शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

आरती श्री महावीर जी की ||Shri Mahaveer Swami Ki Aarti || जय महावीर प्रभो || Jay Mahaveer Prabho

आरती श्री महावीर जी की ||Shri Mahaveer Swami Ki Aarti || जय महावीर प्रभो || Jay Mahaveer Prabho 

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जय महावीर प्रभो। 
स्वामी जय महावीर प्रभो।
जगनायक सुखदायक, 
अति गम्भीर प्रभो।।ओउम।।
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कुण्डलपुर में जन्में, 
त्रिशला के जाये।
पिता सिद्धार्थ राजा, 
सुर नर हर्षाए।।ओउम।।
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दीनानाथ दयानिधि, 
हैं मंगलकारी।
जगहित संयम धारा, 
प्रभु परउपकारी।।ओउम।।
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पापाचार मिटाया, 
सत्पथ दिखलाया।
दयाधर्म का झण्डा, 
जग में लहराया।।ओउम।।
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अर्जुनमाली गौतम, 
श्री चन्दनबाला।
पार जगत से बेड़ा, 
इनका कर डाला।।ओउम।।
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पावन नाम तुम्हारा, 
जगतारणहारा।
निसिदिन जो नर ध्यावे, 
कष्ट मिटे सारा।।ओउम।।
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करुणासागर! 
तेरी महिमा है न्यारी।
ज्ञानमुनि गुण गावे, 
चरणन बलिहारी।।ओउम।।
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आरती श्री महावीर जी की ||Shri Mahaveer Swami Ki Aarti || जय महावीर प्रभो || Jay Mahaveer Prabho

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Jaya mahāvīr prabho 
Svāmī jaya mahāvīr prabho
Jaganāyak sukhadāyaka, 
Ati gambhīr prabho।।ouma
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Kuṇḍalapur mean janmean, 
Trishalā ke jāye
Pitā siddhārtha rājā, 
Sur nar harṣhāe।।ouma
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Dīnānāth dayānidhi, 
Haian mangalakārī
Jagahit sanyam dhārā, 
Prabhu paraupakārī।।ouma
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Pāpāchār miṭāyā, 
Satpath dikhalāyā
Dayādharma kā jhaṇḍā, 
Jag mean laharāyā।।ouma
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Arjunamālī gautama, 
Shrī chandanabālā
Pār jagat se beḍaā, 
Inakā kar ḍālā।।ouma
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Pāvan nām tumhārā, 
Jagatāraṇahārā
Nisidin jo nar dhyāve, 
Kaṣhṭa miṭe sārā।।ouma
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Karuṇāsāgara! 
Terī mahimā hai nyārī
Jnyānamuni guṇ gāve, 
Charaṇan balihārī।।ouma

मंगलवार, 27 सितंबर 2011

जय महावीर दयालु स्वामी || महावीर स्‍वामी की चालीसा || Mahaveer Chalisa Lyrics in Hindi and English

जय महावीर दयालु स्वामी || महावीर स्‍वामी की चालीसा || Mahaveer Chalisa Lyrics in Hindi and English

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दोहा
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शीश नवा अरिहन्त को, 
सिद्धन करूँ प्रणाम।
उपाध्याय आचार्य का, 
ले सुखकारी नाम।
सर्व साधु और सरस्वती, 
जिन मन्दिर सुखकार।
महावीर भगवान को, 
मन-मन्दिर में धार।
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चौपाई
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जय महावीर दयालु स्वामी, 
वीर प्रभु तुम जग में नामी।
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वर्धमान है नाम तुम्हारा, 
लगे हृदय को प्यारा प्यारा।
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शांति छवि और मोहनी मूरत, 
शान हँसीली सोहनी सूरत।
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तुमने वेश दिगम्बर धारा, 
कर्म-शत्रु भी तुम से हारा।
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क्रोध मान अरु लोभ भगाया, 
महा-मोह तुमसे डर खाया।
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तू सर्वज्ञ सर्व का ज्ञाता, 
तुझको दुनिया से क्या नाता।
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तुझमें नहीं राग और द्वेष, 
वीर रण राग तू हितोपदेश।
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तेरा नाम जगत में सच्चा, 
जिसको जाने बच्चा बच्चा।
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भूत प्रेत तुम से भय खावें, 
व्यन्तर राक्षस सब भग जावें।
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महा व्याध मारी न सतावे, 
महा विकराल काल डर खावे।
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काला नाग होय फन धारी, 
या हो शेर भयंकर भारी।
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ना हो कोई बचाने वाला, 
स्वामी तुम्हीं करो प्रतिपाला।
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अग्नि दावानल सुलग रही हो, 
तेज हवा से भड़क रही हो।
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नाम तुम्हारा सब दुख खोवे, 
आग एकदम ठण्डी होवे।
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हिंसामय था भारत सारा, 
तब तुमने कीना निस्तारा।
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जनम लिया कुण्डलपुर नगरी, 
हुई सुखी तब प्रजा सगरी।
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सिद्धारथ जी पिता तुम्हारे, 
त्रिशला के आँखों के तारे।
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छोड़ सभी झंझट संसारी, 
स्वामी हुए बाल-ब्रह्मचारी।
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पंचम काल महा-दुखदाई, 
चाँदनपुर महिमा दिखलाई।
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टीले में अतिशय दिखलाया, 
एक गाय का दूध गिराया।
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सोच हुआ मन में ग्वाले के, 
पहुँचा एक फावड़ा लेके।
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सारा टीला खोद बगाया, 
तब तुमने दर्शन दिखलाया।
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जोधराज को दुख ने घेरा, 
उसने नाम जपा जब तेरा।
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ठंडा हुआ तोप का गोला, 
तब सब ने जयकारा बोला।
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मंत्री ने मन्दिर बनवाया, 
राजा ने भी द्रव्य लगाया।
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बड़ी धर्मशाला बनवाई, 
तुमको लाने को ठहराई।
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तुमने तोड़ी बीसों गाड़ी, 
पहिया खसका नहीं अगाड़ी।
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ग्वाले ने जो हाथ लगाया, 
फिर तो रथ चलता ही पाया।
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पहिले दिन बैशाख बदी के, 
रथ जाता है तीर नदी के।
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मीना गूजर सब ही आते, 
नाच-कूद सब चित उमगाते।
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स्वामी तुमने प्रेम निभाया, 
ग्वाले का बहु मान बढ़ाया।
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हाथ लगे ग्वाले का जब ही, 
स्वामी रथ चलता है तब ही।
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मेरी है टूटी सी नैया, 
तुम बिन कोई नहीं खिवैया।
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मुझ पर स्वामी जरा कृपा कर, 
मैं हूँ प्रभु तुम्हारा चाकर।
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तुम से मैं अरु कछु नहीं चाहूँ, 
जन्म-जन्म तेरे दर्शन पाऊँ।
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चालीसे को चन्द्र बनावे, 
बीर प्रभु को शीश नवावे।
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सोरठा
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नित चालीसहि बार, 
बाठ करे चालीस दिन।
खेय सुगन्ध अपार, 
वर्धमान के सामने।।
होय कुबेर समान, 
जन्म दरिद्री होय जो।
जिसके नहिं संतान, 
नाम वंश जग में चले।।
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जय महावीर दयालु स्वामी || महावीर स्‍वामी की चालीसा || Mahaveer Chalisa Lyrics in Hindi and English

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Dohā
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Shīsh navā arihanta ko, 
Siddhan karū praṇāma।
Upādhyāya āchārya kā, 
Le sukhakārī nāma।
Sarva sādhu aur sarasvatī, 
Jin mandir sukhakāra।
Mahāvīr bhagavān ko, 
Mana-mandir mean dhāra।
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Chaupāī
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Jaya mahāvīr dayālu swāmī, 
Vīr prabhu tum jag mean nāmī।
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Vardhamān hai nām tumhārā, 
Lage hṛudaya ko pyārā pyārā।
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Shāanti chhavi aur mohanī mūrata, 
Shān hasīlī sohanī sūrata।
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Tumane vesh digambar dhārā, 
Karma-shatru bhī tum se hārā।
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Krodh mān aru lobh bhagāyā, 
Mahā-moh tumase ḍar khāyā।
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Tū sarvagna sarva kā jnyātā, 
Tujhako duniyā se kyā nātā।
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Tujhamean nahīan rāg aur dveṣha, 
Vīr raṇ rāg tū hitopadesha।
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Terā nām jagat mean sachchā, 
Jisako jāne bachchā bachchā।
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Bhūt pret tum se bhaya khāvean, 
Vyantar rākṣhas sab bhag jāvean।
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Mahā vyādh mārī n satāve, 
Mahā vikarāl kāl ḍar khāve।
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Kālā nāg hoya fan dhārī, 
Yā ho sher bhayankar bhārī।
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Nā ho koī bachāne vālā, 
Svāmī tumhīan karo pratipālā।
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Agni dāvānal sulag rahī ho, 
Tej havā se bhaḍak rahī ho।
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Nām tumhārā sab dukh khove, 
Āg ekadam ṭhaṇḍī hove।
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Hiansāmaya thā bhārat sārā, 
Tab tumane kīnā nistārā।
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Janam liyā kuṇḍalapur nagarī, 
Huī sukhī tab prajā sagarī।
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Siddhārath jī pitā tumhāre, 
Trishalā ke ākhoan ke tāre।
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Chhoḍa sabhī zanjhaṭ sansārī, 
Svāmī hue bāla-brahmachārī।
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Pancham kāl mahā-dukhadāī, 
Chādanapur mahimā dikhalāī।
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Ṭīle mean atishaya dikhalāyā, 
Ek gāya kā dūdh girāyā।
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Soch huā man mean gvāle ke, 
Pahuchā ek fāvaḍaā leke।
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Sārā ṭīlā khod bagāyā, 
Tab tumane darshan dikhalāyā।
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Jodharāj ko dukh ne gherā, 
Usane nām japā jab terā।
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Ṭhanḍā huā top kā golā, 
Tab sab ne jayakārā bolā।
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Mantrī ne mandir banavāyā, 
Rājā ne bhī dravya lagāyā।
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Baḍaī dharmashālā banavāī, 
Tumako lāne ko ṭhaharāī।
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Tumane toḍaī bīsoan gāḍaī, 
Pahiyā khasakā nahīan agāḍaī।
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Gvāle ne jo hāth lagāyā, 
Fir to rath chalatā hī pāyā।
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Pahile din baishākh badī ke, 
Rath jātā hai tīr nadī ke।
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Mīnā gūjar sab hī āte, 
Nācha-kūd sab chit umagāte।
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Svāmī tumane prem nibhāyā, 
Gvāle kā bahu mān baḍhaāyā।
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Hāth lage gvāle kā jab hī, 
Svāmī rath chalatā hai tab hī।
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Merī hai ṭūṭī sī naiyā, 
Tum bin koī nahīan khivaiyā।
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Muz par swāmī jarā kṛupā kara, 
Maian hū prabhu tumhārā chākara।
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Tum se maian aru kachhu nahīan chāhū, 
Janma-janma tere darshan pāū।
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Chālīse ko chandra banāve, 
Bīr prabhu ko shīsh navāve।
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Soraṭhā
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Nit chālīsahi bāra, 
Bāṭh kare chālīs dina।
Kheya sugandha apāra, 
Vardhamān ke sāmane।।
Hoya kuber samāna, 
Janma daridrī hoya jo।
Jisake nahian santāna, 
Nām vansha jag mean chale।।
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सोमवार, 19 सितंबर 2011

आरती श्री पितर जी की Shri Pitar (Pittar) Ji ki Aarti (Arti) || जय जय पितर महाराज || Jay Jay Pitar Maharaj

आरती श्री पितर जी की Shri Pitar (Pittar) Ji ki Aarti (Arti) || जय जय पितर महाराज || Jay Jay Pitar Maharaj

जय जय पितर महाराज, मैं शरण पड़यों हूँ थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी।।

आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहिं जाणूं, आप ही हो रखवारे।। जय।।

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी।। जय।।

देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई।। जय।।

भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार।। जय।।


चित्र tips4india.in से साभार

शुक्रवार, 16 सितंबर 2011

श्री पितर चालीसा Shri Pitar Chalisa (Pittar Chalisa) || हे पितरेश्वर आपको || He Pitareshwar Aapko

श्री पितर चालीसा Shri Pitar Chalisa (Pittar Chalisa) || हे पितरेश्वर आपको || He Pitareshwar Aapko


दोहा

हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद,
चरणाशीश नवा दियो रखदो सिर पर हाथ।
सबसे पहले गणपत पाछे घर का देव मनावा जी।
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी।।

चौपाई

पितरेश्वर करो मार्ग उजागर, चरण रज की मुक्ति सागर।
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा, मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा।
मातृ-पितृ देव मन जो भावे, सोई अमित जीवन फल पावे।
जै-जै-जै पित्तर जी साईं, पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं।

चारों ओर प्रताप तुम्हारा, संकट में तेरा ही सहारा।
नारायण आधार सृष्टि का, पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का।
प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते, भाग्य द्वार आप ही खुलवाते।
झुंझनू में दरबार है साजे, सब देवों संग आप विराजे।

प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा, कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा।
पित्तर महिमा सबसे न्यारी, जिसका गुणगावे नर नारी।
तीन मण्ड में आप बिराजे, बसु रुद्र आदित्य में साजे।
नाथ सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी।

छप्पन भोग नहीं हैं भाते, शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते।
तुम्हारे भजन परम हितकारी, छोटे बड़े सभी अधिकारी।
भानु उदय संग आप पुजावै, पांच अँजुलि जल रिझावे।
ध्वज पताका मण्ड पे है साजे, अखण्ड ज्योति में आप विराजे।

सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी, धन्य हुई जन्म भूमि हमारी।
शहीद हमारे यहाँ पुजाते, मातृ भक्ति संदेश सुनाते।
जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा, धर्म जाति का नहीं है नारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सब पूजे पित्तर भाई।

हिन्दू वंश वृक्ष है हमारा, जान से ज्यादा हमको प्यारा।
गंगा ये मरुप्रदेश की, पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की।
बन्धु छोड़ ना इनके चरणाँ, इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा।
चौदस को जागरण करवाते, अमावस को हम धोक लगाते।

जात जडूला सभी मनाते, नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते।
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है, जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है।
श्री पित्तर जी भक्त हितकारी, सुन लीजे प्रभु अरज हमारी।
निशिदिन ध्यान धरे जो कोई, ता सम भक्त और नहीं कोई।

तुम अनाथ के नाथ सहाई, दीनन के हो तुम सदा सहाई।
चारिक वेद प्रभु के साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी।
नाम तुम्हारो लेत जो कोई, ता सम धन्य और नहीं कोई।
जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत, नवों सिद्धि चरणा में लोटत।

सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी, जो तुम पे जावे बलिहारी।
जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे, ताकी मुक्ति अवसी हो जावे।
सत्य भजन तुम्हारो जो गावे, सो निश्चय चारों फल पावे।
तुमहिं देव कुलदेव हमारे, तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे।

सत्य आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावें सोई।
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस्र मुख सके न गाई।
मैं अतिदीन मलीन दुखारी, करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी।
अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै, अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै।

दोहा

पित्तरों को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम।
झुंझनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान।।
जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझनू धाम।
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान।।


चित्र godandguru.com से साभार

मंगलवार, 13 सितंबर 2011

आरती श्री साईं जी की Shri Sai Baba Ki Aarti (Arti Sainath Ki), Sai Ram ki Arti




आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।
जा की कृपा विपुल सुखकारी, दुख शोक संकट भयहारी।

शिरडी में अवतार रचाया, चमत्कार से तत्व दिखाया।
कितने भक्त चरण पर आये, वे सुख शान्ति चिरंतन पाये।

भाव धरै जो मन में जैसा, पावत अनुभव वो ही वैसा।
गुरु की उदी लगवे तन को, समाधान लाभत उस मन को।

साईं नाम सदा जो गावे, सो फल जग में शाश्वत पावे।
गुरुवासर करि पूजा-सेवा, उस पर कृपा करत गुरुदेवा।

राम, कृष्ण, हनुमान रूप में, दे दर्शन, जानत जो मन में।
विविध धर्म के सेवक आते, दर्शन इच्छित फल पाते।

जै बोलो साईं बाबा की, जै बोलो अवधूत गुरु की।
साईंदास आरती को गावै, घर में बसि सुख, मंगल पावे।

चित्र saibabaofshirdi.net से साभार