नर्मदा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
नर्मदा लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

गुरुवार, 30 नवंबर 2017

नर्मदाष्टकं || Narmadashtakam || सविंदुसिंधु-सुस्खलत्तरंगभंग-रंजितं || Savindusindhu

 नर्मदाष्टकं || Narmadashtakam || सविंदुसिंधु-सुस्खलत्तरंगभंग-रंजितं || Savindusindhu 

सविंदुसिंधु-सुस्खलत्तरंगभंग-रंजितं,
द्विषत्सु पापजात-जातकारि-वारिसंयुतम्।
कृतान्‍त-दूतकालभूत-भीतिहारि वर्मदे,
त्वदीयपादपंकजं नमामि देवि नर्मदे।।१।। 

त्वदम्‍बु-लीनदीन-मीन-दिव्य संप्रदायकं,
कलौ मलौध-भारहारि सर्वतीर्थनायकम्।
सुमत्स्य-कच्छ-नक्र-चक्र-चक्रवाक्-शर्मदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवी नर्मदे।।२।।

महागम्‍भीर-नीरपूर-पापधूत-भूतलं,
ध्वनत-समस्त-पातकारि-दारितापदाचलम्।
जगल्लये महामये मृकंडुसून-हर्म्यदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवी नर्मदे।।३।।

गतं तदैव मे भयं त्वदंबुवीक्षितं यदा,
मृकंडुसूनु-शौनकासुरारिसेवि सर्वदा।
पुनर्भवाब्धि-जन्मजं भवाब्धि-दु:खवर्मदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवी नर्मदे।।४।।

अलक्ष-लक्ष-किन्नरामरासुरादिपूजितं,
सुलक्ष नीरतीर-धीरपक्षि-लक्षकूजितं।
वशिष्ठशिष्ट पिप्पलाद कर्दमादि शर्मदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवी नर्मदे।।५।।

सनत्कुमार-नाचिकेत कश्यपात्रि-षट्पदै,
धृतं स्वकीयमानसेषु नारदादिषट्पदै:।
रवींदु-रन्तिदेव-देवराज-कर्म शर्मदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवी नर्मदे।।६।।

अलक्षलक्ष-लक्षपाप-लक्ष-सार-सायुधं,
ततस्तु जीव-जन्‍तु-तन्‍तु-भुक्ति मुक्तिदायकम्।
विरंचि-विष्णु-शंकर-स्वकीयधाम वर्मदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवी नर्मदे।।७।।

अहोsमृतं स्वनं श्रुतं महेश केशजातटे,
किरात-सूत वाडवेशु पण्डिते शठे-नटे।
दुरंत पाप-ताप-हारि-सर्वजंतु-शर्मदे,
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवी नर्मदे।।८।।

इदं तु नर्मदाष्टकं त्रिकालमेव ये यदा,
पठन्ति ते निरंतरं न यांतिदुर्गतिं कदा।
सुलभ्‍य देहदुर्लभं महेश धाम गौरवं,
पुनर्भवा नरा: न वै विलोकयंति रौरवम्।।
त्वदीय पादपंकजं नमामि देवी नर्मदे।।९।।

(विश्‍ववन्दित भगवान आदि शंकराचार्य द्वारा रचित नर्मदाष्टकं)

विनम्र अनुरोध: अपनी उपस्थिति दर्ज करने एवं हमारा उत्साहवर्धन करने हेतु कृपया टिप्पणी (comments) में जय मॉं नर्मदा अवश्य अंकित करें।

रविवार, 29 अक्तूबर 2017

श्री नर्मदा जी की आरती || Shri Narmada Ji Ki Aarti || जय जगदानन्‍दी, मैया जय जगदानन्‍दी || Jay Jagadanandi

श्री नर्मदा जी की आरती || Shri Narmada Ji Ki Aarti || जय जगदानन्‍दी, मैया जय जगदानन्‍दी || Jay Jagadanandi 

जय जगदानन्‍दी, मैया जय जगदानन्‍दी।
जय जगदानन्दी, मैया जय जगदानन्‍दी।
ब्रह्मा हरिहर शंकर, रेवा शिव हर‍ि शंकर
रुद्री पालन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी।।

नारद शारद तुम वरदायक, अभिनव पद चण्डी।
हो मैया अभिनव पद चण्डी।
सुर नर मुनि जन सेवत, सुर नर मुनि जन सेवत।
शारद पद वन्‍दी।
ॐ जय जगदानन्दी।।

धूम्रक वाहन राजत, वीणा वादन्‍ती।
हो मैया वीणा वादन्‍ती।
झुमकत-झनकत-झनननझुमकत-झनकत-झननन
रमती राजन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी।।

बाजत ताल मृदंगा, सुर मण्डल रमती। 
हो मैया सुर मण्डल रमती।
तुडितान- तुडितान- तुडितान, तुरडड तुरडड तुरडड
रमती सुरवन्ती।
ॐ जय जगदानन्दी।।

सकल भुवन पर आप विराजत, निशदिन आनन्दी।
हो मैया निशदिन आनन्दी।
गावत गंगा शंकर, सेवत रेवा शंकर
तुम भव भय हंती।
ॐ जय जगदानन्दी।। 

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
हो मैया अगर कपूर बाती।
अमरकंटक में राजत, घाट घाट में राजत
कोटि रतन ज्योति।
ॐ जय जगदानन्दी।। 

मैयाजी की आरती निशदिन जो गावे,
हो रेवा जुग-जुग जो गावे
भजत शिवानन्द स्वामी
जपत हर‍िहर स्वामी
मनवांछित पावे।
ॐ जय जगदानन्दी।।

विनम्र अनुरोध: अपनी उपस्थिति दर्ज करने एवं हमारा उत्साहवर्धन करने हेतु कृपया टिप्पणी (comments) में जय श्री नर्मदा माता अवश्य अंकित करें।