श्री झूलेलाल जी की आरती पाठ: लाभ, महत्व और धार्मिक मान्यताएँ | Jhulelal Ji Aarti Benefits
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सनातन धर्म का स्वरूप अत्यन्त व्यापक और समावेशी है। इसमें प्रत्येक वर्ग, जाति और समुदाय के लोग अपनी आस्था और भक्ति के साथ जुड़े हुए हैं। यही कारण है कि सनातन परंपरा में अनगिनत देवी–देवताओं की पूजा और आराधना देखने को मिलती है। प्रत्येक समाज ने अपनी आवश्यकताओं, जीवनशैली और परिस्थितियों के अनुसार किसी न किसी आराध्य देवता को मान्यता दी है। इन्हीं में से एक आराध्य देवता हैं – श्री झूलेलाल जी, जिन्हें विशेष रूप से सिंध समाज का इष्ट देवता माना जाता है।
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सिंधी समाज का इतिहास और संस्कृति प्राचीन काल से ही जल से गहराई से जुड़ा रहा है। सिंधु नदी के किनारे बसा यह समाज अपने जीवनयापन और अस्तित्व के लिए सदैव जल पर निर्भर रहा है। इसी कारण जल और जीवन की रक्षा करने वाले देवता के रूप में महाराज झूलेलाल जी का प्रकट होना और उनका आराध्य बनना, ऐतिहासिक तथा धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, झूलेलाल जी केवल सिंध समाज के ही नहीं, बल्कि उन सभी भक्तों के रक्षक और पालनकर्ता हैं जो श्रद्धा और विश्वास के साथ उनकी आराधना करते हैं।
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यह विश्वास किया जाता है कि जो भी व्यक्ति महाराज झूलेलाल जी की आरती पढ़ता या श्रद्धा से सुनता है, उसे जल से संबंधित किसी भी प्रकार की बीमारी, कष्ट या बाधा का सामना नहीं करना पड़ता। जल तत्व से जुड़े रोग जैसे कि पाचन से संबंधित समस्याएँ, जलजनित बीमारियाँ या फिर जीवन में जल संकट की स्थितियाँ, सब झूलेलाल जी की कृपा से दूर हो जाती हैं। इस मान्यता के पीछे यह गहरा भाव छिपा है कि झूलेलाल जी जल के अधिपति और संरक्षक देवता हैं, और उनका स्मरण करने से भक्त को सुरक्षित और निरोगी जीवन की प्राप्ति होती है।
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केवल इतना ही नहीं, बल्कि यह भी कहा जाता है कि यदि कोई व्यक्ति प्रतिदिन निष्ठापूर्वक झूलेलाल जी की आरती करता है, तो उसके जीवन से सभी प्रकार की विपत्तियाँ और संकट स्वतः ही दूर हो जाते हैं। दैनिक जीवन में जो दुख, कष्ट, बाधाएँ और विपरीत परिस्थितियाँ आती हैं, उनका निवारण झूलेलाल जी की कृपा से होता है। भक्त के मन को स्थिरता और साहस मिलता है, जिससे वह कठिन से कठिन परिस्थिति का भी सामना कर पाता है।
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झूलेलाल जी की आराधना केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि यह आस्था और विश्वास की वह डोर है जो भक्त को परमात्मा से जोड़ती है। आरती के माध्यम से भक्त अपने हृदय को निर्मल करता है और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा देने का प्रयास करता है। जब मनुष्य श्रद्धा से ईश्वर का स्मरण करता है, तो उसके जीवन में आत्मबल और शांति का संचार होता है। यही कारण है कि आरती को केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि आत्मशुद्धि और मानसिक संतुलन का साधन माना गया है।
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अंततः यह कहा जा सकता है कि सनातन धर्म की महानता इसी में है कि उसमें सभी समाजों और वर्गों के आराध्य देवताओं का सम्मान और पूजन किया जाता है। सिंध समाज के आराध्य श्री झूलेलाल जी केवल जल के रक्षक ही नहीं, बल्कि भक्तों के जीवन को संकटमुक्त करने वाले दिव्य शक्ति स्वरूप हैं। उनकी आरती का पाठ करने से भक्त का जीवन सुख, समृद्धि और शांति से परिपूर्ण होता है। यही कारण है कि आज भी सिंध समाज ही नहीं, बल्कि अनेक श्रद्धालु झूलेलाल जी की आराधना करते हैं और अपने जीवन में आनंद, बल और आश्रय का अनुभव पाते हैं।
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ॐ जय दूलह देवा
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी
सिदुक रखी सेवा ॥ ॐ जय॥
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तुहिंजे दर दे केई
सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि
सां कोन दिठुभ खाली ॥ ॐ जय॥
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अंधड़नि खे दिनव
अखडियूँ - दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं
सेवक कनि थारू ॥ ॐ जय॥
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फल फूलमेवा सब्जिऊ
पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न
बि आपर अपार थियनी ॥ ॐ जय॥
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ज्योति जगे थी जगु में
लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी
हे विश्व संदा वाली ॥ ॐ जय॥
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जगु जा जीव सभेई
पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर
पूरन करियो आशा ॥ ॐ जय॥
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ॐ जय दूलह देवा
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी
सिदुक रखी सेवा ॥ ॐ जय॥
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ॐ जय दूलह देवा
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी
सिदुक रखी सेवा ॥ ॐ जय॥
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तुहिंजे दर दे केई
सजण अचनि सवाली ।
दान वठन सभु दिलि
सां कोन दिठुभ खाली ॥ ॐ जय॥
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अंधड़नि खे दिनव
अखडियूँ - दुखियनि खे दारुं ।
पाए मन जूं मुरादूं
सेवक कनि थारू ॥ ॐ जय॥
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फल फूलमेवा सब्जिऊ
पोखनि मंझि पचिन ।
तुहिजे महिर मयासा अन्न
बि आपर अपार थियनी ॥ ॐ जय॥
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ज्योति जगे थी जगु में
लाल तुहिंजी लाली ।
अमरलाल अचु मूं वटी
हे विश्व संदा वाली ॥ ॐ जय॥
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जगु जा जीव सभेई
पाणिअ बिन प्यास ।
जेठानंद आनंद कर
पूरन करियो आशा ॥ ॐ जय॥
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ॐ जय दूलह देवा
साईं जय दूलह देवा ।
पूजा कनि था प्रेमी
सिदुक रखी सेवा ॥ ॐ जय॥
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झूलेलाल आरती के आरती लिरिक्स|| झूलेलाल जी की आरती पाठ: लाभ, महत्व और धार्मिक मान्यताएँ | Jhulelal Ji Aarti Benefits
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Om Jai Dulah Deva
Sain Jai Dulah Deva ।
Pooja kani tha Premi
Siduk rakhi Seva ॥ Om Jai॥
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Tuhinje Dar de kei
Sajan Achani Sawali ।
Daan vathan sabhu dili
Saan kon dithubh khaali ॥ Om Jai॥
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Andharani khe dinav
Akhadiyun - Dukhiyni khe Daarun ।
Paaye man joon Muradoon
Sevak kani Thaaru ॥ Om Jai॥
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Phal Phool Meva Sabjiyoon
Pokhani manjhi Pachin ।
Tuhije Mahir Mayasa Ann
Bi aapar apaar thiyani ॥ Om Jai॥
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Jyoti jage thi jagu mein
Lal Tuhinji Laali ।
Amarlal achu moon vati
Hey Vishw Sanda Wali ॥ Om Jai॥
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Jagu ja jeev sabheyi
Paania bin Pyaas ।
Jethanand Anand kar
Puran kariyo Aasha ॥ Om Jai॥
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Om Jai Dulah Deva
Sain Jai Dulah Deva ।
Pooja kani tha Premi
Siduk rakhi Seva ॥ Om Jai॥
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झूलेलाल जी की आरती पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
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Q1. झूलेलाल जी कौन हैं?
Ans: झूलेलाल जी सिंधु समाज के आराध्य देव माने जाते हैं। इन्हें जल देवता का स्वरूप माना जाता है और विशेषकर सिंधी समाज में इनकी आरती व पूजा का महत्व है।
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Q2. झूलेलाल जी की आरती कब करनी चाहिए?
Ans: झूलेलाल जी की आरती रोज़ाना प्रातः और सायंकाल करने की परंपरा है। विशेष अवसरों और त्यौहारों पर भी आरती की जाती है।
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Q3. झूलेलाल जी की आरती करने से क्या लाभ होता है?
Ans: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा से आरती करता है उसे जल से जुड़ी किसी भी बीमारी का भय नहीं रहता और उसके जीवन से दुख-संकट दूर होते हैं।
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Q4. झूलेलाल जी की आरती किन-किन भाषाओं में उपलब्ध है?
Ans: झूलेलाल जी की आरती हिंदी, सिंधी और रोमन लिपि (Roman Hindi/Hinglish) में उपलब्ध होती है ताकि सभी लोग आसानी से पढ़ सकें।
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Q5. क्या झूलेलाल जी की आरती केवल सिंधी समाज ही करता है?
Ans: नहीं, यद्यपि झूलेलाल जी सिंधी समाज के प्रमुख आराध्य हैं, लेकिन जल देवता के रूप में इनकी आरती और पूजा सभी लोग कर सकते हैं।
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Q6. झूलेलाल जी की आरती में क्या विशेषता है?
Ans: इस आरती में झूलेलाल जी के चमत्कारों, कृपा, और भक्तों की रक्षा करने के गुणों का वर्णन किया गया है।
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Q7. झूलेलाल जी की आरती कितनी लंबी होती है?
Ans: यह आरती लगभग 7 से 10 मिनट में गाई जाती है।
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Q8. झूलेलाल जी की आरती कैसे करनी चाहिए?
Ans: साफ और पवित्र स्थान पर दीपक और धूप जलाकर, श्रद्धा भाव से आरती की जाती है। भजन या सिंधी लोक वाद्य यंत्रों के साथ इसे गाना और सुनना श्रेष्ठ माना गया है।
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Q9. क्या झूलेलाल जी की आरती सुनने का भी उतना ही लाभ है जितना पढ़ने का?
Ans: हाँ, धार्मिक विश्वास के अनुसार, झूलेलाल जी की आरती को सुनना भी उतना ही पुण्यदायी है जितना पढ़ना।
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Q10. झूलेलाल जी की आरती के बाद क्या करना चाहिए?
Ans: आरती के बाद जल का आचमन, प्रसाद वितरण और परिवार या समाज के बीच आरती का प्रसार करना शुभ माना जाता है।
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