बुधवार, 6 अप्रैल 2022

नमो नमो पीताम्बरा भवानी || Namo Namo Pitambara Bhawani || Shri Pitambara Mata Chalisa Lyrics in Hindi Sanskrit

नमो नमो पीताम्बरा भवानी || Namo Namo Pitambara Bhawani || Shri Pitambara Mata Chalisa Lyrics in Hindi Sanskrit 

श्री बगलामुखी चालीसा


॥ श्री गणेशाय नमः ॥


नमो महाविद्या बरद, बगलामुखी दयाल।

स्तम्भन क्षण में करे, सुमिरत अरिकुल काल ॥ 


नमो नमो पीताम्बरा भवानी, 

बगलामुखी नमो कल्यानी ॥


भक्त वत्सला शत्रु नशानी, 

नमो महाविद्या वरदानी ॥


अमृत सागर बीच तुम्हारा, 

रत्न जड़ित मणि मंडित प्यारा ॥


स्वर्ण सिंहासन पर आसीना, 

पीताम्बर अति दिव्य नवीना ॥


स्वर्णाभूषण सुन्दर धारे, 

सिर पर चन्द्र मुकुट श्रृंगारे ॥


तीन नेत्र दो भुजा मृणाला, 

धारे मुद्गर पाष कराला ॥


भैरव करें सदा सेवर्काइ, 

सिद्ध काम सब विघ्न नर्साइ ॥


तुम हताश का निपट सहारा, 

करे अकिंचन अरिकल धारा ॥


तुम काली तारा भवनेशी, 

त्रिपुर सुन्दरी भैरवी वेशी ॥


छिन्नभाल धूमा मातंगी, 

गायत्री तुम बगला रंगी ॥


सकल शक्तियाँ तुम में साजें, 

ह्रीं बीज के बीज बिराजें ॥


दुष्ट स्तम्भन अरिकुल कीलन, 

मारण वशीकरण सम्मोहन ॥


दुष्टोच्चाटन कारक माता, 

अरि जिव्हा कीलक सघाता ॥


साधक के विपति की त्राता, 

नमो महामाया प्रख्याता ॥


मुद्गर शिला लिये अति भारी, 

प्रेतासन पर किये सवारी ॥


तीन लोक दस दिशा भवानी, 

बिचरहु तुम जन हित कल्यानी ॥


अरि अरिष्ट सोचे जो जन को 

बुद्धि नाशकर कीलक तन को ॥


हाथ पांव बांधहुं तुम ताके, 

हनहु जीभ बिच मुदर बाके ॥


चोरों का जब संकट आवे, 

रण में रिपुओं से घिर जावे ॥


अनल अनिल बिप्लव घहरावे, 

वाद विवाद न निर्णय पावे ॥


मूठ आदि अभिचारण संकट, 

राजभीति आपत्ति सन्निकट ॥


ध्यान करत सब कष्ट नसावे, 

भूत प्रेत न बाधा आवे ॥


सुमिरत राजद्वार बंध जावे, 

सभा बीच स्तम्भवन छावे ॥


नाग सर्प बृच्छ्रिकादि भयंकर, 

खल विहंग भागहिं सब सत्वर ॥


सर्व रोग की नाशन हारी, 

अरिकुल मूलोच्चाटन कारी ॥


स्त्री पुरुष राज सम्मोहक, 

नमो नमो पीताम्बर सोहक ॥


तुमको सदा कुबेर मनावें, 

श्री समृद्धि सुयश नित गावें ॥


शक्ति शौर्य की तुम्हीं विधाता, 

दुःख दारिद्र विनाशक माता ॥


यश ऐश्वर्य सिद्धि की दाता, 

शत्रु नाशिनी विजय प्रदाता ॥


पीताम्बरा नमो कल्यानी, 

नमो मातु बगला महारानी ॥


जो तुमको सुमरै चितर्लाइ, 

योग क्षेम से करो सर्हाई ॥


आपत्ति जन की तुरत निवारो, 

आधि व्याधि संकट सब टारो ॥


पूजा विधि नहिं जानत तुम्हरी, 

अर्थ न आखर करहूं निहोरी ॥


मैं कुपुत्र अति निवल उपाया, 

हाथ जोड़ षरणागत आया ॥


जग में केवल तुम्हीं सहारा, 

सारे संकट करहुँ निवारा ॥


नमो महादेवी हे माता, 

पीताम्बरा नमो सुखदाता ॥


सौम्य रूप धर बनती माता, 

सुख सम्पत्ति सुयश की दाता ॥


रौद्र रूप धर षत्रु संहारो, 

अरि जिव्हा में मुद्गर मारो ॥


नमो महाविद्या आगारा, 

आदि शक्ति सुन्दरी आपारा ॥


अरि भंजक विपत्ति की त्राता, 

दया करो पीताम्बरी माता ॥

॥ दोहा ॥

रिद्धि सिद्धि दाता तुम्ही, 

अरि समूल कुल काल।

मेरी सब बाधा हरो, 

माँ बगले तत्काल ॥ 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

हमें खुशी होगी यदि आप हमारे टेलीग्राम चैनल https://t.me/e_stuti से भी जुड़ेंगे। आभार