शनिवार, 16 मई 2020

सिया रघुवर जी की आरती || Siya Raghubar Ji Ki Aarti || राम भजन || Ram Bhajan

सिया रघुवर जी की आरती || Siya Raghubar Ji Ki Aarti || राम भजन || Ram Bhajan

सिया रघुवर जी की आरती ,

शुभ आरती कीजै।


शीश मुकुट काने कुंडल सोहे -२

राम लखन सिया जानकी, शुभ आरती कीजै।

सिया रघुवर जी की आरती ,

शुभ आरती कीजै।


मोर मुकुट माथे पर सोहे -२

राधा सहित घनश्याम की, शुभ आरती कीजै।

सिया रघुवर जी की आरती 

शुभ आरती कीजै।


अक्षत चंदन घी की बाती -२

उमा सहित महादेव की, शुभ आरती कीजै।

सिया रघुवर जी की आरती 

शुभ आरती कीजै।


मम दुख हरणी मंगल करणी-२

आरती लक्ष्मी गणेश की, शुभ आरती कीजै।

सिया रघुवर जी की आरती 

शुभ आरती कीजै।


अलख निरंजन असुर निकन्दन-२

अंजनि लला हनुमान की, शुभ आरती कीजै।

सिया रघुवर जी की आरती 

शुभ आरती कीजै।


रामदेव अउरी कुलदेवता -२

माता पिता गुरुदेव की, शुभ आरती कीजै।

सिया रघुवर जी की आरती 

शुभ आरती कीजै।


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हे सियावर तेरी आरती गाऊं
जगत पिता रघुरैया की आरती
नख शिख छवि धर की आरती करिए सियावर की
सखी हे आरती उतारू रघुनंदन दूल्हा के lyrics
सखी आरती करो रस प्रेम भरी लिरिक्स
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श्री भागवत भगवान की है आरती लिरिक्‍स || Shri Bhagwat Bhagwan Ki Hai Aarti Lyrics in Hindi and English

श्री भागवत भगवान की है आरती लिरिक्‍स || Shri Bhagwat Bhagwan Ki Hai Aarti Lyrics in Hindi and English

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श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती। 
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ये अमर ग्रन्थ ये मुक्ति पन्थ
ये पंचम वेद निराला
नव ज्योति जलाने वाला
हरि नाम यही हरि धाम यही-२
जग के मंगल की आरती
पापियों को पाप से है तारती
श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
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ये शान्ति गीत पावन पुनीत
पापों को मिटाने वाला
हरि दरश कराने वाला
ये सुख करनी, ये दुःख हरिनी-२
श्री मधुसूदन की आरती
पापियों को पाप से है तारती
श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।  
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ये मधुर बोल, जग फन्द खोल
सतमार्ग बताने वाला
बिगड़ी को बनानेवाला
श्री राम यही, घनश्याम यही-२
प्रभु की महिमा की आरती
पापियों को पाप से है तारती
श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
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श्री भागवत भगवान की है आरती,
पापियों को पाप से है तारती।
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श्री भागवत भगवान की है आरती लिरिक्‍स || Shri Bhagwat Bhagwan Ki Hai Aarti Lyrics in Hindi and English

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Shrī bhāgavat bhagavān kī hai āratī,
Pāpiyoan ko pāp se hai tāratī। 
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Ye amar grantha ye mukti pantha
Ye pancham ved nirālā
Nav jyoti jalāne vālā
Hari nām yahī hari dhām yahī-2
Jag ke mangal kī āratī
Pāpiyoan ko pāp se hai tāratī
Shrī bhāgavat bhagavān kī hai āratī,
Pāpiyoan ko pāp se hai tāratī।
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Ye shānti gīt pāvan punīta
Pāpoan ko miṭāne vālā
Hari darash karāne vālā
Ye sukh karanī, ye duahkha harinī-2
Shrī madhusūdan kī āratī
Pāpiyoan ko pāp se hai tāratī
Shrī bhāgavat bhagavān kī hai āratī,
Pāpiyoan ko pāp se hai tāratī।  
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Ye madhur bola, jag fanda khola
Satamārga batāne vālā
Bigaḍa़ī ko banānevālā
Shrī rām yahī, ghanashyām yahī-2
Prabhu kī mahimā kī āratī
Pāpiyoan ko pāp se hai tāratī
Shrī bhāgavat bhagavān kī hai āratī,
Pāpiyoan ko pāp se hai tāratī।
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Shrī bhāgavat bhagavān kī hai āratī,
Pāpiyoan ko pāp se hai tāratī।
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मंगलवार, 1 मई 2018

सरस्‍वती वन्‍दना || Saraswati Vandana || हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी || He Hansvahini Gyandayini

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

जग सिरमौर बनाएं भारत,

वह बल विक्रम दे। वह बल विक्रम दे॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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साहस शील हृदय में भर दे,

जीवन त्याग-तपोमर कर दे,

संयम सत्य स्नेह का वर दे,

स्वाभिमान भर दे। स्वाभिमान भर दे॥1॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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लव, कुश, ध्रुव, प्रहलाद बनें हम,

मानवता का त्रास हरें हम,

सीता, सावित्री, दुर्गा मां,

फिर घर-घर भर दे। फिर घर-घर भर दे॥2॥

हे हंसवाहिनी-ज्ञानदायिनी

अम्ब विमल मति दे। अम्ब विमल मति दे॥

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रविवार, 15 अप्रैल 2018

सरस्वती वंदना || वीणावादिनी बुद्धि की दाता || Saraswati Vandana || Veena Vadini Buddhi Ki Data



वीणावादिनी बुद्धि की दाता

वीणावादिनी, स्वरदायिनी माँ

नारायणी स्वर दो !


सिद्धि दायिनी वीणाधारिणी

कर करतब करि कारिणी माँ

स्वर्दायिनी स्वर दो !


ब्रह्माणी, शिव पूजनी

दिन रात सदा मनभावनी माँ

वीणावादिनी स्वर दो !


जय -जय -जय माँ दाता

जय -जय -जय जयकारिणी

वीणा वादिनी स्वर दो !


जिह्वा पर नित वास करो

हिय में माँ उल्लास भरो

वीणा वादिनी स्वर दो !


परमारथ हो ह्रदय में माँ

निर्मल मन मेरा कर दो

वीणा वादिनी स्वर दो !


काया कल्प करो तनका

प्रतिपल माँ तूँ वर दो

वीणा वादिनी स्वर दो !


करुणा तेज भरो तन में

सागर सा वाणी मन दो

वीणा वादिनी स्वर दो !!


आभार - यह वन्‍दना श्री सुखमंगल सिंह जी द्वारा उपलब्‍ध कराई गयी है इस हेतु हार्दिक आभार। 

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बुधवार, 21 मार्च 2018

दुर्गा मैया की आरती || जय अम्‍बे गौरी, मैया जय श्‍यामा गौरी || Durga Aarti || Jay Ambe Gauri

दुर्गा मैया की आरती || जय अम्‍बे गौरी, मैया जय श्‍यामा गौरी || Durga Aarti || Jay Ambe Gauri

जय अम्‍बे गौरी, मैया जय श्‍यामा गौरी।

तुमको निशदिन ध्‍यावत , हरि ब्रह्मा शिवरी।। जय० ।।


मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।

उज्‍ज्‍वल से दोउ नैना, चन्‍द्रबदन नीको ।। जय० ।।


कनक समान कलेवर, रक्‍ताम्‍बर राजै।

रक्‍त पुष्‍प गलमाला, कण्‍ठन पर साजै।। जय० ।।


केहरि वाहन राजत, खड़ग खप्‍परधारी।

सुर नर मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी।। जय० ।।


कानन कुण्‍डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चन्‍द्र दिवाकर, राजत सम ज्‍योति।। जय० ।।


शुम्‍भ निशुम्‍भ विाडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती।। जय० ।।


चण्‍ड मुण्‍ड संघारे, शोणित बीज हरे।

मधुकैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय० ।।


ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय० ।।


चौसठ योगिनी गावत, ऩत्‍य करत भैरो।

बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू ।। जय० ।।


तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता।

भक्‍तन की दुख हरता, सुख-सम्‍पत्ति करता।। जय० ।।


भुजा चार अति शोभित, खड़ग खप्‍पर धारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर रानी।। जय० ।।


कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्‍योति।। जय० ।।


श्री अम्‍बे जी की आरती, जो कोई नद गावै।

कहत शिवानन्‍द स्‍वामी, सुख सम्‍पति पावै।। जय० ।।



सब प्रेम से बोलो अम्‍बे मैया की जय
दुर्गा मैया की जय