शुक्रवार, 1 नवंबर 2024

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे || कुबेर जी की आरती || Shri Kuber Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

ॐ जै यक्ष कुबेर हरे || कुबेर जी की आरती || Shri Kuber Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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कौन हैं धन के देवता श्री कुबेर जी
श्री कुबेर जी भारतीय पौराणिक कथाओं में धन और समृद्धि के देवता माने जाते हैं। उन्हें धन के रक्षक और संपत्ति के स्वामी के रूप में पूजा जाता है। वे दवों का ग्रह (ग्रह) भी माने जाते हैं और उनकी पूजा से आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है। कुबेर जी को अक्सर हिमालय के राजा और रिद्धि-सिद्धि के देवता के रूप में चित्रित किया जाता है। वे यक्षों के राजा भी हैं। वे उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और लोकपाल (संसार के रक्षक) भी हैं। इनके पिता महर्षि विश्रवा थे और माता देववर्णिणी थीं।
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कुबेर देव की पूजा करने के लाभ
1. धन की प्राप्ति: कुबेर जी की पूजा करने से धन और समृद्धि के मार्ग खुलते हैं।
2. व्यापार में सफलता: व्यापारी वर्ग के लिए उनकी पूजा विशेष रूप से लाभकारी होती है।
3. ऋण से मुक्ति: कुबेर जी की कृपा से ऋण से छुटकारा पाया जा सकता है।
4. धन का संरक्षण: पूजा करने से धन का संरक्षण और वृद्धि होती है।
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कुबेर किसका अवतार हैं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार धन के देवता कुबेर ऋषि विश्रवा के पुत्र और लंकापति रावण के सौतेले भाई हैं। विश्रवा का पुत्र होने के नाते कुबेर को वैश्रवण भी कहा जाता है। मान्यता हैं कि घर की उत्तर दिशा में कुबेर देव का वास होता है और ये भगवान शिव के परम भक्त और नौ निधियों के देवता माने जाते हैं।
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ॐ जै यक्ष कुबेर हरे 
स्वामी जै यक्ष कुबेर हरे
शरण पड़े भगतों के 
भण्डार कुबेर भरे 
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे
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शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े 
स्वामी भक्त कुबेर बड़े 
दैत्य दानव मानव से 
कई-कई युद्ध लड़े 
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे
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स्वर्ण सिंहासन बैठे 
सिर पर छत्र फिरे 
स्वामी सिर पर छत्र फिरे 
योगिनी मंगल गावैं 
सब जय जयकार करैं 
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे
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गदा त्रिशूल हाथ में 
शस्त्र बहुत धरे 
स्वामी शस्त्र बहुत धरे
दुख भय संकट मोचन 
धनुष टंकार करें 
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे
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भांति भांति के व्यंजन बहुत बने 
स्वामी व्यंजन बहुत बने 
मोहन भोग लगावैं 
साथ में उड़द चने 
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे
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बल बुद्धि विद्या दाता 
हम तेरी शरण पड़े 
स्वामी हम तेरी शरण पड़े 
अपने भक्त जनों के 
सारे काम संवारे 
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे
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मुकुट मणी की शोभा 
मोतियन हार गले 
स्वामी मोतियन हार गले 
अगर कपूर की बाती 
घी की जोत जले 
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे
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यक्ष कुबेर जी की आरती 
जो कोई नर गावे 
स्वामी जो कोई नर गावे 
कहत प्रेमपाल स्वामी 
मनवांछित फल पावे 
ॐ जै यक्ष कुबेर हरे
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ॐ जै यक्ष कुबेर हरे || कुबेर जी की आरती || Shri Kuber Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Aum jai yakṣha kuber hare 
Svāmī jai yakṣha kuber hare
Sharaṇ paḍe bhagatoan ke 
Bhaṇḍār kuber bhare 
Aum jai yakṣha kuber hare
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Shiv bhaktoan mean bhakta kuber baḍae 
Svāmī bhakta kuber baḍae 
Daitya dānav mānav se 
Kaī-kaī yuddha laḍae 
Aum jai yakṣha kuber hare
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Svarṇa sianhāsan baiṭhe 
Sir par chhatra fire 
Svāmī sir par chhatra fire 
Yoginī mangal gāvaian 
Sab jaya jayakār karaian 
Aum jai yakṣha kuber hare
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Gadā trishūl hāth mean 
Shastra bahut dhare 
Svāmī shastra bahut dhare
Dukh bhaya sankaṭ mochan 
Dhanuṣh ṭankār karean 
Aum jai yakṣha kuber hare
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Bhāanti bhāanti ke vyanjan bahut bane 
Svāmī vyanjan bahut bane 
Mohan bhog lagāvaian 
Sāth mean uḍad chane 
Aum jai yakṣha kuber hare
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Bal buddhi vidyā dātā 
Ham terī sharaṇ paḍae 
Svāmī ham terī sharaṇ paḍae 
Apane bhakta janoan ke 
Sāre kām sanvāre 
Aum jai yakṣha kuber hare
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Mukuṭ maṇī kī shobhā 
Motiyan hār gale 
Svāmī motiyan hār gale 
Agar kapūr kī bātī 
Ghī kī jot jale 
Aum jai yakṣha kuber hare
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Yakṣha kuber jī kī āratī 
Jo koī nar gāve 
Svāmī jo koī nar gāve 
Kahat premapāl swāmī 
Manavāanchhit fal pāve 
Aum jai yakṣha kuber hare
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गुरुवार, 31 अक्तूबर 2024

सुख कर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची || सिद्धिविनायक जी की आरती || Shri Siddhivinayak Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

सुख कर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची || सिद्धिविनायक जी की आरती || Shri Siddhivinayak Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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वक्रतुण्ड महाकाय 
सूर्यकोटि समप्रभ 
निर्विघ्नम् कुरु मे देव 
सर्व कार्येषु सर्वदा
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ॐ गं गणपतये नमो नम: 
श्री सिध्धी-विनायक नमो नम: 
अष्ट-विनायक नमो नम: 
गणपती बाप्पा मौर्य 
मंगल मूर्ति मौर्य 
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सुख कर्ता दुखहर्ता 
वार्ता विघ्नाची 
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची 
सर्वांगी सुन्दर 
उटी-शेंदु राची 
कंठी-झलके माल 
मुकता फळांची 
जय देव जय देव 
जय देव जय देव 
जय मंगल मूर्ति 
दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति 
जय देव जय देव 
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रत्न खचित फरा 
तुझ गौरी कुमरा 
चंदनाची उटी 
कुमकुम केशरा 
हीरे जडित मुकुट 
शोभतो बरा 
रुन्झुनती नूपुरे 
चरनी घागरिया 
जय देव जय देव 
जय देव जय देव 
जय मंगल मूर्ति 
दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति 
जय देव जय देव 
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लम्बोदर पीताम्बर 
फनिवर वंदना 
सरल सोंड 
वक्रतुंडा त्रिनयना 
दास रामाचा 
वाट पाहे सदना 
संकटी पावावे 
निर्वाणी रक्षावे 
सुरवर वंदना 
जय देव जय देव  
जय देव जय देव 
जय मंगल मूर्ति 
दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति 
जय देव जय देव
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शेंदुर-लाल चढायो 
अच्छा गज मुख को 
दोन्दिल लाल बिराजे 
सूत गौरिहर को 
हाथ लिए गुड लड्डू 
साई सुरवर को 
महिमा कहे ना जाय 
लागत हू पद को 
जय देव जय देव 
जय जय जी गणराज 
विद्या सुखदाता 
धन्य तुम्हारो दर्शन 
मेरा मन रमता 
जय देव जय देव
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अष्ट सिधि दासी 
संकट को बैरी 
विघन विनाशन मंगल 
मूरत अधिकारी 
कोटि सूरज प्रकाश 
ऐसे छवि तेरी 
गंडस्थल मदमस्तक 
झूल शशि बहरी 
जय देव जय देव 
जय जय जी गणराज 
विद्या सुखदाता 
धन्य तुम्हारो दर्शन 
मेरा मन रमता 
जय देव जय देव 
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भाव भगत से कोई 
शरणागत आवे 
संतति संपत्ति सब ही 
भरपूर पावे 
ऐसे तुम महाराज 
मोको अति भावे 
गोसावी नंदन 
निशि दिन गुण गावे 
जय देव जय देव 
जय जय जी गणराज 
विद्या सुखदाता 
हो स्वामी सुख दाता 
धन्य तुम्हारो दर्शन 
मेरा मन रमता 
जय देव जय देव
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जय देव जय देव 
जय मंगल मूर्ति
दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति 
जय देव जय देव
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सुख कर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची || सिद्धिविनायक जी की आरती || Shri Siddhivinayak Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Vakratuṇḍa mahākāya 
Sūryakoṭi samaprabh 
Nirvighnam kuru me dev 
Sarva kāryeṣhu sarvadā
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Aum gan gaṇapataye namo nama: 
Shrī sidhdhī-vināyak namo nama: 
Aṣhṭa-vināyak namo nama: 
Gaṇapatī bāppā maurya 
Mangal mūrti maurya 
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Sukh kartā dukhahartā 
Vārtā vighnāchī 
Nūrvī pūrvī prem kṛupā jayāchī 
Sarvāangī sundar 
Uṭī-sheandu rāchī 
Kanṭhī-jhalake māl 
Mukatā faḷāanchī 
Jaya dev jaya dev 
Jaya dev jaya dev 
Jaya mangal mūrti 
Darshan mātre manahkāmanā pūrti 
Jaya dev jaya dev 
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Ratna khachit farā 
Tuz gaurī kumarā 
Chandanāchī uṭī 
Kumakum kesharā 
Hīre jaḍit mukuṭ 
Shobhato barā 
Runzunatī nūpure 
Charanī ghāgariyā 
Jaya dev jaya dev 
Jaya dev jaya dev 
Jaya mangal mūrti 
Darshan mātre manahkāmanā pūrti 
Jaya dev jaya dev 
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Lambodar pītāmbar 
Fanivar vandanā 
Saral soanḍa 
Vakratuanḍā trinayanā 
Dās rāmāchā 
Vāṭ pāhe sadanā 
Sankaṭī pāvāve 
Nirvāṇī rakṣhāve 
Suravar vandanā 
Jaya dev jaya dev  
Jaya dev jaya dev 
Jaya mangal mūrti 
Darshan mātre manahkāmanā pūrti 
Jaya dev jaya deva
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Sheandura-lāl chaḍhāyo 
Achchhā gaj mukh ko 
Dondil lāl birāje 
Sūt gaurihar ko 
Hāth lie guḍ laḍḍū 
Sāī suravar ko 
Mahimā kahe nā jāya 
Lāgat hū pad ko 
Jaya dev jaya dev 
Jaya jaya jī gaṇarāj 
Vidyā sukhadātā 
Dhanya tumhāro darshan 
Merā man ramatā 
Jaya dev jaya deva
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Aṣhṭa sidhi dāsī 
Sankaṭ ko bairī 
Vighan vināshan mangal 
Mūrat adhikārī 
Koṭi sūraj prakāsh 
Aise chhavi terī 
Ganḍasthal madamastak 
Zūl shashi baharī 
Jaya dev jaya dev 
Jaya jaya jī gaṇarāj 
Vidyā sukhadātā 
Dhanya tumhāro darshan 
Merā man ramatā 
Jaya dev jaya dev 
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Bhāv bhagat se koī 
Sharaṇāgat āve 
Santati sanpatti sab hī 
Bharapūr pāve 
Aise tum mahārāj 
Moko ati bhāve 
Gosāvī nandan 
Nishi din guṇ gāve 
Jaya dev jaya dev 
Jaya jaya jī gaṇarāj 
Vidyā sukhadātā 
Ho swāmī sukh dātā 
Dhanya tumhāro darshan 
Merā man ramatā 
Jaya dev jaya deva
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Jaya dev jaya dev 
Jaya mangal mūrti
Darshan mātre manahkāmanā pūrti 
Jaya dev jaya deva
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बुधवार, 30 अक्तूबर 2024

जय गोरख देवा || गोरखनाथ जी की आरती || Baba Gorakhnath Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

जय गोरख देवा || गोरखनाथ जी की आरती || Baba Gorakhnath Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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जय गोरख देवा 
जय गोरख देवा 
कर कृपा मम ऊपर 
नित्य करू सेवा 
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शीश जटा अति सुंदर 
भाल चन्द्र सोहे 
कानन कुंडल झलकत 
निरखत मन मोहे 
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गल सेली विच नाग सुशोभित 
तन भस्मी धारी 
आदि पुरुष योगीश्वर 
संतन हितकारी 
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नाथ निरंजन आप ही 
घट घट के वासी 
करत कृपा निज जन पर 
मेटत यम फांसी 
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रिद्धि सिद्धि चरणों में लोटत 
माया है दासी 
आप अलख अवधूता 
उतराखंड वासी 
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अगम अगोचर अकथ 
अरुपी सबसे हो न्यारे  
योगीजन के आप ही 
सदा हो रखवारे 
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ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा 
निशदिन गुण गावे 
नारद शारद सुर मिल 
चरनन चित लावे 
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चारो युग में आप विराजत 
योगी तन धारी 
सतयुग द्वापर त्रेता 
कलयुग भय टारी 
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गुरु गोरख नाथ की आरती 
निशदिन जो गावे 
विनवित बाल त्रिलोकी 
मुक्ति फल पावे 
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जय गोरख देवा || गोरखनाथ जी की आरती || Baba Gorakhnath Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Jaya gorakh devā 
Jaya gorakh devā 
Kar kṛupā mam ūpar 
Nitya karū sevā 
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Shīsh jaṭā ati suandar 
Bhāl chandra sohe 
Kānan kuanḍal jhalakat 
Nirakhat man mohe 
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Gal selī vich nāg sushobhit 
Tan bhasmī dhārī 
Ādi puruṣh yogīshvar 
Santan hitakārī 
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Nāth niranjan āp hī 
Ghaṭ ghaṭ ke vāsī 
Karat kṛupā nij jan par 
Meṭat yam fāansī 
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Riddhi siddhi charaṇoan mean loṭat 
Māyā hai dāsī 
Āp alakh avadhūtā 
Utarākhanḍa vāsī 
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Agam agochar akath 
Arupī sabase ho nyāre  
Yogījan ke āp hī 
Sadā ho rakhavāre 
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Brahmā viṣhṇu tumhārā 
Nishadin guṇ gāve 
Nārad shārad sur mil 
Charanan chit lāve 
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Chāro yug mean āp virājat 
Yogī tan dhārī 
Satayug dvāpar tretā 
Kalayug bhaya ṭārī 
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Guru gorakh nāth kī āratī 
Nishadin jo gāve 
Vinavit bāl trilokī 
Mukti fal pāve 
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मंगलवार, 29 अक्तूबर 2024

ॐ जय नरसिंह हरे || नरसिंह जी की आरती || Narsingh Bhagwan Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

ॐ जय नरसिंह हरे || नरसिंह जी की आरती || Narsingh Bhagwan Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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श्री नरसिंह अवतार और नरसिंह भगवान की पूजा के बारे में सम्‍पूर्ण जानकारी आरती सहित  

परिचय  

नरसिंह अवतार भगवान विष्‍णु के दशावतार में से एक है और यह भगवान विष्‍णु का एक विशिष्‍ट रूप है जिसमें भगवान नर एवं सिंह के रूप में अपने भक्‍तों के कष्‍टों का हरण करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्‍णु अपने महान भक्‍त प्रहलाद की रक्षा के लिए आधा नर एवं आधा सिंह के रूप में प्रकट हुए और हिरण्‍यकश्‍यप का वध करके धरती को राक्षसों के आतंक से मुक्‍त किया। भगवान नरसिंह अवतार भक्‍तों के मन में अटूट श्रद्धा एवं विश्‍वास पैदा करती है और हमें बताती है कि अगर हम भगवान में हटूट विश्‍वास रखते हैं तो एक न एक दिन वे अवश्‍य ही हमें अपनी शरणागति प्रदान करते हैं। 

नरसिंह अवतार की पौराणिक कथा 

भगवान नरसिंह अवतार की कथा रोचक होने के साथ ही साथ अत्‍यन्‍त प्रेरणादायी भी है। एक बार की बात है कि असुर राज हिरण्‍यकश्‍यप ने अपना आतंक पूरी पृथ्‍वी पर फैला रखा था। हिरण्‍यकश्‍यप ने ब्रह्मदेव की घोर तपस्‍या करके उन्‍हें प्रसन्‍न कर लिया और उनसे अमरता का वरदान मांगा। ब्रह्मदेव ने अमरता के अतिरिक्‍त और कोई अन्‍य वर मांगने को कहा तो हिरण्‍यकश्‍यप ने बड़ी ही चालाकी से यह वर मांगा कि वह न तो पशु से मरे और न ही नर से मरे, न वह दिन में मरे और न ही रात में मरे, न ही वह घर के बाहर मरे और न ही घर के अन्‍दर मरे, न वह जमीन पर मरे और नही वह आसमान में मरे यहॉं तक कि उसने यह भी मांग लिया कि वह किसी भी अस्‍त्र एवं शस्‍त्र से भी न मरे। ब्रह्मदेव ने तथास्‍तु कहकर उसके द्वारा मांगे गये सभी वर दे दिये। वरदान मिलते ही हिरण्‍यकश्‍यप ने पूरी पृथ्‍वी पर आतंक फैला दिया। हिरण्‍यकश्‍यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्‍णु का परम भक्‍त हुआ और इस कारण से हिरण्‍यकश्‍यप ने उन्‍हें अनेक प्रकार से मारने का प्रयास किया। उन्‍हें पहाड़ परे ने नीचे फेंकने का आदेश दिया, पागल हाथी के सामने फेंक दिया और तो और भक्‍त प्रहलाद की बुआ ने भी उन्‍हें मारने में अपने भाई का साथ दिया जिसमें वह स्‍वयं ही जलकर नष्‍ट हो गयी और इस प्रकार होलिका दहन के रूप में होली का त्‍यौहार भी मनाया जाता है। जब हिरण्‍यकश्‍यप का अत्‍याचार अपने चरम पर पहुँच गया तो भगवान ने सोचा कि अब इस अत्‍याचारी राक्षस का अन्‍त कर देना चाहिए। भगवान नरसिंह हिरण्‍यकश्‍यप के राजमहल में एक खम्‍भे से प्रकट हुए जिनका मुँह तो सिंह का था और बाकी का पूरा शरीर मनुष्‍य का था। भगवान नरसिंह ने विकराल रूप धारण कर रखा था और हिरण्‍यकश्यप को घसीट कर उसके महल के दरवाजे (डेहरी) पर ले गये और अपनी जॉंघ पर रखकर अपने नाखूनों से उसके पेट को फाड़ डाला। जब हिरण्‍यकश्‍यप के प्राण उसके शरीर से निकलने लगे तो उसके कहा कि ब्रह्मदेव ने मेरे साथ धोखा किया है उन्‍होंने मुझे अमरता का वरदान दिया था जो कि अब झूठा साबित हो रहा है। इस पर भगवान नरसिंह ने कहा कि तुझे मारने वाला न तो मनुष्‍य है और न ही जानवर है, देख मेरी ओर मैं नरसिंह अवतार में प्रकट हुआ हूँ। तू न तो जमीन पर और न ही आसमान में मर रहा है, मैंने तुझे अपनी जॉंघ पर रख रखा है। तू न तो दिन में मर रहा है और न ही रात में, क्‍योंकि इस समय सूर्यास्‍त होने वाला है। तुझे मैं किसी अस्‍त्र या शस्‍त्र से नहीं वरन अपने नाखूनों से मार रहा हूँ। तू इस समय न अपने घर में है और न ही घर के बाहर है तू अपने घर की डेहरी पर है। इतना कहकर भगवान नरसिंह ने हिरण्‍कश्‍यप के जीवन का अंत कर दिया। भक्‍त प्रहलाद ने भगवान नरसिंह की स्‍तुति की और उनके क्रोध को शान्‍त किया। 

भगवान नरसिंह का स्‍वरूप 

भगवान नरसिंह का स्‍वरूप अत्‍यन्‍त विकराल एवं भयानक होता है। वे जहॉं दैत्‍यों एवं बुरे कर्म करने वालों के काल के रूप में प्रकट होते हैं वहीं अपने भक्‍तों के लिए वात्‍सल्‍य का रूप भी प्रदर्शित करते हैं। उनका मुख तो सिंह का है और बाकी का शरीर मनुष्‍य का है। उनकी ऑंखें तेज से भरी होती हैं। उनकी ऑंखों में भक्‍तों को करुणा के दर्शन होते हैं जबकि दैत्‍यों को वे भयानक लगती हैं। भगवान नरसिंह का विग्रह सदैव वीरता के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाता है जिसमें वे अपनी जॉंघ पर दैत्‍यराज हिरण्‍यकश्‍यप को रखकर उसका वध करते हुए प्रदर्शित होते हैं साथ ही बगल में खड़े हुए प्रहलाद उनकी प्रार्थना करते हुए प्रदर्शित किये जाते हैं। 

नरसिंह भगवान की पूजा 

भगवान नरसिंह की पूजा करने से वे प्रसन्‍न होते हैं और उनकी कृपा से भक्‍तों जीवन से समस्‍याऍं दूर हो जाती हैं। भगवान नरसिंह भक्‍तों के भाव के भूखे होते हैं और थोड़े से प्रयास से भी प्रसन्‍न हो जाते हैं। उनकी पूजन सामग्री इस प्रकार है-
पूजन सामग्री - धूप, दीप, फूल, अक्षत, नैवेद्य (प्रसाद), फल, चन्‍दन आदि  

पूजन विधि -

1- सबसे शुद्ध मन से स्‍नान आदि से निवृत्‍त होकर साफ स्‍थान पर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करके पूजा के लिए तैयार हो जाऍं। 
2- उसके बाद शुद्ध स्‍थान पर स्‍वच्‍छता से गाय के गोबर से लीप कर उस पर आसन बिछा कर भगवान का विग्रह स्‍थापित करना चाहिए। विग्रह न होने पर तस्‍वीर भी लगायी जा सकती है। 
3- उसके उपरान्‍त भगवान को स्‍नान कराके धूप, दीप, नैवेद्य, पूंगीफल आदि से उनकी विधिवत पूजा करनी चाहिए। 
4- पूजा के बाद आरती करें एवं प्रसाद का वितरण करें। 
5- यदि सम्‍भव हो सके तो ब्राह्मण को भोजन करावें अथवा दान करें। 

नरसिंह जयन्‍ती कब मनायी जाती है

भगवान नरसिंह के अवतरण दिवस को भी भगवान नरसिंह जयन्‍ती के रूप में मनाया जाता है। भगवान नरसिंह जयन्‍ती चैत्र मास की शुक्‍ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनायी जाती है। इस दिन भक्‍त पूर्ण उत्‍साह एवं समर्पण के साथ भगवान नरसिंह की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्‍त करते हैं। इस दिन भगवान नरसिंह की कथा सुनने, भजन - कीर्तन आदि करने, दान देने, पवित्र नदी में स्‍नान करने का विशेष महत्‍व माना गया है। 

नरसिंह भगवान की महिमा 

भगवान नरसिंह की पूजा भक्‍तों के मन में उत्‍साह एवं शक्ति का संचार करती है। जो भक्‍तगण सच्‍चे मन से नरसिंह भगवान की पूजा करते हैं उनके जीवन से समस्‍याओं का अन्‍त होता है। भगवान नरसिंह अपने भक्‍तों के जीवन को सुख, समृद्धि और धन-सम्‍पदा से भर देते हैं। भगवान नरसिंह अपने भक्‍तों पर सदैव कृपा बनाये रखते हैं जिससे दुख और क्‍लेश कभी भी उनके पास भी नहीं फटकने पाते। 

नर‍सिंह भगवान की पूजा प्रमुख रूप से कहॉं कहॉं होती है

वैसे तो भगवान नरसिंह की पूजा सम्‍पूर्ण भारत में की जाती है। फिर भी नर‍सिंह भगवान की पूजा निम्नलिखित स्थानों पर विशेष रूप से होती है। इन स्थलों पर विशेष अवसरों, जैसे कि नरसिंह जयंती, पर बड़ी धूमधाम से पूजा और उत्सव मनाए जाते हैं:
1. नरसिंहपुर: मध्य प्रदेश में स्थित, यह स्थान नरसिंह भगवान के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
2. उदपुर: राजस्थान में, यहाँ एक प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर है जहाँ भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
3. कर्नाटक: कर्नाटक के कई स्थानों, जैसे कि हंपी और कुडली में, नरसिंह भगवान के मंदिर हैं।
4. मथुरा: मथुरा में भी नरसिंह भगवान की पूजा विशेष रूप से होती है।
5. हिमाचल प्रदेश: यहाँ के कुछ मंदिरों में भी नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है, जैसे कि नादौन के नरसिंह मंदिर।
6. आंध्र प्रदेश: यहाँ कई स्थानों पर नरसिंह भगवान के मंदिर हैं, विशेष रूप से तिरुपति के निकट।
7. गुजरात: सूरत और द्वारका में भी नरसिंह भगवान की पूजा होती है।

नरसिंह भगवान की आरती

नरसिंह भगवान की पूजा के उपरान्‍त आरती अवश्‍यक करनी चाहिए। आरती एक विशेष प्रार्थना है जो भक्तों द्वारा भगवान की आराधना के दौरान गाई जाती है। यह आरती भगवान नरसिंह की महिमा, शक्ति और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करती है। आरती के द्वारा भक्तों को मानसिक शांति और सुरक्षा का अनुभव होता है। नरसिंह भगवान को समर्पित यह आरती, उनके भक्तों के लिए संकटों से मुक्ति और समृद्धि का संचार करती है। आरती का महत्व केवल भक्ति में नहीं, बल्कि इसे गाते समय मन की एकाग्रता और सकारात्मकता भी महत्वपूर्ण है। जब भक्त आरती गाते हैं, तो वे अपने मन में भक्ति और श्रद्धा को जागृत करते हैं, जो उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। इस प्रकार, नरसिंह भगवान की आरती न केवल एक पूजा का हिस्सा है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मकता एवं ऊजा का संचार करती है। यह भगवान के प्रति भक्‍त की भावनाओं और श्रद्धा को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है।

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ॐ जय नरसिंह हरे 
प्रभु जय नरसिंह हरे 
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे 
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे 
जनका ताप हरे
ॐ जय नरसिंह हरे 
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तुम हो दिन दयाला 
भक्तन हितकारी 
प्रभु भक्तन हितकारी 
अद्भुत रूप बनाकर 
अद्भुत रूप बनाकर 
प्रकटे भय हारी 
ॐ जय नरसिंह हरे
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सबके हृदय विदारण 
दुस्यु जियो मारी 
प्रभु दुस्यु जियो मारी  
दास जान अपनायो 
दास जान अपनायो 
जनपर कृपा करी 
ॐ जय नरसिंह हरे
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ब्रह्मा करत आरती 
माला पहिनावे 
प्रभु माला पहिनावे 
शिवजी जय जय कहकर 
पुष्पन बरसावे 
ॐ जय नरसिंह हरे 
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ॐ जय नरसिंह हरे || नरसिंह जी की आरती || Narsingh Bhagwan Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Aum jaya narasianha hare 
Prabhu jaya narasianha hare 
Stanbha fāḍa prabhu prakaṭe 
Stanbha fāḍa prabhu prakaṭe 
Janakā tāp hare
Aum jaya narasianha hare 
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Tum ho din dayālā 
Bhaktan hitakārī 
Prabhu bhaktan hitakārī 
Adbhut rūp banākar 
Adbhut rūp banākar 
Prakaṭe bhaya hārī 
Aum jaya narasianha hare
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Sabake hṛudaya vidāraṇ 
Dusyu jiyo mārī 
Prabhu dusyu jiyo mārī  
Dās jān apanāyo 
Dās jān apanāyo 
Janapar kṛupā karī 
Aum jaya narasianha hare
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Brahmā karat āratī 
Mālā pahināve 
Prabhu mālā pahināve 
Shivajī jaya jaya kahakar 
Puṣhpan barasāve 
Aum jaya narasianha hare 
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सोमवार, 28 अक्तूबर 2024

ॐ जय एकादशी जय एकादशी || एकादशी जी की आरती || Ekadashi Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

ॐ जय एकादशी जय एकादशी || एकादशी जी की आरती || Ekadashi Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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एकादशी का व्रत : एक परिचय 

एकादशी व्रत हिन्‍दू धर्म का एक विशेष व्रत माना गया है। यह व्रत प्रत्येक मास की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को रखा जाता है। संस्‍कृत में 'एकादश' शब्द का अर्थ ग्‍यारह होता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे धार्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एकादशी का व्रत रखने से भक्तों को सुख एवं समृद्धि के साथ साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि एकादशी के दिन उपवास करने से व्यक्ति के पापों का क्षय होता है जिससे उसका आत्‍मबल जाग्रत होता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने एक राक्षसी 'मुर' का वध करने के लिए एकादशी के दिन उपवास किया था। इस घटना से एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया।

इसके अलावा, एकादशी व्रत का पालन करने से भक्तों को ध्यान और साधना में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत करने वाला केवल जल का सेवन करे या फल-फूल खाकर दिन व्‍यतीत करे। एकादशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। यह व्रत मानसिक स्थिरता और आत्मसंयम का अभ्यास करने का एक अवसर है।
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ॐ जय एकादशी जय एकादशी 
जय एकादशी माता 
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर 
शक्ति मुक्ति पाता
ॐ जय एकादशी माता
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तेरे नाम गिनाऊं देवी 
भक्ति प्रदान करनी 
गण गौरव की देनी माता 
शास्त्रों में वरनी
ॐ जय एकादशी माता
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मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना 
विश्वतारनी जन्मी 
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा 
मुक्तिदाता बन आई
ॐ जय एकादशी माता
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पौष के कृष्णपक्ष की 
सफला नामक है 
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा 
आनन्द अधिक रहै
ॐ जय एकादशी माता
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नाम षटतिला माघ मास में 
कृष्णपक्ष आवै 
शुक्लपक्ष में जया कहावै 
विजय सदा पावै
ॐ जय एकादशी माता
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विजया फागुन कृष्णपक्ष में 
शुक्ला आमलकी 
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में 
चैत्र महाबलि की
ॐ जय एकादशी माता
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चैत्र शुक्ल में नाम कामदा 
धन देने वाली 
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में 
वैसाख माह वाली
ॐ जय एकादशी माता
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शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी 
अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी 
नाम निर्जला सब सुख करनी 
शुक्लपक्ष रखी
ॐ जय एकादशी माता
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योगिनी नाम आषाढ में जानों 
कृष्णपक्ष करनी 
देवशयनी नाम कहायो 
शुक्लपक्ष धरनी
ॐ जय एकादशी माता
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कामिका श्रावण मास में आवै 
कृष्णपक्ष कहिए 
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा 
आनन्द से रहिए
ॐ जय एकादशी माता
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अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की 
परिवर्तिनी शुक्ला 
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में 
व्रत से भवसागर निकला
ॐ जय एकादशी माता
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पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में 
आप हरनहारी 
रमा मास कार्तिक में आवै 
सुखदायक भारी
ॐ जय एकादशी माता
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देवोत्थानी शुक्लपक्ष की 
दुखनाशक मैया 
पावन मास में करूं विनती 
पार करो नैया
ॐ जय एकादशी माता
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परमा कृष्णपक्ष में होती 
जन मंगल करनी 
शुक्ल मास में होय पद्मिनी 
दुख दारिद्र हरनी
ॐ जय एकादशी माता
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जो कोई आरती एकादशी की 
भक्ति सहित गावै
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा 
निश्चय वह पावै
ॐ जय एकादशी माता
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ॐ जय एकादशी जय एकादशी || एकादशी जी की आरती || Ekadashi Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Aum jaya ekādashī jaya ekādashī 
Jaya ekādashī mātā 
Viṣhṇu pūjā vrat ko dhāraṇ kar 
Shakti mukti pātā
Aum jaya ekādashī mātā
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Tere nām gināūan devī 
Bhakti pradān karanī 
Gaṇ gaurav kī denī mātā 
Shāstroan mean varanī
Aum jaya ekādashī mātā
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Mārgashīrṣha ke kṛuṣhṇapakṣha kī utpannā 
Vishvatāranī janmī 
Shukla pakṣha mean huī mokṣhadā 
Muktidātā ban āī
Aum jaya ekādashī mātā
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Pauṣh ke kṛuṣhṇapakṣha kī 
Safalā nāmak hai 
Shuklapakṣha mean hoya putradā 
Ānanda adhik rahai
Aum jaya ekādashī mātā
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Nām ṣhaṭatilā māgh mās mean 
Kṛuṣhṇapakṣha āvai 
Shuklapakṣha mean jayā kahāvai 
Vijaya sadā pāvai
Aum jaya ekādashī mātā
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Vijayā fāgun kṛuṣhṇapakṣha mean 
Shuklā āmalakī 
Pāpamochanī kṛuṣhṇa pakṣha mean 
Chaitra mahābali kī
Aum jaya ekādashī mātā
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Chaitra shukla mean nām kāmadā 
Dhan dene vālī 
Nām baruthinī kṛuṣhṇapakṣha mean 
Vaisākh māh vālī
Aum jaya ekādashī mātā
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Shukla pakṣha mean hoya mohinī 
Aparā jyeṣhṭha kṛuṣhṇapakṣhī 
Nām nirjalā sab sukh karanī 
Shuklapakṣha rakhī
Aum jaya ekādashī mātā
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Yoginī nām āṣhāḍh mean jānoan 
Kṛuṣhṇapakṣha karanī 
Devashayanī nām kahāyo 
Shuklapakṣha dharanī
Aum jaya ekādashī mātā
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Kāmikā shrāvaṇ mās mean āvai 
Kṛuṣhṇapakṣha kahie 
Shrāvaṇ shuklā hoya pavitrā 
Ānanda se rahie
Aum jaya ekādashī mātā
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Ajā bhādrapad kṛuṣhṇapakṣha kī 
Parivartinī shuklā 
Indrā āshchin kṛuṣhṇapakṣha mean 
Vrat se bhavasāgar nikalā
Aum jaya ekādashī mātā
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Pāpāankushā hai shukla pakṣha mean 
Āp haranahārī 
Ramā mās kārtik mean āvai 
Sukhadāyak bhārī
Aum jaya ekādashī mātā
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Devotthānī shuklapakṣha kī 
Dukhanāshak maiyā 
Pāvan mās mean karūan vinatī 
Pār karo naiyā
Aum jaya ekādashī mātā
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Paramā kṛuṣhṇapakṣha mean hotī 
Jan mangal karanī 
Shukla mās mean hoya padminī 
Dukh dāridra haranī
Aum jaya ekādashī mātā
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Jo koī āratī ekādashī kī 
Bhakti sahit gāvai
Jan guraditā svarga kā vāsā 
Nishchaya vah pāvai
Aum jaya ekādashī mātā
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