मंगलवार, 5 अप्रैल 2022

ॐ जय ज्वाला माई, मैया जय ज्वाला माई || Om Jay Jwala Mai Maiya Jay Jwala Mai || Jwala Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय ज्वाला माई, मैया जय ज्वाला माई || Om Jay Jwala Mai Maiya Jay Jwala Mai || Jwala Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi



ॐ जय ज्वाला माई, मैया जय ज्वाला माई |

कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुख दाई ||

ॐ जय ज्वाला माई


मैया जय ज्वाला माई, मैया जय ज्वाला माई |

कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुख दाई ||

ॐ जय ज्वाला माई


अटल अखंड तेरी ज्योति, युग युग से ही जगे |

ऋषि मुनि सुर नर सबको, बड़ी प्यारी माँ लागे ||

ॐ जय ज्वाला माई


पार्वती रूप शिव शक्ति, तू ही माँ अम्बे |

पूजे तुम्हे त्रिभुवन के, देवता जगदम्बे ||

ॐ जय ज्वाला माई


लाखों सूरज फीके ज्योति तेरी आगे |

तेरे चिंतन से माँ भवका भय भागे ||

ॐ जय ज्वाला माई


चरण शरण में चल के जो तेरे द्वारे आये |

खाली कभी न जाए, वांछित फल पाए ||

ॐ जय ज्वाला माई


दुर्गति नाशक चंडिका, तू दानव दलनी |

दिन हिन् की रक्षक तू ही सुख करनी ||

ॐ जय ज्वाला माई


आठों सिद्धियाँ तेरे द्वार भरे पानी |

दान माँ तुझसे लेते बड़े बड़े महादानी ||

ॐ जय ज्वाला माई


चरण कमल तेरी धोकर, ध्यानु ने रस था पिया |

तेरी धुन में खोकर, शीश तेरे भेंट किया ||

ॐ जय ज्वाला माई


भक्तों के काज असंभव, संभव तू करती |

सुख रत्नों से सबकी झोलियाँ तू भरती ||

ॐ जय ज्वाला माई


धुप दीप पुष्पों से होए तेरा अभिषेक |

तेरे दर रंक को राजा बनते हुए देखा ||

ॐ जय ज्वाला माई


अष्ट भुजी सिंह वाहिनी तू माँ रुद्राणी |

धन वैभव यश देना हमको महारानी ||

ॐ जय ज्वाला माई


ज्योति बुझाने आये, राजे अभिमानी |

हार गए वो तुमसे, मूढ़ मति अज्ञानी ||

ॐ जय ज्वाला माई


माई ज्वाला तेरी आरती श्रद्धा से जो गाये |

वो निर्दोष उपासक, भव से तर जाए ||

ॐ जय ज्वाला माई


ॐ जय ज्वाला माई, मैया जय ज्वाला माई |

कष्ट हरण तेरा अर्चन, सुमिरण सुखदायी ||

ॐ जय ज्वाला माई


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जय जननी जगदीश्वरी, कह कर बारम्बार || Jay Janni Jagdishwari Kah Kar Barambar || Karni Mata Chalisa Lyrics in Hindi

जय जननी जगदीश्वरी, कह कर बारम्बार || Jay Janni Jagdishwari Kah Kar Barambar || Karni Mata Chalisa Lyrics in Hindi



।।दोहा।।

जय गणेश जय गजबदन, करण सुमंगल मूल।

करहुँ कृपा निज दास पर, रहहुँ  सदा अनुकूल॥

जय जननी जगदीश्वरी, कह कर बारम्बार।

जगदम्बा करणी सुयश, वरणउ मति अनुसार ॥


सुमिरौं जय जगदम्ब भवानी।

महिमा अकथ न जाय बखानी॥१॥


नमो नमो मेहाई करणी।

नमो नमो अम्बे दुःख हरणी॥२॥


आदि शक्ति जगदम्बे माता।

दुःख को हरणि सुख की दाता॥३॥


निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

तिहूं लोक फैली उजियारी॥४॥


जो जेहि रूप से ध्यान लगावे।

मन वांछित सोई फल पावे॥५॥


धौलागढ़ में आप विराजो।

सिंह सवारी सन्मुख साजो॥६॥


भैरो वीर रहे अगवानी।

मारे असुर सकल अभिमानी॥७॥


ग्राम सुआप नाम सुखकारी।

चारण वंश करणी अवतारी॥८॥


मुख मण्डल की सुन्दरताई।

जाकी महिमा कही न जाई॥९॥


जब भक्तों ने सुमिरण कीन्हा।

ताही समय अभय करि दीन्हा॥१०॥


साहूकार की करी सहाई।

डूबत जल में नाव बचाई ॥११॥


जब कान्हे न कुमति बिचारी।

केहरि रूप धरयो महतारी॥१२॥


मारयो ताहि एक छन मांई।

जाकी कथा जगत में छाई॥१३॥


नेड़ी जी शुभ धाम तुम्हारो।

दर्शन करि मन होय सुखारो॥१४॥


कर सौहै त्रिशूल विशाला।

गल राजे पुष्प की माला॥१५॥


शेखोजी पर किरपा कीन्ही।

क्षुधा मिटाय अभय कर दीन्‍ही ॥१६॥


निर्बल होई जब सुमिरन कीन्हा।

कारज सबि सुलभ कर दीन्हा॥१७॥


देशनोक पावन थल भारी।

सुन्दर मंदिर की छवि न्यारी॥१८॥


मढ़ में ज्योति जले दिन राती।

निखरत ही त्रय ताप नशाती॥१९॥


कीन्ही यहाँ तपस्या आकर।

नाम उजागर सब सुख सागर॥२०॥


जय करणी दुःख हरणी मइया।

भव सागर से पार करइया॥२१॥


बार बार ध्याऊं जगदम्बा।

कीजे दया करो न विलम्बा ॥२२॥


धर्मराज नै जब हठ कीन्हा।

निज सुत को जीवित करि लीन्हा ॥२३॥


ताहि समय मर्याद बनाई।

तुम पह मम वंशज नहि आई ॥२४॥


मूषक बन मंदिर में रहि है।

मूषक ते पुनि मानुष तन धरि है ॥२५॥


दिपोजी को दर्शन दीन्हा।

निज लीला से अवगत कीन्हा॥२६॥


बने भक्त पर कृपा कीन्ही।

दो नैनन की ज्योती दीन्ही॥२७॥


चरित अमित अति कीन्ह अपारा।

जाको यश छायो संसारा॥२८॥


भक्त जनन को मात तारती।

मगन भक्त जन करत आरती॥२९॥


भीड़ पड़ी भक्तों पर जब ही।

भई सहाय भवानी तब ही॥३०॥


मातु दया अब हम पर कीजै।

सब अपराध क्षमा कर दीजे॥३१॥


मोको मातु कष्ट अति घेरो।

तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो॥३२॥


जो नर धरे मात कर ध्यान।

ताकर सब विधि हो कल्याण॥३३॥


निशि वासर पूजहिं नर-नारी।

तिनको सदा करहूं रखवारी॥ ३४॥


भव सागर में नाव हमारी।

पार करहु करणी महतारी॥३५॥


कंह लगी वर्णऊ कथा तिहारी।

लिखत लेखनी थकत हमारी॥३६॥


पुत्र जानकर किरपा कीजै।

सुख सम्पत्ति नव निधि कर दीजै॥३७॥


जो यह पाठ करे हमेशा।

ताके तन नहि रहे कलेशा॥३८॥


संकट में जो सुमिरन करई।

उनके ताप मात सब हरई॥३९॥


गुण गाथा गाऊं कर जोरे।

हरहुँ मात सब संकट मोरे॥४०॥

         

।।दोहा।। 

आदि शक्ति अम्बा सुमिर, धरि करणी का ध्यान।

मन मंदिर में बास करो मैया, दूर करो अज्ञान ।।

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करणी माता की आरती || Karni Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।| Om Jay Ambe Karni Maiya Jay Ambe Karni || Karni Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।| Om Jay Ambe Karni Maiya Jay Ambe Karni || Karni Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi



ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।

भक्त जनन भय संकट, पल छिनमे हरणी॥

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


आदि शक्ति अविनाशी, वेदन में वरणी।

अगम अनंत अगोचर, विश्वरूप धरणी॥

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


काली तू किरपाली, दुर्गे दुःख हरणी।

चंडी तूं चिरताली, ब्रह्माणी वरणी॥

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


लक्ष्मी तूं हिंगलाजा, आवड़ अ घहरणी।

दैत्य दलण डाढाली, अवनी अबतरणी॥

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


ग्राम सुवाप सुहाणो, धिन थलवट धरणी।।

देवला माँ मेहा घर, जनमी जग जननी॥

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


राज दियों रिड़मल ने, कानो खय करणी।

धेन दूहत वणिये को, तारी कर तरणी॥

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


शेखो लाय सिन्ध सूं, पेथड़ आचरणी।

दशरथ थान दिपायी, सांपू सुख सरणी।।

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


जेतल भूप जिताड्यो, कमरु दल दलणी।

प्राण बचाय बखत के पीर कला हरणी॥

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


परचा गिण नहीं पाउ, मा अशरण शरणी।

सोहन चरण शरण में दास अभय करणी॥

ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।


ॐ जय अम्बे करणी, मैया जय अम्बे करणी।

भक्त जनन भय संकट, पल छिनमे हरणी॥


करणी माता की चालीसा || Karni Mata Ki Chalisa Lyrics in Hindi


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सोमवार, 28 मार्च 2022

जय वैष्णवी माता || Jay Vaishnavi Mata || Vaishno Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi

जय वैष्णवी माता || Jay Vaishnavi Mata || Vaishno Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi 

जय वैष्णवी माता,

मैया जय वैष्णवी माता ।

हाथ जोड़ तेरे आगे,

आरती मैं गाता ॥

।। मैया जय वैष्णवी माता ।।

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शीश पे छत्र विराजे,

मूरतिया प्यारी ।

गंगा बहती चरनन,

ज्योति जगे न्यारी ॥

।। मैया जय वैष्णवी माता ।।

 **

ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे,

शंकर ध्यान धरे ।

सेवक चंवर डुलावत,

नारद नृत्य करे ॥

।। मैया जय वैष्णवी माता ।।

 **

सुन्दर गुफा तुम्हारी,

मन को अति भावे ।

बार-बार देखन को,

ऐ माँ मन चावे ॥

।। मैया जय वैष्णवी माता ।।

 **

भवन पे झण्डे झूलें,

घंटा ध्वनि बाजे ।

ऊँचा पर्वत तेरा,

माता प्रिय लागे ॥

।। मैया जय वैष्णवी माता ।।

 **

पान सुपारी ध्वजा नारियल,

भेंट पुष्प मेवा ।

दास खड़े चरणों में,

दर्शन दो देवा ॥

।। मैया जय वैष्णवी माता ।।

 **

जो जन निश्चय करके,

द्वार तेरे आवे ।

उसकी इच्छा पूरण,

माता हो जावे ॥

।। मैया जय वैष्णवी माता ।।

 **

इतनी स्तुति निश-दिन,

जो नर भी गावे ।

कहते सेवक ध्यानू,

सुख सम्पत्ति पावे ॥

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जय वैष्णवी माता,

मैया जय वैष्णवी माता ।

हाथ जोड़ तेरे आगे,

आरती मैं गाता ॥

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नमो: नमो: वैष्णो वरदानी || Namo Namo Vaishno Vardani || Shri Vaishno Mata Chalisa Lyrics in Hindi

नमो: नमो: वैष्णो वरदानी || Namo Namo Vaishno Vardani || Shri Vaishno Mata Chalisa Lyrics in Hindi

।। दोहा ।।

गरुड़ वाहिनी वैष्णवी

त्रिकुटा पर्वत धाम

काली, लक्ष्मी, सरस्वती,

शक्ति तुम्हें प्रणाम।

 

।। चौपाई ।।

नमो: नमो: वैष्णो वरदानी,

कलि काल मे शुभ कल्याणी।

मणि पर्वत पर ज्योति तुम्हारी,

पिंडी रूप में हो अवतारी॥


देवी देवता अंश दियो है,

रत्नाकर घर जन्म लियो है।

करी तपस्या राम को पाऊं,

त्रेता की शक्ति कहलाऊं॥


कहा राम मणि पर्वत जाओ,

कलियुग की देवी कहलाओ।

विष्णु रूप से कल्कि बनकर,

लूंगा शक्ति रूप बदलकर॥


तब तक त्रिकुटा घाटी जाओ,

गुफा अंधेरी जाकर पाओ।

काली-लक्ष्मी-सरस्वती मां,

करेंगी पोषण पार्वती मां॥


ब्रह्मा, विष्णु, शंकर द्वारे,

हनुमत, भैरों प्रहरी प्यारे।

रिद्धि, सिद्धि चंवर डुलावें,

कलियुग-वासी पूजत आवें॥


पान सुपारी ध्वजा नारीयल,

चरणामृत चरणों का निर्मल।

दिया फलित वर मॉ मुस्काई,

करन तपस्या पर्वत आई॥


कलि कालकी भड़की ज्वाला,

इक दिन अपना रूप निकाला।

कन्या बन नगरोटा आई,

योगी भैरों दिया दिखाई॥


रूप देख सुंदर ललचाया,

पीछे-पीछे भागा आया।

कन्याओं के साथ मिली मॉ,

कौल-कंदौली तभी चली मॉ॥


देवा माई दर्शन दीना,

पवन रूप हो गई प्रवीणा।

नवरात्रों में लीला रचाई,

भक्त श्रीधर के घर आई॥


योगिन को भण्डारा दीनी,

सबने रूचिकर भोजन कीना।

मांस, मदिरा भैरों मांगी,

रूप पवन कर इच्छा त्यागी॥


बाण मारकर गंगा निकली,

पर्वत भागी हो मतवाली।

चरण रखे आ एक शीला जब,

चरण-पादुका नाम पड़ा तब॥


पीछे भैरों था बलकारी,

चोटी गुफा में जाय पधारी।

नौ मह तक किया निवासा,

चली फोड़कर किया प्रकाशा॥


आद्या शक्ति-ब्रह्म कुमारी,

कहलाई माँ आद कुंवारी।

गुफा द्वार पहुँची मुस्काई,

लांगुर वीर ने आज्ञा पाई॥


भागा-भागा भैंरो आया,

रक्षा हित निज शस्त्र चलाया।

पड़ा शीश जा पर्वत ऊपर,

किया क्षमा जा दिया उसे वर॥


अपने संग में पुजवाऊंगी,

भैंरो घाटी बनवाऊंगी।

पहले मेरा दर्शन होगा,

पीछे तेरा सुमिरन होगा॥


बैठ गई मां पिंडी होकर,

चरणों में बहता जल झर झर।

चौंसठ योगिनी-भैंरो बर्वत,

सप्तऋषि आ करते सुमरन॥


घंटा ध्वनि पर्वत पर बाजे,

गुफा निराली सुंदर लागे।

भक्त श्रीधर पूजन कीन,

भक्ति सेवा का वर लीन॥


सेवक ध्यानूं तुमको ध्याना,

ध्वजा व चोला आन चढ़ाया।

सिंह सदा दर पहरा देता,

पंजा शेर का दु:ख हर लेता॥


जम्बू द्वीप महाराज मनाया,

सर सोने का छत्र चढ़ाया।

हीरे की मूरत संग प्यारी,

जगे अखण्ड इक जोत तुम्हारी॥


आश्विन चैत्र नवरात्रे आऊं,

पिण्डी रानी दर्शन पाऊं।

सेवक 'कमल' शरण तिहारी,

हरो वैष्णो विपत हमारी॥

 

।। दोहा ।।

कलियुग में महिमा तेरी,

है मां अपरंपार।

धर्म की हानि हो रही,

प्रगट हो अवतार।।

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जय वैष्णवी माता || Jay Vaishnavi Mata || Vaishno Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi 

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