को धन्यवाद देने गए और वहां देवी ने उनसे वर मांगा कि वह हमेशा उनकी पूजा की जाएंगी। देवी ने राजा और रानी की इच्छा को पूरा करने का व्रत लिया और वहां स्थानीय लोगों को अपनी कृपा दिखाई।
मंदिर की स्थापना: चिन्तापूर्णि मंदिर की स्थापना 11वीं शताब्दी में हुई थी, और इसे समर्पित किया गया था चिंताओं के निवारण के लिए। मंदिर का निर्माण बालू, लकड़ी, और मांस के आसपास के क्षेत्रों से किया गया है।
आराधना विधि: यहां की पूजा में अश्वत्थ वृक्ष का खास महत्व है, जिसे "कटुकुटी" कहा जाता है। इस पूजा में बेल पत्र, दूध, मिठाई, फल, और सुगंधित धूप का उपयोग किया जाता है।
चिन्तापूर्णि देवी मंदिर के निकट वायुनाथ, जवालाजी, बगलामुखी, और चमुंडा देवी के मंदिर भी हैं। इन स्थलों का दौरा करने से भक्तों को अधिक पुण्य मिलता है।
मेला और यात्रा: नवरात्रि के दौरान यहां एक बड़ा मेला लगता है जिसमें लाखों भक्त भारी संख्या में आते हैं। यह मेला चैत्र और आश्वयुज मास में आयोजित होता है।
सांस्कृतिक कार्यक्रम: मंदिर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों और भक्ति संगीत समारोहों का आयोजन होता है, जो स्थानीय और बाहरी आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। चिन्तापूर्णि देवी का मंदिर भक्तों के बीच एक प्रमुख श्रद्धास्थल है जो चिंताओं से मुक्ति की कामना करने वालों के लिए प्रसिद्ध है।
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