शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

जय भगवद्गीते , जय भगवद्गीते | श्री मदभगवद्गीता की आरती | Shri Madbhagwadgeeta ki Aarti || आरती || Aarti || Jay Bhagwatgeete

श्री मदभगवद्गीता की आरती || जय भगवद्गीते , जय भगवद्गीते || Shri Madbhagwadgeeta ki Aarti || आरती || Aarti || Jay Bhagwatgeete


जय भगवद्गीते  
जय भगवद्गीते ।
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हरि-हिय-कमल विहारिणि 
सुन्‍दर सुपुनीते।।
कर्म-सुकर्म-प्रकाशिनि 
कामासक्तिहरा।
तत्‍त्‍वज्ञान-विकाशिनि 
विद्या ब्रह्म परा ।। जय ०
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निश्‍चल-भक्ति-विधायिनि 
निर्मल, मलहारी।
शरण-रहस्‍य-प्रदायिनि 
सब विधि सुखकारी।। जय ०
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राग-द्वेष-विदारिणि 
कारिणि मोद सदा।
भव-भय-हारिणि, 
तारिणि परमानन्‍दप्रदा ।। जय ०  
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आसुर-भाव-विनाशिनि 
नाशिनि तम-रजनी।
दैवी सद्गुणदायिनि 
हरि-रसिका सजनी ।। जय ०
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समता, त्‍याग सिखावनि 
हरि-मुखकी बानी ।
सकल शास्‍त्र की स्‍वामिनि 
श्रुतियों की रानी ।। जय ०
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दया-सुधा बरसावनि 
मातु कृपा कीजै।
हरिपद-प्रेम दान कर 
अपनो कर लीजै।। जय ०
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बुधवार, 3 जनवरी 2018

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के || Aarti Kije Raja Ramchandra Ji Ke || आरती || Aarti || श्री रामचन्‍द्र जी की आरती || Shri Ram Chandra Ji Ki Aarti

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के || Aarti Kije Raja Ramchandra Ji Ke || आरती || Aarti || श्री रामचन्‍द्र जी की आरती || Shri Ram Chandra Ji  Ki Aarti



आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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पहली आरती पुष्‍प की माला

पहली आरती पुष्‍प की माला

पुष्‍प की माला हरिहर पुष्‍प की माला

कालिय नाग नाथ लाये कृष्‍ण गोपाला हो।

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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दूसरी आरती देवकी नन्‍दन

दूसरी आरती देवकी नन्‍दन

देवकी नन्‍दन हरिहर देवकी नन्‍दन

भक्‍त उबारे असुर निकन्‍दन हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे  

तीसरी आरती त्रिभुवन मोहे

त्रिभुवन मोहे हरिहर त्रिभुवन मोहे हो

गरुण सिंहासन राजा रामचन्‍द्र शोभै हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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चौथी आरती चहुँ युग पूजा

चौथी आरती चहुँ युग पूजा

चहुँ युग पूजा हरिहर चहुँ युग पूजा

चहुँ ओरा राम नाम अउरु न दूजा हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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पंचम आरती रामजी के भावै

पंचम आरती रामजी के भावै

रामजी के भावै हरिहर रामजी के भावै

रामनाम गावै परमपद पावौ हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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षष्‍ठम आरती लक्ष्‍मण भ्राता

षष्‍ठम आरती लक्ष्‍मण भ्राता

लक्ष्‍मण भ्राता हरिहर लक्ष्‍मण भ्राता

आरती उतारे कौशिल्‍या माता हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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सप्‍तम आरती ऐसो तैसो

सप्‍तम आरती ऐसो तैसो

ऐसो तैसो हरिहर ऐसो तैसो

ध्रुव प्रहलाद विभीषण जैसो हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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अष्‍टम आरती लंका सिधारे

अष्‍टम आरती लंका सिधारे

लंका सिधारे हरिहर लंका सिधारे

रावन मारे विभीषण तारे हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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नवम आरती वामन देवा

नवम आरती वामन देवा

वामन देवा हरिहर वामन देवा

बलि के द्वारे करें हरि सेवा हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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कंचन थाल कपूर की बाती

कंचन थाल कपूर की बाती

कपूर की बाती हरिहर कपूर की बाती

जगमग ज्‍योति जले सारी राती हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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तुलसी के पात्र कण्‍ठ मन हीरा

तुलसी के पात्र कण्‍ठ मन हीरा

कण्‍ठ मन हीरा हरिहर कण्‍ठ मन हीरा

हुलसि हुलसि गये दास कबीरा हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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जो राजा रामजी के आरती गावै

जो राजा रामजी के आरती गावै

आरती गावै हरिहर आरती गावै

बैठ बैकुण्‍ठ परम पद पावै हो

आरती कीजै राजा रामचन्‍द्र जी के

हरिहर भक्ति का रघु संतन सुख दीजै हो।

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रविवार, 17 दिसंबर 2017

श्री वैष्‍णो देवी माता की आरती || Shri Vaishno Devi Mata ki Aarti || हे मात मेरी, हे मात मेरी || He Maat Meri

श्री वैष्‍णो देवी माता की आरती || Shri Vaishno Devi Mata ki Aarti || हे मात मेरी, हे मात मेरी || He Maat Meri

हे मात मेरी, हे मात मेरी,

कैसी यह देर लगाई है दुर्गे।

हे मात मेरी, हे मात मेरी।।१।।


भवसागर में गिरा पड़ा हूँ,

काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ।

मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ।

हे मात मेरी, हे मात मेरी।।२।।


न मुझ में बल है न मुझ में विद्या,

न मुझ में भक्ति न मुझमें शक्ति।

शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ।

हे मात मेरी, हे मात मेरी।।३।।


न कोई मेरा कुटुम्ब साथी,

ना ही मेरा शारीर साथी।

आप ही उबारो पकड़ के बाहीं।

हे मात मेरी, हे मात मेरी।।४।।


चरण कमल की नौका बनाकर,

मैं पार होउँगा ख़ुशी मनाकर।

यमदूतों को मार भगाकर।

हे मात मेरी, हे मात मेरी।।५।।


सदा ही तेरे गुणों को गाऊँ,

सदा ही तेरे स्वरूप को ध्याऊँ।

नित प्रति तेरे गुणों को गाऊँ।

हे मात मेरी, हे मात मेरी।।६।।


न मैं किसी का न कोई मेरा,

छाया है चारों तरफ अन्धेरा।

पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता।

हे मात मेरी, हे मात मेरी।।७।।


शरण पड़े है हम तुम्हारी,

करो यह नैया पार हमारी।

कैसी यह देर लगाई है दुर्गे।

हे मात मेरी, हे मात मेरी।।८।।



विनम्र अनुरोध: अपनी उपस्थिति दर्ज करने एवं हमारा उत्साहवर्धन करने हेतु कृपया टिप्पणी (comments) में जय मां वैष्णो देवी अवश्य अंकित करें।

शनिवार, 16 दिसंबर 2017

श्री प्रेतराज सरकार की आरती || Shri Pretraj Sarkar Ki Aarti || जय प्रेतराज कृपालु || Jay Pretraj Kripalu Meri

श्री प्रेतराज सरकार की आरती || Shri Pretraj Sarkar Ki Aarti || जय प्रेतराज कृपालु || Jay Pretraj Kripalu Meri

श्री प्रेतराज सरकार

बालाजी मंदिर में प्रेतराज सरकार दण्डाधिकारी पद पर आसीन हैं। प्रेतराज सरकार के विग्रह पर भी चोला चढ़ाया जाता है। प्रेतराज सरकार को दुष्ट आत्माओं को दण्ड देने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। भक्तिभाव से उनकी आरती , चालीसा , कीर्तन , भजन आदि किए जाते हैं। बालाजी के सहायक देवता के रूप में ही प्रेतराज सरकार की आराधना की जाती है। प्रेतराज सरकार को पके चावल का भोग लगाया जाता है। 

|| आरती ||

जय प्रेतराज कृपालु मेरी अरज अब सुन लीजिये।

मैं शरण तुम्हारी आ गया हूँ, नाथ दर्शन दीजिये।।


मैं करूं विनती आपसे अब, तुम दयामय चित धरो।

चरणों का ले लिया आसरा, प्रभु वेग से मेरा दुःख हरो।।


सिर पर मोर मुकुट कर में धनुष, गलबीच मोतियन माल है।

जो करे दर्शन प्रेम से सब, कटत तन के जाल हैं।।


जब पहन बख्तर ले खड़ग, बांई बगल में ढाल है।

ऐसा भयंकर रूप जिनका, देख डरपत काल है।।


अति प्रबल सेना विकट योद्धा, संग में विकराल हैं।

तब भुत प्रेत पिशाच बांधे, कैद करते हाल हैं।।


तब रूप धरते वीर का, करते तैयारी चलन की।

संग में लड़ाके ज्वान जिनकी, थाह नहीं है बलन की।।


तुम सब तरह समर्थ हो, प्रभु सकल सुख के धाम हो।

दुष्टों के मारनहार हो, भक्तों के पूरण काम हो।।


मैं हूं मती का मन्द मेरी, बुद्धि को निर्मल करो।

अज्ञान का अन्धेर उर में, ज्ञान का दीपक धरो।।


सब मनोरथ सिद्ध करते, जो कोई सेवा करे।

तन्दुल बूरा घृत मेवा, भेंट ले आगे धरे।।


सुयश सुन कर आपका, दुखिया तो आये दूर के।

सब स्त्री अरू पुरूष आकर, पड़े हैं चरण हजूर के।।


लीला है अद्भुत आपकी, महिमा तो अपरंपार है।

मैं ध्यान जिस दम धरत हूँ , रच देना मंगलाचार है।।


सेवक गणेशपुरी महन्त जी, की लाज तुम्हारे हाथ है।

करना खता सब माफ, उनकी देना हरदम साथ है।।


दरबार में आओ अभी, सरकार में हाजिर खड़ा।

इन्साफ मेरा अब करो, चरणों में आकर गिर पड़ा।।


अर्जी बमूजिब दे चुका, अब गौर  इस पर कीजिये।

तत्काल इस पर हुक्म लिख दो, फैसला कर दीजिए।।


महाराज की यह स्तुति, कोई नेम से गाया करे।

सब सिद्ध कारज होय उनके, रोग पीड़ा सब टरे।।


‘‘सुखराम’’ सेवक आपका, उसको नहीं बिसराइये।

जै जै मनाऊं आपकी, बेड़े को पार लगाइये।।


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शुक्रवार, 15 दिसंबर 2017

श्री बृहस्‍पति देव जी की आरती || Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti || जय बृहस्पति देवा || Jay Brihaspati Deva

श्री बृहस्‍पति देव जी की आरती || Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti || जय बृहस्पति देवा || Jay Brihaspati Deva

जय बृहस्पति देवा, ॐ जय बृहस्पति देवा।

छिन छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा॥

ॐ जय बृहस्पति देवा ।।१।।


तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।

जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी॥

ॐ जय बृहस्पति देवा।।२।।


चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।

सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।३।।


तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।

प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े॥

ॐ जय बृहस्पति देवा।।४।।


दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।

पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी॥

ॐ जय बृहस्पति देवा।।५।।


सकल मनोरथ दायक, सब संशय हारी।

विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी॥

ॐ जय बृहस्पति देवा।।६।।


जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।

जेष्‍ठानंद आनंदकर, सो निश्चय पावे॥

ॐ जय बृहस्पति देवा।।७।।


सब बोलो विष्णु भगवान की जय!

बोलो बृहस्पतिदेव की जय!!


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