जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी | Jugal Chhabi Ki Aarti Karu Niki | भगवान् श्रीसीताराम जी की आरती | Shri Sitaram Ki Arti Lyrics in Hindi
जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
गौर-बरन श्रीजनकललीकी,
स्याम-बरन सिय-पीकी। ॥
जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
*****
मुकुट चंद्रिका में द्युति राजै
अगनित सूर्य-ससीकी।
सुंदर अंग-अंगमें छबि है
कोटिन काम-रतीकी ॥
*****
जुगलरूप में सबही पटतर
उपमा हो गई फीकी।
रामेस्वर लखि ललित जुगल छबि
हुलसत हिय सबही की ॥
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जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
गौर-बरन श्रीजनकललीकी,
स्याम-बरन सिय-पीकी। ॥
जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
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गौर-बरन श्रीजनकललीकी,
स्याम-बरन सिय-पीकी। ॥
जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
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मुकुट चंद्रिका में द्युति राजै
अगनित सूर्य-ससीकी।
सुंदर अंग-अंगमें छबि है
कोटिन काम-रतीकी ॥
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जुगलरूप में सबही पटतर
उपमा हो गई फीकी।
रामेस्वर लखि ललित जुगल छबि
हुलसत हिय सबही की ॥
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जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
गौर-बरन श्रीजनकललीकी,
स्याम-बरन सिय-पीकी। ॥
जुगल छबिकी आरति करूँ नीकी।
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