रविवार, 20 जून 2010

श्री रामायण जी की आरती (Aarti Shri Ramayan Ji ki)


महर्षि वाल्मीकि



आरति श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिय पी की॥

गावत ब्रह्‌मादिक मुनि नारद।
बाल्मीकि बिग्यान बिसारद॥
सुक सनकादि सेष अरु सारद।
बरन पवनसुत कीरति नीकी॥१॥

गावत बेद पुरान अष्टदस।
छओ सास्त्र सब ग्रंथन को रस॥
मुनि जन धन संतन को सरबस।
सार अंस संमत सबही की॥ २॥

गावत संतत संभु भवानी।
अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी॥
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी।
कागभुसंडि गरुण के ही की॥३॥

कलिमल हरनि बिषय रस फीकी।
सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की॥
दलन रोग भव मूरि अमी की।
तात मात सब बिधि तुलसी की॥४॥

आरति श्री रामायण जी की।
कीरति कलित ललित सिय पी की॥

बोलो सिया वर राम चन्द्र की जय
पवन सुत हनुमान की जय।

गोस्वामी तुलसीदास
चित्र
http://www.exoticindiaart.com/panels/saints_of_india__goswami_tulsidas_wd70.jpg
http://upload.wikimedia.org/wikipedia/en/3/3e/Valmiki_ramayan.jpg  से साभार

शुक्रवार, 18 जून 2010

आरती श्री शनि देव जी की Shri Shani Dev Ji Ki Aarti


जय जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी,
सूर्य पुत्र प्रभुछाया महतारी॥ जय जय जय शनि देव॥

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी,
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥ जय ॥

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी,
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी॥ जय ॥

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी,
लोहा तिल तेल उड द महिषी अति प्यारी ॥ जय ॥

देव दनुज ऋषि मुनी सुमिरत नर नारी,
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ॥ जय जय जय श्री शनि देव॥

चित्र https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhEy_SQIulH7s04NiW87PJGBaPOxZAywCSSZWQQNLNfT4XHNaqmEY0VW3pyJmiiq4cf5Mb7ytHfaOUVuePCuKUsWtjQPZhZY3yuHmrGgxuWLTzImCpnuXO1Yn1-yHxShjzAWaKXG6fANMnF/s1600/shani-dev.jpg से साभार

रविवार, 13 जून 2010

श्री जानकीनाथ जी की आरती (Shri Janki Nath Ji Ki Aarti)



ओउम जय जानकिनाथा,
हो प्रभु जय श्री रघुनाथा।
दोउ कर जोड़े विनवौं,
प्रभु मेरी सुनो बाता॥ ओउम॥

तुम रघुनाथ हमारे,
प्राण पिता माता।
तुम हो सजन संघाती,
भक्ति मुक्ति दाता ॥ ओउम॥

चौरासी प्रभु फन्द छुड़ावो,
मेटो यम त्रासा।
निश दिन प्रभु मोहि राखो,
अपने संग साथा॥ ओउम॥

सीताराम लक्ष्मण भरत शत्रुहन,
संग चारौं भैया।
जगमग ज्योति विराजत,
शोभा अति लहिया॥ ओउम॥

हनुमत नाद बजावत,
नेवर ठुमकाता।
कंचन थाल आरती,
करत कौशल्या माता॥ ओउम॥

किरिट मुकुट कर धनुष विराजत, 
शोभा अति भारी।
मनीराम दरशन कर, तुलसिदास दरशन कर, 
पल पल बलिहारी॥ ओउम॥

जय जानकिनाथा,
हो प्रभु जय श्री रघुनाथा।
हो प्रभु जय सीता माता,
हो प्रभु जय लक्ष्मण भ्राता॥ ओउम॥

हो प्रभु जय चारौं भ्राता,
हो प्रभु जय हनुमत दासा।
दोउ कर जोड़े विनवौं,
प्रभु मेरी सुनो बाता॥ ओउम॥

रविवार, 6 जून 2010

आरती गणेश जी की (Aarti Ganesh Ji Ki)

आरती गणेश जी की (Aarti Ganesh Ji Ki)



जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥

हार चढ़ै , फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा।
लडुअन का भोग लागे, सन्त करें सेवा॥

दीनन की लाज राखो शंभु सुतवारी।
कामना को पूरा करो जग बलिहारी॥

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥


सब प्रेम से बोलो श्री गणेश भगवान की जय


सोमवार, 31 मई 2010

जय अंबे गौरी || दुर्गा मैया की आरती || Durga Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

जय अंबे गौरी || दुर्गा मैया की आरती || Durga Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

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जय अंबे गौरी 
मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निश दिन ध्यावत 
हरि ब्रह्‌मा शिवरी॥
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मांग सिंदूर विराजत 
टीको मृगमद को।
उज्ज्वल से दोउ नैना 
चन्द्रवदन नीको॥
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कनक समान कलेवर 
रक्तांबर राजे।
रक्तपुष्प की माला
कंठन पर साजे॥
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केहरि वाहन राजत 
खड्‌ग खप्पर धारी।
सुर-नर-मुनि जन सेवत 
तिनके दुख हारी॥
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कानन कुंडल शोभित 
नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर 
राजत सम ज्योति॥
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शुंभ-निशुंभ बिदारे 
महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना 
निशदिन मदमाती॥
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चंड-मुंड संहारे 
शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे 
सुर भयहीन करे॥
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ब्रह्‌माणी, रुद्राणी 
तुम कमला रानी।
आगम निगम बखानी 
तुम शिव पटरानी॥
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चौंसठ योगिनी मंगल गावत 
नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा 
अरु बाजत डमरू॥
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तुम ही जग की माता 
तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरता 
सुख संपति करता॥
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भुजा चार अति शोभित 
वरमुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत 
सेवत नर-नारी॥
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कंचन थाल विराजत 
अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत 
कोटि रतन ज्योति॥
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श्री अम्बे जी की आरती 
जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी 
सुख-सम्पत्ति पावे॥
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बोलो अम्बे मैया की जय
बोलो दुर्गे मैया की जय
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जय अंबे गौरी || दुर्गा मैया की आरती || Durga Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi and English

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Jaya aanbe gaurī 
Maiyā jaya shyāmā gaurī।
Tumako nish din dhyāvat 
Hari brahmā shivarī॥
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Māanga siandūr virājat 
Ṭīko mṛugamad ko।
Ujjval se dou nainā 
Chandravadan nīko॥
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Kanak samān kalevar 
Raktāanbar rāje।
Raktapuṣhpa kī mālā
Kanṭhan par sāje॥
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Kehari vāhan rājat 
Khaḍg khappar dhārī।
Sura-nara-muni jan sevat 
Tinake dukh hārī॥
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Kānan kuanḍal shobhit 
Nāsāgre motī।
Koṭik chandra divākar 
Rājat sam jyoti॥
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Shuanbha-nishuanbha bidāre 
Mahiṣhāsur ghātī।
Dhūmra vilochan nainā 
Nishadin madamātī॥
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Chanḍa-muanḍa sanhāre 
Shoṇit bīj hare।
Madhu-kaiṭabh dou māre 
Sur bhayahīn kare॥
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Brahmāṇī, rudrāṇī 
Tum kamalā rānī।
Āgam nigam bakhānī 
Tum shiv paṭarānī॥
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Chauansaṭh yoginī mangal gāvat 
Nṛutya karat bhairū।
Bājat tāl mṛudangā 
Aru bājat ḍamarū॥
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Tum hī jag kī mātā 
Tum hī ho bharatā।
Bhaktan kī dukh haratā 
Sukh sanpati karatā॥
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Bhujā chār ati shobhit 
Varamudrā dhārī।
Manavāanchhit fal pāvat 
Sevat nara-nārī॥
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Kanchan thāl virājat 
Agar kapūr bātī।
Shrīmālaketu mean rājat 
Koṭi ratan jyoti॥
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Shrī ambe jī kī āratī 
Jo koī nar gāve।
Kahat shivānanda swāmī 
Sukha-sampatti pāve॥
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Bolo ambe maiyā kī jaya
Bolo durge maiyā kī jaya
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