सोमवार, 3 जनवरी 2022

सर्वदेव पूजा || Sarvadev Puja || Sarva Dev Puja Padhati || Shri Satyanarayan Sarva Dev Puja Vidhi || Lyrics in Hindi

 सर्वदेव पूजा || Sarvadev Puja || Sarva Dev Puja Padhati || Shri Satyanarayan Sarva Dev Puja Vidhi || Lyrics in Hindi 


श्री गणेश


जय गणनायक सिद्धि विनायक 

मंगलदायक मोक्ष प्रदाता। 

हो तुम ही सबके शुभदायक 

कष्ट हरो हे भाग्य विधाता ।। 

ऋद्धि औ सिद्धि के स्वामी तुम ही हो 

पिता शुभ-लाभ के भवदाता। 

छोड़ के गोदि माँ गौरी की आओ 

तुम्हे आज भक्त तुम्हारा बुलाता।।



वन्दहु शम्भु भवानी के नन्दन, 

आनन्द कन्द निकन्द पति जै।

दीनन दायक ऋद्धि वा सिद्धि के, 

हे गणनायक मो पे पसीजै।। 

बुद्धि के दाता गजानन आनन, 

मोरी कुबुद्धि सुबुद्धि करीजै।

मूषक वाहन छाड़ि विनायक, 

पूजा में आयके आसन कीजै ।।

जय गणनायक सिद्धि विनायक, 

मंगल दायक मोक्ष प्रदाता।

हो तुमही सबके शुभदायक, 

कष्ट हरो हे भाग्यविधाता।। 

ऋद्धि औ सिद्धि के स्वामी तुम्ही हो, 

पिता शुभलाभ के हे भवदाता। 

छोड़ के गोदी माँ गौरी की आओ, 

तुम्हे आज भक्त तुम्हारा बुलाता।


चतुःषष्ठि योगिनी



ज्ञान की दायिनी बुद्धि प्रदायिनी, 

दूर करो मन का अंधियारा।

मूढ़ हूँ मैं असहाय हूँ मै, 

जननी ममता का माँ दे दो सहारा।। 

मातु कृपा करि कष्ट हरो, 

अपराध विसार के आज हमारा।

देवी तुम्हारी करूँ विनती, 

शरणागत है यह पुत्र तुम्हारा।।


गंगाजी


हे भय हारिणि हे भवतारिणि 

शोक विनासिनी पावनि गंगा। 

शंभुजटा में विराज रही 

शुभदायिनी मोक्ष प्रदायिनी गंगा।।

भागिरथी जननी जन की 

शुचि अमृत धार प्रवाहिनि गंगा। 

कष्ट हरो दुःख दूर करो, 

शुभ दायिनि हे वर दायिनि गंगा।।


वास्तु पुरुष श्री हनुमान जी 


जय रघुनन्दन है सत बन्दन,

भाल पे चन्दन की छविन्यारी।

सिय के कन्त प्रभु हनुमन्त 

कृपा करि के सुधि लीजै हमारी।। 

भक्‍तों की कामना पूर्ण करें, 

तो आज हमारी भी आयी है बारी। 

राम का नाम जपें जी सदा, 

कट जाते हैं संकट भारी से भारी।।


वरुण देव


वास करहिं मुख में लक्ष्मीपति, 

कण्ठ में वास करें त्रिपुरारी। 

मूल में ब्रह्मा निवास करें, 

मध्य में माताएं मंगलकारी।।

सागर द्विप नदी वसुधा, 

सब तीरथ वेद भी है शुभकारी। 

हे वरुण देव विराजो यहाँ, 

दुःख दूर करो विनती है हमारी।।


श्री विष्णु ध्यानम्


हाथ में चक्र रहे जिनके 

अरु शेष की शय्या विराज रहे हैं। 

भक्त का मान सदा रखते 

निज भक्त का भाव निहार रहे हैं।। 

ध्यान करें जो सदा इनका 

उसकी मनसा को सवाँर रहे हैं। 

हे शालिग्राम ! हे विष्णु चतुर्भुज ! 

आपको भक्त पुकार रहे हैं।।


क्षेत्रपाल ध्यानम्


यज्ञ की रक्षा करें जो सदा, 

और काशी के कोतवाल कहाते। 

भक्तों की कामना पूर्ण करें, 

माता वैष्णों के धाम की शोभा बढ़ाते।। 

कष्ट अमंगल दूर करें, 

कर जोरि के आज है शीश नवाते। 

हे अष्ट भैरव सुनो विनती 

हो के आतुर भक्त तुम्हारे बुलाते ।।


नवग्रह ध्यानम्


सूर्य हरें तम कष्ट करें कम, 

चन्द्र बड़े मुद मंगलकारी। 

बुद्धि पवित्र करे बुध नित्य, 

बढ़ावत ज्ञान गुरु सुखकारी।। 

सुचि शुक्र सदैव करे, 

शनि शोक हरें रवि दृष्टि निहारी। 

राहु रहें गति, केतु करें मति, 

दिव्य नवग्रह सोहत भारी।।


शिव जी ध्यानम्


शीश पे गंगा है कण्ठ भुजंगा 

हे कोटि अनंग लजावन वाले। 

हाथ त्रिशूल है नाशक शूल 

वही डमरू के बजावन वाले।। 

मृगछाल सुशोभित है कटि पे 

और भक्त की लाज बचावन वाले। 

शंकर की महिमा है अपार 

ये दानी बड़े हैं बड़े भोले भाले।।


श्री देवी जी ध्यानम्


शक्ति स्वरूपा सुमंगलकारिणी, 

काज सवाँरती हो सबके माँ।

होति कृपा जो तुम्हारी रहे तो, 

बने सब काज न देर लगे माँ।।

सीता ने पूजा तुम्हारी किया तो 

प्रसन्न हुई वर राम मिले माँ।

मेरी भी कामना पूर्ण करो, 

मातु गौरी हमारा भी कष्ट हरो माँ।।


षोडश मातृका


गणनाथ के साथ उमा पदमा, 

शचि मेधा कृपा करि दीजे सहारा।

सावित्री विजया और जया, 

देवसेना स्वधा करुणामय धारा।।

स्वाहा स्वधा लोकमाता धृति, 

शुचि पुष्टि व तुष्टि हरौ महि भारा।

आत्मानः कुलदेवता है षोडश, 

पूर्ण करो शुभ काम हमारा।।


सप्तघृत मातृका


सातहुं विन्दु पे सातहुं माता,

श्री लक्ष्मी धृति मेधा जी आओ।

स्वाहा सुप्रभा सरस्वती मातु, 

हमें भय सिंधु से पार लगाओ।। 

है बसुधारा सदा वसुधा 

तल पे करुणामय धार बहाओ। 

पूजा में आय सनाथ करो मॉं

भक्त के माथे माँ हाथ लगाओ।।

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