रविवार, 28 नवंबर 2021

श्री भैरव चालीसा || जय जय श्री काली के लाला || Jay Jay Shri Kali Ke Lala || Shri Bhairav Chalisa || Kashi Kotwal Chalisa || Bhairav Stuti lyrics in Hindi

श्री भैरव चालीसा ||जय जय श्री काली के लाला ||  Jay Jay Shri Kali Ke Lala || Shri Bhairav Chalisa || Kashi Kotwal Chalisa || Bhairav Stuti lyrics in Hindi 

(चित्र गूगल से साभार)

।। दोहा ।।


श्री गणपति गुरु गौरी पद प्रेम सहित धरि माथ।

चालीसा वंदन करो श्री शिव भैरवनाथ॥

श्री भैरव संकट हरण मंगल करण कृपाल।

श्याम वरण विकराल वपु लोचन लाल विशाल॥


।। चालीसा ।। 


जय जय श्री काली के लाला।

जयति जयति काशी-कुतवाला॥


जयति बटुक-भैरव भय हारी।

जयति काल-भैरव बलकारी॥


जयति नाथ-भैरव विख्याता।

जयति सर्व-भैरव सुखदाता॥


भैरव रूप कियो शिव धारण।

भव के भार उतारण कारण॥


बटुक नाथ हो काल गंभीरा। 

श्‍वेत रक्त अरु श्याम शरीरा॥


करत नीनहूं रूप प्रकाशा। 

भरत सुभक्तन कहं शुभ आशा।।


रत्‍न जड़ित कंचन सिंहासन। 

व्याघ्र चर्म शुचि नर्म सुआनन।।


तुमहि जाइ काशिहिं जन ध्यावहिं। 

विश्वनाथ कहं दर्शन पावहिं।।


जय प्रभु संहारक सुनन्द जय। 

जय उन्नत हर उमा नन्द जय।।


भीम त्रिलोचन स्वान साथ जय। 

वैजनाथ श्री जगतनाथ जय।।


महा भीम भीषण शरीर जय। 

रुद्र त्रयम्बक धीर वीर जय।।


अश्‍वनाथ जय प्रेतनाथ जय। 

स्वानारूढ़ सयचंद्र नाथ जय।।


निमिष दिगंबर चक्रनाथ जय। 

गहत अनाथन नाथ हाथ जय।।


त्रेशलेश भूतेश चंद्र जय। 

क्रोध वत्स अमरेश नन्द जय।।


श्री वामन नकुलेश चण्ड जय। 

कृत्याऊ कीरति प्रचण्ड जय।।


रुद्र बटुक क्रोधेश कालधर। 

चक्र तुण्ड दश पाणिव्याल धर।।


करि मद पान शम्भु गुणगावत। 

चौंसठ योगिन संग नचावत।।


करत कृपा जन पर बहु ढंगा। 

काशी कोतवाल अड़बंगा।।


देय काल भैरव जब सोटा। 

नसै पाप मोटा से मोटा।।


जनकर निर्मल होय शरीरा। 

मिटै सकल संकट भव पीरा।।


श्री भैरव भूतों के राजा। 

बाधा हरत करत शुभ काजा।।


ऐलादी के दुख निवारयो। 

सदा कृपाकरि काज सम्हारयो।।


सुन्दर दास सहित अनुरागा। 

श्री दुर्वासा निकट प्रयागा।।


श्री भैरव जी की जय लेख्यो। 

सकल कामना पूरण देख्यो।।


।। दोहा ।।


जय जय जय भैरव बटुक स्वामी संकट टार।

कृपा दास पर कीजिए शंकर के अवतार।।

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श्री ललिता माता की आरती || श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि || Shri Lalita Mata Ki Aarti || Shri Mateshwari Jay Tripureshwari || Lalita Mata Prayagraj Allahabad

श्री ललिता माता की आरती || श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि || Shri Lalita Mata Ki Aarti || Shri Mateshwari Jay Tripureshwari || Lalita Mata Prayagraj Allahabad


श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि।

राजेश्वरि जय नमो नम:।।


करुणामयी सकल अघ हारिणि।

अमृत वर्षिणि नमो नम:।।


जय शरणं वरणं नमो नम:

श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि।

राजेश्वरि जय नमो नम:।।


अशुभ विनाशिनि, सब सुखदायिनि।

खलदल नाशिनि नमो नम:।।


भंडासुर वध कारिणि जय मां।

करुणा कलिते नमो नम:।।


जय शरणं वरणं नमो नम:

श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि।

राजेश्वरि जय नमो नम:।।


भव भय हारिणि कष्ट निवारिणि।

शरण गती दो नमो नम:।।


शिव भामिनि साधक मन हारिणि।

आदि शक्ति जय नमो नम:।।


जय शरणं वरणं नमो नम:!

श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि।

राजेश्वरि जय नमो नम:।।


जय त्रिपुर सुंदरी नमो नम:।

जय राजेश्वरि जय नमो नम:।।


जय ललितेश्वरि जय नमो नम:।

जय अमृत वर्षिणि नमो नम:।।


जय करुणा कलिते नमो नम:।

श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि।

राजेश्वरि जय नमो नम:।।

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ललिता माता चालीसा || जयति-जयति जय ललिते माता || Shri Lalita Mata Chalisa || Jayati Jayati Jay Lalita Mata || Lalita Mata Stuti || Arti Lyrics in Hindi

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ललिता माता चालीसा || जयति-जयति जय ललिते माता || Shri Lalita Mata Chalisa || Jayati Jayati Jay Lalita Mata || Lalita Mata Stuti || Arti Lyrics in Hindi

ललिता माता चालीसा || जयति-जयति जय ललिते माता || Shri Lalita Mata Chalisa || Jayati Jayati Jay Lalita Mata || Lalita Mata Stuti || Arti Lyrics in Hindi


।। चौपाई ।।

 

जयति-जयति जय ललिते माता। 

तव गुण महिमा है विख्याता।।


तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी। 

सुर नर मुनि तेरे पद सेवी।।

 

तू कल्याणी कष्ट निवारिणि। 

तू सुख दायिनी, विपदा हारिणि ।।


मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी। 

भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी।।

 

आदि शक्ति श्री विद्या रूपा। 

चक्र स्वामिनी देह अनूपा।।


हृदय निवासिनी-भक्त तारिणी। 

नाना कष्ट विपति दल हारिणी।।

 

दश विद्या है रूप तुम्हारा। 

श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा।।


धूमा, बगला, भैरवी, तारा। 

भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा।।

 

षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी। 

ललितेशक्ति तुम्हारी संगी।।


ललिते तुम हो ज्योतित भाला। 

भक्तजनों का काम संभाला।।

 

भारी संकट जब-जब आए। 

उनसे तुमने भक्त बचाए।।


जिसने कृपा तुम्हारी पाई। 

उसकी सब विधि से बन आई।।

 

संकट दूर करो मां भारी। 

भक्तजनों को आस तुम्हारी।।


त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी। 

जय-जय-जय शिव की महारानी।।

 

योग सिद्धि पावें सब योगी। 

भोगें भोग महा सुख भोगी।।


कृपा तुम्हारी पाके माता। 

जीवन सुखमय है बन जाता।।

 

दुखियों को तुमने अपनाया। 

महा मूढ़ जो शरण न आया।।


तुमने जिसकी ओर निहारा। 

मिली उसे संपत्ति, सुख सारा।।

 

आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी। 

महाशक्ति जय-जय, भय हारी।।


कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा। 

लीला ललिते करें अनूपा।।

 

महा-महेश्वरी, महाशक्ति दे। 

त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे।।


महा महा-नन्दे कल्याणी। 

मूकों को देती हो वाणी।।

 

इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी। 

होता तव सेवा अनुरागी।।


जो ललिते तेरा गुण गावे। 

उसे न कोई कष्ट सतावे।।

 

सर्व मंगले ज्वाला-मालिनी। 

तुम हो सर्वशक्ति संचालिनी।।


आया मॉं जो शरण तुम्हारी। 

विपदा हरी उसी की सारी।।

 

नामा कर्षिणी, चिंता कर्षिणी। 

सर्व मोहिनी सब सुख-वर्षिणी।।


महिमा तव सब जग विख्याता। 

तुम हो दयामयी जग माता।।

 

सब सौभाग्य दायिनी ललिता। 

तुम हो सुखदा करुणा कलिता।।


आनंद, सुख, संपत्ति देती हो। 

कष्ट भयानक हर लेती हो।।

 

मन से जो जन तुमको ध्यावे। 

वह तुरंत मन वांछित पावे।।


लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली। 

तुम्हीं शारदा चक्र-कपाली।।

 

मूलाधार, निवासिनी जय-जय। 

सहस्रार गामिनी मॉं जय-जय।।


छ: चक्रों को भेदने वाली। 

करती हो सबकी रखवाली।।

 

योगी, भोगी, क्रोधी, कामी। 

सब हैं सेवक सब अनुगामी।।


सबको पार लगाती हो मॉं। 

सब पर दया दिखाती हो मां।।

 

हेमावती, उमा, ब्रह्माणी। 

भण्डासुर की हृदय विदारिणी।।


सर्व विपति हर, सर्वाधारे। 

तुमने कुटिल कुपंथी तारे।।

 

चन्द्र-धारिणी, नैमिश्वासिनी। 

कृपा करो ललिते अधनाशिनी।।


भक्तजनों को दरस दिखाओ। 

संशय भय सब शीघ्र मिटाओ।।

 

जो कोई पढ़े ललिता चालीसा। 

होवे सुख आनंद अधीसा।।


जिस पर कोई संकट आवे। 

पाठ करे संकट मिट जावे।।

 

ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा। 

पूर्ण मनोरथ होवे सारा।।


पुत्रहीन संतति सुख पावे। 

निर्धन धनी बने गुण गावे।।

 

इस विधि पाठ करे जो कोई। 

दु:ख बंधन छूटे सुख होई।।


जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें। 

पढ़ें चालीसा तो सुख पावें।।

 

सबसे लघु उपाय यह जानो। 

सिद्ध होय मन में जो ठानो।।


ललिता करे हृदय में बासा। 

सिद्धि देत ललिता चालीसा।।

 

।। दोहा ।।

 

ललिते मां अब कृपा करो सिद्ध करो सब काम।

श्रद्धा से सिर नाय कर करते तुम्हें प्रणाम।।


श्री ललिता माता की आरती || श्री मातेश्वरि जय त्रिपुरेश्वरि || Shri Lalita Mata Ki Aarti || Shri Mateshwari Jay Tripureshwari || Lalita Mata Prayagraj Allahabad

आरती श्री वृषभानुसुता की || Aarati Shri Vrishbhanusuta ki || Shri Radha Ji Ki Aarti || Radha Rani Ji Ki Aarti || Shri Radha Stuti || Shri Radha Sarkar Ki Aarti ||

आरती श्री वृषभानुसुता की || Aarati Shri Vrishbhanusuta ki || Shri Radha Ji Ki Aarti || Radha Rani Ji Ki Aarti || Shri Radha Stuti || Shri Radha Sarkar Ki Aarti || 


आरती श्री वृषभानुसुता की

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।


त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि

विमल विवेकविराग विकासिनि।।


पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि

सुन्दरतम छवि सुन्दरता की।।


आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।


मुनि मन मोहन मोहन मोहनि

मधुर मनोहर मूरति सोहनि।।


अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि

प्रिय अति सदा सखी ललिता की।।


आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।


संतत सेव्य सत मुनि जनकी

आकर अमित दिव्यगुन गनकी।।


आकर्षिणी कृष्ण तन मन की

अति अमूल्य सम्पति समता की।।


आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।


कृष्णात्मिका कृष्ण सहचारिणि

चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि।।


जगज्जननि जग दुःखनिवारिणि

आदि अनादि शक्ति विभुता की।।


आरती श्री वृषभानुसुता की।

मंजुल मूर्ति मोहन ममता की।।

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श्री राधे वृषभानुजा  भक्तनि प्राणाधार || Shri Radhe Vrishbhanuja || Shri Radha Chalisa || Radha Stuti || Radha Keertan || श्री राधा चालीसा

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श्री राधा चालीसा || श्री राधे वृषभानुजा भक्तनि प्राणाधार || Shri Radhe Vrishbhanuja || Shri Radha Chalisa || Radha Stuti || Radha Keertan

श्री राधा चालीसा // श्री राधे वृषभानुजा  भक्तनि प्राणाधार //Shri Radhe Vrishbhanuja//Shri Radha Chalisa//Radha Stuti//Radha Keertan 


।।दोहा ।।

श्री राधे वृषभानुजा

भक्तनि प्राणाधार ।

वृन्दाविपिन विहारिणी

प्राणवौ बारम्बार ।।


जैसो तैसो रावरौ

कृष्ण प्रिया सुखधाम।

चरण शरण निज दीजिये

सुन्दर सुखद ललाम ।।


।। चौपाई ।।

जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा ।

कीरति नंदिनी शोभा धामा ॥


नित्य विहारिनि रस विस्‍तारिनि ।

अमित मोद मंगल दातारा ।।


रास विलासिनि रस विस्तारिनि ।

सहचरि सुभग यूथ मन भावनि।।


नित्य किशोरी राधा गोरी ।

श्याम प्रन्नाधन अति जिया भोरी ।।


करुना सागर हिय उमंगिनी ।

ललितादिक सखियन की संगिनि ।।


दिनकर कन्या कूल विहारिनि ।

कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनि ।।


नित्य श्याम तुमरौ गुण गावैं ।

राधा राधा कहि हरषावैं ।।


मुरली में नित नाम उचारें ।

तुम कारण लीला वपु धारें ।।


प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी ।

श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।।


नवल किशोरी अति छवि धामा ।

द्युति लघु लगै कोटि रति कामा ।।


गौरांगी शशि निंदक वदना ।

सुभग चपल अनियारे नैना ।।


जावक युत युग पंकज चरना ।

नूपुर ध्वनि प्रीतम मन हरना ।।


सन्‍तत सहचरि सेवा करहीं ।

महा मोद मंगल मन भरहीं ।।


रसिकन जीवन प्राण अधारा ।

राधा नाम सकल सुख सारा ।।


अगम अगोचर नित्य स्वरूपा ।

ध्यान धरत निशिदिन ब्रजभूपा ।।


उपजेउ जासु अंश गुण खानी ।

कोटिन उमा रमा ब्रह्मनी ।।


नित्य धाम गोलोक विहारिनि ।

जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ।।


शिव अज मुनि सनकादिक नारद ।

पार न पॉंइ शेष अरु शारद ।।


राधा शुभ गुण रूप उजारी ।

निरखि प्रसन्‍न होता बनवारी ।।


ब्रज जीवन धन राधा रानी ।

महिमा अमित न जाय बखानी ।।


प्रीतम संग देइ गल बाहीं ।

बिहरत नित वृन्दावन माहीं ।।


राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा ।

एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।।


श्री राधा मोहन मन हरनी ।

जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ।।


कोटिक रूप धरें नन्द नन्‍दा ।

दरश करन हित गोकुल चन्‍दा ।।


रास केलि कर तुम्हें रिझावें ।

मान करौ जब अति दुःख पावें ।।


प्रफुलित होत दर्श जब पावें ।

विविध भांति नित विनय सुनावें ।।


वृन्‍दारण्‍य विहारिणि श्यामा ।

नाम लेत पूरण सब कामा ।।


कोटिन यज्ञ तपस्या करहूँ ।

विविध नेम व्रत हिय में धरहूँ  ।।


तउ न श्याम भक्ताहिं अहनावें ।

जब लगि राधा नाम न गावें ।।


वृंदाविपिन स्वामिनी राधा ।

लीला वपु तव अमित अगाधा ।।


स्वयं कृष्ण पावहिं नहिं पारा ।

और तुम्‍हैं को जानन हारा ।।


श्रीराधा रस प्रीती अभेदा ।

सादर गान करत नित वेदा ।।


राधा त्यागि कृष्ण को भजिहैं ।

ते सपनेहुँ जग जलधि न तरिहैं ।।


कीरति कुँवरि लाडली राधा ।

सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा।। 


नाम अमंगल मूल नासवन।

विविध ताप हर हरि मनभावन।।


राधा नाम ले जो कोई ।

सहजहिं दामोदर वश होई ।।


राधा नाम परम सुखदायी ।

भजतहिं कृपा करहिं यदुराई ।।


यशुमति नंदन पीछे फिरहैं ।

जो कोउ राधा नाम सुमिरिहैं ।।


रास विहारिनि श्यामा प्यारी ।

करहुँ कृपा बरसाने वारी ।।


वृन्दावन है शरण तिहारी ।

जय जय जय वृशभानु दुलारी ।।


।। दोहा ।।

श्री राधा सर्वेश्वरी रसिकेश्वर धनश्याम ।

करहुँ निरंतर बास मैं श्री वृन्दावन धाम ।।

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आरती श्री वृषभानुसुता की // Aarati Shri Vrishbhanusuta Ki // Shri Radha Ji Ki Aarti // Radha Rani Ji Ki Aarti // Shri Radha Stuti // Shri Radha Sarkar Ki Aarti

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