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मंगलवार, 16 सितंबर 2025

श्री झूलेलाल चालीसा हिंदी में | Jhulelal Chalisa Lyrics in Hindi and English

श्री झूलेलाल चालीसा हिंदी में | Jhulelal Chalisa Lyrics in Hindi and English

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श्री झूलेलाल चालीसा हिंदी में | Jhulelal Chalisa Lyrics in Hindi and English
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जलदेवता झूलेलाल जी की स्तुति हेतु चालीसा पाठ के लाभ, महत्व और संपूर्ण पाठ

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झूलेलाल जी को सिंधी समाज और जल के देवता के रूप में पूजा जाता है। इन्हें वरुण देवता का अवतार माना जाता है। जलदेवता झूलेलाल जी की आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और उन्नति प्राप्त होती है। भक्तजन उनकी कृपा के लिए झूलेलाल चालीसा का नियमित पाठ करते हैं। यह चालीसा न केवल भक्ति का अद्भुत माध्यम है बल्कि जीवन के दुखों को दूर करने और इच्छाओं की पूर्ति का भी साधन है।
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झूलेलाल चालीसा का महत्व (Jhulelal Chalisa Ka Mahatva)

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झूलेलाल जी की स्तुति करने से व्यक्ति को आत्मिक शांति और शक्ति मिलती है। जलदेवता झूलेलाल जी की कृपा से जीवन के संकट दूर होते हैं। और यदि जीवन में कोई संकट आ भी जाये तो श्री झूलेलाल जी की कृपा से वे शीघ्र ही दूर हो जाते हैं। परिवार में सुख-समृद्धि और एकता बनी रहती है। भक्त की मनोकामनाएं श्रीझूलेलाल जी अवश्‍य पूर्ण करते हैं। भक्‍तों में सकारात्‍मकता का संचार होता है तथा नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएं दूर होती हैं। मानसिक शांति और आत्मबल पुष्‍ट होता है। चालीसा का पाठ 40 दिनों तक लगातार करने से भक्त को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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झूलेलाल चालीसा पाठ के लाभ (Jhulelal Chalisa Path Ke Labh)

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चालीसा पाठ के लाभ अनेकों हैं, जो भक्त के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाते हैं। इसका पाठ कठिन समय में हिम्मत और आत्मविश्वास प्रदान करता है तथा कठिनाइयों से लड़ने की क्षमता उत्‍पन्‍न करता है। जीवन की रुकावटें और बाधाएं समाप्त होती हैं। घर-परिवार में शांति और समृद्धि आती है। जल संबंधी समस्याओं और प्राकृतिक विपदाओं से रक्षा होती है। व्यक्ति के भीतर श्रद्धा और भक्ति की भावना बढ़ती है।
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संपूर्ण झूलेलाल चालीसा पाठ (Sampurna Jhulelal Chalisa Path)

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भक्तजन प्रतिदिन प्रातःकाल और सायं काल में झूलेलाल चालीसा का पाठ करते हैं। इस पाठ में झूलेलाल जी के जीवन, चमत्कारों और भक्तों के दुख दूर करने के प्रसंग वर्णित हैं। चालीसा का पाठ करते समय दीप जलाना और शुद्ध भाव से ध्यान लगाना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
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जलदेवता झूलेलाल जी की स्तुति के लिए झूलेलाल चालीसा का पाठ अत्यंत शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। इसके माध्यम से भक्त को आध्यात्मिक बल तो  मिलता ही है साथ ही जीवन के कष्ट भी समाप्त होते हैं। यदि आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि चाहते हैं, तो नियमित रूप से श्रद्धा और भक्ति भाव से झूलेलाल चालीसा का पाठ अवश्य करें।
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॥ दोहा ॥
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जय जय जल देवता,
जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उदेरो लाल जय,
झूलेलाल अनूप ॥
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॥ चौपाई ॥
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रतनलाल रतनाणी नंदन ।
जयति देवकी सुत जग वन्दन ॥
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दरियाशाह वरुण अवतारी ।
जय जय लाल साईं सुखकारी ॥
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जय जय होय धर्म की भीरा ।
जिन्दा पीर हरे जन पीरा ॥
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संवत दस सौ सात मंझरा ।
चैत्र शुक्ल द्वितीया भगव वारा ॥४॥
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ग्राम नसरपुर सिंध प्रदेशा ।
प्रभु अवतारे हरे जन कलेशा ॥
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सिन्धु वीर ठट्ठा राजधानी ।
मिरखशाह नौप अति अभिमानी ॥
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कपटी कुटिल क्रूर कुविचारी ।
यवन मलिनमन अत्याचारी ॥
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धर्मांतरण करे सब केरा ।
दुखी हुए जन कष्ट वृंदा ॥८॥
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पित्वाया हाकिम ढिंढोरा ।
हो इस्लाम धर्म चाहुँओरा ॥
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सिंधी प्रजा बहुत घबराई ।
इष्ट देव को टेर लगाएं ॥
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वरुण देव पूजे बहुंभाति ।
बिन जल अन्न गए दिन राती ॥
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सिंधी तीर सब दिन चालीसा ।
घर घर ध्यान लगाये ईशा ॥१२॥
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गरज उठ नाद सिन्धु सहसा ।
चारो और उठ नव हर्षा ॥
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वरुणदेव ने सुनी पुकारा ।
प्रकटे वरुण मीन आसवारा ॥
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दिव्य पुरुष जल ब्रह्मा स्वरूपा ।
कर पुस्तक नवरूप अनुना ॥
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हर्षित हुए सकल नर नारी ।
वरुणदेव की महिमा न्यारी ॥१६॥
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जय जय कारसंभव चाहुँओरा ।
गयी रात आने को भोर॥
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मिरखशाह नौप अत्याचारी ।
नष्ट हो गयी शक्ति सारी ॥
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दूर अधर्म, हरण भू भारा ।
शीघ्र नसरपुर में अवतारा ॥
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रतनराय रातनानी आँगन ।
खेलेंगे, आउंगा बच्चा बन ॥२०॥
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रतनराय घर ख़ुशी आई ।
झूलेलाल अवतारे सब देय बधाई ॥
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घर घर मंगल गीत सुहाए ।
झूलेलाल हरण दुःखे ॥
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मिर्खशाह तक चर्चा आई ।
भेजा मंत्री क्रोध दूरा॥
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मंत्री ने जब बाल निहारा ।
धीरज गया हृदय का सारा ॥२४॥
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देखि मंत्री साईं की लीला ।
अधिक विचित्र विमोहन शीला ॥
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बूढ़ा दिखा युवा सेनानी ।
देखा मंत्री बुद्धि चक्रानी ॥
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योद्धा रूप दिखे भगवाना ।
मंत्री हुए विगत अभिमान ॥
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झूलेलाल दिया आदेश ।
जा तव नूपति कहोसंदेशा ॥२८॥
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मिरखशाह नौप ताजे गुमाना ।
हिन्दू मुस्लिम एक समाना ॥
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बंद करो नित्य अत्याचार ।
त्यागो धर्मान्तरण विचारा ॥
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लेकिन मिर्खशाह अभिमानी ।
वरुणदेव की बात न मानी ॥
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एक दिन हो अश्व सवारा ।
झूलेलाल गये दरबारा ॥३२॥
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मिर्खशाह नौप ने आज्ञा दी ।
झूलेलाल बनाओ बंदी ॥
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किया स्वरूप वरुण का धारण ।
चारो और हुआ जल प्लावन ॥
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पठाकी डूबे उतराये ।
नौप के होश ठिकाने आये ॥
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फिर तब पड़ा चरण में आई ।
जय जय धन्य जय साईं ॥३६॥
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वापस लिया नौपति आदेश ।
दूर दूर सब जन क्लेशा ॥
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संवत दस सौ बीस मंझारी ।
भाद्रशुक्ल चौदस शुभकारी ॥
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भक्तो की हर आधी व्याधि ।
जल में ली जलदेव समाधि ॥
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जो जन धरे आज भी ध्यान ।
उनका वरुण करे कल्याणा ॥४०॥
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॥ दोहा ॥
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चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय ।
पावे मन्वांचित फल अरु जीवन सुखमय होय ॥
॥ ॐ श्री वरुणाय नमः ॥
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श्री झूलेलाल चालीसा हिंदी में | Jhulelal Chalisa Lyrics in Hindi and English

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॥ Doha ॥
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Jai Jai Jal Devta,
Jai Jyoti Swaroop ।
Amar Udero Lal Jai,
Jhulelal Anoop ॥
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॥ Chaupai ॥
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Ratanlal Ratanani Nandan ।
Jayati Devki Sut Jag Vandan ॥
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Dariyashah Varun Avatari ।
Jai Jai Lal Saain Sukhkari ॥
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Jai Jai Hoy Dharm Ki Bheera ।
Jinda Peer Hare Jan Peera ॥
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Samvat Das Sau Saat Manjhara ।
Chaitra Shukl Dvitiya Bhagav Vara ॥4॥
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Gram Nasarpur Sindh Pradesh ।
Prabhu Avatare Hare Jan Klesha ॥
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Sindhu Veer Thattha Rajdhani ।
Mirkhshah Naup Ati Abhimani ॥
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Kapati Kutil Krur Kuvichari ।
Yavan Malinman Atyachari ॥
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Dharmantaran Kare Sab Kera ।
Dukhi Hue Jan Kasht Vrinda ॥8॥
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Pitvaya Hakim Dhindhora ।
Ho Islam Dharm Chahuyora ॥
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Sindhi Praja Bahut Ghabrai ।
Isht Dev Ko Ter Lagaye ॥
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Varun Dev Puje Bahumbhati ।
Bin Jal Ann Gaye Din Rati ॥
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Sindhi Teer Sab Din Chalisa ।
Ghar Ghar Dhyan Lagaye Isha ॥12॥
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Garaj Uth Naad Sindhu Sahsa ।
Charo Aur Uth Nav Harsha ॥
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Varun Dev Ne Suni Pukara ।
Prakate Varun Meen Aswara ॥
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Divya Purush Jal Brahma Swaroopa ।
Kar Pustak Navroop Anuna ॥
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Harshit Hue Sakal Nar Naari ।
Varun Dev Ki Mahima Nyari ॥16॥
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Jai Jai Karasambhav Chahuyora ।
Gayi Raat Aane Ko Bhor ॥
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Mirkhshah Naup Atyachari ।
Nasht Ho Gayi Shakti Saari ॥
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Door Adharm, Haran Bhu Bhaara ।
Shighra Nasarpur Mein Avtara ॥
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Ratanray Ratanani Aangan ।
Khelenge, Aaunga Bachcha Ban ॥20॥
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Ratanray Ghar Khushi Aayi ।
Jhulelal Avatare Sab Dey Badhai ॥
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Ghar Ghar Mangal Geet Suhaye ।
Jhulelal Haran Dukhe ॥
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Mirkhshah Tak Charcha Aayi ।
Bheja Mantri Krodh Doora ॥
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Mantri Ne Jab Baal Nihara ।
Dheeraj Gaya Hriday Ka Saara ॥24॥
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Dekhi Mantri Saain Ki Leela ।
Adhik Vichitra Vimohan Sheela ॥
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Boodha Dikha Yuva Senani ।
Dekha Mantri Buddhi Chakrani ॥
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Yoddha Roop Dikhe Bhagwana ।
Mantri Hue Vigt Abhiman ॥
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Jhulelal Diya Aadesh ।
Ja Tav Nupati Kaho Sandesha ॥28॥
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Mirkhshah Naup Taje Gumana ।
Hindu Muslim Ek Samana ॥
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Band Karo Nitya Atyachar ।
Tyago Dharmantaran Vichara ॥
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Lekin Mirkhshah Abhimani ।
Varun Dev Ki Baat Na Mani ॥
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Ek Din Ho Ashva Sawara ।
Jhulelal Gaye Darbara ॥32॥
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Mirkhshah Naup Ne Aagya Di ।
Jhulelal Banao Bandi ॥
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Kiya Swaroop Varun Ka Dharan ।
Charo Aur Hua Jal Plavan ॥
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Pathaki Doobe Utaraye ।
Naup Ke Hosh Thikane Aaye ॥
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Fir Tab Pada Charan Mein Aayi ।
Jai Jai Dhanya Jai Saain ॥36॥
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Vapas Liya Naupati Aadesh ।
Door Door Sab Jan Klesha ॥
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Samvat Das Sau Bees Manjhari ।
Bhadra Shukl Chaudas Shubhkaari ॥
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Bhakto Ki Har Adhi Vyadhi ।
Jal Mein Li Jaldev Samadhi ॥
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Jo Jan Dhare Aaj Bhi Dhyan ।
Unka Varun Kare Kalyaan ॥40॥
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॥ Doha ॥
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Chalisa Chalis Din Paath Kare Jo Koy ।
Paave Manvanchhit Phal Aru Jeevan Sukhmaya Hoy ॥
॥ Om Shri Varunay Namah ॥
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Frequently Asked Questions (FAQ) : Jhulelal Chalisa

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1. झूलेलाल जी कौन हैं?
झूलेलाल जी को जलदेवता और वरुण देव का अवतार माना जाता है। वे सिंधी समाज के आराध्य देव हैं और जल तथा जीवन के रक्षक कहलाते हैं।
*
2. झूलेलाल चालीसा का महत्व क्या है?
झूलेलाल चालीसा का पाठ करने से जीवन के संकट दूर होते हैं, मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
*
3. झूलेलाल चालीसा पाठ कब करना चाहिए?
भक्तजन प्रातःकाल या सायंकाल शुद्ध मन और भक्ति भाव से दीप जलाकर चालीसा का पाठ करते हैं।
*
4. चालीसा का पाठ कितने दिनों तक करना शुभ होता है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, झूलेलाल चालीसा का 40 दिनों तक लगातार पाठ करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
*
5. झूलेलाल चालीसा पढ़ने के लाभ क्या हैं?
इस पाठ से दुख, संकट और बाधाएं दूर होती हैं, मानसिक शांति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
*
6. क्या झूलेलाल चालीसा पाठ जल संबंधी समस्याओं से रक्षा करता है?
हाँ, मान्यता है कि चालीसा पाठ से जल संबंधी रोग, आपदा या विपत्ति से सुरक्षा मिलती है।
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7. झूलेलाल चालीसा पाठ करने की सही विधि क्या है?
स्नान करके, दीपक जलाकर और शुद्ध मन से ध्यान लगाकर चालीसा का पाठ करना सबसे उत्तम माना जाता है।
*
8. क्या स्त्रियाँ भी झूलेलाल चालीसा का पाठ कर सकती हैं?
हाँ, स्त्री-पुरुष दोनों ही भक्ति भाव से चालीसा पाठ कर सकते हैं और झूलेलाल जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
*
9. क्या झूलेलाल चालीसा पाठ से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं?
हाँ, श्रद्धा और विश्वास के साथ नियमित रूप से चालीसा पाठ करने पर भक्त की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
*
10. झूलेलाल चालीसा का पाठ किन लोगों को विशेष रूप से करना चाहिए?
जो व्यक्ति जीवन में संकट, मानसिक तनाव, जल संबंधी समस्या या परिवारिक कलह से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह पाठ विशेष लाभकारी है।
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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन || श्री कृष्ण चालीसा लिरिक्‍स || Shri Krisha Chalisa Lyrics in Hindi & English

जय यदुनन्दन जय जगवन्दन || श्री कृष्ण चालीसा लिरिक्‍स || Shri Krisha Chalisa Lyrics in Hindi & English

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दोहा
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बंशी शोभित कर मधुर
नील जलद तन श्याम
अरुण अधर जनु बिम्बा फल 
पिताम्बर शुभ साज
जय मनमोहन मदन छवि 
कृष्णचन्द्र महाराज
करहु कृपा हे रवि तनय 
राखहु जन की लाज
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चौपाई
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जय यदुनन्दन जय जगवन्दन
जय वसुदेव देवकी नन्दन
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे
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जय नट-नागर नाग नथैया
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो
आओ दीनन कष्ट निवारो
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वंशी मधुर अधर धरी तेरी
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो
आओ हरि पुनि माखन चाखो
आज लाज भारत की राखो
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गोल कपोल चिबुक अरुणारे
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे
रंजित राजिव नयन विशाला
मोर मुकुट वैजयंती माला
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कुण्डल श्रवण पीतपट आछे
कटि किंकणी काछन काछे
नील जलज सुन्दर तनु सोहे
छवि लखि सुर नर मुनिमन मोहे
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मस्तक तिलक अलक घुंघराले
आओ कृष्ण बांसुरी वाले
करि पय पान पूतनहि तारयो
अका बका कागासुर मारयो
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मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला
भै शीतल लखितहिं नन्दलाला
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई
मसूर धार वारि वर्षाई
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लगत-लगत ब्रज चहन बहायो
गोवर्धन नखधारि बचायो
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई
मुख महं चौदह भुवन दिखाई
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दुष्ट कंस अति उधम मचायो
कोटि कमल जब फूल मंगायो
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें
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करि गोपिन संग रास विलासा
सबकी पूरण करी अभिलाषा
केतिक महा असुर संहारयो
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो
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मात-पिता की बन्दि छुड़ाई
उग्रसेन कहं राज दिलाई
महि से मृतक छहों सुत लायो
मातु देवकी शोक मिटायो
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भौमासुर मुर दैत्य संहारी
लाये षट दश सहसकुमारी
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा
जरासिंधु राक्षस कहं मारा
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असुर बकासुर आदिक मारयो
भक्तन के तब कष्ट निवारियो
दीन सुदामा के दुःख टारयो
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो
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प्रेम के साग विदुर घर मांगे
दुर्योधन के मेवा त्यागे
लखि प्रेम की महिमा भारी
ऐसे श्याम दीन हितकारी
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भारत के पारथ रथ हांके
लिए चक्र कर नहिं बल ताके
निज गीता के ज्ञान सुनाये
भक्तन हृदय सुधा वर्षाये
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मीरा थी ऐसी मतवाली
विष पी गई बजाकर ताली
राना भेजा सांप पिटारी
शालिग्राम बने बनवारी
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निज माया तुम विधिहिं दिखायो
उर ते संशय सकल मिटायो
तब शत निन्दा करी तत्काला
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला
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जबहिं द्रौपदी टेर लगाई
दीनानाथ लाज अब जाई
तुरतहिं वसन बने ननन्दलाला
बढ़े चीर भै अरि मुह काला
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अस नाथ के नाथ कन्हैया
डूबत भंवर बचावत नैया
सुन्दरदास आस उर धारी
दयादृष्टि कीजै बनवारी
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नाथ सकल मम कुमति निवारो
क्षमहु बेगि अपराध हमारो
खोलो पट अब दर्शन दीजै
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै
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दोहा
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यह चालीसा कृष्ण का 
पाठ करै उर धारि
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल 
लहै पदारथ चारि
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जय यदुनन्दन जय जगवन्दन || श्री कृष्ण चालीसा लिरिक्‍स || Shri Krisha Chalisa Lyrics in Hindi & English

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Doha
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Banshi Shobhit Kar Madhur
Neel Jalad Tan Shyaam
Arun Adhar Janu Bimba Phal
Pitambar Shubh Saaj
Jai Manmohan Madan Chhavi
Krishnachandra Maharaj
Karahu Kripa He Ravi Tanay
Rakhahu Jan Ki Laaj
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Chaupai
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Jai Yadunandan Jai Jagvandan
Jai Vasudev Devaki Nandan
Jai Yashuda Sut Nand Dulaare
Jai Prabhu Bhaktan Ke Drig Taare
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Jai Nat-Naagar Naag Nathaiya
Krishna Kanhaiya Dhenu Charaiya
Puni Nakh Par Prabhu Girivar Dharo
Aao Deenan Kasht Nivaro
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Vanshi Madhur Adhar Dhari Teri
Hove Poorn Manorath Mero
Aao Hari Puni Makhan Chaakho
Aaj Laaj Bharat Ki Rakho
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Gol Kapol Chibuk Arunaare
Mridu Muskaan Mohini Daare
Ranjit Raajiv Nayan Vishaala
Mor Mukut Vaijayanti Maala
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Kundal Shravan Peetapat Aache
Kati Kinkani Kaachan Kaache
Neel Jalaj Sundar Tanu Sohe
Chhavi Lakhi Sur Nar Muniman Mohe
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Mastak Tilak Alak Ghungraale
Aao Krishna Bansuri Waale
Kari Pay Paan Putanahi Taarayo
Aka Baka Kaagasur Maarayo
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Madhuvan Jalat Agni Jab Jwaala
Bhai Sheetal Lakhitahi Nandalaala
Surpati Jab Braj Chadhayo Risaai
Masoor Dhaar Waari Varshaai
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Lagat-Lagat Braj Chahan Bahaayo
Govardhan Nakhdhaari Bachaayo
Lakhi Yasuda Man Bhram Adhikaai
Mukh Maham Choudah Bhuvan Dikhaai
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Dusht Kans Ati Udham Machaayo
Koti Kamal Jab Phool Mangaayo
Naathi Kaaliyahi Tab Tum Leenhe
Charanchinh Dai Nirbhay Kinhe
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Kari Gopin Sang Raas Vilaasa
Sabki Poorn Kari Abhilaasha
Ketik Maha Asur Sanhaarayo
Kansahi Kes Pakad Dai Maarayo
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Maat-Pita Ki Bandi Chhudhaai
Ugrasen Kah Raj Dilaai
Mahi Se Mrutak Chhahon Sut Laayo
Maatu Devaki Shok Mitayo
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Bhaumaasur Mur Daitya Sanhaari
Laaye Shat Dash Sahasakumaari
Dai Bhinhi Trin Cheer Sahara
Jarasindhu Rakshas Kah Maara
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Asur Bakasur Aadik Maarayo
Bhaktan Ke Tab Kasht Nivaryo
Deen Sudaama Ke Dukh Taarayo
Tandul Teen Munth Mukh Daarayo
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Prem Ke Saag Vidur Ghar Maange
Duryodhan Ke Meva Tyaage
Lakhi Prem Ki Mahima Bhaari
Aise Shyaam Deen Hitkaari
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Bharat Ke Paarath Rath Haanke
Liye Chakr Kar Nahin Bal Taake
Nij Geeta Ke Gyaan Sunaaye
Bhaktan Hriday Sudha Varshaaye
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Meera Thi Aisi Matwaali
Vish Pee Gayi Bajaakar Taali
Raana Bheja Saamp Pitari
Shaligram Bane Banwaari
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Nij Maaya Tum Vidhihin Dikhaayo
Ur Te Sanshay Sakal Mitayo
Tab Shat Ninda Kari Tatkaala
Jeevan Mukt Bhayo Shishupaala
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Jabahi Draupadi Ter Lagai
Deenanaath Laaj Ab Jaai
Turatahi Vasan Bane Nandalaala
Badhe Cheer Bhai Ari Muh Kaala
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As Naath Ke Naath Kanhaiya
Doobat Bhanvar Bachaavat Naiya
Sundardas Aas Ur Dhaari
Dayaadrishti Keejai Banwaari
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Naath Sakal Mam Kumati Nivaro
Kshamahu Begi Aparaadh Hamaro
Kholon Pat Ab Darshan Deejai
Bolo Krishna Kanhaiya Ki Jai
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Doha
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Yah Chaalisa Krishna Ka
Paath Karai Ur Dhaari
Asht Siddhi Navnidhi Phal
Lahai Padaarath Chaari
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गुरुवार, 18 जनवरी 2024

राम प्रिया रघुपति रघुराई | Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi and English

राम प्रिया रघुपति रघुराई | Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi and English

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॥दोहा ॥
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बन्दौ चरण सरोज निज 
जनक लली सुख धाम ।
राम प्रिय किरपा करें 
सुमिरौं आठों धाम ॥
कीरति गाथा जो पढ़ें 
सुधरैं सगरे काम ।
मन मन्दिर बासा करें 
दुःख भंजन सिया राम ॥
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॥ चौपाई ॥
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राम प्रिया रघुपति रघुराई । 
बैदेही की कीरत गाई ॥१॥
चरण कमल बन्दों सिर नाई । 
सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥२॥
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जनक दुलारी राघव प्यारी । 
भरत लखन शत्रुहन वारी ॥३॥
दिव्या धरा सों उपजी सीता । 
मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥४॥
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सिया रूप भायो मनवा अति । 
रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥५॥
भारी शिव धनुष खींचै जोई । 
सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥६॥
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भूपति नरपति रावण संगा । 
नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥७॥
जनक निराश भए लखि कारन । 
जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥८॥
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यह सुन विश्वामित्र मुस्काए । 
राम लखन मुनि सीस नवाए ॥९॥
आज्ञा पाई उठे रघुराई । 
इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥१०॥
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जनक सुता गौरी सिर नावा । 
राम रूप उनके हिय भावा ॥११॥
मारत पलक राम कर धनु लै । 
खंड खंड करि पटकिन भूपै ॥१२॥
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जय जयकार हुई अति भारी । 
आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥१३॥
सिय चली जयमाल सम्हाले । 
मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥१४॥
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मंगल बाज बजे चहुँ ओरा । 
परे राम संग सिया के फेरा ॥१५॥
लौटी बारात अवधपुर आई । 
तीनों मातु करैं नोराई ॥१६॥
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कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा । 
मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा ॥१७॥
कौशल्या सूत भेंट दियो सिय । 
हरख अपार हुए सीता हिय ॥१८॥
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सब विधि बांटी बधाई । 
राजतिलक कई युक्ति सुनाई ॥१९॥
मंद मती मंथरा अडाइन । 
राम न भरत राजपद पाइन ॥२०॥
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कैकेई कोप भवन मा गइली । 
वचन पति सों अपनेई गहिली ॥२१॥
चौदह बरस कोप बनवासा । 
भरत राजपद देहि दिलासा ॥२२॥
**
आज्ञा मानि चले रघुराई । 
संग जानकी लक्षमन भाई ॥२३॥
सिय श्री राम पथ पथ भटकैं । 
मृग मारीचि देखि मन अटकै ॥२४॥
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राम गए माया मृग मारन । 
रावण साधु बन्यो सिय कारन ॥२५॥
भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो । 
लंका जाई डरावन लाग्यो ॥२६॥
**
राम वियोग सों सिय अकुलानी । 
रावण सों कही कर्कश बानी ॥२७॥
हनुमान प्रभु लाए अंगूठी । 
सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी ॥२८॥
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अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा । 
महावीर सिय शीश नवावा ॥२९॥
सेतु बाँधी प्रभु लंका जीती । 
भक्त विभीषण सों करि प्रीती ॥३०॥
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चढ़ि विमान सिय रघुपति आए । 
भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए ॥३१॥
अवध नरेश पाई राघव से । 
सिय महारानी देखि हिय हुलसे ॥३२॥
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रजक बोल सुनी सिय वन भेजी । 
लखनलाल प्रभु बात सहेजी ॥३३॥
बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो । 
लव-कुश जन्म वहाँ पै लीन्हो ॥३४॥
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विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं । 
दोनुह रामचरित रट लीन्ही ॥३५॥
लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी । 
रामसिया सुत दुई पहिचानी ॥३६॥
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भूलमानि सिय वापस लाए । 
राम जानकी सबहि सुहाए ॥३७॥
सती प्रमाणिकता केहि कारन । 
बसुंधरा सिय के हिय धारन ॥३८॥
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अवनि सुता अवनी मां सोई । 
राम जानकी यही विधि खोई ॥३९॥
पतिव्रता मर्यादित माता । 
सीता सती नवावों माथा ॥४०॥
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॥ दोहा ॥
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जनकसुता अवनिधिया 
राम प्रिया लव-कुश मात ।
चरणकमल जेहि उन बसै 
सीता सुमिरै प्रात ॥
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राम प्रिया रघुपति रघुराई | Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi and English

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॥dohā ॥
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Bandau charaṇ saroj nij 
Janak lalī sukh dhām ।
Rām priya kirapā karean 
Sumirauan āṭhoan dhām ॥
Kīrati gāthā jo paḍhaean 
Sudharaian sagare kām ।
Man mandir bāsā karean 
Duahkha bhanjan siyā rām ॥
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॥ chaupāī ॥
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Rām priyā raghupati raghurāī । 
Baidehī kī kīrat gāī ॥1॥
Charaṇ kamal bandoan sir nāī । 
Siya surasari sab pāp nasāī ॥2॥
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Janak dulārī rāghav pyārī । 
Bharat lakhan shatruhan vārī ॥3॥
Divyā dharā soan upajī sītā । 
Mithileshvar bhayo neh atītā ॥4॥
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Siyā rūp bhāyo manavā ati । 
Rachyo svayanvar janak mahīpati ॥5॥
Bhārī shiv dhanuṣh khīanchai joī । 
Siya jayamāl sājihaian soī ॥6॥
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Bhūpati narapati rāvaṇ sangā । 
Nāhian kari sake shiv dhanu bhangā ॥7॥
Janak nirāsh bhae lakhi kāran । 
Janamyo nāhian avanimohi tāran ॥8॥
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Yah sun vishvāmitra muskāe । 
Rām lakhan muni sīs navāe ॥9॥
Ājnyā pāī uṭhe raghurāī । 
Iṣhṭa dev guru hiyahian manāī ॥10॥
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Janak sutā gaurī sir nāvā । 
Rām rūp unake hiya bhāvā ॥11॥
Mārat palak rām kar dhanu lai । 
Khanḍa khanḍa kari paṭakin bhūpai ॥12॥
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Jaya jayakār huī ati bhārī । 
Ānandit bhae sabaian nar nārī ॥13॥
Siya chalī jayamāl samhāle । 
Mudit hoya grīvā mean ḍāle ॥14॥
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Mangal bāj baje chahu orā । 
Pare rām sanga siyā ke ferā ॥15॥
Lauṭī bārāt avadhapur āī । 
Tīnoan mātu karaian norāī ॥16॥
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Kaikeī kanak bhavan siya dīnhā । 
Mātu sumitrā godahi līnhā ॥17॥
Kaushalyā sūt bheanṭa diyo siya । 
Harakh apār hue sītā hiya ॥18॥
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Sab vidhi bāanṭī badhāī । 
Rājatilak kaī yukti sunāī ॥19॥
Manda matī mantharā aḍāin । 
Rām n bharat rājapad pāin ॥20॥
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Kaikeī kop bhavan mā gailī । 
Vachan pati soan apaneī gahilī ॥21॥
Chaudah baras kop banavāsā । 
Bharat rājapad dehi dilāsā ॥22॥
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Ājnyā māni chale raghurāī । 
Sanga jānakī lakṣhaman bhāī ॥23॥
Siya shrī rām path path bhaṭakaian । 
Mṛug mārīchi dekhi man aṭakai ॥24॥
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Rām gae māyā mṛug māran । 
Rāvaṇ sādhu banyo siya kāran ॥25॥
Bhikṣhā kai mis lai siya bhāgyo । 
Lankā jāī ḍarāvan lāgyo ॥26॥
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Rām viyog soan siya akulānī । 
Rāvaṇ soan kahī karkash bānī ॥27॥
Hanumān prabhu lāe aangūṭhī । 
Siya chūḍaāmaṇi dihin anūṭhī ॥28॥
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Aṣhṭhasiddhi navanidhi var pāvā । 
Mahāvīr siya shīsh navāvā ॥29॥
Setu bādhī prabhu lankā jītī । 
Bhakta vibhīṣhaṇ soan kari prītī ॥30॥
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Chaḍhai vimān siya raghupati āe । 
Bharat bhrāt prabhu charaṇ suhāe ॥31॥
Avadh naresh pāī rāghav se । 
Siya mahārānī dekhi hiya hulase ॥32॥
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Rajak bol sunī siya van bhejī । 
Lakhanalāl prabhu bāt sahejī ॥33॥
Bālmīk muni āshraya dīnyo । 
Lava-kush janma vahā pai līnho ॥34॥
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Vividh bhātī guṇ shikṣhā dīnhīan । 
Donuh rāmacharit raṭ līnhī ॥35॥
Larikal kai suni sumadhur bānī । 
Rāmasiyā sut duī pahichānī ॥36॥
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Bhūlamāni siya vāpas lāe । 
Rām jānakī sabahi suhāe ॥37॥
Satī pramāṇikatā kehi kāran । 
Basuandharā siya ke hiya dhāran ॥38॥
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Avani sutā avanī māan soī । 
Rām jānakī yahī vidhi khoī ॥39॥
Pativratā maryādit mātā । 
Sītā satī navāvoan māthā ॥40॥
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॥ dohā ॥
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Janakasutā avanidhiyā 
Rām priyā lava-kush māt ।
Charaṇakamal jehi un basai 
Sītā sumirai prāt ॥
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रविवार, 24 दिसंबर 2023

जय जय जय काली कपाली | Jay Jay Jay Kali Kapali | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi

जय जय जय काली कपाली | Jay Jay Jay Kali Kapali | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi 

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चौपाई
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जय काली जगदम्ब जय
हरनि ओघ अघ पुंज।
वास करहु निज दास के 
निशदिन हृदय निकुंज।।
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जयति कपाली कालिका 
कंकाली सुख दानि।
कृपा करहु वरदायिनी 
निज सेवक अनुमानि।।
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चौपाई
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जय जय जय काली कपाली । 
जय कपालिनी, जयति कराली।।
शंकर प्रिया, अपर्णा, अम्बा । 
जय कपर्दिनी, जय जगदम्बा।।
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आर्या, हला, अम्बिका, माया । 
कात्यायनी उमा जगजाया।।
गिरिजा गौरी दुर्गा चण्डी । 
दाक्षाणायिनी शाम्भवी प्रचंडी।।
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पार्वती मंगला भवानी । 
विश्वकारिणी सती मृडानी।।
सर्वमंगला शैल नन्दिनी । 
हेमवती तुम जगत वन्दिनी।।
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ब्रह्मचारिणी कालरात्रि जय । 
महारात्रि जय मोहरात्रि जय।।
तुम त्रिमूर्ति रोहिणी कालिका । 
कूष्माण्डा कार्तिका चण्डिका।।
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तारा भुवनेश्वरी अनन्या । 
तुम्हीं छिन्नमस्ता शुचिधन्या।।
धूमावती षोडशी माता । 
बगला मातंगी  विख्याता।।
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तुम भैरवी मातु तुम कमला । 
रक्तदन्तिका कीरति अमला।।
शाकम्भरी कौशिकी भीमा । 
महातमा अग जग की सीमा।।
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चन्द्रघण्टिका तुम सावित्री । 
ब्रह्मवादिनी मां गायत्री।।
रूद्राणी तुम कृष्ण पिंगला । 
अग्निज्वाला तुम सर्वमंगला।।
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मेघस्वना तपस्विनि योगिनी । 
सहस्त्राक्षि तुम अगजग भोगिनी।।
जलोदरी सरस्वती डाकिनी । 
त्रिदशेश्वरी अजेय लाकिनी।।
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पुष्टि तुष्टि धृति स्मृति शिव दूती।
कामाक्षी लज्जा आहूती।।
महोदरी कामाक्षि हारिणी।
विनायकी श्रुति महा शाकिनी।।
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अजा कर्ममोही ब्रह्माणी । 
धात्री वाराही शर्वाणी।।
स्कन्द मातु तुम सिंह वाहिनी।
मातु सुभद्रा रहहु दाहिनी।।
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नाम रूप गुण अमित तुम्हारे।
शेष शारदा बरणत हारे।।
तनु छवि श्यामवर्ण तव माता।
नाम कालिका जग विख्याता।।
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अष्टादश तब भुजा मनोहर।
तिनमहं अस्त्र विराजत सुंदर।।
शंख चक्र अरू गदा सुहावन।
परिघ भुशण्डी घण्टा पावन।।
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शूल बज्र धनुबाण उठाए।
निशिचर कुल सब मारि गिराए।।
शुंभ निशुंभ दैत्य संहारे । 
रक्तबीज के प्राण निकारे।।
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चौंसठ योगिनी नाचत संगा । 
मद्यपान कीन्हैउ रण गंगा।।
कटि किंकिणी मधुर नूपुर धुनि।
दैत्यवंश कांपत जेहि सुनि-सुनि।।
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कर खप्पर त्रिशूल भयकारी । 
अहै सदा सन्तन सुखकारी।।
शव आरूढ़ नृत्य तुम साजा । 
बजत मृदंग भेरी के बाजा।।
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रक्त पान अरिदल को कीन्हा।
प्राण तजेउ जो तुम्हिं न चीन्हा।।
लपलपाति जिव्हा तव माता । 
भक्तन सुख दुष्टन दु:ख दाता।।
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लसत भाल सेंदुर को टीको । 
बिखरे केश रूप अति नीको।।
मुंडमाल गल अतिशय सोहत । 
भुजामल किंकण मनमोहन।।
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प्रलय नृत्य तुम करहु भवानी।
जगदम्बा कहि वेद बखानी।।
तुम मशान वासिनी कराला।
भजत करत काटहु भवजाला।।
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बावन शक्ति पीठ तव सुंदर । 
जहां बिराजत विविध रूप धर।।
विन्धवासिनी कहूं बड़ाई  ।  
कहं कालिका रूप सुहाई।।
**
शाकम्भरी बनी कहं ज्वाला । 
महिषासुर मर्दिनी कराला।।
कामाख्या तव नाम मनोहर । 
पुजवहिं मनोकामना द्रुततर।।
**
चंड मुंड वध छिन महं करेउ।
देवन के उर आनन्द भरेउ।।
सर्व व्यापिनी तुम मां तारा । 
अरिदल दलन लेहु अवतारा।।
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खलबल मचत सुनत हुंकारी । 
अगजग व्यापक देह तुम्हारी।।
तुम विराट रूपा गुणखानी । 
विश्व स्वरूपा तुम महारानी।।
**
उत्पत्ति स्थिति लय तुम्हरे कारण । 
करहु दास के दोष निवारण ।।
मां उर वास करहू तुम अंबा । 
सदा दीन जन की अवलंबा।।
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तुम्हारो ध्यान धरै जो कोई । 
ता कहं भीति कतहुं नहिं होई।।
विश्वरूप तुम आदि भवानी । 
महिमा वेद पुराण बखानी।।
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अति अपार तव नाम प्रभावा । 
जपत न रहन रंच दु:ख दावा।।
महाकालिका जय कल्याणी । 
जयति सदा सेवक सुखदानी।।
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तुम अनन्त औदार्य विभूषण । 
कीजिए कृपा क्षमिये सब दूषण।।
दास जानि निज दया दिखावहु । 
सुत अनुमानित सहित अपनावहु।।
**
जननी तुम सेवक प्रति पाली । 
करहु कृपा सब विधि मां काली।।
पाठ  करै  चालीसा  जोई । 
तापर  कृपा  तुम्हारी  होई।।
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शनिवार, 23 दिसंबर 2023

जय काली कंकाल मालिनी | Jay Kali Kankal Malini | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi

जय काली कंकाल मालिनी | Jay Kali Kankal Malini | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi
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दोहा
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जय जय सीताराम के 
मध्यवासिनी अम्ब
देहु दरश जगदम्ब अब 
करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका 
जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत 
एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े 
दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों 
सिद्धि होय सब काम ॥
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चौपाई
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जय काली कंकाल मालिनी
जय मंगला महाकपालिनी ॥
रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥
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शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे ॥
हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥
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ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥
जय कलावती जय विद्यावति,
जय तारासुन्दरी महामति ॥
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देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥
जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥
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कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥
अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥
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जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुतिगाता ॥
जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ 
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कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥
आनन्दा करणी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥
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करूणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥
सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥ 
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प्रलय काल में नर्तन कारिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥
महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥
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स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम विताने ॥
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श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥
धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥
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सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥
खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥
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अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥
अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥
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कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥
कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धामा ॥
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कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥
मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥
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कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥
जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥
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झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥
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जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥
हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥
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कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥
करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥
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चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥
खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥
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तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥
जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥
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दोहा
**
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥
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शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

जयकाली कलिमलहरण | Jay Kali Kalimalharan | श्री काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi

जयकाली कलिमलहरण | Jay Kali Kalimalharan | श्री काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi

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दोहा
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जयकाली कलिमलहरण
महिमा अगम अपार
महिष मर्दिनी कालिका 
देहु अभय अपार
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अरि मद मान मिटावन हारी। 
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता । 
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
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भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । 
कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला । 
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥
**
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । 
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी । 
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
**
अष्टम कर भक्तन वर दाता । 
जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी । 
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥
**
महशक्ति अति प्रबल पुनीता । 
तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक । 
कल्याणी पापी कुल घालक ॥
**
शेष सुरेश न पावत पारा । 
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा । 
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥
**
रूप भयंकर जब तुम धारा । 
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे । 
भक्तजनों के संकट टारे ॥
**
कलि के कष्ट कलेशन हरनी । 
भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं । 
नारद शारद पार न पावैं ॥
**
भू पर भार बढ्यौ जब भारी । 
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता । 
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
**
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा । 
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । 
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥
**
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे । 
अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी । 
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
**
त्रेता में रघुवर हित आई । 
दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला । 
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥
**
रौद्र रूप लखि दानव भागे । 
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो । 
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
**
ये बालक लखि शंकर आए । 
राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई । 
यही रूप प्रचलित है माई ॥
**
बाढ्यो महिषासुर मद भारी । 
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की । 
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥
**
तब प्रगटी निज सैन समेता । 
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं । 
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥
**
मान मथनहारी खल दल के । 
सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा । 
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥
**
संकट में जो सुमिरन करहीं । 
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं । 
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥
**
काली चालीसा जो पढ़हीं । 
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा । 
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
**
करहु मातु भक्तन रखवाली । 
जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी । 
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥
**
दोहा
**
प्रेम सहित जो करे 
काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना 
होय सकल जग ठाठ ॥
*****

मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

नित्य आनंद करिणी माता | Nitya Anand Karni Mata | Shri Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi

नित्य आनंद करिणी माता | Nitya Anand Karni Mata | Shri Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi

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संक्षिप्‍त परिचय - अन्नपूर्णा दो शब्दों से मिलकर बना है- 'अन्न' का अर्थ है भोजन और 'पूर्णा' का अर्थ है 'पूरी तरह से भरा हुआ'। अन्नपूर्णा भोजन और रसोई की देवी हैं। वह देवी पार्वती का अवतार हैं जो शिव की पत्नी हैं। वह पोषण की देवी हैं और अपने भक्तों को कभी भोजन के बिना नहीं रहने देतीं।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा (Goddess Annapurna) की तस्वीर रसोईघर में लगाने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। उनका दूसरा नाम 'अन्नदा' है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर सूखा पड़ गया. जमीन बंजर हो गई. फसलें, फलों आदि की पैदावार ना होने से जीवन का संकट आ गया. तब भगवान शिव ने पृथ्वीवासियों के कल्याण के लिए भिक्षुक का स्वरूप धारण किया और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया। देवी दुर्गा शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक हैं, देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं, देवी सरस्वती ज्ञान और शिक्षा से जुड़ी हैं, देवी काली व्यक्तिगत राक्षसों और नकारात्मकता को दूर करने में मदद करती हैं, देवी अन्नपूर्णा की पूजा भोजन और पोषण के लिए की जाती है। वास्तु शास्त्र की मानें तो माता अन्नपूर्णा की तस्वीर के लिए सबसे शुभ दिशा पूर्व-दक्षिण यानी कि आग्नेय कोण का मध्य भाग होता है। इस दिशा में देवताओं का वास होता है। इसलिए यहां मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है और कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।
आप सभी माता अन्‍नपूर्णा की प्राप्ति हेतु चालीसा का पाठ कर सकते हैं - 

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॥ दोहा ॥
विश्वेश्वर पदपदम की 
रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्ण, तव सुयश 
बरनौं कवि मतिलाय ।
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॥ चौपाई ॥
**
नित्य आनंद करिणी माता ।
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ।।1
जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी ।
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ।।2
**
श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि ।
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ।।3
काशी पुराधीश्वरी माता ।
माहेश्वरी सकल जग त्राता ।।4
**
वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी ।
विश्व विहारिणि जय कल्याणी ।।5
पतिदेवता सुतीत शिरोमणि ।
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ।।6
**
पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा ।
योग अग्नि तब बदन जरावा ।।7
देह तजत शिव चरण सनेहू ।
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ।।8
**
प्रकटी गिरिजा नाम धरायो ।
अति आनंद भवन मँह छायो ।19
नारद ने तब तोहिं भरमायहु ।
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ।।10
**
ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये ।
देवराज आदिक कहि गाये ।।11
सब देवन को सुजस बखानी ।
मति पलटन की मन मँह ठानी ।।12
**
अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या ।
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ।।13
निज कौ तब नारद घबराये ।
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ।।14
**
करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ ।
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ।।15
गगनगिरा सुनि टरी न टारे ।
ब्रहां तब तुव पास पधारे ।।16
**
कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा ।
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ।।17
तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी ।
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ।।18
**
अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों ।
है सौगंध नहीं छल तोसों ।।19
करत वेद विद ब्रहमा जानहु ।
वचन मोर यह सांचा मानहु ।।20
**
तजि संकोच कहहु निज इच्छा ।
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ।।21
सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी ।
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ।।22
**
बोली तुम का कहहु विधाता ।
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ।।23
मम कामना गुप्त नहिं तोंसों ।
कहवावा चाहहु का मोंसों ।।24
**
दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा ।
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ।।25
सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये ।
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ।।26
**
तब गिरिजा शंकर तव भयऊ ।
फल कामना संशयो गयऊ ।।27
चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा ।
तब आनन महँ करत निवासा ।।28
**
माला पुस्तक अंकुश सोहै ।
कर मँह अपर पाश मन मोहै ।।29
अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे ।
अज अनवघ अनंत पूर्णे ।।30
**
कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ ।
भव विभूति आनंद भरी माँ ।।31
कमल विलोचन विलसित भाले ।
देवि कालिके चण्डि कराले ।।32
**
तुम कैलास मांहि है गिरिजा ।
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ।।33
स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी ।
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ।।34
**
विलसी सब मँह सर्व सरुपा ।
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ।।35
जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा ।
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ।।36
**
प्रात समय जो जन मन लायो ।
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अधिकायो ।।37
स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत ।
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ।।38
**
राज विमुख को राज दिवावै ।
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ।।39
पाठ महा मुद मंगल दाता ।
भक्त मनोवांछित निधि पाता ।।40
**
॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग 
पढ़ि नावेंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब 
साखी काशी नाथ ॥
*****

शनिवार, 9 दिसंबर 2023

नमस्कार चामुंडा माता | Namaskar Chamunda Mata | मॉं चामुंडा चालीसा | Ma Chamunda Chalisa Lyrics in Hindi

नमस्कार चामुंडा माता | Namaskar Chamunda Mata | मॉं चामुंडा चालीसा | Ma Chamunda Chalisa Lyrics in Hindi

***
॥ दोहा ॥ 
नीलवर्ण मॉं कालिका 
रहतीं सदा प्रचण्ड। 
दस हाथों में शस्त्र धर 
देतीं दुष्ट को दण्ड॥
** 
मधु कैटभ संहार कर 
करी धर्म की जीत। 
मेरी भी बाधा हरो 
हों जो कर्म पुनीत ॥
*****
॥ चौपाई॥ 
नमस्कार चामुंडा माता। 
तीनों लोकों में विख्याता ॥
हिमालय में पवित्र धाम है। 
महाशक्ति तुमको प्रणाम है॥ 
**
मार्कण्डेय ऋषि ने घ्याया । 
कैसे प्रगटीं भेद बताया॥
शुभ निशुंभ दो दैत्य बलशाली। 
तीनों लोक जो कर दिए खाली ॥
**
वायु अग्नि यम कुबेर संग। 
सूर्य चंद्र वरुण हुए तंग ॥
अपमानित चरणों में आए। 
गिरिराज हिमालय को लाए॥ 
**
भद्रा-रौद्रा नित्या ध्याया । 
चेतन शक्ति करके बुलाया॥
क्रोधित होकर काली आई। 
जिसने अपनी लीला दिखाई॥
**
चंड मुंड और शुंभ पठाए। 
कामुक वैरी लड़ने आए ॥ 
पहले सुग्रीव दूत को मारा। 
भागा चंड भी मारा मारा॥ 
**
अरबों सैनिक लेकर आया। 
धून लोचन क्रोध दिखाया॥ 
जैसे ही दुष्ट ललकारा। 
हूं हूं शब्द गुंजा के मारा ॥ 
**
सेना ने मचाई भगदड़ । 
फाड़ा सिंह ने आया जो बढ़॥ 
हत्या करने चंड-मुंड आए। 
मदिरा पीकर के घुर्राए॥ 
**
चतुरंगी सेना संग लाए। 
ऊंचे ऊंचे शिविर गिराए॥ 
तुमने क्रोधित रूप निकाला। 
प्रगटीं डाल गले मुंड माला॥
**
चर्म की साड़ी चीते वाली। 
हड्डी ढांचा था बलशाली॥ 
विकराल मुखी आंखें दिखलाई। 
जिसे देख सृष्टि घबराई॥ 
**
चंड मुंड ने चक्र चलाया। 
ले तलवार हूं शब्द गुंजाया॥
पापियों का कर दिया निस्तारा। 
चंड मुंड दोनों को मारा॥
**
हाथ में मस्‍तक ले मुस्काई। 
पापी सेना फिर घबराई॥ 
सरस्वती मॉं तुम्हें पुकारा। 
पड़ा चामुंडा नाम तिहारा ॥
**
चण्‍ड मुण्‍ड की मृत्यु सुनकर। 
कालक मौर्य आए रथ पर॥ 
अरब खरब युद्ध के पथ पर। 
झोंक दिए सब चामुंडा पर॥ 
**
उग्र चंडिका प्रगटीं आकर। 
गीदड़ियों की वाणी भरकर ॥
काली खटवांग घूसों से मारा। 
ब्रह्माणी ने फेंकी जल धारा॥ 
**
महेश्वरी ने त्रिशूल चलाया। 
मॉं वैष्णवी चक्र घुमाया॥
कार्तिकेय की शक्ति आई। 
नारसिंही दैत्यों पे छाई॥ 
**
चुन चुन सिंह सभी को खाया। 
हर दानव घायल घबराया॥
रक्‍तबीज माया फैलाई। 
शक्ति उसने नई दिखाई॥
**
रक्‍त गिरा जब धरती ऊपर। 
नया दैत्य प्रगटा था वहीं पर॥
चण्‍डी मॉं अब शूल घुमाया। 
मारा उसको लहू चुसाया॥
**
शुंभ निशुंभ अब दौड़े आए। 
शत्रू सेना भरकर लाए॥
वज्रपात संग शूल चलाए। 
सभी देवता कुछ घबराए॥ 
**
ललकारा फिर घूंसा मारा। 
ले त्रिशूल किया निस्तारा ॥ 
शुंभ निशुंभ धरती पर सोए। 
दैत्य सभी देखकर रोए ॥ 
**
चामुण्‍डा मॉं धर्म बचाया। 
अपना शुभ मंदिर बनवाया॥
सभी देवता आके मनाते । 
हनुमत भैरव चंवर डुलाते ॥ 
**
आश्विन चैत्र नवरात्रे आऊं। 
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ाऊं॥
बडेर नदी स्नान कराऊं। 
चामुंडा मां तुमको ध्याऊं॥ 
*****
॥ दोहा ॥
शरणागत को शक्ति दो 
हे जग की आधार। 
'ओम' ये नैया डोलती 
कर दो भव से पार॥

सोमवार, 7 अगस्त 2023

श्री गोलू देव चालीसा || Shri Golu Dev Chalisa Lyrics in Hindi || Lyrics in English

श्री गोलू देव चालीसा || Shri Golu Dev Chalisa Lyrics in Hindi || Lyrics in English


॥ दोहा ॥

 

बुद्धिहीन हूँ नाथ मैं, करो बुद्धि का दान।

सत्य न्याय के धाम तुम, हे गोलू भगवान।।

 

जय काली के वीर सुत, हे गोलू भगवान।

सुमिरन करने मात्र से, कटते कष्ट महान।।

 

जप कर तेरे नाम को, खुले सुखों के द्वार।

जय जय न्याय गौरिया नमन करे स्वीकार।।

 

।। चौपाई ।।

 

जय जय ग्वेल महाबलवाना।

हम पर कृपा करो भगवाना।।

 

न्याय सत्य के तुम अवतारा।

दुखियों का दुख हरते सारा ।।

 

द्वार पे आके जो भी पुकारे।

मिट जाते पल में दुख सारे।।

 

तुम जैसा नहीं कोई दूजा ।

पुनित होके भी बिन सेवा पूजा ।।

 

शरण में आये नाथ तिहारी।

रक्षा करना हे अवतारी ।।

 

माँ की सौत थी अत्याचारी ।

तुमको कष्ट दिये अतिभारी ।।

 

झाड़ी में तुमको गिरवाया।

विविध भांतिथा तुम्हे सताया ।।

 

नदी मध्य जल में डुबवाया।

फिर भी मार तुम्हें नहीं पाया ।।

 

सरल हृदय था धेवरहे का।

हरिपद रति बहुनिगुनविवेका।।

 

भाना नाम सकल जग जाना।

जल में देख बाल भगवाना।।

 

मन प्रसन्न तन कुलकित भारी।

बोला जय हे नाथ तुम्हारी ।।

 

कर गयी बालक गोद उठायो।

हृदय लगा किहीं अति सुख पायो।।

 

मन प्रसन्न मुख वचन न आवा।

मन हूँ महानिधि धेवर पावा।।

 

नहूँ उरततेहि शिशु द्रिह ले आयो।

नाम गौरिया तब रखवायो।।

 

सकल काज तज शिशु संगरहयी।

देखी बाल लीला सुख लहयी ।।

 

करत खेल या चरज अनेका।

देखी चकित हुई बुद्धि विवेका।।

 

ध्यालु कथा सुनीं जब काना।

देखन चले ग्वेल भगवाना।।

 

देखनपति बालक मुस्काया।

जन्मकाल यें कांड सुनाया ।।

 

सौतेली जननी की करनी।

ग्वेल पति संग मुख सब बरनी ।।

 

निपति ग्वेल निज हृदय लगायो।

प्रेम पुरत नय नन जल पायो ।।

 

चल हूँ तात अब निजरज धामी।

दंड देव में सातों: रानी।।

 

काट - काट सिर कठिन कृपाना।

कुटिल नारी हरि लेहूँ में प्राणा ।।

 

हृदय कम्प ऊपजा अति क्रोधा।

दंड देहु सुत नारी अबोधा।।

 

सुनहुँ तात एक बात हमारी।

क्षमा करोहुँ ये सब नारी बिचारी।।

 

हम ही देखी होई मृतक समाना।

जब लगी जियें पड़ी पछताना।।

 

अयशतात केहि कारण लेहूँ।

मात सौत कह दंड न देहुँ ।।

 

दया वन्त प्रिय ग्वेल सुझाना।

मनुज नहीं तुम देव महाना ।।

 

अमर सदा हो नाम तुम्हारा।

ग्वेल गौरिया गोलू प्यारा ।।

 

राज करहुँ चम्पावत वीरा।

हरहुँ तात जन-जन की पीरा ।।

 

मात - पिता भय धन्य तुम्हारें।

उदय आज हुए पुण्य हमारे।।

 

पितुआ ज्ञाधर सविनय शीशा।

ग्वेल बनें चम्पावत ईशा।।

 

सत्य न्याय है तुम्हें प्यारा।

तीनों हित तुमने कनधारा।।

 

दुखियों के दुख देखन पाते।

सुनी पुकार तुम उस थल जाते।।

 

विश्व विविध है न्याय तुम्हारे।

निर्बल के तुम एक सहारे ।।

 

चितई नमला मंदिर तेरे।

बजते घंटे जहाज घनेरे ।।

 

घोड़ाखाल प्रिय धाम तुम्हारा।

चमड़खान तुमको अति प्यारा।।

 

ताड़ीखेत में महिमा न्यारी ।

चम्पावत रजधानी प्यारी ।।

 

गाँव - गाँव में थान तुम्हारें।

न्याय हेतु जन तुम ही पुकारें ।।

 

सदा कृपा करना हे स्वामी।

ग्वेल देव हे अन्तर्यामी ।।

 

ये दस बार पाठ कर जोई।

विपदा टरें सदा सुख होई ।।


।। दोहा ।।

जय गोलू जय गौरिया, जय काली के लाल।

मौसानी ना कर सकी, तेरा बांका बाल ।।

 

सुमिरन करके नाम का, मिटते कष्ट हजार ।

जय हे न्यायी देवता, हे गोलू अवतार ।।

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