मंगलवार, 25 अक्तूबर 2011

श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा || Shri Vaibhav Laxmi Vrat Katha || शुक्रवार व्रत कथा || Shukravar Vrat Katha

श्री वैभव लक्ष्मी व्रत कथा || Shri Vaibhav Laxmi Vrat Katha || शुक्रवार व्रत कथा || Shukravar Vrat Katha


सुख, शांति, वैभव और लक्ष्मी प्राप्ति के लिए अद्भुत चमत्कारी प्राचीन व्रत

वैभव लक्ष्मी व्रत करने का नियम Vaibhav Lakshmi Vrat Karne Ka Niyam

1. यह व्रत सौभाग्यशाली स्त्रियां करें तो उनका अति उत्तम फल मिलता है, पर घर में यदि सौभाग्यशाली स्त्रियां न हों तो कोई भी स्त्री एवं कुमारिका भी यह व्रत कर सकती है।
2. स्त्री के बदले पुरुष भी यह व्रत करें तो उसे भी उत्तम फल अवश्य मिलता है।
3. यह व्रत पूरी श्रद्धा और पवित्र भाव से करना चाहिए। खिन्न होकर या बिना भाव से यह व्रत नहीं करना चाहिए। 
4. यह व्रत शुक्रवार को किया जाता है। व्रत शुरु करते वक्त 11 या 21 शुक्रवार की मन्नत रखनी पड़ती है और बताई गई शास्त्रीय विधि अनुसार ही व्रत करना चाहिए। मन्नत के शुक्रवार पूरे होने पर विधिपूर्वक और बताई गई शास्त्रीय रीति के अनुसार उद्यापन करना चाहिए। यह विधि सरल है। किन्तु शास्त्रीय विधि अनुसार व्रत न करने पर व्रत का जरा भी फल नहीं मिलता है। 
5. एक बार व्रत पूरा करने के पश्चात फिर मन्नत कर सकते हैं और फिर से व्रत कर सकते हैं।
6. माता लक्ष्मी देवी के अनेक स्वरूप हैं। उनमें उनका ‘धनलक्ष्मी’ स्वरूप ही ‘वैभवलक्ष्मी’ है और माता लक्ष्मी को श्रीयंत्र अति प्रिय है। व्रत करते समय माता लक्ष्मी के विविध स्वरूप यथा श्रीगजलक्ष्मी, श्री अधिलक्ष्मी, श्री विजयलक्ष्मी, श्री ऐश्वर्यलक्ष्मी, श्री वीरलक्ष्मी, श्री धान्यलक्ष्मी एवं श्री संतानलक्ष्मी तथा श्रीयंत्र को प्रणाम करना चाहिए।
7. व्रत के दिन सुबह से ही ‘जय माँ लक्ष्मी’, ‘जय माँ लक्ष्मी’ का रटन मन ही मन करना चाहिए और माँ का पूरे भाव से स्मरण करना चाहिए।
8. शुक्रवार के दिन यदि आप प्रवास या यात्रा पर गये हों तो वह शुक्रवार छोड़कर उनके बाद के शुक्रवार को व्रत करना चाहिए अर्थात् व्रत अपने ही घर में करना चाहिए। कुल मिलाकर जितने शुक्रवार की मन्नत ली हो, उतने शुक्रवार पूरे करने चाहिए।
9. घर में सोना न हो तो चाँदी की चीज पूजा में रखनी चाहिए। अगर वह भी न हो तो रोकड़ रुपया रखना चाहिए।
10. व्रत पूरा होने पर कम से कम सात स्त्रियों को या आपकी इच्छा अनुसार जैसे 11, 21, 51 या 101 स्त्रियों को वैभवलक्ष्मी व्रत की पुस्तक कुमकुम का तिलक करके भेंट के रूप में देनी चाहिए। जितनी ज्यादा पुस्तक आप देंगे उतनी माँ लक्ष्मी की ज्यादा कृपा होगी और माँ लक्ष्मी जी के इस अद्भुत व्रत का ज्यादा प्रचार होगा।
11. व्रत के शुक्रवार को स्त्री रजस्वला हो या सूतकी हो तो वह शुक्रवार छोड़ देना चाहिए और बाद के शुक्रवार से व्रत शुरु करना चाहिए। पर जितने शुक्रवार की मन्नत मानी हो, उतने शुक्रवार पूरे करने चाहिए।
12. व्रत की विधि शुरु करते वक्त ‘लक्ष्मी स्तवन’ का एक बार पाठ करना चाहिए। लक्ष्मी स्तवन इस प्रकार है- 
या रक्ताम्बुजवासिनी विलसिनी चण्डांशु तेजस्विनीं।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी।।
या   रत्नाकरमन्थनात्प्रगटितां विष्णोस्वया गेहिनी।
सा   मां   पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती।।
अर्थात् - जो लाल कमल में रहती है, जो अपूर्व कांतिवाली हैं, जो असह्य तेजवाली हैं, जो पूर्णरूप से लाल हैं, जिसने रक्तरूप वस्त्र पहने हैं, जे भगवान विष्णु को अतिप्रिय हैं, जो लक्ष्मी मन को आनन्द देती हैं, जो समुद्रमंथन से प्रकट हुई है, जो विष्णु भगवान की पत्नी हैं, जो कमल से जन्मी हैं और जो अतिशय पूज्य है, वैसी हे लक्ष्मी देवी! आप मेरी रक्षा करें।

13. व्रत के दिन हो सके तो उपवास करना चाहिए और शाम को व्रत की विधि करके माँ का प्रसाद लेकर व्रत करना चाहिए। अगर न हो सके तो फलाहार या एक बार भोजन कर के शुक्रवार का व्रत रखना चाहिए। अगर व्रतधारी का शरीर बहुत कमजोर हो तो ही दो बार भोजन ले सकते हैं। सबसे महत्व की बात यही है कि व्रतधारी माँ लक्ष्मी जी पर पूरी-पूरी श्रद्धा और भावना रखे और ‘मेरी मनोकामना माँ पूरी करेंगी ही’, ऐसा दृढ़ विश्वास रखकर व्रत करे।

वैभवलक्ष्मी व्रत की कथा Vaibhav Lakshmi Vrat Ki Katha

एक बड़ा शहर था। इस शहर में लाखों लोग रहते थे। पहले के जमाने के लोग साथ-साथ रहते थे और एक दूसरे के काम आते थे। पर नये जमाने के लोगों का स्वरूप ही अलग सा है। सब अपने अपने काम में रत रहते हैं। किसी को किसी की परवाह नहीं। घर के सदस्यों को भी एक-दूसरे की परवाह नहीं होती। भजन-कीर्तन, भक्ति-भाव, दया-माया, परोपकार जैसे संस्कार कम हो गये हैं। शहर में बुराइयाँ बढ़ गई थी। शराब, जुआ, रेस, व्यभिचार, चोरी-डकैती आदि बहुत से अपराध शहर में होते थे।

कहावत है कि ‘हजारों निराशा में एक अमर आशा छिपी हुई है’ इसी तरह इतनी सारी बुराइयों के बावजूद शहर में कुछ अच्छे लोग भी रहते थे। ऐसे अच्छे लोगों में शीला और उनके पति की गृहस्थी मानी जाती थी। शीला धार्मिक प्रकृति की और संतोषी थी। उनका पति भी विवेकी और सुशील था। शीला और उनका पति ईमानदारी से जीते थे। वे किसी की बुराई न करते थे और प्रभु भजन में अच्छी तरह समय व्यतीत कर रहे थे। उनकी गृहस्थी आदर्श गृहस्थी थी और शहर के लोग उनकी गृहस्थी की सराहना करते थे।

शीला की गृहस्थी इसी तरह खुशी-खुशी चल रही थी। पर कहा जाता है कि ‘कर्म की गति अकल है’, विधाता के लिखे लेख कोई नहीं समझ सकता है। इन्सान का नसीब पल भर में राजा को रंक बना देता है और रंक को राजा। शीला के पति के अगले जन्म के कर्म भोगने बाकी रह गये होंगे कि वह बुरे लोगों से दोस्ती कर बैठा। वह जल्द से जल्द करोड़पति होने के ख्वाब देखने लगा। इसलिए वह गलत रास्ते पर चल निकला और करोड़पति के बजाय रोड़पति बन गया। याने रास्ते पर भटकते भिखारी जैसी उसकी स्थिति हो गयी थी।

शहर में शराब, जुआ, रेस, चरस-गांजा आदि बदियां फैली हुई थीं। उसमें शीला का पति भी फँस गया। दोस्तों के साथ उसे भी शराब की आदत हो गई। जल्द से जल्द पैसे वाला बनने की लालच में दोस्तों के साथ रेस जुआ भी खेलने लगा। इस तरह बचाई हुई धनराशि, पत्नी के गहने, सब कुछ रेस-जुए में गँवा दिया था। समय के परिवर्तन के साथ घर में दरिद्रता और भुखमरी फैल गई। सुख से खाने के बजाय दो वक्त के भोजन के लाले पड़ गये और शीला को पति की गालियाँ खाने का वक्त आ गया था। शीला सुशील और संस्कारी स्त्री थी। उसको पति के बर्ताव से बहुत दुख हुआ। किन्तु वह भगवान पर भरोसा करके बड़ा दिल रख कर दुख सहने लगी। कहा जाता है कि ‘सुख के पीछे दुख और दुख के पीछे सुख आता ही है। इसलिए दुख के बाद सुख आयेगा ही, ऐसी श्रद्धा के साथ शीला प्रभु भक्ति में लीन रहने लगी। इस तरह शीला असह्य दुख सहते-सहते प्रभुभक्ति में वक्त बिताने लगी। 

अचानक एक दिन दोपहर में उनके द्वार पर किसी ने दस्तक दी। शीला सोच में पड़ गयी कि मुझ जैसे गरीब के घर इस वक्त कौन आया होगा? फिर भी द्वार पर आये हुए अतिथि का आदर करना चाहिए, ऐसे आर्य धर्म के संस्कार वाली शीला ने खड़े होकर द्वार खोला। देखा तो एक माँ जी खड़ी थी। वे बड़ी उम्र की लगती थीं। किन्तु उनके चेहरे पर अलौकिक तेज निखर रहा था। उनकी आँखों में से मानो अमृत बह रहा था। उनका भव्य चेहरा करुणा और प्यार से छलकता था। उनको देखते ही शीला के मन में अपार शांति छा गई। वैसे शीला इस माँ जी को पहचानती न थी, फिर भी उनको देखकर शीला के रोम-रोम में आनन्द छा गया। शीला माँ जी को आदर के साथ घर में ले आयी। घर में बिठाने के लिए कुछ भी नहीं था। अतः शीला ने सकुचा कर एक फटी हुई चादर पर उनको बिठाया।

माँ जी ने कहा: ‘क्यों शीला! मुझे पहचाना नहीं?’

शीला ने सकुचा कर कहा: ‘माँ! आपको देखते ही बहुत खुशी हो रही है। बहुत शांति हो रही है। ऐसा लगता है कि मैं बहुत दिनों से जिसे ढूढ़ रही थी वे आप ही हैं, पर मैं आपको पहचान नहीं सकती।’

माँ जी ने हँसकर कहा: ‘क्यों? भूल गई? हर शुक्रवार को लक्ष्मी जी के मंदिर में भजन-कीर्तन होते हैं, तब मैं भी वहाँ आती हूँ। वहाँ हर शुक्रवार को हम मिलते हैं।’

पति गलत रास्ते पर चढ़ गया, तब से शीला बहुत दुखी हो गई थी और दुख की मारी वह लक्ष्मीजी के मंदिर में भी नहीं जाती थी। बाहर के लोगों के साथ नजर मिलाते भी उसे शर्म लगती थी। उसने याददाश्त पर जोर दिया पर वह माँ जी याद नहीं आ रही थीं।

तभी माँ जी ने कहा: ‘तू लक्ष्मी जी के मंदिर में कितने मधुर भजन गाती थी। अभी-अभी तू दिखाई नहीं देती थी, इसलिए मुझे हुआ कि तू क्यों नहीं आती है? कहीं बीमार तो नहीं हो गई है न? ऐसा सोचकर मैं तुझसे मिलने चली आई हूँ।’

माँ जी के अति प्रेम भरे शब्दों से शीला का हृदय पिघल गया। उसकी आँखों में आँसू आ गये। माँ जी के सामने वह बिलख-बिलख कर रोने लगी। यह देख कर माँ जी शीला के नजदीक आयीं और उसकी सिसकती पीठ पर प्यार भरा हाथ फेर कर सांत्वना देने लगीं।

माँ जी ने कहा: ‘बेटी! सुख और दुख तो धूप छांव जैसे होते हैं। धैर्य रखो बेटी! और तुझे परेशानी क्या है? तेरे दुख की बात मुझे सुना। तेरा मन हलका हो जायेगा और तेरे दुख का कोई उपाय भी मिल जायेगा।’

माँ जी की बात सुनकर शीला के मन को शांति मिली। उसने माँ जी से कहा: ‘माँ! मेरी गृहस्थी में भरपूर सुख और खुशियाँ थीं, मेरे पति भी सुशील थे। अचानक हमारा भाग्य हमसे रूठ गया। मेरे पति बुरी संगति में फँस गये और बुरी आदतों के शिकार हो गये तथा अपना सब-कुछ गवाँ बैठे हैं तथा हम रास्ते के भिखारी जैसे बन गये हैं।’

यह सुन कर माँ जी ने कहा: ‘ऐसा कहा जाता है कि , ‘कर्म की गति न्यारी होती है’, हर इंसान को अपने कर्म भुगतने ही पड़ते हैं। इसलिए तू चिंता मत कर। अब तू कर्म भुगत चुकी है। अब तुम्हारे सुख के दिन अवश्य आयेंगे। तू तो माँ लक्ष्मी जी की भक्त है। माँ लक्ष्मी जी तो प्रेम और करुणा की अवतार हैं। वे अपने भक्तों पर हमेशा ममता रखती हैं। इसलिए तू धैर्य रख कर माँ लक्ष्मी जी का व्रत कर। इससे सब कुछ ठीक हो जायेगा।

‘माँ लक्ष्मी जी का व्रत’ करने की बात सुनकर शीला के चेहरे पर चमक आ गई। उसने पूछा: ‘माँ! लक्ष्मी जी का व्रत कैसे किया जाता है, वह मुझे समझाइये। मैं यह व्रत अवश्य करूँगी।’

माँ जी ने कहा: ‘बेटी! माँ लक्ष्मी जी का व्रत बहुत सरल है। उसे ‘वरदलक्ष्मी व्रत’ या ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ भी कहा जाता है। यह व्रत करने वाले की सब मनोकामना पूर्ण होती है। वह सुख-सम्पत्ति और यश प्राप्त करता है। ऐसा कहकर माँ जी ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ की विधि कहने लगी।

‘बेटी! वैभवलक्ष्मी व्रत वैसे तो सीधा-सादा व्रत है। किन्तु कई लोग यह व्रत गलत तरीके से करते हैं, अतः उसका फल नहीं मिलता। कई लोग कहते हैं कि सोने के गहने की हलदी-कुमकुम से पूजा करो बस व्रत हो गया। पर ऐसा नहीं है। कोई भी व्रत शास्त्रीय विधि से करना चाहिए। तभी उसका फल मिलता है। सच्ची बात यह है कि सोने के गहनों का विधि से पूजन करना चाहिए। व्रत की उद्यापन विधि भी शास्त्रीय विधि से करना चाहिए।

यह व्रत शुक्रवार को करना चाहिए। प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनो और सारा दिन ‘जय माँ लक्ष्मी’  का रटन करते रहो। किसी की चुगली नहीं करनी चाहिए। शाम को पूर्व दिशा में मुँह करके आसन पर बैठ जाओ। सामने पाटा रखकर उस पर रुमाल रखो। रुमाल पर चावल का छोटा सा ढेर करो। उस ढेर पर पानी से भरा तांबे का कलश रख कर, कलश पर एक कटोरी रखो। उस कटोरी में एक सोने का गहना रखो। सोने का न हो तो चांदी का भी चलेगा। चांदी का न  हो तो नकद रुपया भी चलेगा। बाद में घी का दीपक जला कर अगरबत्ती सुलगा कर रखो।

माँ लक्ष्मी जी के बहुत स्वरूप हैं। और माँ लक्ष्मी जी को ‘श्रीयंत्र’ अति प्रिय है। अतः ‘वैभवलक्ष्मी’ में पूजन विधि करते वक्त सर्वप्रथम ‘श्रीयंत्र’ और लक्ष्मी जी के विविध स्वरूपों का सच्चे दिल से दर्शन करो। उसके बाद ‘लक्ष्मी स्तवन’ का पाठ करो। बाद में कटोरी में रखे हुए गहने या रुपये को हल्दी-कुमकुम और चावल चढ़ाकर पूजा करो और लाल रंग का फूल चढ़ाओ। शाम को कोई मीठी चीज बना कर उसका प्रसाद रखो। न हो सके तो शक्कर या गुड़ भी चल सकता है। फिर आरती करके ग्यारह बार सच्चे हृदय से ‘जय माँ लक्ष्मी’ बोलो। बाद में ग्यारह या इक्कीस शुक्रवार यह व्रत करने का दृढ़ संकल्प माँ के सामने करो और आपकी जो मनोकामना हो वह पूरी करने को माँ लक्ष्मी जी से विनती करो। फिर माँ का प्रसाद बाँट दो। और थोड़ा प्रसाद अपने लिए रख लो। अगर आप में शक्ति हो तो सारा दिन उपवास रखो और सिर्फ प्रसाद खा कर शुक्रवार का व्रत करो। न शक्ति हो तो एक बार शाम को प्रसाद ग्रहण करते समय खाना खा लो। अगर थोड़ी शक्ति भी न हो तो दो बार भोजन कर सकते हैं। बाद में कटोरी में रखा गहना या रुपया ले लो। कलश का पानी तुलसी की क्यारी में डाल दो और चावल पक्षियों को डाल दो। इसी तरह शास्त्रीय विधि से व्रत करने से उसका फल अवश्य मिलता है। इस व्रत के प्रभाव से सब प्रकार की विपत्ति दूर हो कर आदमी मालामाल हो जाता हैं संतान न हो तो संतान प्राप्ति होती है। सौभाग्वती स्त्री का सौभाग्य अखण्ड रहता है। कुमारी लड़की को मनभावन पति मिलता है।

शीला यह सुनकर आनन्दित हो गई। फिर पूछा: ‘माँ! आपने वैभवलक्ष्मी व्रत की जो शास्त्रीय विधि बताई है, वैसे मैं अवश्य करूंगी। किन्तु उसकी उद्यापन विधि किस तरह करनी चाहिए? यह भी कृपा करके सुनाइये।’

माँ जी ने कहा: ‘ग्यारह या इक्कीस जो मन्नत मानी हो उतने शुक्रवार यह वैभवलक्ष्मी व्रत पूरी श्रद्धा और भावना से करना चाहिए। व्रत के आखिरी शुक्रवार को खीर का नैवेद्य रखो। पूजन विधि हर शुक्रवार को करते हैं वैसे ही करनी चाहिए। पूजन विधि के बाद श्रीफल फोड़ो और कम से कम सात कुंवारी या सौभाग्यशाली स्त्रियों को कुमकुम का तिलक करके ‘वैभवलक्ष्मी व्रत’ की एक-एक पुस्तक उपहार में देनी चाहिए और सब को खीर का प्रसाद देना चाहिए। फिर धनलक्ष्मी स्वरूप, वैभवलक्ष्मी स्वरूप, माँ लक्ष्मी जी की छवि को प्रणाम करें। माँ लक्ष्मी जी का यह स्वरूप वैभव देने वाला है। प्रणाम करके मन ही मन भावुकता से माँ की प्रार्थना करते वक्त कहें कि , ‘हे माँ धनलक्ष्मी! हे माँ वैभवलक्ष्मी! मैंने सच्चे हृदय से आपका व्रत पूर्ण किया है। तो हे माँ! हमारी मनोकामना पूर्ण कीजिए। हमारा सबका कल्याण कीजिए। जिसे संतान न हो उसे संतान देना। सौभाग्यशाली स्त्री का सौभाग्य अखण्ड रखना। कुंवारी लड़की को मनभावन पति देना। आपका यह चमत्कारी वैभवलक्ष्मी व्रत जो करे उसकी सब विपत्ति दूर करना। सब को सुखी करना। हे माँ! आपकी महिमा अपरम्पार है।’

माँ जी के पास से वैभवलक्ष्मी व्रत की शास्त्रीय विधि सुनकर शीला भावविभोर हो उठी। उसे लगा मानो सुख का रास्ता मिल गया। उसने आँखें बंद करके मन ही मन उसी क्षण संकल्प लिया कि, ‘हे वैभवलक्ष्मी माँ! मैं भी माँ जी के कहे अनुसार श्रद्धापूर्वक शास्त्रीय विधि से वैभवलक्ष्मी व्रत इक्कीस शुक्रवार तक करूँगी और व्रत की शास्त्रीय रीति के अनुसार उद्यापन भी करूँगी।

शीला ने संकल्प करके आँखें खोली तो सामने कोई न था। वह विस्मित हो गई कि माँ जी कहां गयी? यह माँ जी कोई दूसरा नहीं साक्षात लक्ष्मी जी ही थीं। शीला लक्ष्मी जी की भक्त थी इसलिए अपने भक्त को रास्ता दिखाने के लिए माँ लक्ष्मी देवी माँ जी का स्वरूप धारण करके शीला के पास आई थीं।

दूसरे दिन शुक्रवार था। प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहन कर शीला मन ही मन श्रद्धा और पूरे भाव से ‘जय माँ लक्ष्मी’ का मन ही मन रटन करने लगी। सारा दिन किसी की चुगली नहीं की। शाम हुई तब हाथ-पांव-मुंह धो कर शीला पूर्व दिशा में मुंह करके बैठी। घर में पहले तो सोने के बहुत से गहने थे पर पति ने गलत रास्ते पर चलकर सब गिरवी रख दिये। पर नाक की कील (पुल्ली) बच गई थी। नाक की कील निकाल कर, उसे धोकर शीला ने कटोरी में रख दी। सामने पाटे पर रुमाल रख कर मुठ्ठी भर चावल का ढेर किया। उस पर तांबे का कलश पानी भरकर रखा। उसके ऊपर कील वाली कटोरी रखी। फिर विधिपूर्वक वंदन, स्तवन, पूजन वगैरह किया और घर में थोड़ी शक्कर थी, वह प्रसाद में रख कर वैभवलक्ष्मी व्रत किया।

यह प्रसाद पहले पति को खिलाया। प्रसाद खाते ही पति के स्वभाव में फर्क पड़ गया। उस दिन उसने शीला को मारा नहीं, सताया भी नहीं। शीला को बहुत आनन्द हुआ। उसके मन में वैभवलक्ष्मी व्रत के लिए श्रद्ध बढ़ गई।

शीला ने पूर्ण श्रद्धा-भक्ति से इक्कीस शुक्रवार तक व्रत किया। इक्कीसवें शुक्रवार को विधिपूर्वक उद्यापन विधि करके सात स्त्रियों को वैभवलक्ष्मी व्रत की सात पुस्तकें उपहार में दीं। फिर माता जी के ‘धनलक्ष्मी स्वरूप’ की छवि को वंदन करके भाव से मन ही मन प्रार्थना करने लगी: ‘हे माँ धनलक्ष्मी! मैंने आपका वैभवलक्ष्मी व्रत करने की मन्नत मानी थी वह व्रत आज पूर्ण किया है। हे माँ! मेरी हर विपत्ति दूर करो। हमारा सबका कल्याण करो। जिसे संतान न हो, उसे संतान देना। सौभाग्यवती स्त्री का सौभाग्य अखण्ड रखना। कुंवारी लड़की को मनभावन पति देना। जो कोई आपका यह चमत्कारी वैभवलक्ष्मी व्रत करे, उसकी सब विपत्ति दूर करना। सब को सुखी करना। हे माँ! आपकी महिमा अपार है।’ ऐसा बोलकर लक्ष्मीजी के धनलक्ष्मी स्वरूप की छवि को प्रणाम किया।

इस तरह शास्त्रीय विधि से शीला ने श्रद्धा से व्रत किया और तुरन्त ही उसे फल मिला। उसका पति सही रास्ते पर चलने लगा और अच्छा आदमी बन गया तथा कड़ी मेहनत से व्यवसाय करने लगा। धीरे धीरे समय परिवर्तित हुआ और उसने शीला के गिरवी रखे गहने छुड़ा लिए। घर में धन की बाढ़ सी आ गई। घर में पहले जैसी सुख-शांति छा गई।

वैभवलक्ष्मी व्रत का प्रभाव देखकर मोहल्ले की दूसरी स्त्रियाँ भी शास्त्रीय विधि से वैभवलक्ष्मी का व्रत करने लगीं। हे माँ धनलक्ष्मी! आप जैसे शीला पर प्रसन्न हुईं, उसी तरह आपका व्रत करने वाले सब पर प्रसन्न होना। सबको सुख-शांति देना। जय धनलक्ष्मी माँ! जय वैभवलक्ष्मी माँ!

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75 टिप्‍पणियां:

  1. jai maa vaibhav laxmi , jai maa vaibhav laxmi, jai maa vaibhav laxmi, jai maa vaibhav laxmi, jai maa vaibhav laxmi,jai maa vaibhav laxmi, jai maa vaibhav laxmi, jai maa vaibhav laxmi, jai maa vaibhav laxmi, jai maa vaibhav laxmi, jai maa vaibhav laxmi.... hey ap ap to mamta ki murat ho... hey maa jaise apne sheela ki manokamna poorn kiya waise hi hum sabki manokamna poorn krna maa jo bhi is vaibhav laxmi vrat ko kare uski saare manokamna poorn karna maa... saubhagyavati stri ko saubhagya akhand rakhna, jiska putra na ho use putra dena or kuwari ladkiyo ko manbhawan pati dena...... hum sab ki vipti dur karna maa or jaise apne apni kripa drishti sheela par bnaye rakhe thi waise hi hum sab par apni appar kripa drishti sada bnaye rakhna maa.... sab ki manokamna poorn karna maa..... jai maa vaibhav laxmi... jai maa dhan laxmi....... jai maaaa

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  2. Jai Mata Laxmi..
    plz koi batayege muje...
    ofcourse Shukravar ke din nonveg nahi kahaya ja sakta.. per kya pure vrat ke bich bhi non veg nahi khana chahiye ...?

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    1. Nahi aisa nahi hai... only friday ko vrat rakhna hai.. us din kutch nahi banana hai nonveg ya koi khata cheej.. ok

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  3. is vrat mein khatta ka koi parhej nahi hai. agar aap pure vrat mein nonveg ka parhfj kar sake to achcha par friday ka to must hai.

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  4. main thursday ka vrat kr rahi hun to kya main vaibhav laxmi maa ka vrat kr sakti hun

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  5. Chawal birds ko aur pain tulsi mein puja ke baad dal a hai ya able din dal a hain

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  6. Maine vaibhav laxmi ke pure brat rakhi per udyapan nahi kar payi Kya ab mai udyapan kar du

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  7. JAI MAA LAXMI....

    JAI MAA LAXMI....

    JAI MAA LAXMI....

    MAA MERI MANOKAMNA PURI KARE

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  8. jai maa LAXMI jai maa laxmi jai maa laxmi jai maa laxmi jai maa laxmi

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  9. vaibhav laksmi k vart me chadhaye gaye chawal agr paksi nahi khate to kya kisi cow ko khiaya ja skte h wo chawal.

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  10. agr friday ko period time ka 4th ya 5th day ho to kya ye vrat kar skte h?

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    1. Mere khyal se nahi kqr sakte hai kyu ki hum puja hum tabhi kar sakte hai jab puri tarah se free ho gaye ho. Aur is vrat me puja sabase importent hai. Puja nahi to vrat ka matalab nahi isi liye bahu kar sakte hai

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  11. Jai maa Vaibhav luxmi ji ki maa bhakt bhale hi apne sukh me aapko bhul jaye par aap apne bhakto ko kabhi nai bhulte chahe wo sukh me Ho ya dukh me jai maa Vaibhav luxmi ji Ki

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  12. Jai Maa Vaibhav Laxmi
    Maa Laxmi Badi Dayalu hai wo apne bhakto par hamesha hi kripa drishti rakhati hai par karm ki gati akal hai vidhata ke lekh ko koi nahi samajh pata hai sukh aur dukh to dhup or chhav ki tarah hote hai ath hume dukh se ghabrana nahi chahiye or MAA par pura Bharosa Rakhna Chahiye

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  13. JAI MA VAIBHAV LAXMI MA
    Jis tarah se sabpe kripa krati ho mujhpe v kana ma.

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  14. JAI MA VAIBHAV LAXMI MA
    Jis tarah se sabpe kripa krati ho mujhpe v kana ma.

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  15. Vaibhav lakshmi ka vrat jarur kare puri shradhdha ke sath aapki manokamna puri hogi meri to ma ne puri kardi aap sabki bhi ichcha ma puri kare.jay vaibhav lakshmi ma

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  16. jai veer laxmi maa

    jai vijaya laxmi maa

    jai aadi laxmi maa

    jai gaj laxmi maa
    jai dhan laxmi maa
    jai dhyanya laxmi maa

    jai aishwarya laxmi maa

    jai santaan laxmi maa

    hey maa aapki priya sri yantra ko hamari traf se koti koti naman

    matu laxmi kari kripa

    kro hradya mein vaas

    manokamna siddi kari purvahu meri aas

    sindu suta main sumirahu tohi
    ghan budi vidya do mohi

    tum saman nahi koi upkaari

    sab vidhi purvahu aas hamari

    jai vaibhav laxmi maa.aap sabki manokamna puri karna

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  17. हे माँ मेरे देश को खुशहाल बनाओ माँ।
    जय महा वैभव लक्ष्मी !

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  18. jai maa vaibhav lakshmi...jaise aapne susheela ki manokamna puri ki waise humari bhi manokaamna puri karna maa...jo bhi iss vrat ko kare uski sb manokamnaye puri karna..aur sadev apni kripa drishti hum par bnaye rakhna..jai maa vaibhav lakshmi..jai maa vabhaiv lakshmi...

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  19. jai maa vaibhav lakshmi..jai maa vaibhav lakshmi..jaise aapne susheela ki manokamna puri ki waise humari bhi mankomana puri karna maa...jo bhi iss vrat ko kare uski sb manokaamna puri karna maa...aur sadev apni kripa drishti bnaye rakhna..jai maa vaibhav lakshmi..jai maa vaibhav lakshmi...

    जवाब देंहटाएं
  20. Jai ma vaibhav laxmi...jaisa apne sheela ki manokamna puri ki.waise apka vrat rakhne wale sbki manokamna puri krna maa....ma meri b manokamna puri krna...sbka kalyan krna ...mama mere PR apni kripa drasti sadaiv bnay rakhna...mujse Jane anjane Jo galti ho jay muje maaf kr dena maa..jai ma laxmi...jai ma laxmi

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  21. Main Kuch puchna chahti hu...kya vaibhav laxmi vrat me puri shradha k sath 51 vrart krnev ka sankalp krna chahe koi to kya kia ja sakte h????

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  22. Helo mam my name i s Nainja‎.i am doing Vaibhav luxmi maa fast but I have forgot counting..

    .i am sure I have been fasting for more than 21 days but as I observed it for 21 days.....I am confused what to do..

    Now what should I do Shud I perform udhyapan tomorrow as it is friday...

    Pls help me what should I do...

    Jai vaibhav luxmi maa

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  23. If u sure abt u hv completed 21days.......then its okkk ....for 2marrow....to udyapnh

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  24. is it possible, if i fast on all fridays. mere ghar mai pooja karna allowed nahi hai, so sirf upaas rakh sakte hai.meri sasural wale dusari cast ke hai to wo devi devtao ki pooja nahi manate hai

    please reply on thakareujwala@yahoo.com

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  25. Hi Ujwala Thakare Javanjal,
    aapne vaibhavlaksmi vrat ke bae me sawal kiya tha ki agar aapne puja nahi ki par fast rakha to chalega kya??

    uushi ans ke liye me aapko ye mail kar rahi hu/... ki sirf fast se kuch faal nahi milta hai .. uuske liye aapko vidhi purvak puja karni padati hai.. aur aap ka uudyapan jaise hota hai vaise hi aapki manokamna puri hoti hai...uus pustika me likha hai ki agar bichme vart chod diya to bhi aapki manokamna puri nahi hoti hai... aapko ye aapke rehete ghar me karna hi padta hai...

    me ye vrat bohot salo se kaar rahi hu aur mene jo jo manga tha v sab lamshmi ji ki kripase puri ho gai hai... me aapko batana chati hu ki aap bhi ye jarur kare.. maa lakshmi aapka kalyan kare.... Jai Lakshmi Mata...



    Regards,
    Mrunali

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  26. jai maa vaibhav lakshmi...jai maa vaibhav lakshmi...jai maa vaibhav lakshmi...maa sb par apni kripa drishti bnaye rakhen aur jaise aapne sheela ki manokamna puri ki waise sbki aur humari manokamna puri karna...jai maa vaibhav lakshmi....

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  27. Hi this is mala I m doing vaibhav laxmi vrat from last 10 weeks today is my 10th week of Vrat...which I did whole day and did puja in evening but at night by mistake I have put biscuit in my mouth but didn't swallow it..as soon as I remember abt my vrat I have spit it n brushed my teeth...my question is can I count this Friday or not..and isse mujhe koi paap vagairh to nai lagega na. ..Please someone reply who knows abt it I really want my wish to get completed...
    Please someone with knowledge abt this reply urgently. ..

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  28. Hai Maa Vaibhav Laxmi mre pati ka kaam bna do plz jo wo shop open krna chahate h usme unki help kro...........Hai Maa Vaibhav Laxmi apki mahima aprampaar h, jai maa dhanlaxmi, jai maa santan laxmi, jai maa aadh laxmi............hai maa apke priye yantr ko mra pranam

    Hai maa kripa kro....hai maa help kro plz ab or nhi sun skti main........ap kisi pr itni kripa or hum pr kuch b nhi ku maa .............plz kripa kro maa

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  29. jai maa laxmi . Maine 21 Friday karneki mannat maangi thi. counting properly nahi karne ke karan mene 24 Friday kar liya he. abb me kiya karu uddyapan kar doo iss Friday.plz reply soon

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  30. jai maa Vaibhav Lakshmi...I am nandita Chakraborty. Mai ye vrat le rahi hu. plz koi muje ye btaiye... maine friday ko puja ki thi...uska thoda prasad reh gya tha to wo maine next day kha liya lekin uske turant bad chicken kha liya kya is se meri puja bhang ho gyi??? Plz muje koi btaiye

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  31. maa meri doosri ichcha aap jaanti hain...kripa karen aur use bhi poori karen..udyapan ke baad main punah aapka vrat karna chahti hoon.

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  32. Jai maa vaihav laxmi ma meri patni aaj se aapki varta rakh rahi he hamare parivar ko kafi paresnio se gujarna pad raha he kurpaya hamari madat karna turant ek hi pal me problem solve na ho sake to please bas margdarsan de dena or hamre upar kripa banaye rakhna

    arai

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  33. Maine 11 vrat ki manat ki h par mere 7th vrat mai hi pata chal gaya ki meri manat puri ni ho sakti uski shadi kisi or se fix ho gai ab mai kya karu pls koi batao

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  34. Neelam koi baath nahi tum pura complete karo... tum dekhna tumko bahot accha ladka milega... maa sayad tumhari puja se bahot kush hai... esliyea sayad tumhare acche ke liyea yeh sab kiya... kuch sal badh tum kudh yeh soch ke kush hogi.... god bless you

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  35. Jai Vaibhav laxhmi ma !

    Ish blog ke madhayam se main apna experience share karna chahate hun.
    Maine ye vrat ka sanklap 2 bar kiya aur dono bar hi mere asha aur vishwas aur badhi hai ish vrat ke upar.

    khabhi khabi azzeb bhi lagta hai ye kaise ho sakta hai !
    Par is vrat mein jo sabse jaruri chez hai wo hai viswas !


    hamara karm samay sabkhuch jaruri hai hamri ichaawon ki purti ke liye ...
    par mere dono vrat ke fhal se mera vishwas is vrat ke mahatmaye par dhridh ho gaya hai ...

    vaibhav laxhmi ma sabka vishwas aur dridh kare aur sab par apni kripa banaye rakhe ...

    jai ma vaibhav laxhmi..

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  36. Jai Maa Vaibhav Laxmi. Maine 11 vrat ka sankalp kiya aur aaj 10th vrat hai. jis manokamna ki poorti ke liye vrat rakha hai ,pata nahi kyo usme sudhaar aane ki jagah aur halaat kharab hote jaa rahe hai. poori shradha aur vsihwas se vrat kar raha hu. jaha jaha se ummid thi ki maa raste khol dengi , waha waha se nirasha mil rahi hai. lagta hai ki maa ne mere vrat ko swikaar nahi kiya.
    kya karu kaise maa ko khush karu, koi kuch rasta bataye.

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  37. Mera b udhyapan ho gaya 11 vrat ka sankalp liya tha par paristiya din b din or kharab hoti gai h mai Bahot shraddha se ye vrat kiya h ab mai kaise khush rakhu maa ko kaise manau

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  38. Jai Maa vaibhav Laxmi... hello every buddy and specially Ms. Neela Panjwani,
    maine 1st april ko apna post dala tha ki maa meri nahi sun rahi, us din mera 10th Vrat tha, leking udhyapan karne ke ek hafte baad pata nahi maa ne kya chamatkaar kiya ki meri chintaye kafi hadh tak khatam ho gayee. kahi se koi ummid nahi thi lekin maa ne apne hone ka ehsas karwa diya aur meri manokamna ko pura kiya. puri tarah se to nahi lekin ek raasta de diya aur kafi sara sukun bhi de diya. mera aap sbse yahi nivedan hai ki poore vishwaas ke sath maa me aastha rakhiye, maa jarur sunti hai sabki. .. jai maa vaibhav laxmi ki....

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  39. Mene 67 vrat purna kar liya hai, Aaj udhyapan bhi kar raha huun, Aap bas bhakti or shradha ke saath vrat karte jaiye or aage brat karte jaiye, Maa apke viniti awashya sunengi,

    Jai Maa Laxmi, Jai Vaibhav Laxmi, bolo bhagwati mahalaxmi Maiya ki Jai.............

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  40. jai maa lakshmi, jai maa vaibhav lakshmi, thahe dil se app ko pranam karti hu! mata app ke vrat se sabhiki manokamna puri hoti he maa may appka vrat 15 saal se kar rahi hu. maa may aapne privar may behad khush hu! appka ashirvad sabhipe banaye rakhiye jai maa vaibhav lakshmi.


    aap ki beti MEENA

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  41. jai maa vaibhav laxmi, jai maa dhanlaxmi aapki mahima aprampar hai, jo yah vaibhav laxmi vrat kare maa aap uski manokamna poorn karen, kanwarin ladki ko manbhavan pati dena, sobhagyavati stri ka sobhagya akhand rakhna, jise putra na ho use putra dena , hum sab ki vipatti door karen . hey maa jis tarha aapne sheela ki manokamna poorn ki hai ussi tarha hamari bhi manokamna poorn karen , hum sab ki vipatti door karen . jai maa vaibhav laxmi jai maa dhanlaxmi...

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  42. Ma Lakshmi ka ye Vaibhav Lakshmi vrat sabhi dukh sabhi chinta ka nivaran karne wala hai. Main sabhi ko ye bolunga ki aapne man ki sanka ko chhod ke pure bhav se ma ka vrat kare. Maa Lakshmi jarur mansa puri karenge.
    Maine ye vrat jab suru kiya that tab mujhe har taraf se chinta ne gher rakha tha, koi bhi kaam nai ban raha tha. Bahut hi nirasha ke samay maine ma ka naam liya aur ye vrat suru kiya. Ma ne dhire dhire ek ek kar problem kp dur kar rasta dikhana suru kiya. Abhi chahe sub kuch thik hua ho per viswas ban gaya hai ki maa mere sath hai. wo dhire dhire mere sansar me sukh shanti dengi and hum sub ka kalyan karegi.

    Agar aap aapne liye help khoj rahe hai to bus maa ka naam leke sachche hriday se ye vrat kare.

    Jai ma lakshmi

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  43. आपने जितने व्रत माने थे उतने ही व्रत करें और उसके बाद आखिरी व्रत के दिन नियमानुसार पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मां वैभव लक्ष्मी व्रत का उद्यापन करें और वैभव लक्ष्मी पर विश्वास रखें मां आपकी सभी मनोकामना अवश्य पूरी करेंगी। व्रत के दिन ना किसी की बुराई करें ना कोई चुगली करें व्रत के दिन पूरे दिन ना किसी की मदद ले और वैभव लक्ष्मी का नाम मन में रटते रहे

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  44. Main aaj ek baar phir yahan un logo ke liye comment likh raha hoon jo vichar me hai ki vrat kare ya na kare. Kare to kaise kaise kare.

    Maa Lakshmi ka ye vrat aur puja sach me aapka jivan badal sakta hai. is blog me likhi vidhi ke anusaar vrat kare. Bahut si chize ho sakti hai jo aap nai kar pa rahe honge, to jitna aap se ho sake waise kare. Puja ke jitna saman hai, Friday ko jub samay mil pa raha hai us hisab se kare.

    is vrat me vrat aur puja dono hi utane jarurui hai.

    maa lakshi hum subka kalyaan kare!!

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    1. आपकी टिप्पणी निश्चित ही श्रद्धालुओं का मार्गदर्शन करेगी साथ ही हमारा उत्साह भी बढ़ाएगी। सादर धन्यवाद।

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  45. Vrat ko pura karne ke liye uddyapan jaruri hai. Aap 7 choti bachchiyo ko bhi prasad de sakte hai. agar ghar nai bula sakte, unake ghar de aake de sakte hai. Aap agar uddyapan nai kar pa rahe ho to vrat karte raho, bina uddyapan vrat pura nai hoga.

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  46. Vaibhav Laksmi Vrat Se sabhi ki manokamnayen puran hoti hain Maa apne Bhakton ko kabhi nirash nahin Karti bas unka dene ka madhyam kuchh bhi ho sakta hai Meri wife bhi pichhle 6 sal se Vaibhav Lakshmi Ka Vrat Karti Hain unhone ek bar 11 Vrat Pooran Karne ke bad udhyapan kar liya hai ab 21 vrat poore karne ke bad udhyapan karna banki hai aur Vaibhav Lakshmi Maan ne hamari Jindagi hi badal di hai ek man men vishwas hai aur hum log bahut Khush Hain Maan Vaibhav Laksmi aise hi sab par Kripa Varsate Rahen Jai Maan Vaibhav Lakshmi Aapki Sada hi Jai Ho.

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  47. Jai Maa Lakshmi, Maa Raksha mare sabki. Hum subko jo bharosa dilya hai use jagaye rakhne, maa se yahi prathna hai. Yahan bahut sare bhakto ne aapne experince share kiye, jo man me dhairya jagta hai ki agar puri sakti se maa se prathna kare to ma jarur sare pe hath rakhti hai. Maa humpe apne kripa rakho maa.

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  48. Jai ma Lakshmi!! Aapne bhakto pe daya karo maa, please daya karo.

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  49. Jai Maa Laxmi,

    Aapka bahut bahut dhanyvaad maa. Aapki kripa hum sub pe bani rahi.

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