गुरुवार, 31 अक्टूबर 2024

सुख कर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची || सिद्धिविनायक जी की आरती || Shri Siddhivinayak Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

सुख कर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची || सिद्धिविनायक जी की आरती || Shri Siddhivinayak Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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वक्रतुण्ड महाकाय 
सूर्यकोटि समप्रभ 
निर्विघ्नम् कुरु मे देव 
सर्व कार्येषु सर्वदा
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ॐ गं गणपतये नमो नम: 
श्री सिध्धी-विनायक नमो नम: 
अष्ट-विनायक नमो नम: 
गणपती बाप्पा मौर्य 
मंगल मूर्ति मौर्य 
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सुख कर्ता दुखहर्ता 
वार्ता विघ्नाची 
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची 
सर्वांगी सुन्दर 
उटी-शेंदु राची 
कंठी-झलके माल 
मुकता फळांची 
जय देव जय देव 
जय देव जय देव 
जय मंगल मूर्ति 
दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति 
जय देव जय देव 
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रत्न खचित फरा 
तुझ गौरी कुमरा 
चंदनाची उटी 
कुमकुम केशरा 
हीरे जडित मुकुट 
शोभतो बरा 
रुन्झुनती नूपुरे 
चरनी घागरिया 
जय देव जय देव 
जय देव जय देव 
जय मंगल मूर्ति 
दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति 
जय देव जय देव 
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लम्बोदर पीताम्बर 
फनिवर वंदना 
सरल सोंड 
वक्रतुंडा त्रिनयना 
दास रामाचा 
वाट पाहे सदना 
संकटी पावावे 
निर्वाणी रक्षावे 
सुरवर वंदना 
जय देव जय देव  
जय देव जय देव 
जय मंगल मूर्ति 
दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति 
जय देव जय देव
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शेंदुर-लाल चढायो 
अच्छा गज मुख को 
दोन्दिल लाल बिराजे 
सूत गौरिहर को 
हाथ लिए गुड लड्डू 
साई सुरवर को 
महिमा कहे ना जाय 
लागत हू पद को 
जय देव जय देव 
जय जय जी गणराज 
विद्या सुखदाता 
धन्य तुम्हारो दर्शन 
मेरा मन रमता 
जय देव जय देव
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अष्ट सिधि दासी 
संकट को बैरी 
विघन विनाशन मंगल 
मूरत अधिकारी 
कोटि सूरज प्रकाश 
ऐसे छवि तेरी 
गंडस्थल मदमस्तक 
झूल शशि बहरी 
जय देव जय देव 
जय जय जी गणराज 
विद्या सुखदाता 
धन्य तुम्हारो दर्शन 
मेरा मन रमता 
जय देव जय देव 
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भाव भगत से कोई 
शरणागत आवे 
संतति संपत्ति सब ही 
भरपूर पावे 
ऐसे तुम महाराज 
मोको अति भावे 
गोसावी नंदन 
निशि दिन गुण गावे 
जय देव जय देव 
जय जय जी गणराज 
विद्या सुखदाता 
हो स्वामी सुख दाता 
धन्य तुम्हारो दर्शन 
मेरा मन रमता 
जय देव जय देव
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जय देव जय देव 
जय मंगल मूर्ति
दर्शन मात्रे मनःकामना पूर्ति 
जय देव जय देव
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सुख कर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची || सिद्धिविनायक जी की आरती || Shri Siddhivinayak Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Vakratuṇḍa mahākāya 
Sūryakoṭi samaprabh 
Nirvighnam kuru me dev 
Sarva kāryeṣhu sarvadā
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Aum gan gaṇapataye namo nama: 
Shrī sidhdhī-vināyak namo nama: 
Aṣhṭa-vināyak namo nama: 
Gaṇapatī bāppā maurya 
Mangal mūrti maurya 
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Sukh kartā dukhahartā 
Vārtā vighnāchī 
Nūrvī pūrvī prem kṛupā jayāchī 
Sarvāangī sundar 
Uṭī-sheandu rāchī 
Kanṭhī-jhalake māl 
Mukatā faḷāanchī 
Jaya dev jaya dev 
Jaya dev jaya dev 
Jaya mangal mūrti 
Darshan mātre manahkāmanā pūrti 
Jaya dev jaya dev 
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Ratna khachit farā 
Tuz gaurī kumarā 
Chandanāchī uṭī 
Kumakum kesharā 
Hīre jaḍit mukuṭ 
Shobhato barā 
Runzunatī nūpure 
Charanī ghāgariyā 
Jaya dev jaya dev 
Jaya dev jaya dev 
Jaya mangal mūrti 
Darshan mātre manahkāmanā pūrti 
Jaya dev jaya dev 
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Lambodar pītāmbar 
Fanivar vandanā 
Saral soanḍa 
Vakratuanḍā trinayanā 
Dās rāmāchā 
Vāṭ pāhe sadanā 
Sankaṭī pāvāve 
Nirvāṇī rakṣhāve 
Suravar vandanā 
Jaya dev jaya dev  
Jaya dev jaya dev 
Jaya mangal mūrti 
Darshan mātre manahkāmanā pūrti 
Jaya dev jaya deva
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Sheandura-lāl chaḍhāyo 
Achchhā gaj mukh ko 
Dondil lāl birāje 
Sūt gaurihar ko 
Hāth lie guḍ laḍḍū 
Sāī suravar ko 
Mahimā kahe nā jāya 
Lāgat hū pad ko 
Jaya dev jaya dev 
Jaya jaya jī gaṇarāj 
Vidyā sukhadātā 
Dhanya tumhāro darshan 
Merā man ramatā 
Jaya dev jaya deva
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Aṣhṭa sidhi dāsī 
Sankaṭ ko bairī 
Vighan vināshan mangal 
Mūrat adhikārī 
Koṭi sūraj prakāsh 
Aise chhavi terī 
Ganḍasthal madamastak 
Zūl shashi baharī 
Jaya dev jaya dev 
Jaya jaya jī gaṇarāj 
Vidyā sukhadātā 
Dhanya tumhāro darshan 
Merā man ramatā 
Jaya dev jaya dev 
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Bhāv bhagat se koī 
Sharaṇāgat āve 
Santati sanpatti sab hī 
Bharapūr pāve 
Aise tum mahārāj 
Moko ati bhāve 
Gosāvī nandan 
Nishi din guṇ gāve 
Jaya dev jaya dev 
Jaya jaya jī gaṇarāj 
Vidyā sukhadātā 
Ho swāmī sukh dātā 
Dhanya tumhāro darshan 
Merā man ramatā 
Jaya dev jaya deva
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Jaya dev jaya dev 
Jaya mangal mūrti
Darshan mātre manahkāmanā pūrti 
Jaya dev jaya deva
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बुधवार, 30 अक्टूबर 2024

जय गोरख देवा || गोरखनाथ जी की आरती || Baba Gorakhnath Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

जय गोरख देवा || गोरखनाथ जी की आरती || Baba Gorakhnath Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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जय गोरख देवा 
जय गोरख देवा 
कर कृपा मम ऊपर 
नित्य करू सेवा 
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शीश जटा अति सुंदर 
भाल चन्द्र सोहे 
कानन कुंडल झलकत 
निरखत मन मोहे 
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गल सेली विच नाग सुशोभित 
तन भस्मी धारी 
आदि पुरुष योगीश्वर 
संतन हितकारी 
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नाथ निरंजन आप ही 
घट घट के वासी 
करत कृपा निज जन पर 
मेटत यम फांसी 
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रिद्धि सिद्धि चरणों में लोटत 
माया है दासी 
आप अलख अवधूता 
उतराखंड वासी 
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अगम अगोचर अकथ 
अरुपी सबसे हो न्यारे  
योगीजन के आप ही 
सदा हो रखवारे 
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ब्रह्मा विष्णु तुम्हारा 
निशदिन गुण गावे 
नारद शारद सुर मिल 
चरनन चित लावे 
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चारो युग में आप विराजत 
योगी तन धारी 
सतयुग द्वापर त्रेता 
कलयुग भय टारी 
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गुरु गोरख नाथ की आरती 
निशदिन जो गावे 
विनवित बाल त्रिलोकी 
मुक्ति फल पावे 
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जय गोरख देवा || गोरखनाथ जी की आरती || Baba Gorakhnath Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Jaya gorakh devā 
Jaya gorakh devā 
Kar kṛupā mam ūpar 
Nitya karū sevā 
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Shīsh jaṭā ati suandar 
Bhāl chandra sohe 
Kānan kuanḍal jhalakat 
Nirakhat man mohe 
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Gal selī vich nāg sushobhit 
Tan bhasmī dhārī 
Ādi puruṣh yogīshvar 
Santan hitakārī 
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Nāth niranjan āp hī 
Ghaṭ ghaṭ ke vāsī 
Karat kṛupā nij jan par 
Meṭat yam fāansī 
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Riddhi siddhi charaṇoan mean loṭat 
Māyā hai dāsī 
Āp alakh avadhūtā 
Utarākhanḍa vāsī 
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Agam agochar akath 
Arupī sabase ho nyāre  
Yogījan ke āp hī 
Sadā ho rakhavāre 
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Brahmā viṣhṇu tumhārā 
Nishadin guṇ gāve 
Nārad shārad sur mil 
Charanan chit lāve 
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Chāro yug mean āp virājat 
Yogī tan dhārī 
Satayug dvāpar tretā 
Kalayug bhaya ṭārī 
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Guru gorakh nāth kī āratī 
Nishadin jo gāve 
Vinavit bāl trilokī 
Mukti fal pāve 
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मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024

ॐ जय नरसिंह हरे || नरसिंह जी की आरती || Narsingh Bhagwan Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

ॐ जय नरसिंह हरे || नरसिंह जी की आरती || Narsingh Bhagwan Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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श्री नरसिंह अवतार और नरसिंह भगवान की पूजा के बारे में सम्‍पूर्ण जानकारी आरती सहित  

परिचय  

नरसिंह अवतार भगवान विष्‍णु के दशावतार में से एक है और यह भगवान विष्‍णु का एक विशिष्‍ट रूप है जिसमें भगवान नर एवं सिंह के रूप में अपने भक्‍तों के कष्‍टों का हरण करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्‍णु अपने महान भक्‍त प्रहलाद की रक्षा के लिए आधा नर एवं आधा सिंह के रूप में प्रकट हुए और हिरण्‍यकश्‍यप का वध करके धरती को राक्षसों के आतंक से मुक्‍त किया। भगवान नरसिंह अवतार भक्‍तों के मन में अटूट श्रद्धा एवं विश्‍वास पैदा करती है और हमें बताती है कि अगर हम भगवान में हटूट विश्‍वास रखते हैं तो एक न एक दिन वे अवश्‍य ही हमें अपनी शरणागति प्रदान करते हैं। 

नरसिंह अवतार की पौराणिक कथा 

भगवान नरसिंह अवतार की कथा रोचक होने के साथ ही साथ अत्‍यन्‍त प्रेरणादायी भी है। एक बार की बात है कि असुर राज हिरण्‍यकश्‍यप ने अपना आतंक पूरी पृथ्‍वी पर फैला रखा था। हिरण्‍यकश्‍यप ने ब्रह्मदेव की घोर तपस्‍या करके उन्‍हें प्रसन्‍न कर लिया और उनसे अमरता का वरदान मांगा। ब्रह्मदेव ने अमरता के अतिरिक्‍त और कोई अन्‍य वर मांगने को कहा तो हिरण्‍यकश्‍यप ने बड़ी ही चालाकी से यह वर मांगा कि वह न तो पशु से मरे और न ही नर से मरे, न वह दिन में मरे और न ही रात में मरे, न ही वह घर के बाहर मरे और न ही घर के अन्‍दर मरे, न वह जमीन पर मरे और नही वह आसमान में मरे यहॉं तक कि उसने यह भी मांग लिया कि वह किसी भी अस्‍त्र एवं शस्‍त्र से भी न मरे। ब्रह्मदेव ने तथास्‍तु कहकर उसके द्वारा मांगे गये सभी वर दे दिये। वरदान मिलते ही हिरण्‍यकश्‍यप ने पूरी पृथ्‍वी पर आतंक फैला दिया। हिरण्‍यकश्‍यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्‍णु का परम भक्‍त हुआ और इस कारण से हिरण्‍यकश्‍यप ने उन्‍हें अनेक प्रकार से मारने का प्रयास किया। उन्‍हें पहाड़ परे ने नीचे फेंकने का आदेश दिया, पागल हाथी के सामने फेंक दिया और तो और भक्‍त प्रहलाद की बुआ ने भी उन्‍हें मारने में अपने भाई का साथ दिया जिसमें वह स्‍वयं ही जलकर नष्‍ट हो गयी और इस प्रकार होलिका दहन के रूप में होली का त्‍यौहार भी मनाया जाता है। जब हिरण्‍यकश्‍यप का अत्‍याचार अपने चरम पर पहुँच गया तो भगवान ने सोचा कि अब इस अत्‍याचारी राक्षस का अन्‍त कर देना चाहिए। भगवान नरसिंह हिरण्‍यकश्‍यप के राजमहल में एक खम्‍भे से प्रकट हुए जिनका मुँह तो सिंह का था और बाकी का पूरा शरीर मनुष्‍य का था। भगवान नरसिंह ने विकराल रूप धारण कर रखा था और हिरण्‍यकश्यप को घसीट कर उसके महल के दरवाजे (डेहरी) पर ले गये और अपनी जॉंघ पर रखकर अपने नाखूनों से उसके पेट को फाड़ डाला। जब हिरण्‍यकश्‍यप के प्राण उसके शरीर से निकलने लगे तो उसके कहा कि ब्रह्मदेव ने मेरे साथ धोखा किया है उन्‍होंने मुझे अमरता का वरदान दिया था जो कि अब झूठा साबित हो रहा है। इस पर भगवान नरसिंह ने कहा कि तुझे मारने वाला न तो मनुष्‍य है और न ही जानवर है, देख मेरी ओर मैं नरसिंह अवतार में प्रकट हुआ हूँ। तू न तो जमीन पर और न ही आसमान में मर रहा है, मैंने तुझे अपनी जॉंघ पर रख रखा है। तू न तो दिन में मर रहा है और न ही रात में, क्‍योंकि इस समय सूर्यास्‍त होने वाला है। तुझे मैं किसी अस्‍त्र या शस्‍त्र से नहीं वरन अपने नाखूनों से मार रहा हूँ। तू इस समय न अपने घर में है और न ही घर के बाहर है तू अपने घर की डेहरी पर है। इतना कहकर भगवान नरसिंह ने हिरण्‍कश्‍यप के जीवन का अंत कर दिया। भक्‍त प्रहलाद ने भगवान नरसिंह की स्‍तुति की और उनके क्रोध को शान्‍त किया। 

भगवान नरसिंह का स्‍वरूप 

भगवान नरसिंह का स्‍वरूप अत्‍यन्‍त विकराल एवं भयानक होता है। वे जहॉं दैत्‍यों एवं बुरे कर्म करने वालों के काल के रूप में प्रकट होते हैं वहीं अपने भक्‍तों के लिए वात्‍सल्‍य का रूप भी प्रदर्शित करते हैं। उनका मुख तो सिंह का है और बाकी का शरीर मनुष्‍य का है। उनकी ऑंखें तेज से भरी होती हैं। उनकी ऑंखों में भक्‍तों को करुणा के दर्शन होते हैं जबकि दैत्‍यों को वे भयानक लगती हैं। भगवान नरसिंह का विग्रह सदैव वीरता के प्रतीक के रूप में प्रदर्शित किया जाता है जिसमें वे अपनी जॉंघ पर दैत्‍यराज हिरण्‍यकश्‍यप को रखकर उसका वध करते हुए प्रदर्शित होते हैं साथ ही बगल में खड़े हुए प्रहलाद उनकी प्रार्थना करते हुए प्रदर्शित किये जाते हैं। 

नरसिंह भगवान की पूजा 

भगवान नरसिंह की पूजा करने से वे प्रसन्‍न होते हैं और उनकी कृपा से भक्‍तों जीवन से समस्‍याऍं दूर हो जाती हैं। भगवान नरसिंह भक्‍तों के भाव के भूखे होते हैं और थोड़े से प्रयास से भी प्रसन्‍न हो जाते हैं। उनकी पूजन सामग्री इस प्रकार है-
पूजन सामग्री - धूप, दीप, फूल, अक्षत, नैवेद्य (प्रसाद), फल, चन्‍दन आदि  

पूजन विधि -

1- सबसे शुद्ध मन से स्‍नान आदि से निवृत्‍त होकर साफ स्‍थान पर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करके पूजा के लिए तैयार हो जाऍं। 
2- उसके बाद शुद्ध स्‍थान पर स्‍वच्‍छता से गाय के गोबर से लीप कर उस पर आसन बिछा कर भगवान का विग्रह स्‍थापित करना चाहिए। विग्रह न होने पर तस्‍वीर भी लगायी जा सकती है। 
3- उसके उपरान्‍त भगवान को स्‍नान कराके धूप, दीप, नैवेद्य, पूंगीफल आदि से उनकी विधिवत पूजा करनी चाहिए। 
4- पूजा के बाद आरती करें एवं प्रसाद का वितरण करें। 
5- यदि सम्‍भव हो सके तो ब्राह्मण को भोजन करावें अथवा दान करें। 

नरसिंह जयन्‍ती कब मनायी जाती है

भगवान नरसिंह के अवतरण दिवस को भी भगवान नरसिंह जयन्‍ती के रूप में मनाया जाता है। भगवान नरसिंह जयन्‍ती चैत्र मास की शुक्‍ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनायी जाती है। इस दिन भक्‍त पूर्ण उत्‍साह एवं समर्पण के साथ भगवान नरसिंह की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्‍त करते हैं। इस दिन भगवान नरसिंह की कथा सुनने, भजन - कीर्तन आदि करने, दान देने, पवित्र नदी में स्‍नान करने का विशेष महत्‍व माना गया है। 

नरसिंह भगवान की महिमा 

भगवान नरसिंह की पूजा भक्‍तों के मन में उत्‍साह एवं शक्ति का संचार करती है। जो भक्‍तगण सच्‍चे मन से नरसिंह भगवान की पूजा करते हैं उनके जीवन से समस्‍याओं का अन्‍त होता है। भगवान नरसिंह अपने भक्‍तों के जीवन को सुख, समृद्धि और धन-सम्‍पदा से भर देते हैं। भगवान नरसिंह अपने भक्‍तों पर सदैव कृपा बनाये रखते हैं जिससे दुख और क्‍लेश कभी भी उनके पास भी नहीं फटकने पाते। 

नर‍सिंह भगवान की पूजा प्रमुख रूप से कहॉं कहॉं होती है

वैसे तो भगवान नरसिंह की पूजा सम्‍पूर्ण भारत में की जाती है। फिर भी नर‍सिंह भगवान की पूजा निम्नलिखित स्थानों पर विशेष रूप से होती है। इन स्थलों पर विशेष अवसरों, जैसे कि नरसिंह जयंती, पर बड़ी धूमधाम से पूजा और उत्सव मनाए जाते हैं:
1. नरसिंहपुर: मध्य प्रदेश में स्थित, यह स्थान नरसिंह भगवान के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
2. उदपुर: राजस्थान में, यहाँ एक प्रसिद्ध नरसिंह मंदिर है जहाँ भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
3. कर्नाटक: कर्नाटक के कई स्थानों, जैसे कि हंपी और कुडली में, नरसिंह भगवान के मंदिर हैं।
4. मथुरा: मथुरा में भी नरसिंह भगवान की पूजा विशेष रूप से होती है।
5. हिमाचल प्रदेश: यहाँ के कुछ मंदिरों में भी नरसिंह भगवान की पूजा की जाती है, जैसे कि नादौन के नरसिंह मंदिर।
6. आंध्र प्रदेश: यहाँ कई स्थानों पर नरसिंह भगवान के मंदिर हैं, विशेष रूप से तिरुपति के निकट।
7. गुजरात: सूरत और द्वारका में भी नरसिंह भगवान की पूजा होती है।

नरसिंह भगवान की आरती

नरसिंह भगवान की पूजा के उपरान्‍त आरती अवश्‍यक करनी चाहिए। आरती एक विशेष प्रार्थना है जो भक्तों द्वारा भगवान की आराधना के दौरान गाई जाती है। यह आरती भगवान नरसिंह की महिमा, शक्ति और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करती है। आरती के द्वारा भक्तों को मानसिक शांति और सुरक्षा का अनुभव होता है। नरसिंह भगवान को समर्पित यह आरती, उनके भक्तों के लिए संकटों से मुक्ति और समृद्धि का संचार करती है। आरती का महत्व केवल भक्ति में नहीं, बल्कि इसे गाते समय मन की एकाग्रता और सकारात्मकता भी महत्वपूर्ण है। जब भक्त आरती गाते हैं, तो वे अपने मन में भक्ति और श्रद्धा को जागृत करते हैं, जो उन्हें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। इस प्रकार, नरसिंह भगवान की आरती न केवल एक पूजा का हिस्सा है, बल्कि यह भक्तों के जीवन में सकारात्मकता एवं ऊजा का संचार करती है। यह भगवान के प्रति भक्‍त की भावनाओं और श्रद्धा को व्यक्त करने का एक सशक्त माध्यम है।

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ॐ जय नरसिंह हरे 
प्रभु जय नरसिंह हरे 
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे 
स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे 
जनका ताप हरे
ॐ जय नरसिंह हरे 
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तुम हो दिन दयाला 
भक्तन हितकारी 
प्रभु भक्तन हितकारी 
अद्भुत रूप बनाकर 
अद्भुत रूप बनाकर 
प्रकटे भय हारी 
ॐ जय नरसिंह हरे
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सबके हृदय विदारण 
दुस्यु जियो मारी 
प्रभु दुस्यु जियो मारी  
दास जान अपनायो 
दास जान अपनायो 
जनपर कृपा करी 
ॐ जय नरसिंह हरे
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ब्रह्मा करत आरती 
माला पहिनावे 
प्रभु माला पहिनावे 
शिवजी जय जय कहकर 
पुष्पन बरसावे 
ॐ जय नरसिंह हरे 
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ॐ जय नरसिंह हरे || नरसिंह जी की आरती || Narsingh Bhagwan Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Aum jaya narasianha hare 
Prabhu jaya narasianha hare 
Stanbha fāḍa prabhu prakaṭe 
Stanbha fāḍa prabhu prakaṭe 
Janakā tāp hare
Aum jaya narasianha hare 
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Tum ho din dayālā 
Bhaktan hitakārī 
Prabhu bhaktan hitakārī 
Adbhut rūp banākar 
Adbhut rūp banākar 
Prakaṭe bhaya hārī 
Aum jaya narasianha hare
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Sabake hṛudaya vidāraṇ 
Dusyu jiyo mārī 
Prabhu dusyu jiyo mārī  
Dās jān apanāyo 
Dās jān apanāyo 
Janapar kṛupā karī 
Aum jaya narasianha hare
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Brahmā karat āratī 
Mālā pahināve 
Prabhu mālā pahināve 
Shivajī jaya jaya kahakar 
Puṣhpan barasāve 
Aum jaya narasianha hare 
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सोमवार, 28 अक्टूबर 2024

ॐ जय एकादशी जय एकादशी || एकादशी जी की आरती || Ekadashi Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

ॐ जय एकादशी जय एकादशी || एकादशी जी की आरती || Ekadashi Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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एकादशी का व्रत : एक परिचय 

एकादशी व्रत हिन्‍दू धर्म का एक विशेष व्रत माना गया है। यह व्रत प्रत्येक मास की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की ग्यारहवीं तिथि को रखा जाता है। संस्‍कृत में 'एकादश' शब्द का अर्थ ग्‍यारह होता है। यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे धार्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, एकादशी का व्रत रखने से भक्तों को सुख एवं समृद्धि के साथ साथ मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। मान्यता है कि एकादशी के दिन उपवास करने से व्यक्ति के पापों का क्षय होता है जिससे उसका आत्‍मबल जाग्रत होता है। स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु ने एक राक्षसी 'मुर' का वध करने के लिए एकादशी के दिन उपवास किया था। इस घटना से एकादशी का महत्व और भी बढ़ गया।

इसके अलावा, एकादशी व्रत का पालन करने से भक्तों को ध्यान और साधना में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत करने वाला केवल जल का सेवन करे या फल-फूल खाकर दिन व्‍यतीत करे। एकादशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है। यह व्रत मानसिक स्थिरता और आत्मसंयम का अभ्यास करने का एक अवसर है।
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ॐ जय एकादशी जय एकादशी 
जय एकादशी माता 
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर 
शक्ति मुक्ति पाता
ॐ जय एकादशी माता
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तेरे नाम गिनाऊं देवी 
भक्ति प्रदान करनी 
गण गौरव की देनी माता 
शास्त्रों में वरनी
ॐ जय एकादशी माता
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मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना 
विश्वतारनी जन्मी 
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा 
मुक्तिदाता बन आई
ॐ जय एकादशी माता
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पौष के कृष्णपक्ष की 
सफला नामक है 
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा 
आनन्द अधिक रहै
ॐ जय एकादशी माता
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नाम षटतिला माघ मास में 
कृष्णपक्ष आवै 
शुक्लपक्ष में जया कहावै 
विजय सदा पावै
ॐ जय एकादशी माता
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विजया फागुन कृष्णपक्ष में 
शुक्ला आमलकी 
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में 
चैत्र महाबलि की
ॐ जय एकादशी माता
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चैत्र शुक्ल में नाम कामदा 
धन देने वाली 
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में 
वैसाख माह वाली
ॐ जय एकादशी माता
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शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी 
अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी 
नाम निर्जला सब सुख करनी 
शुक्लपक्ष रखी
ॐ जय एकादशी माता
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योगिनी नाम आषाढ में जानों 
कृष्णपक्ष करनी 
देवशयनी नाम कहायो 
शुक्लपक्ष धरनी
ॐ जय एकादशी माता
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कामिका श्रावण मास में आवै 
कृष्णपक्ष कहिए 
श्रावण शुक्ला होय पवित्रा 
आनन्द से रहिए
ॐ जय एकादशी माता
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अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की 
परिवर्तिनी शुक्ला 
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में 
व्रत से भवसागर निकला
ॐ जय एकादशी माता
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पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में 
आप हरनहारी 
रमा मास कार्तिक में आवै 
सुखदायक भारी
ॐ जय एकादशी माता
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देवोत्थानी शुक्लपक्ष की 
दुखनाशक मैया 
पावन मास में करूं विनती 
पार करो नैया
ॐ जय एकादशी माता
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परमा कृष्णपक्ष में होती 
जन मंगल करनी 
शुक्ल मास में होय पद्मिनी 
दुख दारिद्र हरनी
ॐ जय एकादशी माता
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जो कोई आरती एकादशी की 
भक्ति सहित गावै
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा 
निश्चय वह पावै
ॐ जय एकादशी माता
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ॐ जय एकादशी जय एकादशी || एकादशी जी की आरती || Ekadashi Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Om Jai Ekaadashi Jai Ekaadashi
Jai Ekaadashi Mata
Vishnu Pooja Vrat Ko Dhaaran Kar
Shakti Mukti Paata
Om Jai Ekaadashi Mata
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Tere Naam Ginaaun Devi
Bhakti Pradaan Karni
Gan Gaurav Ki Deni Mata
Shaastron Mein Varni
Om Jai Ekaadashi Mata
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Maargsheersh Ke Krishnapaksh Ki Utpanna
Vishvataarani Janmi
Shukl Paksh Mein Hui Mokshada
Muktidaata Ban Aayi
Om Jai Ekaadashi Mata
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Paush Ke Krishnapaksh Ki
Safala Naamk Hai
Shuklapaksh Mein Hoy Putrada
Anand Adhik Rahai
Om Jai Ekaadashi Mata
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Naam Shattilla Maagh Maas Mein
Krishnapaksh Aavai
Shuklapaksh Mein Jaya Kahavai
Vijay Sadaa Paavai
Om Jai Ekaadashi Mata
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Vijaya Fagun Krishnapaksh Mein
Shuklaa Aamalaki
Paapmochni Krishnapaksh Mein
Chaitra Mahaabali Ki
Om Jai Ekaadashi Mata
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Chaitra Shukl Mein Naam Kaamada
Dhan Dene Waali
Naam Varuthini Krishnapaksh Mein
Vaisaakh Maah Waali
Om Jai Ekaadashi Mata
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Shukl Paksh Mein Hoy Mohini
Apraa Jyeshth Krishnapakshi
Naam Nirjala Sab Sukh Karni
Shuklapaksh Rakhi
Om Jai Ekaadashi Mata
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Yogini Naam Aashaadh Mein Jaano
Krishnapaksh Karni
Devshayni Naam Khayayo
Shuklapaksh Dharni
Om Jai Ekaadashi Mata
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Kameeka Shraavan Maas Mein Aavai
Krishnapaksh Kahiye
Shraavan Shuklaa Hoy Pavitraa
Anand Se Rahiye
Om Jai Ekaadashi Mata
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Ajaa Bhaadrapad Krishnapaksh Ki
Parivartini Shuklaa
Indra Ashchin Krishnapaksh Mein
Vrat Se Bhavsaagar Niklaa
Om Jai Ekaadashi Mata
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Paapankusha Hai Shukl Paksh Mein
Aap Haranhaari
Ramaa Maas Kaarthik Mein Aavai
Sukhdaayak Bhaari
Om Jai Ekaadashi Mata
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Devotthaanee Shuklapaksh Ki
Dukhnashak Maiyaa
Paavan Maas Mein Karun Vinti
Paar Karo Naiyaa
Om Jai Ekaadashi Mata
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Paramaa Krishnapaksh Mein Hoti
Jan Mangal Karni
Shukl Maas Mein Hoy Padmini
Dukh Daaridr Harni
Om Jai Ekaadashi Mata
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Jo Koi Aarti Ekaadashi Ki
Bhakti Sahit Gaavai
Jan Gurditta Swarg Ka Vaasa
Nishchay Vah Paavai
Om Jai Ekaadashi Mata
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रविवार, 27 अक्टूबर 2024

जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी || संकटा जी की आरती || Sankata Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी || संकटा जी की आरती || Sankata Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी  
शरण पड़ी हूँ तेरी माता 
अरज सुनहूं अब मेरी  
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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी  
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नहिं कोउ तुम समान जग दाता 
सुर-नर-मुनि सब टेरी  
कष्ट निवारण करहुँ हमारा 
लावहु तनिक न देरी 
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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी 
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काम-क्रोध अरु लोभन के वश 
पापहि किया घनेरी  
सो अपराधन उर में आनहु 
छमहु भूल बहु मेरी 
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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी 
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हरहुँ सकल सन्ताप हृदय का 
ममता मोह निबेरी  
सिंहासन पर आज बिराजें 
चंवर ढ़ुरै सिर छत्र-छतेरी 
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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी 
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खप्पर खड्ग हाथ में धारे 
वह शोभा नहिं कहत बनेरी 
ब्रह्मादिक सुर पार न पाये 
हारि थके हिय हेरी 
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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी 
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असुरन्ह का वध किन्हा 
प्रकटेउ अमत दिलेरी 
संतन को सुख दियो सदा ही 
टेर सुनत नहिं कियो अबेरी 
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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी 
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गावत गुण-गुण निज हो तेरी 
बजत दुंदुभी भेरी 
अस निज जानि शरण में आयऊं 
टेहि कर फल नहीं कहत बनेरी
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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी 
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जय जय संकटा भवानी 
करहुँ आरती तेरी 
भव बंधन में सो नहिं आवै 
निशदिन ध्यान धरीरी 
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जय जय संकटा भवानी 
करहूं आरती तेरी 
शरण पड़ी हूँ तेरी माता 
अरज सुनहँ अब मेरी 
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जय जय संकटा भवानी, करहूं आरती तेरी || संकटा जी की आरती || Sankata Mata Ki Aarti Lyrics in Hindi & English

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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
Sharan Padi Hoon Teri Mata
Araj Sunhu Ab Meri
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
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Nahin Kou Tum Samaan Jag Daata
Sur-Nar-Muni Sab Teri
Kasht Nivaran Karahu Hamaara
Laavahu Tanik Na Deri
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
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Kaam-Krodh Aru Lobhan Ke Vash
Paapahi Kiya Ghaneri
So Aparaadhan Ur Mein Aanahu
Chhamahu Bhool Bahu Meri
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
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Harahu Sakal Santaap Hriday Ka
Mamata Moh Niberi
Singhasan Par Aaj Biraje
Chavar Dhurai Sir Chhatra-Chhateri
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
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Khappar Khadg Haath Mein Dhaare
Vah Shobha Nahin Kahat Baneri
Brahmadik Sur Paar Na Paaye
Haari Thake Hiy Heri
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
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Asuranh Ka Vadh Kinha
Prakateu Amat Dileri
Santan Ko Sukh Diyo Sadaa Hi
Ter Sunat Nahin Kiyo Aberi
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
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Gaavat Gun-Gun Nij Ho Teri
Bajat Dundubhi Bheri
As Nij Jaan Sharan Mein Aayoon
Tehi Kar Phal Nahin Kahat Baneri
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
Bhav Bandhan Mein So Nahin Aavai
Nishdin Dhyaan Dhireeri
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Jai Jai Sankata Bhavani
Karahu Aarti Teri
Sharan Padi Hoon Teri Mata
Araj Sunahun Ab Meri
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शनिवार, 26 अक्टूबर 2024

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी राजेश्वरी जय नमो नमः || ललिता जी की आरती || Lalita Mata Ji Ki Aati Lyrics in Hindi & English

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी राजेश्वरी जय नमो नमः || ललिता जी की आरती || Lalita Mata Ji Ki Aati Lyrics in Hindi & English

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श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी 
राजेश्वरी जय नमो नमः
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करुणामयी सकल अघ हारिणी 
अमृत वर्षिणी नमो नमः
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जय शरणं वरणं नमो नमः 
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी 
राजेश्वरी जय नमो नमः
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अशुभ विनाशिनी सब सुख दायिनी
खल-दल नाशिनी नमो नमः
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भण्डासुर वधकारिणी जय मा 
करुणा कलिते नमो नम:
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जय शरणं वरणं नमो नमः 
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी 
राजेश्वरी जय नमो नमः
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भव भय हारिणी कष्ट निवारिणी
शरण गति दो नमो नमः
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शिव भामिनी साधक मन हारिणी 
आदि शक्ति जय नमो नमः
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जय शरणं वरणं नमो नमः
जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः
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श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी 
राजेश्वरी जय नमो नमः
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श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी राजेश्वरी जय नमो नमः || ललिता जी की आरती || Lalita Mata Ji Ki Aati Lyrics in Hindi & English

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Shri Mateshwari Jai Tripureshwari
Rajeshwari Jai Namo Namah
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Karunamayi Sakal Agh Haarini
Amrit Varshini Namo Namah
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Jai Sharanam Varanam Namo Namah
Shri Mateshwari Jai Tripureshwari
Rajeshwari Jai Namo Namah
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Ashubh Vinashini Sab Sukh Dayini
Khal-Dal Naashini Namo Namah
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Bhandasur Vadhkarini Jai Maa
Karuna Kalite Namo Namah
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Jai Sharanam Varanam Namo Namah
Shri Mateshwari Jai Tripureshwari
Rajeshwari Jai Namo Namah
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Bhav Bhay Haarini Kasht Nivaarini
Sharan Gati Do Namo Namah
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Shiv Bhamini Saadhak Man Haarini
Aadi Shakti Jai Namo Namah
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Jai Sharanam Varanam Namo Namah
Jai Tripur Sundari Namo Namah
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Shri Mateshwari Jai Tripureshwari
Rajeshwari Jai Namo Namah
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शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024

धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी || धर्मराज जी की आरती || Dharmaraj Ji Ki Aarti Lyric in Hindi & English

धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी || धर्मराज जी की आरती || Dharmaraj Ji Ki Aarti Lyric in Hindi & English

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धर्मराज कर सिद्ध काज 
प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी  
पड़ी नाव मझदार भंवर में 
पार करो न करो देरी
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धर्मराज कर सिद्ध काज 
प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी  
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धर्मलोक के तुम स्वामी 
श्री यमराज कहलाते हो 
जों जों प्राणी कर्म करत हैं 
तुम सब लिखते जाते हो 
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अंत समय में सब ही को 
न्‍याय नीति ऐसी तेरी
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धर्मराज कर सिद्ध काज 
प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी  
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दूत भयंकर तेरे स्वामी 
बड़े बड़े डर जाते हैं 
पापी जन तो जिन्हें देखते 
ही भय से थर्राते हैं 
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बांध गले में रस्सी वे 
पापी जन को ले जाते हैं 
चाबुक मार लाते 
जरा रहम नहीं मन में लाते हैं 
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नरक कुंड भुगताते उनको 
नहीं मिलती जिसमें सेरी
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धर्मराज कर सिद्ध काज 
प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी  
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धर्मी जन को धर्मराज 
तुम खुद ही लेने आते हो 
सादर ले जाकर उनको तुम 
स्वर्ग धाम पहुचाते हो 
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जों जन पाप कपट से डरकर 
तेरी भक्ति करते हैं  
नर्क यातना कभी ना करते 
भवसागर तरते हैं 
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कपिल मोहन पर कृपा करिये 
जपता हू तेरी माला
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धर्मराज कर सिद्ध काज 
प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी  
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धर्मराज कर सिद्ध काज प्रभु मैं शरणागत हूं तेरी || धर्मराज जी की आरती || Dharmaraj Ji Ki Aarti Lyric in Hindi & English

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Dharmaraj Kar Siddh Kaaj
Prabhu Main Sharanagat Hoon Teri
Padi Naav Majhdaar Bhanvar Mein
Paar Karo Na Karo Deri
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Dharmaraj Kar Siddh Kaaj
Prabhu Main Sharanagat Hoon Teri
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Dharmalok Ke Tum Swami
Shri Yamraj Kahlate Ho
Jon Jon Praani Karm Karat Hain
Tum Sab Likhte Jaate Ho
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Ant Samay Mein Sab Hi Ko
Nyay Neeti Aisi Teri
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Dharmaraj Kar Siddh Kaaj
Prabhu Main Sharanagat Hoon Teri
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Doot Bhayankar Tere Swami
Bade Bade Dar Jaate Hain
Paapi Jan To Jinhen Dekhte
Hi Bhay Se Tharrate Hain
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Baandh Gale Mein Rassi Ve
Paapi Jan Ko Le Jaate Hain
Chaabuk Maar Laate
Zara Raham Nahin Man Mein Laate Hain
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Narak Kund Bhugataate Unko
Nahin Milti Jismein Seri
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Dharmaraj Kar Siddh Kaaj
Prabhu Main Sharanagat Hoon Teri
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Dharmi Jan Ko Dharmaraj
Tum Khud Hi Lene Aate Ho
Saadar Le Jaakar Unko Tum
Swarg Dhaam Pahuchaate Ho
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Jon Jan Paap Kapat Se Darkar
Teri Bhakti Karte Hain
Narak Yaatna Kabhi Na Karte
Bhavsagar Tarte Hain
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Kapil Mohan Par Kripa Kariye
Japta Hoon Teri Maala
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Dharmaraj Kar Siddh Kaaj
Prabhu Main Sharanagat Hoon Teri
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