जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके | Jo Nahi Dhyaye Tumhe Ambike | Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi
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**संक्षिप्त परिचय - अन्नपूर्णा दो शब्दों से मिलकर बना है- 'अन्न' का अर्थ है भोजन और 'पूर्णा' का अर्थ है 'पूरी तरह से भरा हुआ'। अन्नपूर्णा भोजन और रसोई की देवी हैं। वह देवी पार्वती का अवतार हैं जो शिव की पत्नी हैं। वह पोषण की देवी हैं और अपने भक्तों को कभी भोजन के बिना नहीं रहने देतीं।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा (Goddess Annapurna) की तस्वीर रसोईघर में लगाने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। उनका दूसरा नाम 'अन्नदा' है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर सूखा पड़ गया। जमीन बंजर हो गई। फसलें, फलों आदि की पैदावार ना होने से जीवन का संकट आ गया। तब भगवान शिव ने पृथ्वीवासियों के कल्याण के लिए भिक्षुक का स्वरूप धारण किया और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया। देवी दुर्गा शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक हैं, देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं, देवी सरस्वती ज्ञान और शिक्षा से जुड़ी हैं, देवी काली व्यक्तिगत राक्षसों और नकारात्मकता को दूर करने में मदद करती हैं, देवी अन्नपूर्णा की पूजा भोजन और पोषण के लिए की जाती है। वास्तु शास्त्र की मानें तो माता अन्नपूर्णा की तस्वीर के लिए सबसे शुभ दिशा पूर्व-दक्षिण यानी कि आग्नेय कोण का मध्य भाग होता है। इस दिशा में देवताओं का वास होता है। इसलिए यहां मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है और कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।
आप सभी माता अन्नपूर्णा की प्राप्ति हेतु आरती का पाठ कर सकते हैं -
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके
कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो
लेत होत सब काम ॥
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बारम्बार प्रणाम
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर
कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
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बारम्बार प्रणाम
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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चूमहि चरण चतुर चतुरानन
चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर
शोभा लखहि ललाम ॥
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बारम्बार प्रणाम
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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देवि देव! दयनीय दशा में
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल
शरण रूप तब धाम ॥
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बारम्बार प्रणाम
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या
श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी
वर दे तू निष्काम ॥
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बारम्बार प्रणाम
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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