शनिवार, 26 मार्च 2011

श्री भैरव चालीसा Shri Bhairav Chalisa

श्री भैरव चालीसा Shri Bhairav Chalisa



दोहा


श्री भैरव संकट हरन, मंगल करन कृपाल।
करहु दया जि दास पे, निशिदिन दीनदयाल।।

चौपाई

जय डमरूधर नयन विशाला, श्यामवर्ण, वपु महाकराला।
जय त्रिशूलधर जय डमरूधर, काशी कोतवाल, संकट हर।

जय गिरिजासुत परम कृपाला, संकट हरण हरहुं भ्रमजाला।
जयति बटुक भैरव भयहारी, जयति काल भैरव बलधारी।

अष्ट रूप तुम्हरे सब गाये, सकल एक ते एक सिवाये।
शिवस्वरूप शिव के अनुगामी, गणाधीश तुम सब के स्वामी।

जटाजूट पर मुकुट सुहावै, भालचन्द्र अति शोभा पावै।
कटि करधनी घुंघरू बाजै, दर्शन करत सकल भय भाजै।

कर त्रिशूल डमरू अति सुन्दर, मोरपंख को चंवर मनोहर।
खप्पर खड्ग लिये बलवाना, रूप चतुर्भुज नाथ बखाना।

वाहन श्वान सदा सुखरासी, तुम अनन्त प्रभु तुम अविनाशी।
जय जय जय भैरव भय भंजन, जय कृपालु भक्तन मनरंजन।

नयन विशाल लाल अति भारी, रक्तवर्ण तुम अहहु पुरारी।
बं बं बं बोलत दिनराती, शिव कहं भजहुं असुर आराती।

एक रूप तुम शम्भु कहाये, दूजे भैरव रूप बनाये।
सेवक तुमहिं तुमहिं प्रभु स्वामी, सब जग के तुम अन्तर्यामी।

रक्तवर्ण वपु अहहि तुम्हारा, श्यामवर्ण कहुं होई प्रचारा।
श्वेतवर्ण पुनि कहा बखानी, तीनि वर्ण तुम्हरे गुणखानी।

तीन नयन प्रभु परम सुहावहिं, सुर नर मुनि सब ध्यान लगावहिं।
व्याघ्र चर्मधर तुम जग स्वामी, प्रेतनाथ तुम पूर्ण अकामी।

चक्रनाथ नकुलेश प्रचण्डा, निमिष दिगम्बर कीरति चण्डा।
क्रोधवत्स भूतेश कालधर, चक्रतुण्ड दशबाहु व्यालधर।

अहहिं कोटि प्रभु नाम तुम्हारे, जयत सदा मेटत दुख भारे।
चैसठ योगिनी नाचहिं संगा, कोधवान तुम अति रणरंगा।

भूतनाथ तुम परम पुनीता, तुम भविष्य तुम अहहू अतीता।
वर्तमान तुम्हारो शुचि रूपा, कालजयी तुम परम अनूपा।

ऐलादी को संकट टार्यो, सदा भक्त को कारज सारयो।
कालीपुत्र कहावहु नाथा, तव चरणन नावहुं नित माथा।

श्री क्रोधेश कृपा विस्तारहु, दीन जानि मोहि पार उतारहु।
भवसागर बूढत दिन-राती, होहु कृपालु दुष्ट आराती।

सेवक जानि कृपा प्रभु कीजै, मोहिं भगति अपनी अब दीजै।
करहुं सदा भैरव की सेवा, तुम समान दूजो को देवा।

अश्वनाथ तुम परम मनोहर, दुष्टन कहं प्रभु अहहु भयंकर।
तम्हरो दास जहां जो होई, ताकहं संकट परै न कोई।

हरहु नाथ तुम जन की पीरा, तुम समान प्रभु को बलवीरा।
सब अपराध क्षमा करि दीजै, दीन जानि आपुन मोहिं कीजै।

जो यह पाठ करे चालीसा, तापै कृपा करहुं जगदीशा।

दोहा

जय भैरव जय भूतपति जय जय जय सुखकंद।
करहु कृपा नित दास पे देहुं सदा आनन्द।।


चित्र
shivashakti.com से साभार

3 टिप्‍पणियां:

  1. Jai Maa Durge teri Sada hi Jai ho.
    JAI MATA DI jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di jai mata di JAIKARA SHERAWALI DA BOL SACHCHEY DARBAAR KI JAI....

    जवाब देंहटाएं

हमें खुशी होगी यदि आप हमारे टेलीग्राम चैनल https://t.me/e_stuti से भी जुड़ेंगे। आभार