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“जय जगदीश हरे” आरती हिंदू भक्ति परंपरा की अत्यंत प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। यह आरती भगवान विष्णु / जगदीश को समर्पित है और प्रायः प्रातः और संध्या समय पूजा आयोजन में पाठ की जाती है। आरती के मूल भाव है — प्रभु की स्तुति, आश्रय प्रार्थना, भक्त की अनुग्रह याचना। यह आरती ईश्वर को अनादि, अनंत, अविनाशी, सर्वशक्तिमान और सर्वव्यापी मानते हुए स्तुति करती है। भक्त स्वयम् को पापी, कलुषित एवं छोटा मानता है और ईश्वर से दया, आश्रय एवं मोक्ष की याचना करता है। यह आरती हमारे देश में सबसे अधिक गायी जाने वाली आरतियों में गिनी जाती है। मंदिरों, घरों, भजन मंडली और धार्मिक आयोजनों में इसे संध्या और आरती समय नियमित रूप से गाया जाता है। इसके भाव एवं सरलता से यह आम भक्तों तक भी पहुँची। यह भजन गीतप्रेस गोरखपुर से प्रकाशित पुस्तक भजन संग्रह (पॉंचवाँ भाग) पत्र पुष्प से लिया गया है। इस हेतु हम पुस्तक के सम्पादक, प्रकाशक एवं लेखक के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करते हैं।
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जय जगदीश हरे
प्रभु ! जय जगदीश हरे !
मायातीत, महेश्वर,
मन-वच-बुद्धि परे ॥ जय
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आदि, अनादि, अगोचर,
अविचल, अविनाशी।
अतुल, अनंत, अनामय,
अमित शक्ति-राशी ॥1॥ जय
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अमल, अकल, अज,
अक्षय, अव्यय, अविकारी ।
सत-चित-सुखमय, सुंदर,
शिव, सत्ताधारी ॥2॥ जय
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विधि, हरि, शंकर, गणपति,
सूर्य, शक्तिरूपा ।
विश्व-चराचर तुमहीं,
तुमहीं जग-भूपा ॥3॥ जय
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माता-पिता-पितामह-
स्वामि-सुहृद-भर्ता ।
विश्वोत्पादक-पालक-
रक्षक-संहर्ता ।।4।। जय
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साक्षी, शरण, सखा, प्रिय,
प्रियतम, पूर्ण, प्रभो ।
केवल, काल, कलानिधि,
कालातीत, विभो ॥5॥ जय
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राम-कृष्ण, करुणामय,
प्रेमामृत-सागर ।
मनमोहन, मुरलीधर,
नित-नव, नटनागर ॥6॥ जय
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सब विधि हीन, मलिनमति,
हम अति पातकिजन ।
प्रभु-पद-विमुख अभागी,
कलि-कलुषित तन-मन ॥7॥ जय
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आश्रय-दान दयार्णव !
हम सबको दीजे ।
पाप-ताप हर हरि ! सब,
निज-जन कर लीजे ॥ 8 ॥ जय
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जय जगदीश हरे | जगदीश्वर की आरती | Aarti Lyrics in Hindi and English
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Jai Jagdish Hare
Prabhu! Jai Jagdish Hare!
Mayateet, Maheshwar,
Man-Vach-Buddhi Pare ॥ Jai
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Aadi, Anaadi, Agochar,
Avichal, Avinaashi.
Atul, Anant, Anamay,
Amit Shakti-Raashi ॥1॥ Jai
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Amal, Akal, Aj,
Akshay, Avyay, Avikaari.
Sat-Chit-Sukhmay, Sundar,
Shiv, Sattadhaari ॥2॥ Jai
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Vidhi, Hari, Shankar, Ganpati,
Surya, Shaktirupa.
Vishv-Charachar Tumheen,
Tumheen Jag-Bhoopa ॥3॥ Jai
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Mata-Pita-Pitamah-
Swami-Suhrit-Bharta.
Vishvotpaadak-Paalak-
Rakshak-Sanharta ॥4॥ Jai
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Saakshee, Sharan, Sakha, Priya,
Priyatam, Poorn, Prabho.
Keval, Kaal, Kalaanidhi,
Kaalateet, Vibho ॥5॥ Jai
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Ram-Krishn, Karunamay,
Premamrit-Sagar.
Manmohan, Murlidhar,
Nit-Nav, Natnaagar ॥6॥ Jai
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Sab Vidhi Heen, Malinmati,
Hum Ati Paatakijan.
Prabhu-Pad-Vimukh Abhaagi,
Kali-Kalushit Tan-Man ॥7॥ Jai
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Aashray-Daan Dayaarṇav
Hum Sabko Deeje.
Paap-Taap Har Hari! Sab,
Nij-Jan Kar Leeje ॥8॥ Jai
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