सोमवार, 7 अगस्त 2023

श्री गोलू देव की आरती || Shri Golu Dev Ki Aarti Lyrics in Hindi \\जय गोलज्यू महाराज \\ Jay Goljyu Maharaj

श्री गोलू देव की आरती || Shri Golu Dev Ki Aarti Lyrics in Hindi || Lyrics in English


जय गोलज्यू महाराज,

जय हो जय गोलज्यू महाराज ..!


जय गोल ज्यू महाराज,

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


ज्योत जगुनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


जय गोल ज्यू महाराज,

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जगुनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


पाड़ी में बगन तू आछे ,

लुवे को पिटार में नादान,

(देवा लुवे को पीटार में नादान)

गोरी घाट भाना पायो..

पड़ी गयो गोरिया नाम..!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


हरुआ, कलुवा भाई तेरो,

बड़ छेना जो दीवान..!

माता कालिंका तेरी…

बाबू झालो राज…!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


जय हो जय गोल ज्यू महाराज

जय हो जय गोल ज्यू महाराज

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


सुखिले लुकड़ टांक तेरो

कांठ का घोड़ में सवार !

(देवा काठ को घोड़ में सवार )

लुवे की लगाम हाथयू में..

चाबुक छू हथियार…!!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..!!


जय हो जय गोल ज्यू महाराज .

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


न्याय तेरो हूँ साची,

सब उनी तेरो द्वार,

देवा सब उनी तेरो द्वार !

जो मांखी तेरो नो ल्यूं …

लगे वीक नय्या पार !


जय गोल ज्यू महाराज !!

जय हो जय गोल ज्यू महाराज .

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


दूध, बतास और नारियल,

फूल चडनी तेरो द्वार,

देवा फूल चडनी तेरो द्वार !

प्रथम मंदीर चम्पावत..

फिर चितई, घोड़ाखाल.!

जय गोल ज्यू महाराज !!


जय हो जय गोल ज्यू महाराज .

जय हो जय गोल ज्यू महाराज ..

ज्योति जलूनों तेरी…

सुफल करिए काज….!

जय गोल ज्यू महाराज !!


*****

(2)


ॐ जय-जय गोल्ज्यू महाराज, 

स्वामी जय गोल्ज्यू महाराज ।

कृपा करो हम दीन रंक पर, 

दुख हरियो प्रभु आज ।।ॐ।।


राज झलराव के तुम बालक होकर, 

जग में बड़े बलवान ।

सब देवों में तुम्हारा, 

प्रथम मान है आज ।। ॐ जय ।।


भान धेवर में धर्म पुत्र बनकर, 

काठ के घोड़े में चढ़ कर ।

दिखाये कई चमत्‍कार, 

किया सभी का उद्धार ।। ॐ जय।।


जो भी भक्तगण भक्तिभाव से, 

गोल्ज्यू दरबार में आये ।

शीश प्रभु के चरणों मे झुकाये, 

उसकी सब बधाये ।

और विघ्न गोल्ज्यू हर लेते ।। ॐ जय ।।


न्याय देवता है प्रभु करते है इंसाफ ।

क्षमा शांति दो हे गोल्ज्यू प्रमाण लो महाराज ।।ॐ जय ।।


जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे, 

प्रभु भक्ति सहित गावे ।

सब दुख उसके मिट जाते, 

पाप उतर जाते ।। ॐ जय ।।


बोलो न्याय देवता श्री 1008 गोल्ज्यू देवता की जय ।


*****
(3)
ओम जय गोलू देवा 
प्रभु जयगोलू स्‍वामी
सदा कृपा बरसाना 
सदा कृपा बरसाना 
हे अन्‍तर्यामी 
ओम जय गोलू स्‍वामी  

ओम जय गोलू देवा 
प्रभु जयगोलू स्‍वामी
सदा कृपा बरसाना 
सदा कृपा बरसाना 
हे अन्‍तर्यामी 
ओम जय गोलू स्‍वामी  

चम्‍पावत में जन्‍मे 
घर घर वास कियो 
प्रभु घर घर वास कियो 
दुखियों के दुख हरने 
दुखियों का दुख हरने 
मानव जन्‍म लियो 
ओम जय गोलू स्‍वामी 

श्‍वेताम्‍बर धारण कर  
श्‍वेत रंग प्रेमी 
प्रभु श्‍वेत रंग प्रेमी 
काष्‍ठ अश्‍व में राजत
काष्‍ठ अश्‍व में राजत
गति है अलबेली 
ओम जय गोलू स्‍वामी 

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श्री गोलू देव चालीसा || Shri Golu Dev Chalisa Lyrics in Hindi || Lyrics in English

श्री गोलू देव चालीसा || Shri Golu Dev Chalisa Lyrics in Hindi || Lyrics in English


॥ दोहा ॥

 

बुद्धिहीन हूँ नाथ मैं, करो बुद्धि का दान।

सत्य न्याय के धाम तुम, हे गोलू भगवान।।

 

जय काली के वीर सुत, हे गोलू भगवान।

सुमिरन करने मात्र से, कटते कष्ट महान।।

 

जप कर तेरे नाम को, खुले सुखों के द्वार।

जय जय न्याय गौरिया नमन करे स्वीकार।।

 

।। चौपाई ।।

 

जय जय ग्वेल महाबलवाना।

हम पर कृपा करो भगवाना।।

 

न्याय सत्य के तुम अवतारा।

दुखियों का दुख हरते सारा ।।

 

द्वार पे आके जो भी पुकारे।

मिट जाते पल में दुख सारे।।

 

तुम जैसा नहीं कोई दूजा ।

पुनित होके भी बिन सेवा पूजा ।।

 

शरण में आये नाथ तिहारी।

रक्षा करना हे अवतारी ।।

 

माँ की सौत थी अत्याचारी ।

तुमको कष्ट दिये अतिभारी ।।

 

झाड़ी में तुमको गिरवाया।

विविध भांतिथा तुम्हे सताया ।।

 

नदी मध्य जल में डुबवाया।

फिर भी मार तुम्हें नहीं पाया ।।

 

सरल हृदय था धेवरहे का।

हरिपद रति बहुनिगुनविवेका।।

 

भाना नाम सकल जग जाना।

जल में देख बाल भगवाना।।

 

मन प्रसन्न तन कुलकित भारी।

बोला जय हे नाथ तुम्हारी ।।

 

कर गयी बालक गोद उठायो।

हृदय लगा किहीं अति सुख पायो।।

 

मन प्रसन्न मुख वचन न आवा।

मन हूँ महानिधि धेवर पावा।।

 

नहूँ उरततेहि शिशु द्रिह ले आयो।

नाम गौरिया तब रखवायो।।

 

सकल काज तज शिशु संगरहयी।

देखी बाल लीला सुख लहयी ।।

 

करत खेल या चरज अनेका।

देखी चकित हुई बुद्धि विवेका।।

 

ध्यालु कथा सुनीं जब काना।

देखन चले ग्वेल भगवाना।।

 

देखनपति बालक मुस्काया।

जन्मकाल यें कांड सुनाया ।।

 

सौतेली जननी की करनी।

ग्वेल पति संग मुख सब बरनी ।।

 

निपति ग्वेल निज हृदय लगायो।

प्रेम पुरत नय नन जल पायो ।।

 

चल हूँ तात अब निजरज धामी।

दंड देव में सातों: रानी।।

 

काट - काट सिर कठिन कृपाना।

कुटिल नारी हरि लेहूँ में प्राणा ।।

 

हृदय कम्प ऊपजा अति क्रोधा।

दंड देहु सुत नारी अबोधा।।

 

सुनहुँ तात एक बात हमारी।

क्षमा करोहुँ ये सब नारी बिचारी।।

 

हम ही देखी होई मृतक समाना।

जब लगी जियें पड़ी पछताना।।

 

अयशतात केहि कारण लेहूँ।

मात सौत कह दंड न देहुँ ।।

 

दया वन्त प्रिय ग्वेल सुझाना।

मनुज नहीं तुम देव महाना ।।

 

अमर सदा हो नाम तुम्हारा।

ग्वेल गौरिया गोलू प्यारा ।।

 

राज करहुँ चम्पावत वीरा।

हरहुँ तात जन-जन की पीरा ।।

 

मात - पिता भय धन्य तुम्हारें।

उदय आज हुए पुण्य हमारे।।

 

पितुआ ज्ञाधर सविनय शीशा।

ग्वेल बनें चम्पावत ईशा।।

 

सत्य न्याय है तुम्हें प्यारा।

तीनों हित तुमने कनधारा।।

 

दुखियों के दुख देखन पाते।

सुनी पुकार तुम उस थल जाते।।

 

विश्व विविध है न्याय तुम्हारे।

निर्बल के तुम एक सहारे ।।

 

चितई नमला मंदिर तेरे।

बजते घंटे जहाज घनेरे ।।

 

घोड़ाखाल प्रिय धाम तुम्हारा।

चमड़खान तुमको अति प्यारा।।

 

ताड़ीखेत में महिमा न्यारी ।

चम्पावत रजधानी प्यारी ।।

 

गाँव - गाँव में थान तुम्हारें।

न्याय हेतु जन तुम ही पुकारें ।।

 

सदा कृपा करना हे स्वामी।

ग्वेल देव हे अन्तर्यामी ।।

 

ये दस बार पाठ कर जोई।

विपदा टरें सदा सुख होई ।।


।। दोहा ।।

जय गोलू जय गौरिया, जय काली के लाल।

मौसानी ना कर सकी, तेरा बांका बाल ।।

 

सुमिरन करके नाम का, मिटते कष्ट हजार ।

जय हे न्यायी देवता, हे गोलू अवतार ।।

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सोमवार, 28 नवंबर 2022

श्रीगणेशकवचम् // Shri Ganesh Kavacham // Shri Ganesh Kavacham in Hindi in Sanskrit // Lyrics in Hindi // Lyrics in English

श्रीगणेशकवचम् // Shri Ganesh Kavacham // Shri Ganesh Kavacham in Hindi in Sanskrit // Lyrics in Hindi // Lyrics in English



श्रीगणेशकवचम् 
श्रीगणेशाय नमः ॥
।। गौर्युवाच ।।
एषोऽतिचपलो दैत्यान्बाल्येऽपि नाशयत्यहो ।
अग्रे किं कर्म कर्तेति न जाने मुनिसत्तम।।1।।
*****
दैत्या नानाविधा दुष्टाः साधुदेवद्रुहः खलाः ।
अतोऽस्य कण्ठे किञ्चित्त्वं रक्षार्थं बद्धुमर्हसि।।2।।
*****
।। मुनिरुवाच ।।
ध्यायेत्सिंहहतं विनायकममुं दिग्बाहुमाद्ये युगे
त्रेतायां तु मयूरवाहनममुं षड्बाहुकं सिद्धिदम् ।
द्वापारे तु गजाननं युगभुजं रक्ताङ्गरागं विभुम्
तुर्ये तु द्विभुजं सिताङ्गरुचिरं सर्वार्थदं सर्वदा।।3।।
*****
विनायकः शिखां पातु परमात्मा परात्परः ।
अतिसुन्दरकायस्तु मस्तकं सुमहोत्कटः।।4।।
*****
ललाटं कश्यपः पातु भृयुगं तु महोदरः ।
नयने भालचन्द्रस्तु गजास्यस्त्वोष्ठपल्लवौ।।5।।
*****
जिह्वां पातु गणक्रीडश्चिबुकं गिरिजासुतः।
वाचं विनायकः पातु दन्तान् रक्षतु विघ्नहा।।6।।
*****
श्रवणौ पाशपाणिस्तु नासिकां चिन्तितार्थदः।
गणेशस्तु मुखं कण्ठं पातु देवो गणञ्जयः।।7।।
*****
स्कन्धौ पातु गजस्कन्धः स्तनौ विघ्नविनाशनः।
हृदयं गणनाथस्तु हेरंबो जठरं महान्।।8।।
*****
धराधरः पातु पार्श्वौ पृष्ठं विघ्नहरः शुभः।
लिङ्गं गुह्यं सदा पातु वक्रतुण्डो महाबलः।।9।।
*****
गणक्रीडो जानुसङ्घे ऊरु मङ्गलमूर्तिमान्।
एकदन्तो महाबुद्धिः पादौ गुल्फौ सदाऽवतु।।10।।
*****
क्षिप्रप्रसादनो बाहू पाणी आशाप्रपूरकः।
अङ्गुलीश्च नखान्पातु पद्महस्तोऽरिनाशनः।।11।।
*****
सर्वाङ्गानि मयूरेशो विश्वव्यापी सदाऽवतु।
अनुक्तमपि यत्स्थानं धूम्रकेतुः सदाऽवतु।।12।।
*****
आमोदस्त्वग्रतः पातु प्रमोदः पृष्ठतोऽवतु।
प्राच्यां रक्षतु बुद्धीश आग्नेयां सिद्धिदायकः।।13।।
*****
दक्षिणास्यामुमापुत्रो नैरृत्यां तु गणेश्वरः।
प्रतीच्यां विघ्नहर्ताऽव्याद्वायव्यां गजकर्णकः।।14।।
*****
कौबेर्यां निधिपः पायादीशान्यामीशनन्दनः।
दिवाऽव्यादेकदन्तस्तु रात्रौ सन्ध्यासु विघ्नहृत्।।15।।
*****
राक्षसासुरवेतालग्रहभूतपिशाचतः।
पाशाङ्कुशधरः पातु रजःसत्त्वतमः स्मृतिः।।16।।
*****
ज्ञानं धर्मं च लक्ष्मीं च लज्जां कीर्ति तथा कुलम्।
वपुर्धनं च धान्यं च गृहान्दारान्सुतान्सखीन्।।17।।
*****
सर्वायुधधरः पौत्रान् मयूरेशोऽवतात्सदा।
कपिलोऽजादिकं पातु गजाश्वान्विकटोऽवतु ।।18।।
*****
भूर्जपत्रे लिखित्वेदं यः कण्ठे धारयेत्सुधीः।
न भयं जायते तस्य  यक्षरक्षःपिशाचतः।।19।।
*****
त्रिसन्ध्यं जपते यस्तु वज्रसारतनुर्भवेत्।
यात्राकाले पठेद्यस्तु निर्विघ्नेन फलं लभेत्।।20।।
*****
युद्धकाले पठेद्यस्तु विजयं चाप्नुयाद्द्रुतम् ।
मारणोच्चाटकाकर्षस्तम्भमोहनकर्मणि ।।21।।
*****
सप्तवारं जपेदेतद्दिनानामेकविंशतिम् ।
तत्तत्फलवाप्नोति साधको नात्रसंशयः ।।22।।
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एकविंशतिवारं च पठेत्तावद्दिनानि यः ।
कारागृहगतं सद्योराज्ञा वध्यं च मोचयेत्।।23।।
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राजदर्शनवेलायां पठेदेतत्त्रिवारतः ।
स राजसं वशं नीत्वा प्रकृतीश्च सभां जयेत् ।।24।।
*****
इदं गणेशकवचं कश्यपेन समीरितम् ।
मुद्गलाय च ते नाथ माण्डव्याय महर्षये ।।25।।
*****
मह्यं स प्राह कृपया कवचं सर्वसिद्धिदम् ।
न देयं भक्तिहीनाय देयं श्रद्धावते शुभम् ।।26।।
*****
यस्यानेन कृता रक्षा न बाधास्य भवेत्क्वचित् ।
राक्षसासुरवेतालदैत्यदानवसम्भवा ।।27।।
*****
इति श्रीगणेशपुराणे उत्तरखण्डे बालक्रीडायां
षडशीतितमेऽध्याये गणेशकवचं सम्पूर्णम् ।।
*****

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रविवार, 13 नवंबर 2022

श्रीकाशीविश्वनाथस्तुतिः // Shri Kashi Vishwanath Stutih

श्रीकाशीविश्वनाथस्तुतिः // Shri Kashi Vishwanath Stutih // Lyrics in Hindi // Lyrics in English



दुर्गाधीशो द्रुतिज्ञो द्रुतिनुतिविषयो दूरदृष्टिर्दुरीशो

दिव्यादिव्यैकराध्यो द्रुतिचरविषयो दूरवीक्षो दरिद्रः ।

देवैः सङ्कीर्तनीयो दलितदलदयादानदीक्षैकनिष्ठो

दानी दीनार्तिहारी भवदवदहनो दीयतां दृष्टिवृष्टिः ॥ 1॥


क्षेत्रज्ञः क्षेत्रनिष्ठः क्षयकलितकलः क्षात्रवर्गैकसेव्यः

क्षेत्राधीशोऽक्षरात्मा क्षितिप्रथिकरणः क्षालितः क्षेत्रदृश्यः ।

क्षोण्या क्षीणोऽक्षरज्ञो क्षरपृथुकलितः क्षीणवीणैकगेयः

क्षौरः क्षोणीध्रवर्ण्यः क्षयतु मम बलक्षीणतां सक्षणं सः ॥ 2॥


क्रूरः क्रूरैककर्मा कलितकलकलैः कीर्तनीयः कृतिज्ञः

कालः कालैककालो विकलितकर्णः कारणाक्रान्तकीर्तिः ।

कोपः कोपेऽप्यकुप्यन् कुपितकरकराघातकीलः कृतान्तः

कालव्यालालिमालः कलयतु कुशलं वः करालः कृपालुः ॥ 3॥


गौरी स्निह्यतु मोदतां गणपतिः शुण्डामृतं वर्षताद्

नन्दीशः शुभवृष्टिमावितनुतां श्रीमान् गणाधीश्वरः ।

वायुः सान्द्रसुखावहः प्रवहतां देवाः समृद्धादयाः

सम्पूर्तिं दधतां सुखस्य नितरां विश्वेश्वरः प्रीयताम् ॥ 4॥


श्रीविश्वेश्वरमन्दिरं प्रविलसेत् सम्पूर्णसिद्धं शुभं

पुष्टं तुष्टसुखाकरं प्रभवतां सम्मोदमोदावहम् ।

एतद्दर्शनकामना जगति सञ्जायेत सन्निन्दतः

सर्वेषां भगवान् महेश्वरकृपापूर्णो निरीक्षेत नः ॥ 5॥


इति काशीपीठाधीश्वरः श्रीमहेश्वरानन्दः विरचिता

श्रीकाशीविश्वनाथस्तुतिः समाप्ता ।

*****

सूर्य नमस्कार // Surya Namaskar // Sun Salutation

सूर्य नमस्कार // Surya Namaskar // Sun Salutation 

सूर्य नमस्कार क्या है // What is Surya Namaskar in hindi?

सूर्य नमस्कार का शाब्दिक अर्थ सूर्य को अर्पण या नमस्कार करना है। यह योग आसन शरीर को सही आकार देने और मन को शांत व स्वस्थ रखने का उत्तम तरीका है। सूर्य नमस्कार १२ शक्तिशाली योग आसनों का एक समन्वय है, जो एक उत्तम कार्डियो-वॅस्क्युलर व्यायाम भी है और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

सूर्य नमस्कार करने के क्‍या लाभ हैं ? What are the benefits of doing Surya Namaskar?

यदि हम प्रतिदिन नियम से सूर्य नमस्कार का अभ्‍यास करेंगे तो हमें किसी भी तरह के अन्‍य व्‍यायाम एवं योगासन करने की आवश्‍यकता नहीं पड़ेगी। प्रतिदिन सुबह के समय सूर्य के सामने इसे करने से शरीर को पर्याप्‍त मात्रा में विटामिन डी प्राप्‍त होता है जिससे शरीर को मजबूती मिलने के साथ ही स्वस्थ रखने में भी मदद मिलती है।

सूर्य नमस्कार कैसे किया जाता है? // How to do Surya Namaskar?

1. प्रणामासन // Pranamasana

खुले मैदान में योगा मैट के ऊपर खड़े हो जाएं और सूर्य को नमस्कार करने के हिसाब से खड़े हो जाएं। सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथों को जोड़ कर सीने से सटा लें और गहरी, लंबी सांस लेते हुए आराम की अवस्था में खड़े हो जाएं।


2. हस्तउत्तनासन // Hastuttanasana

पहली अवस्था में खड़े रहते हुए सांस लीजिए और हाथों को ऊपर की ओर उठाएं। और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथ कानों से सटे हुए हों। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।


3. पादहस्तासन // Pada Hastasana

सूर्य नमस्कार की यह खासियत होती है कि इसके सारे चरण एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं। हस्तोतानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है। इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरे-धीरे छोड़ना होता है। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों। 


4. अश्व संचालनासन // Ashwa Sanchalanasana

हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस लें और बांए पैर को पीछे की ओर ले जाएं और दांये पैर को घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं। हाथों को जमीन पर पूरे पंजों को फैलाकर रखें। ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं।


5. दंडासन // Dandasana

गहरी सांस लेते हुए दांये पैर को भी पीछे की ओर ले जाएं और शरीर को एक सीध में रखे और हाथों पर जोर देकर इस अवस्था में रहें। 


6. अष्टांग नमस्कार // Ashtanga Namaskar

अब धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें। पूरे शरीर पर ठोड़ी, छाती, हाथ, पैर को जमीन पर छुआएं और अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं।


7. भुजंगासन // Bhujangasana

कोहनी को कमर से सटाते हुए हाथों के पंजे के बल से छाती को ऊपर की ओर उठाएं। गर्दन को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं। 


8. अधोमुख शवासन // Adhomukh Shavasana

भुजंगासन से सीधे इस अवस्था में आएं। अधोमुख शवासन के चरण में कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं लेकिन पैरों की एड़ी जमीन पर टिका कर रखें। शरीर को अपने V के आकार में बनाएं।


9. अश्व संचालासन // Ashwa Sanchalasana

अब एक बार फिर से अश्व संचालासन की मुद्रा में आएं लेकिन ध्यान रहें अबकी बार बांये पैर को आगे की ओर रखें।


10. पादहस्तासन // Padahastasana

अश्न संचालनासन मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद अब पादहस्तासन की मुद्रा में आएं। इसके लिए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। ध्यान रहें कि इस दौरान सांसों को धीरे-धीरे छोड़ना होता है। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों।


11. हस्तउत्तनासन // Hastuttanasan

पादहस्तासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद हस्तउत्तनासन की मुद्रा में वापस आ जाएं। इसके लिए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और पीछे की ओर थोड़ा झुकें। हाथों को पीछे ले जाते हुए शरीर को भी पीछे की ओर ले जाएं।


12. प्रणामासन // Pranamasan

हस्तउत्तनासन की मुद्रा से सामान्य स्थिति में वापस आने के बाद सूर्य की तरफ चेहरा कर एक बार फिर से प्रणामासन की मुद्रा में आ जाएं।


सूर्यनमस्कार मन्‍त्र  // Sun Salutation Mantra 


ॐ ध्येयः सदा सवितृमण्डल मध्यवर्ति

नारायणः सरसिजासन्संनिविष्टः ।

केयूरवान मकरकुण्डलवान किरीटी

हारी हिरण्मयवपुधृतशंखचक्रः ।।


ॐ ह्रां मित्राय नमः ।

ॐ ह्रीं रवये नमः ।

ॐ ह्रूं सूर्याय नमः ।

ॐ ह्रैं भानवे नमः ।

ॐ ह्रौं खगाय नमः ।

ॐ ह्रः पूष्णे नमः ।

ॐ ह्रां हिरण्यगर्भाय नमः ।

ॐ ह्रीं मरीचये नमः ।

ॐ ह्रूं आदित्याय नमः ।

ॐ ह्रैं सवित्रे नमः ।

ॐ ह्रौं अर्काय नमः ।

ॐ ह्रः भास्कराय नमः ।

ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रः

ॐ श्रीसवितृसूर्यनारायणाय नमः ।।


आदितस्य नमस्कारान् ये कुर्वन्ति दिने दिने

जन्मान्तरसहस्रेषु दारिद्र्यं दोषनाशते ।

अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्

सूर्यपादोदकं तीर्थं जठरे धारयाम्यहम् ।।


योगेन चित्तस्य पदेन वाचा मलं शरीरस्य च वैद्यकेन ।

योपाकरोत्तं प्रवरं मुनीनां पतंजलिं प्रांजलिरानतोऽस्मि ।।

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