यह ब्लॉग धार्मिक भावना से प्रवृत्त होकर बनाया गया है। इस ब्लॉग की रचनाएं श्रुति एवं स्मृति के आधार पर लोक में प्रचलित एवं विभिन्न महानुभावों द्वारा संकलित करके पूर्व में प्रकाशित की गयी रचनाओं पर आधारित हैं। ये ब्लॉगर की स्वयं की रचनाएं नहीं हैं, ब्लॉगर ने केवल अपने श्रम द्वारा इन्हें सर्वसुलभ कराने का प्रयास किया है। इसी भाव के साथ ईश्वर की सेवा में ई-स्तुति
शनिवार, 16 दिसंबर 2017
जय प्रेतराज कृपालु मेरी ||प्रेतराज सरकार की आरती || Pretraj Sarkar Ki Aarti Lyrics in Hindi and English
शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017
श्री बृहस्पति देव जी की आरती || Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti || जय बृहस्पति देवा || Jay Brihaspati Deva
श्री बृहस्पति देव जी की आरती || Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti || जय बृहस्पति देवा || Jay Brihaspati Deva
जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा।
छिन छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा॥
ॐ जय बृहस्पति देवा ।।१।।
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।।२।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।
ॐ जय बृहस्पति देवा।।३।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।।४।।
दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।।५।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।।६।।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।
जेष्ठानंद आनंदकर, सो निश्चय पावे॥
ॐ जय बृहस्पति देवा।।७।।
सब बोलो विष्णु भगवान की जय!
बोलो बृहस्पतिदेव की जय!!
विनम्र अनुरोध: अपनी उपस्थिति दर्ज करने एवं हमारा उत्साहवर्धन करने हेतु कृपया टिप्पणी (comments) में जय श्री बृहस्पति देेव अवश्य अंकित करें।
गुरुवार, 30 नवंबर 2017
नर्मदाष्टकं || Narmadashtakam || सविंदुसिंधु-सुस्खलत्तरंगभंग-रंजितं || Savindusindhu
नर्मदाष्टकं || Narmadashtakam || सविंदुसिंधु-सुस्खलत्तरंगभंग-रंजितं || Savindusindhu
(विश्ववन्दित भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा रचित नर्मदाष्टकं)
रविवार, 29 अक्तूबर 2017
श्री नर्मदा जी की आरती || Shri Narmada Ji Ki Aarti || जय जगदानन्दी, मैया जय जगदानन्दी || Jay Jagadanandi
जय जगदानन्दी || नर्मदा मैया की आरती || Narmada Mata Ki Aarty Lyrics in Hindi and English
**जय जगदानन्दी,
मैया जय जगदानन्दी।
जय जगदानन्दी,
मैया जय जगदानन्दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर,
रेवा शिव हरि शंकर,
रुद्री पालन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी।।
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नारद शारद तुम वरदायक,
अभिनव पद चण्डी।
हो मैया अभिनव पद चण्डी।
सुर नर मुनि जन सेवत,
सुर नर मुनि जन सेवत।
शारद पद वन्दी।
ॐ जय जगदानन्दी।।
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धूम्रक वाहन राजत,
वीणा वादन्ती।
हो मैया वीणा वादन्ती।
झुमकत-झनकत-झननन,
झुमकत-झनकत-झननन
रमती राजन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी।।
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बाजत ताल मृदंगा,
सुर मण्डल रमती।
हो मैया सुर मण्डल रमती।
तुडितान- तुडितान- तुडितान,
तुरडड तुरडड तुरडड
रमती सुरवन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी।।
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सकल भुवन पर आप विराजत,
निशदिन आनन्दी।
हो मैया निशदिन आनन्दी।
गावत गंगा शंकर,
सेवत रेवा शंकर
तुम भव भय हंती।
ॐ जय जगदानन्दी।।
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कंचन थाल विराजत,
अगर कपूर बाती।
हो मैया अगर कपूर बाती।
अमरकंटक में राजत,
घाट घाट में राजत
कोटि रतन ज्योति।
ॐ जय जगदानन्दी।।
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मैयाजी की आरती
निशदिन जो गावे,
हो रेवा जुग-जुग जो गावे
भजत शिवानन्द स्वामी
जपत हरिहर स्वामी
मनवांछित पावे।
ॐ जय जगदानन्दी।।
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जय जगदानन्दी || नर्मदा मैया की आरती || Narmada Mata Ki Aarty Lyrics in Hindi and English
Jaya jagadānandī,
Maiyā jaya jagadānandī।
Jaya jagadānandī,
Maiyā jaya jagadānandī।
Brahmā harihar shankara,
Revā shiv harai shankara,
Rudrī pālantī।
Aum jaya jagadānandī।।
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Nārad shārad tum varadāyaka,
Abhinav pad chaṇḍī।
Ho maiyā abhinav pad chaṇḍī।
Sur nar muni jan sevata,
Sur nar muni jan sevata।
Shārad pad vandī।
Aum jaya jagadānandī।।
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Dhūmrak vāhan rājata,
Vīṇā vādantī।
Ho maiyā vīṇā vādantī।
Zumakata-jhanakata-jhananana,
Zumakata-jhanakata-jhananana
Ramatī rājantī।
Aum jaya jagadānandī।।
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Bājat tāl mṛudangā,
Sur maṇḍal ramatī।
Ho maiyā sur maṇḍal ramatī।
Tuḍitāna- tuḍitāna- tuḍitāna,
Turaḍaḍ turaḍaḍ turaḍaḍa
Ramatī suravantī।
Aum jaya jagadānandī।।
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Sakal bhuvan par āp virājata,
Nishadin ānandī।
Ho maiyā nishadin ānandī।
Gāvat gangā shankara,
Sevat revā shankara
Tum bhav bhaya hantī।
Aum jaya jagadānandī।।
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Kanchan thāl virājata,
Agar kapūr bātī।
Ho maiyā agar kapūr bātī।
Amarakanṭak mean rājata,
Ghāṭ ghāṭ mean rājata
Koṭi ratan jyoti।
Aum jaya jagadānandī।।
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Maiyājī kī āratī
Nishadin jo gāve,
Ho revā juga-jug jo gāve
Bhajat shivānanda swāmī
Japat haraihar swāmī
Manavāanchhit pāve।
Aum jaya jagadānandī।।
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