गुरुवार, 14 सितंबर 2017

गायत्री मंत्र || Gayatri Mantra || Savita Mantra || ॐ भूर्भुवः स्वः || Om Bhurbhuvah Swah

गायत्री मंत्र || Gayatri Mantra || Savita Mantra || ॐ भूर्भुवः स्वः || Om Bhurbhuvah Swah


गायत्री मंत्र के जाप से हृदय में शुद्धता आती है और विचार सकारात्‍मक हो जाते हैं तथा शरीर में अद्भुत शक्ति का संचार होता है। परिणामस्‍वरूप समस्‍त मानसिक अथवा शारीरिक विकार दूर हो जाते हैं। गायत्री मंत्र के निरंतर उच्‍चारण से मेधा बढ्ती है, स्‍मरण शक्ति  तेज होती है और ज्ञान व़ृद्धि भी होती है। गायत्री मंत्र का जाप करने के तीन समय बताये गये हैं। पहला सूर्योदय से पूर्व, दूसरा मध्‍याह्न में एवं तीसरा सूर्यास्‍त से पहले। गायत्री मंत्र का जाप सदैव शुद्ध उच्‍चारण के साथ ही करना श्रेयस्‍कर है। साथ ही यह भी ध्‍यान देने योग्‍य है कि बिना अर्थ जाने जपे गये किसी भी मंत्र का कोई फल प्राप्‍त नहीं होता है। अर्थ से तात्‍पर्य केवल शाब्द‍िक अर्थ ही नहीं है वरन भावार्थ भी है। गायत्री मंत्र इस प्रकार है-

|| ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् , भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ||


अर्थ

उस प्राण स्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।

भावार्थ 

अर्थात् सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के दिव्‍य तेज का (हम) ध्यान करते हैं, वे परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्‍मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।
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