भगवदाराधना

यह ब्लॉग धार्मिक भावना से प्रवृत्त होकर बनाया गया है। इस ब्लॉग की रचनाएं श्रुति एवं स्मृति के आधार पर लोक में प्रचलित एवं विभिन्न महानुभावों द्वारा संकलित करके पूर्व में प्रकाशित की गयी रचनाओं पर आधारित हैं। ये ब्लॉगर की स्वयं की रचनाएं नहीं हैं, ब्लॉगर ने केवल अपने श्रम द्वारा इन्हें सर्वसुलभ कराने का प्रयास किया है। इसी भाव के साथ ईश्वर की सेवा में ई-स्तुति

शनिवार, 26 जून 2010

श्री शनि देव चालीसा || शनि देव मैं सुमिरौं तोही || Shri Shani Dev Chalisa || Shani Dev mai Sumirau Tohi || Shri Shani Chalisa

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श्री शनि देव चालीसा || शनि देव मैं सुमिरौं तोही || Shri Shani Dev Chalisa || Shani Dev mai Sumirau Tohi || Shri Shani Chalisa  दोहा   श्री...
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बुधवार, 23 जून 2010

श्री गंगा चालीसा || जय जय जय जग पावनी || Shri Ganga Chalisa || Jay Jay Jay Jag Pawani || Shri Ganga Stuti

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दोहा जय जय जय जग पावनी जयति देवसरि गंग। जय शिव जटा निवासिनी अनुपम तुंग तरंग॥ चौपाई जय जग जननि अघ खानी,  आनन्द करनि गंग महरानी। जय भाग...
रविवार, 20 जून 2010

श्री रामायण जी की आरती (Aarti Shri Ramayan Ji ki)

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महर्षि वाल्मीकि आरति श्री रामायण जी की। कीरति कलित ललित सिय पी की॥ गावत ब्रह्‌मादिक मुनि नारद। बाल्मीकि बिग्यान बिसारद॥ सुक सनकादि सेष ...
शुक्रवार, 18 जून 2010

आरती श्री शनि देव जी की Shri Shani Dev Ji Ki Aarti

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जय जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी, सूर्य पुत्र प्रभुछाया महतारी॥  *** जय जय जय शनि देव॥ *** श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी, न...
1 टिप्पणी:
रविवार, 13 जून 2010

श्री जानकीनाथ जी की आरती (Shri Janki Nath Ji Ki Aarti)

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ओउम जय जानकिनाथा, हो प्रभु जय श्री रघुनाथा। दोउ कर जोड़े विनवौं, प्रभु मेरी सुनो बाता॥ ओउम॥ तुम रघुनाथ हमारे, प्राण पिता माता। तुम हो सजन...
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