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गुरुवार, 24 अक्तूबर 2024
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन || श्री कृष्ण चालीसा लिरिक्स || Shri Krisha Chalisa Lyrics in Hindi & English
गुरुवार, 18 जनवरी 2024
राम प्रिया रघुपति रघुराई | Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi and English
राम प्रिया रघुपति रघुराई | Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi and English
**॥दोहा ॥
**
बन्दौ चरण सरोज निज
जनक लली सुख धाम ।
राम प्रिय किरपा करें
सुमिरौं आठों धाम ॥
कीरति गाथा जो पढ़ें
सुधरैं सगरे काम ।
मन मन्दिर बासा करें
दुःख भंजन सिया राम ॥
**
॥ चौपाई ॥
**
राम प्रिया रघुपति रघुराई ।
बैदेही की कीरत गाई ॥१॥
चरण कमल बन्दों सिर नाई ।
सिय सुरसरि सब पाप नसाई ॥२॥
**
जनक दुलारी राघव प्यारी ।
भरत लखन शत्रुहन वारी ॥३॥
दिव्या धरा सों उपजी सीता ।
मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता ॥४॥
**
सिया रूप भायो मनवा अति ।
रच्यो स्वयंवर जनक महीपति ॥५॥
भारी शिव धनुष खींचै जोई ।
सिय जयमाल साजिहैं सोई ॥६॥
**
भूपति नरपति रावण संगा ।
नाहिं करि सके शिव धनु भंगा ॥७॥
जनक निराश भए लखि कारन ।
जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन ॥८॥
**
यह सुन विश्वामित्र मुस्काए ।
राम लखन मुनि सीस नवाए ॥९॥
आज्ञा पाई उठे रघुराई ।
इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई ॥१०॥
**
जनक सुता गौरी सिर नावा ।
राम रूप उनके हिय भावा ॥११॥
मारत पलक राम कर धनु लै ।
खंड खंड करि पटकिन भूपै ॥१२॥
**
जय जयकार हुई अति भारी ।
आनन्दित भए सबैं नर नारी ॥१३॥
सिय चली जयमाल सम्हाले ।
मुदित होय ग्रीवा में डाले ॥१४॥
**
मंगल बाज बजे चहुँ ओरा ।
परे राम संग सिया के फेरा ॥१५॥
लौटी बारात अवधपुर आई ।
तीनों मातु करैं नोराई ॥१६॥
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कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा ।
मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा ॥१७॥
कौशल्या सूत भेंट दियो सिय ।
हरख अपार हुए सीता हिय ॥१८॥
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सब विधि बांटी बधाई ।
राजतिलक कई युक्ति सुनाई ॥१९॥
मंद मती मंथरा अडाइन ।
राम न भरत राजपद पाइन ॥२०॥
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कैकेई कोप भवन मा गइली ।
वचन पति सों अपनेई गहिली ॥२१॥
चौदह बरस कोप बनवासा ।
भरत राजपद देहि दिलासा ॥२२॥
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आज्ञा मानि चले रघुराई ।
संग जानकी लक्षमन भाई ॥२३॥
सिय श्री राम पथ पथ भटकैं ।
मृग मारीचि देखि मन अटकै ॥२४॥
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राम गए माया मृग मारन ।
रावण साधु बन्यो सिय कारन ॥२५॥
भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो ।
लंका जाई डरावन लाग्यो ॥२६॥
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राम वियोग सों सिय अकुलानी ।
रावण सों कही कर्कश बानी ॥२७॥
हनुमान प्रभु लाए अंगूठी ।
सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी ॥२८॥
**
अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा ।
महावीर सिय शीश नवावा ॥२९॥
सेतु बाँधी प्रभु लंका जीती ।
भक्त विभीषण सों करि प्रीती ॥३०॥
**
चढ़ि विमान सिय रघुपति आए ।
भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए ॥३१॥
अवध नरेश पाई राघव से ।
सिय महारानी देखि हिय हुलसे ॥३२॥
**
रजक बोल सुनी सिय वन भेजी ।
लखनलाल प्रभु बात सहेजी ॥३३॥
बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो ।
लव-कुश जन्म वहाँ पै लीन्हो ॥३४॥
**
विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं ।
दोनुह रामचरित रट लीन्ही ॥३५॥
लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी ।
रामसिया सुत दुई पहिचानी ॥३६॥
**
भूलमानि सिय वापस लाए ।
राम जानकी सबहि सुहाए ॥३७॥
सती प्रमाणिकता केहि कारन ।
बसुंधरा सिय के हिय धारन ॥३८॥
**
अवनि सुता अवनी मां सोई ।
राम जानकी यही विधि खोई ॥३९॥
पतिव्रता मर्यादित माता ।
सीता सती नवावों माथा ॥४०॥
**
॥ दोहा ॥
**
जनकसुता अवनिधिया
राम प्रिया लव-कुश मात ।
चरणकमल जेहि उन बसै
सीता सुमिरै प्रात ॥
*****
राम प्रिया रघुपति रघुराई | Sita Mata Chalisa Lyrics in Hindi and English
रविवार, 24 दिसंबर 2023
जय जय जय काली कपाली | Jay Jay Jay Kali Kapali | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi
जय जय जय काली कपाली | Jay Jay Jay Kali Kapali | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi
**चौपाई
**
जय काली जगदम्ब जय
हरनि ओघ अघ पुंज।
वास करहु निज दास के
निशदिन हृदय निकुंज।।
**
जयति कपाली कालिका
कंकाली सुख दानि।
कृपा करहु वरदायिनी
निज सेवक अनुमानि।।
**
चौपाई
**
जय जय जय काली कपाली ।
जय कपालिनी, जयति कराली।।
शंकर प्रिया, अपर्णा, अम्बा ।
जय कपर्दिनी, जय जगदम्बा।।
**
आर्या, हला, अम्बिका, माया ।
कात्यायनी उमा जगजाया।।
गिरिजा गौरी दुर्गा चण्डी ।
दाक्षाणायिनी शाम्भवी प्रचंडी।।
**
पार्वती मंगला भवानी ।
विश्वकारिणी सती मृडानी।।
सर्वमंगला शैल नन्दिनी ।
हेमवती तुम जगत वन्दिनी।।
**
ब्रह्मचारिणी कालरात्रि जय ।
महारात्रि जय मोहरात्रि जय।।
तुम त्रिमूर्ति रोहिणी कालिका ।
कूष्माण्डा कार्तिका चण्डिका।।
**
तारा भुवनेश्वरी अनन्या ।
तुम्हीं छिन्नमस्ता शुचिधन्या।।
धूमावती षोडशी माता ।
बगला मातंगी विख्याता।।
**
तुम भैरवी मातु तुम कमला ।
रक्तदन्तिका कीरति अमला।।
शाकम्भरी कौशिकी भीमा ।
महातमा अग जग की सीमा।।
**
चन्द्रघण्टिका तुम सावित्री ।
ब्रह्मवादिनी मां गायत्री।।
रूद्राणी तुम कृष्ण पिंगला ।
अग्निज्वाला तुम सर्वमंगला।।
**
मेघस्वना तपस्विनि योगिनी ।
सहस्त्राक्षि तुम अगजग भोगिनी।।
जलोदरी सरस्वती डाकिनी ।
त्रिदशेश्वरी अजेय लाकिनी।।
**
पुष्टि तुष्टि धृति स्मृति शिव दूती।
कामाक्षी लज्जा आहूती।।
महोदरी कामाक्षि हारिणी।
विनायकी श्रुति महा शाकिनी।।
**
अजा कर्ममोही ब्रह्माणी ।
धात्री वाराही शर्वाणी।।
स्कन्द मातु तुम सिंह वाहिनी।
मातु सुभद्रा रहहु दाहिनी।।
**
नाम रूप गुण अमित तुम्हारे।
शेष शारदा बरणत हारे।।
तनु छवि श्यामवर्ण तव माता।
नाम कालिका जग विख्याता।।
**
अष्टादश तब भुजा मनोहर।
तिनमहं अस्त्र विराजत सुंदर।।
शंख चक्र अरू गदा सुहावन।
परिघ भुशण्डी घण्टा पावन।।
**
शूल बज्र धनुबाण उठाए।
निशिचर कुल सब मारि गिराए।।
शुंभ निशुंभ दैत्य संहारे ।
रक्तबीज के प्राण निकारे।।
**
चौंसठ योगिनी नाचत संगा ।
मद्यपान कीन्हैउ रण गंगा।।
कटि किंकिणी मधुर नूपुर धुनि।
दैत्यवंश कांपत जेहि सुनि-सुनि।।
**
कर खप्पर त्रिशूल भयकारी ।
अहै सदा सन्तन सुखकारी।।
शव आरूढ़ नृत्य तुम साजा ।
बजत मृदंग भेरी के बाजा।।
**
रक्त पान अरिदल को कीन्हा।
प्राण तजेउ जो तुम्हिं न चीन्हा।।
लपलपाति जिव्हा तव माता ।
भक्तन सुख दुष्टन दु:ख दाता।।
**
लसत भाल सेंदुर को टीको ।
बिखरे केश रूप अति नीको।।
मुंडमाल गल अतिशय सोहत ।
भुजामल किंकण मनमोहन।।
**
प्रलय नृत्य तुम करहु भवानी।
जगदम्बा कहि वेद बखानी।।
तुम मशान वासिनी कराला।
भजत करत काटहु भवजाला।।
**
बावन शक्ति पीठ तव सुंदर ।
जहां बिराजत विविध रूप धर।।
विन्धवासिनी कहूं बड़ाई ।
कहं कालिका रूप सुहाई।।
**
शाकम्भरी बनी कहं ज्वाला ।
महिषासुर मर्दिनी कराला।।
कामाख्या तव नाम मनोहर ।
पुजवहिं मनोकामना द्रुततर।।
**
चंड मुंड वध छिन महं करेउ।
देवन के उर आनन्द भरेउ।।
सर्व व्यापिनी तुम मां तारा ।
अरिदल दलन लेहु अवतारा।।
**
खलबल मचत सुनत हुंकारी ।
अगजग व्यापक देह तुम्हारी।।
तुम विराट रूपा गुणखानी ।
विश्व स्वरूपा तुम महारानी।।
**
उत्पत्ति स्थिति लय तुम्हरे कारण ।
करहु दास के दोष निवारण ।।
मां उर वास करहू तुम अंबा ।
सदा दीन जन की अवलंबा।।
**
तुम्हारो ध्यान धरै जो कोई ।
ता कहं भीति कतहुं नहिं होई।।
विश्वरूप तुम आदि भवानी ।
महिमा वेद पुराण बखानी।।
**
अति अपार तव नाम प्रभावा ।
जपत न रहन रंच दु:ख दावा।।
महाकालिका जय कल्याणी ।
जयति सदा सेवक सुखदानी।।
**
तुम अनन्त औदार्य विभूषण ।
कीजिए कृपा क्षमिये सब दूषण।।
दास जानि निज दया दिखावहु ।
सुत अनुमानित सहित अपनावहु।।
**
जननी तुम सेवक प्रति पाली ।
करहु कृपा सब विधि मां काली।।
पाठ करै चालीसा जोई ।
तापर कृपा तुम्हारी होई।।
*****
शनिवार, 23 दिसंबर 2023
जय काली कंकाल मालिनी | Jay Kali Kankal Malini | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi
दोहा
**
जय जय सीताराम के
मध्यवासिनी अम्ब
देहु दरश जगदम्ब अब
करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका
जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत
एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े
दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों
सिद्धि होय सब काम ॥
**
चौपाई
**
जय काली कंकाल मालिनी
जय मंगला महाकपालिनी ॥
रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥
**
शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे ॥
हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥
**
ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥
जय कलावती जय विद्यावति,
जय तारासुन्दरी महामति ॥
**
देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥
जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥
**
कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥
अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥
**
जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुतिगाता ॥
जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥
**
कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥
आनन्दा करणी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥
**
करूणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥
सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥
**
प्रलय काल में नर्तन कारिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥
महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥
**
स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम विताने ॥
**
श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥
धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥
**
सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥
खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥
**
अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥
अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥
**
कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥
कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धामा ॥
**
कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥
मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥
**
कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥
जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥
**
झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥
**
जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥
हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥
**
कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥
करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥
**
चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥
खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥
**
तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥
जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥
**
दोहा
**
जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥
*****
शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023
जयकाली कलिमलहरण | Jay Kali Kalimalharan | श्री काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi
जयकाली कलिमलहरण | Jay Kali Kalimalharan | श्री काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi
**दोहा
**
जयकाली कलिमलहरण
महिमा अगम अपार
महिष मर्दिनी कालिका
देहु अभय अपार
**
अरि मद मान मिटावन हारी।
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता ।
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
**
भाल विशाल मुकुट छवि छाजै ।
कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला ।
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥
**
चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे ।
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी ।
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
**
अष्टम कर भक्तन वर दाता ।
जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी ।
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥
**
महशक्ति अति प्रबल पुनीता ।
तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक ।
कल्याणी पापी कुल घालक ॥
**
शेष सुरेश न पावत पारा ।
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा ।
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥
**
रूप भयंकर जब तुम धारा ।
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे ।
भक्तजनों के संकट टारे ॥
**
कलि के कष्ट कलेशन हरनी ।
भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं ।
नारद शारद पार न पावैं ॥
**
भू पर भार बढ्यौ जब भारी ।
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता ।
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
**
कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा ।
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा ।
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥
**
कलुआ भैंरों संग तुम्हारे ।
अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी ।
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
**
त्रेता में रघुवर हित आई ।
दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला ।
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥
**
रौद्र रूप लखि दानव भागे ।
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो ।
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
**
ये बालक लखि शंकर आए ।
राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई ।
यही रूप प्रचलित है माई ॥
**
बाढ्यो महिषासुर मद भारी ।
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की ।
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥
**
तब प्रगटी निज सैन समेता ।
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं ।
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥
**
मान मथनहारी खल दल के ।
सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा ।
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥
**
संकट में जो सुमिरन करहीं ।
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं ।
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥
**
काली चालीसा जो पढ़हीं ।
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा ।
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
**
करहु मातु भक्तन रखवाली ।
जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी ।
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥
**
दोहा
**
प्रेम सहित जो करे
काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना
होय सकल जग ठाठ ॥
*****
मंगलवार, 19 दिसंबर 2023
नित्य आनंद करिणी माता | Nitya Anand Karni Mata | Shri Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi
नित्य आनंद करिणी माता | Nitya Anand Karni Mata | Shri Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi
****
॥ दोहा ॥
विश्वेश्वर पदपदम की
रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्ण, तव सुयश
बरनौं कवि मतिलाय ।
**
॥ चौपाई ॥
**
नित्य आनंद करिणी माता ।
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ।।1
जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी ।
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ।।2
**
श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि ।
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ।।3
काशी पुराधीश्वरी माता ।
माहेश्वरी सकल जग त्राता ।।4
**
वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी ।
विश्व विहारिणि जय कल्याणी ।।5
पतिदेवता सुतीत शिरोमणि ।
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ।।6
**
पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा ।
योग अग्नि तब बदन जरावा ।।7
देह तजत शिव चरण सनेहू ।
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ।।8
**
प्रकटी गिरिजा नाम धरायो ।
अति आनंद भवन मँह छायो ।19
नारद ने तब तोहिं भरमायहु ।
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ।।10
**
ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये ।
देवराज आदिक कहि गाये ।।11
सब देवन को सुजस बखानी ।
मति पलटन की मन मँह ठानी ।।12
**
अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या ।
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ।।13
निज कौ तब नारद घबराये ।
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ।।14
**
करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ ।
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ।।15
गगनगिरा सुनि टरी न टारे ।
ब्रहां तब तुव पास पधारे ।।16
**
कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा ।
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ।।17
तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी ।
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ।।18
**
अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों ।
है सौगंध नहीं छल तोसों ।।19
करत वेद विद ब्रहमा जानहु ।
वचन मोर यह सांचा मानहु ।।20
**
तजि संकोच कहहु निज इच्छा ।
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ।।21
सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी ।
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ।।22
**
बोली तुम का कहहु विधाता ।
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ।।23
मम कामना गुप्त नहिं तोंसों ।
कहवावा चाहहु का मोंसों ।।24
**
दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा ।
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ।।25
सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये ।
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ।।26
**
तब गिरिजा शंकर तव भयऊ ।
फल कामना संशयो गयऊ ।।27
चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा ।
तब आनन महँ करत निवासा ।।28
**
माला पुस्तक अंकुश सोहै ।
कर मँह अपर पाश मन मोहै ।।29
अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे ।
अज अनवघ अनंत पूर्णे ।।30
**
कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ ।
भव विभूति आनंद भरी माँ ।।31
कमल विलोचन विलसित भाले ।
देवि कालिके चण्डि कराले ।।32
**
तुम कैलास मांहि है गिरिजा ।
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ।।33
स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी ।
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ।।34
**
विलसी सब मँह सर्व सरुपा ।
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ।।35
जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा ।
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ।।36
**
प्रात समय जो जन मन लायो ।
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अधिकायो ।।37
स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत ।
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ।।38
**
राज विमुख को राज दिवावै ।
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ।।39
पाठ महा मुद मंगल दाता ।
भक्त मनोवांछित निधि पाता ।।40
**
॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग
पढ़ि नावेंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब
साखी काशी नाथ ॥
*****
शनिवार, 9 दिसंबर 2023
नमस्कार चामुंडा माता | Namaskar Chamunda Mata | मॉं चामुंडा चालीसा | Ma Chamunda Chalisa Lyrics in Hindi
नमस्कार चामुंडा माता | Namaskar Chamunda Mata | मॉं चामुंडा चालीसा | Ma Chamunda Chalisa Lyrics in Hindi
॥ दोहा ॥नीलवर्ण मॉं कालिका
रहतीं सदा प्रचण्ड।
दस हाथों में शस्त्र धर
देतीं दुष्ट को दण्ड॥
मधु कैटभ संहार कर
करी धर्म की जीत।
मेरी भी बाधा हरो
हों जो कर्म पुनीत ॥
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॥ चौपाई॥
नमस्कार चामुंडा माता।
तीनों लोकों में विख्याता ॥
हिमालय में पवित्र धाम है।
महाशक्ति तुमको प्रणाम है॥
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कैसे प्रगटीं भेद बताया॥
शुभ निशुंभ दो दैत्य बलशाली।
तीनों लोक जो कर दिए खाली ॥
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सूर्य चंद्र वरुण हुए तंग ॥
अपमानित चरणों में आए।
गिरिराज हिमालय को लाए॥
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चेतन शक्ति करके बुलाया॥
क्रोधित होकर काली आई।
जिसने अपनी लीला दिखाई॥
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कामुक वैरी लड़ने आए ॥
पहले सुग्रीव दूत को मारा।
भागा चंड भी मारा मारा॥
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धून लोचन क्रोध दिखाया॥
जैसे ही दुष्ट ललकारा।
हूं हूं शब्द गुंजा के मारा ॥
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फाड़ा सिंह ने आया जो बढ़॥
हत्या करने चंड-मुंड आए।
मदिरा पीकर के घुर्राए॥
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ऊंचे ऊंचे शिविर गिराए॥
तुमने क्रोधित रूप निकाला।
प्रगटीं डाल गले मुंड माला॥
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हड्डी ढांचा था बलशाली॥
विकराल मुखी आंखें दिखलाई।
जिसे देख सृष्टि घबराई॥
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ले तलवार हूं शब्द गुंजाया॥
पापियों का कर दिया निस्तारा।
चंड मुंड दोनों को मारा॥
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पापी सेना फिर घबराई॥
सरस्वती मॉं तुम्हें पुकारा।
पड़ा चामुंडा नाम तिहारा ॥
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कालक मौर्य आए रथ पर॥
अरब खरब युद्ध के पथ पर।
झोंक दिए सब चामुंडा पर॥
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गीदड़ियों की वाणी भरकर ॥
काली खटवांग घूसों से मारा।
ब्रह्माणी ने फेंकी जल धारा॥
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मॉं वैष्णवी चक्र घुमाया॥
कार्तिकेय की शक्ति आई।
नारसिंही दैत्यों पे छाई॥
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हर दानव घायल घबराया॥
रक्तबीज माया फैलाई।
शक्ति उसने नई दिखाई॥
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नया दैत्य प्रगटा था वहीं पर॥
चण्डी मॉं अब शूल घुमाया।
मारा उसको लहू चुसाया॥
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शत्रू सेना भरकर लाए॥
वज्रपात संग शूल चलाए।
सभी देवता कुछ घबराए॥
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ले त्रिशूल किया निस्तारा ॥
शुंभ निशुंभ धरती पर सोए।
दैत्य सभी देखकर रोए ॥
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अपना शुभ मंदिर बनवाया॥
सभी देवता आके मनाते ।
हनुमत भैरव चंवर डुलाते ॥
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ध्वजा नारियल भेंट चढ़ाऊं॥
बडेर नदी स्नान कराऊं।
चामुंडा मां तुमको ध्याऊं॥
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॥ दोहा ॥
शरणागत को शक्ति दो
हे जग की आधार।
'ओम' ये नैया डोलती
कर दो भव से पार॥
सोमवार, 7 अगस्त 2023
श्री गोलू देव चालीसा || Shri Golu Dev Chalisa Lyrics in Hindi || Lyrics in English
श्री गोलू देव चालीसा || Shri Golu Dev Chalisa Lyrics in Hindi || Lyrics in English
॥ दोहा ॥
बुद्धिहीन हूँ नाथ मैं,
करो बुद्धि का दान।
सत्य न्याय के धाम तुम,
हे गोलू भगवान।।
जय काली के वीर सुत,
हे गोलू भगवान।
सुमिरन करने मात्र से,
कटते कष्ट महान।।
जप कर तेरे नाम को,
खुले सुखों के द्वार।
जय जय न्याय गौरिया नमन
करे स्वीकार।।
।। चौपाई ।।
जय जय ग्वेल महाबलवाना।
हम पर कृपा करो भगवाना।।
न्याय सत्य के तुम
अवतारा।
दुखियों का दुख हरते सारा
।।
द्वार पे आके जो भी
पुकारे।
मिट जाते पल में दुख सारे।।
तुम जैसा नहीं कोई दूजा ।
पुनित होके भी बिन सेवा
पूजा ।।
शरण में आये नाथ तिहारी।
रक्षा करना हे अवतारी ।।
माँ की सौत थी अत्याचारी
।
तुमको कष्ट दिये अतिभारी ।।
झाड़ी में तुमको गिरवाया।
विविध भांतिथा तुम्हे
सताया ।।
नदी मध्य जल में डुबवाया।
फिर भी मार तुम्हें नहीं
पाया ।।
सरल हृदय था धेवरहे का।
हरिपद रति बहुनिगुनविवेका।।
भाना नाम सकल जग जाना।
जल में देख बाल भगवाना।।
मन प्रसन्न तन कुलकित
भारी।
बोला जय हे नाथ तुम्हारी ।।
कर गयी बालक गोद उठायो।
हृदय लगा किहीं अति सुख
पायो।।
मन प्रसन्न मुख वचन न
आवा।
मन हूँ महानिधि धेवर पावा।।
नहूँ उरततेहि शिशु द्रिह
ले आयो।
नाम गौरिया तब रखवायो।।
सकल काज तज शिशु संगरहयी।
देखी बाल लीला सुख लहयी ।।
करत खेल या चरज अनेका।
देखी चकित हुई बुद्धि
विवेका।।
ध्यालु कथा सुनीं जब
काना।
देखन चले ग्वेल भगवाना।।
देखनपति बालक मुस्काया।
जन्मकाल यें कांड सुनाया ।।
सौतेली जननी की करनी।
ग्वेल पति संग मुख सब
बरनी ।।
निपति ग्वेल निज हृदय
लगायो।
प्रेम पुरत नय नन जल पायो
।।
चल हूँ तात अब निजरज धामी।
दंड देव में सातों: रानी।।
काट - काट सिर कठिन
कृपाना।
कुटिल नारी हरि लेहूँ में
प्राणा ।।
हृदय कम्प ऊपजा अति
क्रोधा।
दंड देहु सुत नारी अबोधा।।
सुनहुँ तात एक बात हमारी।
क्षमा करोहुँ ये सब नारी
बिचारी।।
हम ही देखी होई मृतक
समाना।
जब लगी जियें पड़ी पछताना।।
अयशतात केहि कारण लेहूँ।
मात सौत कह दंड न देहुँ ।।
दया वन्त प्रिय ग्वेल
सुझाना।
मनुज नहीं तुम देव महाना ।।
अमर सदा हो नाम तुम्हारा।
ग्वेल गौरिया गोलू प्यारा
।।
राज करहुँ चम्पावत वीरा।
हरहुँ तात जन-जन की पीरा ।।
मात - पिता भय धन्य
तुम्हारें।
उदय आज हुए पुण्य हमारे।।
पितुआ ज्ञाधर सविनय शीशा।
ग्वेल बनें चम्पावत ईशा।।
सत्य न्याय है तुम्हें
प्यारा।
तीनों हित तुमने कनधारा।।
दुखियों के दुख देखन पाते।
सुनी पुकार तुम उस थल
जाते।।
विश्व विविध है न्याय
तुम्हारे।
निर्बल के तुम एक सहारे ।।
चितई नमला मंदिर तेरे।
बजते घंटे जहाज घनेरे ।।
घोड़ाखाल प्रिय धाम
तुम्हारा।
चमड़खान तुमको अति प्यारा।।
ताड़ीखेत में महिमा
न्यारी ।
चम्पावत रजधानी प्यारी ।।
गाँव - गाँव में थान
तुम्हारें।
न्याय हेतु जन तुम ही
पुकारें ।।
सदा कृपा करना हे स्वामी।
ग्वेल देव हे अन्तर्यामी ।।
ये दस बार पाठ कर जोई।
विपदा टरें सदा सुख होई ।।
।। दोहा ।।
जय गोलू जय गौरिया,
जय काली के लाल।
मौसानी ना कर सकी,
तेरा बांका बाल ।।
सुमिरन करके नाम का,
मिटते कष्ट हजार ।
जय हे न्यायी देवता,
हे गोलू अवतार ।।
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रविवार, 6 नवंबर 2022
श्री गायत्री चालीसा //Shri Gayatri Chalisa in Hindi// Jagat Janani Mangal Karani Gayatri Sukhdham //जगत जननी मङ्गल करनि गायत्री सुखधाम
श्री गायत्री चालीसा //Shri Gayatri Chalisa in Hindi// Jagat Janani Mangal Karani Gayatri Sukhdham //जगत जननी मंंगल करनि गायत्री सुखधाम
शान्ति कान्ति जागृत प्रगति रचना शक्ति अखण्ड ॥ 1॥
प्रणवों सावित्री स्वधा स्वाहा पूरन काम ॥ 2॥
गायत्री नित कलिमल दहनी ॥ 3॥
इनमें बसें शास्त्र श्रुति गीता ॥ 4॥
सत्य सनातन सुधा अनूपा ।
हंसारूढ सितंबर धारी ।
स्वर्ण कान्ति शुचि गगन-बिहारी ॥ 5॥
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ॥ 6॥
सुख उपजत दुःख दुर्मति खोई ॥ 7॥
निराकार की अद्भुत माया ॥ 8॥
तरै सकल संकट सों सोई ॥ 9॥
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ॥ 10॥
जो शारद शत मुख गुन गावैं ॥ 11॥
तुम ब्रह्माणी गौरी सीता ॥ 12॥
कोई गायत्री सम नाहीं ॥ 13॥
आलस पाप अविद्या नासै ॥ 14॥
कालरात्रि वरदा कल्याणी ॥ 15॥
तुम सों पावें सुरता तेते ॥ 16॥
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ॥ 17॥
जय जय जय त्रिपदा भयहारी ॥ 18॥
तुम सम अधिक न जगमे आना ॥ 19॥
तुमहिं पाय कछु रहै न कलेसा ॥ 20॥
पारस परसि कुधातु सुहाई ॥ 21॥
माता तुम सब ठौर समाई ॥ 22॥
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ॥23॥
पालक पोषक नाशक त्राता ॥ 24॥
तुम सन तरे पातकी भारी ॥ 25॥
तापर कृपा करें सब कोई ॥ 26॥
रोगी रोग रहित हो जावें ॥ 27॥
नाशै दूःख हरै भव भीरा ॥ 28॥
नासै गायत्री भय हारी ॥29॥
सुख संपति युत मोद मनावें ॥ 30॥
यम के दूत निकट नहिं आवें ॥ 31॥
अछत सुहाग सदा शुबदाई ॥ 32॥
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ॥ 33॥
तुम सम थोर दयालु न दानी ॥ 34॥
सो साधन को सफल बनावे ॥ 35॥
लहै मनोरथ गृही विरागी ॥ 36॥
सब समर्थ गायत्री माता ॥ 37॥
आरत अर्थी चिन्तित भोगी ॥ 38॥
सो सो मन वांछित फल पावें ॥ 39॥
धन वैभव यश तेज उछाओ ॥ 40॥
जे यह पाठ करै धरि ध्याना ॥
तापर कृपा प्रसन्नता गायत्री की होय ॥