रविवार, 24 दिसंबर 2023

जय जय जय काली कपाली | Jay Jay Jay Kali Kapali | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi

जय जय जय काली कपाली | Jay Jay Jay Kali Kapali | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi 

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चौपाई
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जय काली जगदम्ब जय
हरनि ओघ अघ पुंज।
वास करहु निज दास के 
निशदिन हृदय निकुंज।।
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जयति कपाली कालिका 
कंकाली सुख दानि।
कृपा करहु वरदायिनी 
निज सेवक अनुमानि।।
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चौपाई
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जय जय जय काली कपाली । 
जय कपालिनी, जयति कराली।।
शंकर प्रिया, अपर्णा, अम्बा । 
जय कपर्दिनी, जय जगदम्बा।।
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आर्या, हला, अम्बिका, माया । 
कात्यायनी उमा जगजाया।।
गिरिजा गौरी दुर्गा चण्डी । 
दाक्षाणायिनी शाम्भवी प्रचंडी।।
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पार्वती मंगला भवानी । 
विश्वकारिणी सती मृडानी।।
सर्वमंगला शैल नन्दिनी । 
हेमवती तुम जगत वन्दिनी।।
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ब्रह्मचारिणी कालरात्रि जय । 
महारात्रि जय मोहरात्रि जय।।
तुम त्रिमूर्ति रोहिणी कालिका । 
कूष्माण्डा कार्तिका चण्डिका।।
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तारा भुवनेश्वरी अनन्या । 
तुम्हीं छिन्नमस्ता शुचिधन्या।।
धूमावती षोडशी माता । 
बगला मातंगी  विख्याता।।
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तुम भैरवी मातु तुम कमला । 
रक्तदन्तिका कीरति अमला।।
शाकम्भरी कौशिकी भीमा । 
महातमा अग जग की सीमा।।
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चन्द्रघण्टिका तुम सावित्री । 
ब्रह्मवादिनी मां गायत्री।।
रूद्राणी तुम कृष्ण पिंगला । 
अग्निज्वाला तुम सर्वमंगला।।
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मेघस्वना तपस्विनि योगिनी । 
सहस्त्राक्षि तुम अगजग भोगिनी।।
जलोदरी सरस्वती डाकिनी । 
त्रिदशेश्वरी अजेय लाकिनी।।
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पुष्टि तुष्टि धृति स्मृति शिव दूती।
कामाक्षी लज्जा आहूती।।
महोदरी कामाक्षि हारिणी।
विनायकी श्रुति महा शाकिनी।।
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अजा कर्ममोही ब्रह्माणी । 
धात्री वाराही शर्वाणी।।
स्कन्द मातु तुम सिंह वाहिनी।
मातु सुभद्रा रहहु दाहिनी।।
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नाम रूप गुण अमित तुम्हारे।
शेष शारदा बरणत हारे।।
तनु छवि श्यामवर्ण तव माता।
नाम कालिका जग विख्याता।।
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अष्टादश तब भुजा मनोहर।
तिनमहं अस्त्र विराजत सुंदर।।
शंख चक्र अरू गदा सुहावन।
परिघ भुशण्डी घण्टा पावन।।
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शूल बज्र धनुबाण उठाए।
निशिचर कुल सब मारि गिराए।।
शुंभ निशुंभ दैत्य संहारे । 
रक्तबीज के प्राण निकारे।।
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चौंसठ योगिनी नाचत संगा । 
मद्यपान कीन्हैउ रण गंगा।।
कटि किंकिणी मधुर नूपुर धुनि।
दैत्यवंश कांपत जेहि सुनि-सुनि।।
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कर खप्पर त्रिशूल भयकारी । 
अहै सदा सन्तन सुखकारी।।
शव आरूढ़ नृत्य तुम साजा । 
बजत मृदंग भेरी के बाजा।।
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रक्त पान अरिदल को कीन्हा।
प्राण तजेउ जो तुम्हिं न चीन्हा।।
लपलपाति जिव्हा तव माता । 
भक्तन सुख दुष्टन दु:ख दाता।।
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लसत भाल सेंदुर को टीको । 
बिखरे केश रूप अति नीको।।
मुंडमाल गल अतिशय सोहत । 
भुजामल किंकण मनमोहन।।
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प्रलय नृत्य तुम करहु भवानी।
जगदम्बा कहि वेद बखानी।।
तुम मशान वासिनी कराला।
भजत करत काटहु भवजाला।।
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बावन शक्ति पीठ तव सुंदर । 
जहां बिराजत विविध रूप धर।।
विन्धवासिनी कहूं बड़ाई  ।  
कहं कालिका रूप सुहाई।।
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शाकम्भरी बनी कहं ज्वाला । 
महिषासुर मर्दिनी कराला।।
कामाख्या तव नाम मनोहर । 
पुजवहिं मनोकामना द्रुततर।।
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चंड मुंड वध छिन महं करेउ।
देवन के उर आनन्द भरेउ।।
सर्व व्यापिनी तुम मां तारा । 
अरिदल दलन लेहु अवतारा।।
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खलबल मचत सुनत हुंकारी । 
अगजग व्यापक देह तुम्हारी।।
तुम विराट रूपा गुणखानी । 
विश्व स्वरूपा तुम महारानी।।
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उत्पत्ति स्थिति लय तुम्हरे कारण । 
करहु दास के दोष निवारण ।।
मां उर वास करहू तुम अंबा । 
सदा दीन जन की अवलंबा।।
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तुम्हारो ध्यान धरै जो कोई । 
ता कहं भीति कतहुं नहिं होई।।
विश्वरूप तुम आदि भवानी । 
महिमा वेद पुराण बखानी।।
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अति अपार तव नाम प्रभावा । 
जपत न रहन रंच दु:ख दावा।।
महाकालिका जय कल्याणी । 
जयति सदा सेवक सुखदानी।।
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तुम अनन्त औदार्य विभूषण । 
कीजिए कृपा क्षमिये सब दूषण।।
दास जानि निज दया दिखावहु । 
सुत अनुमानित सहित अपनावहु।।
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जननी तुम सेवक प्रति पाली । 
करहु कृपा सब विधि मां काली।।
पाठ  करै  चालीसा  जोई । 
तापर  कृपा  तुम्हारी  होई।।
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शनिवार, 23 दिसंबर 2023

जय काली कंकाल मालिनी | Jay Kali Kankal Malini | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi

जय काली कंकाल मालिनी | Jay Kali Kankal Malini | काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi
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दोहा
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जय जय सीताराम के 
मध्यवासिनी अम्ब
देहु दरश जगदम्ब अब 
करहु न मातु विलम्ब ॥
जय तारा जय कालिका 
जय दश विद्या वृन्द,
काली चालीसा रचत 
एक सिद्धि कवि हिन्द ॥
प्रातः काल उठ जो पढ़े 
दुपहरिया या शाम,
दुःख दरिद्रता दूर हों 
सिद्धि होय सब काम ॥
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चौपाई
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जय काली कंकाल मालिनी
जय मंगला महाकपालिनी ॥
रक्तबीज वधकारिणी माता,
सदा भक्तन की सुखदाता ॥
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शिरो मालिका भूषित अंगे,
जय काली जय मद्य मतंगे ॥
हर हृदयारविन्द सुविलासिनी,
जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनी ॥
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ह्रीं काली श्रीं महाकाराली,
क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली ॥
जय कलावती जय विद्यावति,
जय तारासुन्दरी महामति ॥
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देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट,
होहु भक्त के आगे परगट ॥
जय ॐ कारे जय हुंकारे,
महाशक्ति जय अपरम्पारे ॥
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कमला कलियुग दर्प विनाशिनी,
सदा भक्तजन की भयनाशिनी ॥
अब जगदम्ब न देर लगावहु,
दुख दरिद्रता मोर हटावहु ॥
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जयति कराल कालिका माता,
कालानल समान घुतिगाता ॥
जयशंकरी सुरेशि सनातनि,
कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनी ॥ 
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कपर्दिनी कलि कल्प विमोचनि,
जय विकसित नव नलिन विलोचनी ॥
आनन्दा करणी आनन्द निधाना,
देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना ॥
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करूणामृत सागरा कृपामयी,
होहु दुष्ट जन पर अब निर्दयी ॥
सकल जीव तोहि परम पियारा,
सकल विश्व तोरे आधारा ॥ 
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प्रलय काल में नर्तन कारिणि,
जग जननी सब जग की पालिनी ॥
महोदरी माहेश्वरी माया,
हिमगिरि सुता विश्व की छाया ॥
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स्वछन्द रद मारद धुनि माही,
गर्जत तुम्ही और कोउ नाहि ॥
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने,
तारागण तू व्योम विताने ॥
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श्रीधारे सन्तन हितकारिणी,
अग्निपाणि अति दुष्ट विदारिणि ॥
धूम्र विलोचनि प्राण विमोचिनी,
शुम्भ निशुम्भ मथनि वर लोचनि ॥
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सहस भुजी सरोरूह मालिनी,
चामुण्डे मरघट की वासिनी ॥
खप्पर मध्य सुशोणित साजी,
मारेहु माँ महिषासुर पाजी ॥
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अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका,
सब एके तुम आदि कालिका ॥
अजा एकरूपा बहुरूपा,
अकथ चरित्रा शक्ति अनूपा ॥
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कलकत्ता के दक्षिण द्वारे,
मूरति तोरि महेशि अपारे ॥
कादम्बरी पानरत श्यामा,
जय माँतगी काम के धामा ॥
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कमलासन वासिनी कमलायनि,
जय श्यामा जय जय श्यामायनि ॥
मातंगी जय जयति प्रकृति हे,
जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे ॥
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कोटि ब्रह्म शिव विष्णु कामदा,
जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ॥
जलथल नभ मण्डल में व्यापिनी,
सौदामिनी मध्य आलापिनि ॥
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झननन तच्छु मरिरिन नादिनी,
जय सरस्वती वीणा वादिनी ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे,
कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा ॥
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जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता,
कामाख्या और काली माता ॥
हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनी,
अटठहासिनि अरु अघन नाशिनी ॥
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कितनी स्तुति करूँ अखण्डे,
तू ब्रह्माण्डे शक्तिजित चण्डे ॥
करहु कृपा सब पे जगदम्बा,
रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ॥
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चतुर्भुजी काली तुम श्यामा,
रूप तुम्हार महा अभिरामा ॥
खड्ग और खप्पर कर सोहत,
सुर नर मुनि सबको मन मोहत ॥
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तुम्हारी कृपा पावे जो कोई,
रोग शोक नहिं ताकहँ होई ॥
जो यह पाठ करै चालीसा,
तापर कृपा करहिं गौरीशा ॥
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दोहा
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जय कपालिनी जय शिवा,
जय जय जय जगदम्ब,
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु,
मातु अविलम्ब ॥
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शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

जयकाली कलिमलहरण | Jay Kali Kalimalharan | श्री काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi

जयकाली कलिमलहरण | Jay Kali Kalimalharan | श्री काली चालीसा | Kali Chalisa Lyrics in Hindi

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दोहा
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जयकाली कलिमलहरण
महिमा अगम अपार
महिष मर्दिनी कालिका 
देहु अभय अपार
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अरि मद मान मिटावन हारी। 
मुण्डमाल गल सोहत प्यारी ॥
अष्टभुजी सुखदायक माता । 
दुष्टदलन जग में विख्याता ॥
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भाल विशाल मुकुट छवि छाजै । 
कर में शीश शत्रु का साजै ॥
दूजे हाथ लिए मधु प्याला । 
हाथ तीसरे सोहत भाला ॥
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चौथे खप्पर खड्ग कर पांचे । 
छठे त्रिशूल शत्रु बल जांचे ॥
सप्तम करदमकत असि प्यारी । 
शोभा अद्भुत मात तुम्हारी ॥
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अष्टम कर भक्तन वर दाता । 
जग मनहरण रूप ये माता ॥
भक्तन में अनुरक्त भवानी । 
निशदिन रटें ॠषी-मुनि ज्ञानी ॥
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महशक्ति अति प्रबल पुनीता । 
तू ही काली तू ही सीता ॥
पतित तारिणी हे जग पालक । 
कल्याणी पापी कुल घालक ॥
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शेष सुरेश न पावत पारा । 
गौरी रूप धर्यो इक बारा ॥
तुम समान दाता नहिं दूजा । 
विधिवत करें भक्तजन पूजा ॥
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रूप भयंकर जब तुम धारा । 
दुष्टदलन कीन्हेहु संहारा ॥
नाम अनेकन मात तुम्हारे । 
भक्तजनों के संकट टारे ॥
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कलि के कष्ट कलेशन हरनी । 
भव भय मोचन मंगल करनी ॥
महिमा अगम वेद यश गावैं । 
नारद शारद पार न पावैं ॥
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भू पर भार बढ्यौ जब भारी । 
तब तब तुम प्रकटीं महतारी ॥
आदि अनादि अभय वरदाता । 
विश्वविदित भव संकट त्राता ॥
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कुसमय नाम तुम्हारौ लीन्हा । 
उसको सदा अभय वर दीन्हा ॥
ध्यान धरें श्रुति शेष सुरेशा । 
काल रूप लखि तुमरो भेषा ॥
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कलुआ भैंरों संग तुम्हारे । 
अरि हित रूप भयानक धारे ॥
सेवक लांगुर रहत अगारी । 
चौसठ जोगन आज्ञाकारी ॥
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त्रेता में रघुवर हित आई । 
दशकंधर की सैन नसाई ॥
खेला रण का खेल निराला । 
भरा मांस-मज्जा से प्याला ॥
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रौद्र रूप लखि दानव भागे । 
कियौ गवन भवन निज त्यागे ॥
तब ऐसौ तामस चढ़ आयो । 
स्वजन विजन को भेद भुलायो ॥
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ये बालक लखि शंकर आए । 
राह रोक चरनन में धाए ॥
तब मुख जीभ निकर जो आई । 
यही रूप प्रचलित है माई ॥
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बाढ्यो महिषासुर मद भारी । 
पीड़ित किए सकल नर-नारी ॥
करूण पुकार सुनी भक्तन की । 
पीर मिटावन हित जन-जन की ॥
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तब प्रगटी निज सैन समेता । 
नाम पड़ा मां महिष विजेता ॥
शुंभ निशुंभ हने छन माहीं । 
तुम सम जग दूसर कोउ नाहीं ॥
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मान मथनहारी खल दल के । 
सदा सहायक भक्त विकल के ॥
दीन विहीन करैं नित सेवा । 
पावैं मनवांछित फल मेवा ॥
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संकट में जो सुमिरन करहीं । 
उनके कष्ट मातु तुम हरहीं ॥
प्रेम सहित जो कीरति गावैं । 
भव बन्धन सों मुक्ती पावैं ॥
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काली चालीसा जो पढ़हीं । 
स्वर्गलोक बिनु बंधन चढ़हीं ॥
दया दृष्टि हेरौ जगदम्बा । 
केहि कारण मां कियौ विलम्बा ॥
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करहु मातु भक्तन रखवाली । 
जयति जयति काली कंकाली ॥
सेवक दीन अनाथ अनारी । 
भक्तिभाव युति शरण तुम्हारी ॥
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दोहा
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प्रेम सहित जो करे 
काली चालीसा पाठ ।
तिनकी पूरन कामना 
होय सकल जग ठाठ ॥
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गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

ॐ जय -जय शान्तपते | Om Jay Shantpate | श्रृंग ऋषि की आरती | Shring Rishi ki Arti Lyrics in Hindi

ॐ जय -जय शान्तपते | Om Jay Shantpate | Arti Lyrics in Hindi

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ॐ जय -जय शान्तपते  
प्रभु जय -जय शान्तपते 
पूज्य पिता हम सबके 
तुम पालन करते 
ॐ जय -जय शान्तपते  
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शान्ता संग विराजे 
ऋषि श्रृंग बलिहारी  
प्रभु ऋषि श्रृंग बलिहारी
जस गिरिजा संग सोहे 
भोले त्रिपुरारी  
ॐ जय -जय शान्तपते  
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लोमपाद की रजधानी में 
जब दुर्भिक्ष परयो  
प्रभु जब दुर्भिक्ष परयो
वृष्टि हेतु बुलवाये 
जाय सुभिक्ष करयो  
ॐ जय -जय शान्तपते  
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महायज्ञ पुत्रेष्ठी 
दशरथ घर कीनो  
प्रभु दशरथ घर कीनो
प्रकट भये प्रतिपाला 
दीन शरण लीनो । 
ॐ जय -जय शान्तपते 
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शीश जटा शुभ सोहे 
श्रृंग एक धरता  
प्रभु श्रृंग एक धरता
सकल शास्त्र के वेत्ता 
हम सबके करता  
ॐ जय -जय शान्तपते
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सब बालक हम तेरे 
तुम सबके स्वामी  
प्रभु तुम सबके स्वामी 
शरण गहेंगे तुमरी 
ऋषि तव अनुगामी  
ॐ जय -जय शान्तपते
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विनय हमारी तुमसे 
सब पर कृपा करो  
प्रभु सब पर कृपा करो  
विद्या बुद्धि बढ़ाओ
उज्ज्वल भाव भरो  
ॐ जय -जय शान्तपते
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हम संतान तुम्हारी
श्रद्धा चित्त लावें  
प्रभु श्रद्धा चित्त लावें  
मंडल आरती ऋषि श्रृंग की 
प्रेम सहित गावें 
ॐ जय -जय शान्तपते
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बुधवार, 20 दिसंबर 2023

जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके | Jo Nahi Dhyaye Tumhe Ambike | Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi

जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके | Jo Nahi Dhyaye Tumhe Ambike | Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi
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संक्षिप्‍त परिचय - अन्नपूर्णा दो शब्दों से मिलकर बना है- 'अन्न' का अर्थ है भोजन और 'पूर्णा' का अर्थ है 'पूरी तरह से भरा हुआ'। अन्नपूर्णा भोजन और रसोई की देवी हैं। वह देवी पार्वती का अवतार हैं जो शिव की पत्नी हैं। वह पोषण की देवी हैं और अपने भक्तों को कभी भोजन के बिना नहीं रहने देतीं।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा (Goddess Annapurna) की तस्वीर रसोईघर में लगाने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। उनका दूसरा नाम 'अन्नदा' है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर सूखा पड़ गया। जमीन बंजर हो गई। फसलें, फलों आदि की पैदावार ना होने से जीवन का संकट आ गया। तब भगवान शिव ने पृथ्वीवासियों के कल्याण के लिए भिक्षुक का स्वरूप धारण किया और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया। देवी दुर्गा शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक हैं, देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं, देवी सरस्वती ज्ञान और शिक्षा से जुड़ी हैं, देवी काली व्यक्तिगत राक्षसों और नकारात्मकता को दूर करने में मदद करती हैं, देवी अन्नपूर्णा की पूजा भोजन और पोषण के लिए की जाती है। वास्तु शास्त्र की मानें तो माता अन्नपूर्णा की तस्वीर के लिए सबसे शुभ दिशा पूर्व-दक्षिण यानी कि आग्नेय कोण का मध्य भाग होता है। इस दिशा में देवताओं का वास होता है। इसलिए यहां मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है और कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।
आप सभी माता अन्‍नपूर्णा की प्राप्ति हेतु आरती का पाठ कर सकते हैं -
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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जो नहीं ध्यावे तुम्हें अम्बिके 
कहां उसे विश्राम ।
अन्नपूर्णा देवी नाम तिहारो 
लेत होत सब काम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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प्रलय युगान्तर और जन्मान्तर 
कालान्तर तक नाम ।
सुर सुरों की रचना करती 
कहाँ कृष्ण कहाँ राम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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चूमहि चरण चतुर चतुरानन 
चारु चक्रधर श्याम ।
चंद्रचूड़ चन्द्रानन चाकर 
शोभा लखहि ललाम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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देवि देव! दयनीय दशा में 
दया-दया तब नाम ।
त्राहि-त्राहि शरणागत वत्सल 
शरण रूप तब धाम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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श्रीं, ह्रीं श्रद्धा श्री ऐ विद्या 
श्री क्लीं कमला काम ।
कांति, भ्रांतिमयी, कांति शांतिमयी 
वर दे तू निष्काम ॥
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बारम्बार प्रणाम 
मैया बारम्बार प्रणाम ।
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मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

नित्य आनंद करिणी माता | Nitya Anand Karni Mata | Shri Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi

नित्य आनंद करिणी माता | Nitya Anand Karni Mata | Shri Annapurna Chalisa Lyrics in Hindi

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संक्षिप्‍त परिचय - अन्नपूर्णा दो शब्दों से मिलकर बना है- 'अन्न' का अर्थ है भोजन और 'पूर्णा' का अर्थ है 'पूरी तरह से भरा हुआ'। अन्नपूर्णा भोजन और रसोई की देवी हैं। वह देवी पार्वती का अवतार हैं जो शिव की पत्नी हैं। वह पोषण की देवी हैं और अपने भक्तों को कभी भोजन के बिना नहीं रहने देतीं।
हिन्दू धर्म में मान्यता है कि अन्न की देवी माता अन्नपूर्णा (Goddess Annapurna) की तस्वीर रसोईघर में लगाने से घर में कभी भी अन्न और धन की कमी नहीं होती है। उनका दूसरा नाम 'अन्नदा' है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर सूखा पड़ गया. जमीन बंजर हो गई. फसलें, फलों आदि की पैदावार ना होने से जीवन का संकट आ गया. तब भगवान शिव ने पृथ्वीवासियों के कल्याण के लिए भिक्षुक का स्वरूप धारण किया और माता पार्वती ने मां अन्नपूर्णा का अवतार लिया। देवी दुर्गा शक्ति और सुरक्षा का प्रतीक हैं, देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं, देवी सरस्वती ज्ञान और शिक्षा से जुड़ी हैं, देवी काली व्यक्तिगत राक्षसों और नकारात्मकता को दूर करने में मदद करती हैं, देवी अन्नपूर्णा की पूजा भोजन और पोषण के लिए की जाती है। वास्तु शास्त्र की मानें तो माता अन्नपूर्णा की तस्वीर के लिए सबसे शुभ दिशा पूर्व-दक्षिण यानी कि आग्नेय कोण का मध्य भाग होता है। इस दिशा में देवताओं का वास होता है। इसलिए यहां मां अन्नपूर्णा की तस्वीर रखने से घर में सुख-समृद्धि और सौभाग्य बना रहता है और कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है।
आप सभी माता अन्‍नपूर्णा की प्राप्ति हेतु चालीसा का पाठ कर सकते हैं - 

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॥ दोहा ॥
विश्वेश्वर पदपदम की 
रज निज शीश लगाय ।
अन्नपूर्ण, तव सुयश 
बरनौं कवि मतिलाय ।
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॥ चौपाई ॥
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नित्य आनंद करिणी माता ।
वर अरु अभय भाव प्रख्याता ।।1
जय ! सौंदर्य सिंधु जग जननी ।
अखिल पाप हर भव-भय-हरनी ।।2
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श्वेत बदन पर श्वेत बसन पुनि ।
संतन तुव पद सेवत ऋषिमुनि ।।3
काशी पुराधीश्वरी माता ।
माहेश्वरी सकल जग त्राता ।।4
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वृषभारुढ़ नाम रुद्राणी ।
विश्व विहारिणि जय कल्याणी ।।5
पतिदेवता सुतीत शिरोमणि ।
पदवी प्राप्त कीन्ह गिरी नंदिनि ।।6
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पति विछोह दुःख सहि नहिं पावा ।
योग अग्नि तब बदन जरावा ।।7
देह तजत शिव चरण सनेहू ।
राखेहु जात हिमगिरि गेहू ।।8
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प्रकटी गिरिजा नाम धरायो ।
अति आनंद भवन मँह छायो ।19
नारद ने तब तोहिं भरमायहु ।
ब्याह करन हित पाठ पढ़ायहु ।।10
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ब्रहमा वरुण कुबेर गनाये ।
देवराज आदिक कहि गाये ।।11
सब देवन को सुजस बखानी ।
मति पलटन की मन मँह ठानी ।।12
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अचल रहीं तुम प्रण पर धन्या ।
कीहनी सिद्ध हिमाचल कन्या ।।13
निज कौ तब नारद घबराये ।
तब प्रण पूरण मंत्र पढ़ाये ।।14
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करन हेतु तप तोहिं उपदेशेउ ।
संत बचन तुम सत्य परेखेहु ।।15
गगनगिरा सुनि टरी न टारे ।
ब्रहां तब तुव पास पधारे ।।16
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कहेउ पुत्रि वर माँगु अनूपा ।
देहुँ आज तुव मति अनुरुपा ।।17
तुम तप कीन्ह अलौकिक भारी ।
कष्ट उठायहु अति सुकुमारी ।।18
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अब संदेह छाँड़ि कछु मोसों ।
है सौगंध नहीं छल तोसों ।।19
करत वेद विद ब्रहमा जानहु ।
वचन मोर यह सांचा मानहु ।।20
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तजि संकोच कहहु निज इच्छा ।
देहौं मैं मनमानी भिक्षा ।।21
सुनि ब्रहमा की मधुरी बानी ।
मुख सों कछु मुसुकाय भवानी ।।22
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बोली तुम का कहहु विधाता ।
तुम तो जगके स्रष्टाधाता ।।23
मम कामना गुप्त नहिं तोंसों ।
कहवावा चाहहु का मोंसों ।।24
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दक्ष यज्ञ महँ मरती बारा ।
शंभुनाथ पुनि होहिं हमारा ।।25
सो अब मिलहिं मोहिं मनभाये ।
कहि तथास्तु विधि धाम सिधाये ।।26
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तब गिरिजा शंकर तव भयऊ ।
फल कामना संशयो गयऊ ।।27
चन्द्रकोटि रवि कोटि प्रकाशा ।
तब आनन महँ करत निवासा ।।28
**
माला पुस्तक अंकुश सोहै ।
कर मँह अपर पाश मन मोहै ।।29
अन्न्पूर्णे ! सदापूर्णे ।
अज अनवघ अनंत पूर्णे ।।30
**
कृपा सागरी क्षेमंकरि माँ ।
भव विभूति आनंद भरी माँ ।।31
कमल विलोचन विलसित भाले ।
देवि कालिके चण्डि कराले ।।32
**
तुम कैलास मांहि है गिरिजा ।
विलसी आनंद साथ सिंधुजा ।।33
स्वर्ग महालक्ष्मी कहलायी ।
मर्त्य लोक लक्ष्मी पदपायी ।।34
**
विलसी सब मँह सर्व सरुपा ।
सेवत तोहिं अमर पुर भूपा ।।35
जो पढ़िहहिं यह तव चालीसा ।
फल पाइंहहि शुभ साखी ईसा ।।36
**
प्रात समय जो जन मन लायो ।
पढ़िहहिं भक्ति सुरुचि अधिकायो ।।37
स्त्री कलत्र पति मित्र पुत्र युत ।
परमैश्रवर्य लाभ लहि अद्भुत ।।38
**
राज विमुख को राज दिवावै ।
जस तेरो जन सुजस बढ़ावै ।।39
पाठ महा मुद मंगल दाता ।
भक्त मनोवांछित निधि पाता ।।40
**
॥ दोहा ॥
जो यह चालीसा सुभग 
पढ़ि नावेंगे माथ ।
तिनके कारज सिद्ध सब 
साखी काशी नाथ ॥
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शनिवार, 9 दिसंबर 2023

जय माँ चामुण्‍डे देवी शामा जगदम्‍बे | Jay Ma Chamunde Devi Shama Jagdambe | Aarti Lyrics in Hindi

जय माँ चामुण्‍डे देवी शामा जगदम्‍बे | Jay Ma Chamunde Devi Shama Jagdambe | Aarti Lyrics in Hindi


जय माँ चामुण्‍डे 
देवी शामा जगदम्‍बे
चरण शरण हमआये 
चरण शरण हमआये 
कष्‍ट हरो अम्‍बे
ओम जय माँ चामुण्‍डे 
**
जय माँ चामुण्‍डे 
देवी शामा जगदम्‍बे
चरण शरण हमआये 
चरण शरण हमआये 
कष्‍ट हरो अम्‍बे
ओम जय माँ चामुण्‍डे 
**
अपरम्‍बार अनन्‍ता 
भवनिधि तारक मॉं
तू है भवनिधि तारक मॉं
दीन सहायक देवी
दीन सहायक देवी
कष्‍ट निवारक मॉं
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
खडग खपर ले रण में 
कालिका रूप धरा 
मैया चण्‍डी का रूप धरा
दुष्‍ट दैत्‍य कई मारे
दुष्‍ट दैत्‍य कई मारे
देवों का कष्‍ट हरा 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे 
**
चण्‍ड मुण्‍ड हननी काली 
तू ही है रुद्राणी 
मैया तू ही है रुद्राणी 
साधक के दुख पल में
साधक के दुख पल में
हरती हो महारानी
ओम जय मॉं चामुण्‍डे 
**
सकल विकार मिटाती 
पाप ताप हर लेती
मैया पाप ताप हर लेती
साची परम पद पा तू
साची परम पद पा तू
संतों को वर देती
ओम जय मॉं चामुण्‍डे 
**
धन वैभव सुख शान्ति
गौरव यश दायिनी 
मैया गौरव यश दायिनी  
दुविधा को सुविधा करती 
दुविधा को सुविधा करती 
करुणा फलदायिनी 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
मंगल मय उद्धारिणी 
चण्डिका भयहरणी 
मैया चण्डिका भयहरणी 
सर्व सुख प्रदायिनी 
सर्व सुख प्रदायिनी 
जगदेवा जगजननी
ओम जय मॉं चामुण्‍डे  
**
शक्ति साहस बल मॉं
तुमसे ही मिलता 
मैया तुमसे ही मिलता 
तेरी दया से सबका
तेरी कला से सबका 
जीवन रथ चलता 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
सेवक अश्रु से जो 
तरे चरण धोता 
मैया चरण तेरे धोये 
उन भक्‍तों के पल में
उन भक्‍तो  के पल में 
काज हैं सिद्ध होते 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
गुणीजन योगी तपस्‍वी 
निर्गुण गान करें
मैया निर्गुण गान करें
निर्धन तेरे दर आके
निर्धन तेरे दर आके
सदा धनवान बने
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
लिखा विधाता का मॉं
द्वार तेरे बदले
मैंया द्वार तेरे बदले
तुमसे अन धन लेकर
तुमसे अन धन लेकर
तीनों लोक पले
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
तेरी अनुकम्‍पा का है
सागर अति गहरा
मैया सागर अति गहरा
केसरि सुत बजरंगी
केसरि सुत बजरंगी
द्वार पे दे पहरा
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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निर्मल मॉं तेरे द्वारे 
अमृत धारा बहे
मैया अमृत धारा बहे
कितने अनगिन दोशी
कितने अनगिन दोषी
मैया निर्दोष किये 
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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जय मॉं चामुण्‍डे
देवी शामा जगदम्‍बे
चरण शरण हम आये
चरण शरण हम आये
कष्‍ट हरो अम्‍बे
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
**
जय मॉं चामुण्‍डे
देवी शामा जगदम्‍बे
चरण शरण हम आये
चरण शरण हम आये
कष्‍ट हरो अम्‍बे
ओम जय मॉं चामुण्‍डे
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जय चामुंडा माता | Jay Chamunda Mata | Chamunda Mata Aarti Lyrics in Hindi

जय चामुंडा माता | Jay Chamunda Mata | Chamunda Mata Aarti Lyrics in Hindi

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जय चामुंडा माता 
मैया जय चामुंडा माता। 
शरण आए जो तेरे 
सब कुछ पा जाता ॥
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चंड मुंड दो राक्षस 
हुए हैं बलशाली। 
उनको तूने मारा 
कोप दृष्टि डाली॥
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चौंसठ योगिनी आकर 
तांडव नृत्य करें। 
बावन भैरो झूमें 
विपदा आन हरें॥ 
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शक्ति धाम कहातीं 
पीछे शिव मंदर। 
ब्रह्मा विष्‍णु नारद 
मंत्र जपें अंदर ॥
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सिंहराज यहां रहते 
घंटा ध्‍वनि बाजे
निर्मल धारा जल की 
बडेर नदी साजे॥
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क्रोथ रूप में खप्पर 
खाली नहीं रहता 
शान्‍त रूप जो ध्‍यावे 
आनन्‍द भर देता ॥
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हनुमत बाला योगी
ठाढे बलशाली 
कारज पूरण करती 
दुर्गा महाकाली ॥
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रिद्धि सिद्धि देकर 
जन के पाप हरे 
शरणागत जो होता 
आनन्‍द राज करे॥
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शुभ गुण मन्दिर वाली 
ओम कृपा कीजै
दुख जीवन के संकट
आकर हर लीजै॥
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नमस्कार चामुंडा माता | Namaskar Chamunda Mata | मॉं चामुंडा चालीसा | Ma Chamunda Chalisa Lyrics in Hindi

नमस्कार चामुंडा माता | Namaskar Chamunda Mata | मॉं चामुंडा चालीसा | Ma Chamunda Chalisa Lyrics in Hindi

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॥ दोहा ॥ 
नीलवर्ण मॉं कालिका 
रहतीं सदा प्रचण्ड। 
दस हाथों में शस्त्र धर 
देतीं दुष्ट को दण्ड॥
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मधु कैटभ संहार कर 
करी धर्म की जीत। 
मेरी भी बाधा हरो 
हों जो कर्म पुनीत ॥
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॥ चौपाई॥ 
नमस्कार चामुंडा माता। 
तीनों लोकों में विख्याता ॥
हिमालय में पवित्र धाम है। 
महाशक्ति तुमको प्रणाम है॥ 
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मार्कण्डेय ऋषि ने घ्याया । 
कैसे प्रगटीं भेद बताया॥
शुभ निशुंभ दो दैत्य बलशाली। 
तीनों लोक जो कर दिए खाली ॥
**
वायु अग्नि यम कुबेर संग। 
सूर्य चंद्र वरुण हुए तंग ॥
अपमानित चरणों में आए। 
गिरिराज हिमालय को लाए॥ 
**
भद्रा-रौद्रा नित्या ध्याया । 
चेतन शक्ति करके बुलाया॥
क्रोधित होकर काली आई। 
जिसने अपनी लीला दिखाई॥
**
चंड मुंड और शुंभ पठाए। 
कामुक वैरी लड़ने आए ॥ 
पहले सुग्रीव दूत को मारा। 
भागा चंड भी मारा मारा॥ 
**
अरबों सैनिक लेकर आया। 
धून लोचन क्रोध दिखाया॥ 
जैसे ही दुष्ट ललकारा। 
हूं हूं शब्द गुंजा के मारा ॥ 
**
सेना ने मचाई भगदड़ । 
फाड़ा सिंह ने आया जो बढ़॥ 
हत्या करने चंड-मुंड आए। 
मदिरा पीकर के घुर्राए॥ 
**
चतुरंगी सेना संग लाए। 
ऊंचे ऊंचे शिविर गिराए॥ 
तुमने क्रोधित रूप निकाला। 
प्रगटीं डाल गले मुंड माला॥
**
चर्म की साड़ी चीते वाली। 
हड्डी ढांचा था बलशाली॥ 
विकराल मुखी आंखें दिखलाई। 
जिसे देख सृष्टि घबराई॥ 
**
चंड मुंड ने चक्र चलाया। 
ले तलवार हूं शब्द गुंजाया॥
पापियों का कर दिया निस्तारा। 
चंड मुंड दोनों को मारा॥
**
हाथ में मस्‍तक ले मुस्काई। 
पापी सेना फिर घबराई॥ 
सरस्वती मॉं तुम्हें पुकारा। 
पड़ा चामुंडा नाम तिहारा ॥
**
चण्‍ड मुण्‍ड की मृत्यु सुनकर। 
कालक मौर्य आए रथ पर॥ 
अरब खरब युद्ध के पथ पर। 
झोंक दिए सब चामुंडा पर॥ 
**
उग्र चंडिका प्रगटीं आकर। 
गीदड़ियों की वाणी भरकर ॥
काली खटवांग घूसों से मारा। 
ब्रह्माणी ने फेंकी जल धारा॥ 
**
महेश्वरी ने त्रिशूल चलाया। 
मॉं वैष्णवी चक्र घुमाया॥
कार्तिकेय की शक्ति आई। 
नारसिंही दैत्यों पे छाई॥ 
**
चुन चुन सिंह सभी को खाया। 
हर दानव घायल घबराया॥
रक्‍तबीज माया फैलाई। 
शक्ति उसने नई दिखाई॥
**
रक्‍त गिरा जब धरती ऊपर। 
नया दैत्य प्रगटा था वहीं पर॥
चण्‍डी मॉं अब शूल घुमाया। 
मारा उसको लहू चुसाया॥
**
शुंभ निशुंभ अब दौड़े आए। 
शत्रू सेना भरकर लाए॥
वज्रपात संग शूल चलाए। 
सभी देवता कुछ घबराए॥ 
**
ललकारा फिर घूंसा मारा। 
ले त्रिशूल किया निस्तारा ॥ 
शुंभ निशुंभ धरती पर सोए। 
दैत्य सभी देखकर रोए ॥ 
**
चामुण्‍डा मॉं धर्म बचाया। 
अपना शुभ मंदिर बनवाया॥
सभी देवता आके मनाते । 
हनुमत भैरव चंवर डुलाते ॥ 
**
आश्विन चैत्र नवरात्रे आऊं। 
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ाऊं॥
बडेर नदी स्नान कराऊं। 
चामुंडा मां तुमको ध्याऊं॥ 
*****
॥ दोहा ॥
शरणागत को शक्ति दो 
हे जग की आधार। 
'ओम' ये नैया डोलती 
कर दो भव से पार॥