सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

आरती श्री रामदेव जी की || Shri Ram Dev Ji Ki Aarti ||

आरती श्री रामदेव जी की || Shri Ram Dev Ji Ki Aarti ||


ओउम जय श्री रामादे स्वामी जय श्री रामादे।
पिता तुम्हारे अजमल मैया मेनादे।। ओउम जय।।

रूप मनोहर जिसका घोड़े असवारी।
कर में सोहे भाला मुक्तामणि धारी।। ओउम जय।।

विष्णु रूप तुम स्वामी कलियुग अवतारी।
सुरनर मुनिजन ध्यावे जावे बलिहारी।। ओउम जय।।

दुख दलजी का तुमने भर में टारा।
सरजीवन भाण को तुमने कर डारा।। ओउम जय।।

नाव सेठ की तारी दानव को मारा।
पल में कीना तुमने सरवर को खारा।। ओउम जय।।



चित्र http://www.sribabaramdev.org से साभार

रविवार, 19 फ़रवरी 2012

श्री रामदेव चालीसा || Shri Ram Dev Chalisa ||

श्री रामदेव चालीसा || Shri Ram Dev Chalisa ||



दोहा

श्री गुरु पद नमन करि, गिरा गनेश मनाय।
कथूं रामदेव विमल यश, सुने पाप विनशाय।।
द्वार केश से आय कर, लिया मनुज अवतार।
अजमल गेह बधावणा, जग में जय जयकार।।

चौपाई

जय जय रामदेव सुर राया, अजमल पुत्र अनोखी माया।
विष्णु रूप सुर नर के स्वामी, परम प्रतापी अन्तर्यामी।

ले अवतार अवनि पर आये, तंवर वंश अवतंश कहाये।
संज जनों के कारज सारे, दानव दैत्य दुष्ट संहारे।

परच्या प्रथम पिता को दीन्हा, दूश परीण्डा माही कीन्हा।
कुमकुम पद पोली दर्शाये, ज्योंही प्रभु पलने प्रगटाये।

परचा दूजा जननी पाया, दूध उफणता चरा उठाया।
परचा तीजा पुरजन पाया, चिथड़ों का घोड़ा ही साया।

परच्या चैथा भैरव मारा, भक्त जनों का कष्ट निवारा।
पंचम परच्या रतना पाया, पुंगल जा प्रभु फंद छुड़ाया।

परच्या छठा विजयसिंह पाया, जला नगर शरणागत आया।
परच्या सप्तम सुगना पाया, मुवा पुत्र हंसता भग आया।

परच्या अष्टम बौहित पाया, जा परदेश द्रव्य बहु लाया।
भंवर डूबती नाव उबारी, प्रगट टेर पहुँचे अवतारी।

नवमां परच्या वीरम पाया, बनियां आ जब हाल सुनाया।
दसवां परच्या पा बिनजारा, मिश्री बनी नमक सब खारा।

परच्या ग्यारह किरपा थारी, नमक हुआ मिश्री फिर सारी।
परच्या द्वादश ठोकर मारी, निकलंग नाड़ी सिरजी प्यारी।

परच्या तेरहवां पीर परी पधारया, ल्याय कटोरा कारज सारा।
चैदहवां परच्या जाभो पाया, निजसर जल खारा करवाया।

परच्या पन्द्रह फिर बतलाया, राम सरोवर प्रभु खुदवाया।
परच्या सोलह हरबू पाया, दर्श पाय अतिशय हरषाया।

परच्या सत्रह हर जी पाया, दूध थणा बकरया के आया।
सुखी नाडी पानी कीन्हों, आत्म ज्ञान हरजी ने दीन्हों।

परच्या अठारहवां हाकिम पाया, सूते को धरती लुढ़काया।
परच्या उन्नीसवां दल जी पाया, पुत्र पाया मन में हरषाया।

परच्या बीसवां पाया सेठाणी, आये प्रभु सुन गदगद वाणी।
तुरंत सेठ सरजीवण कीन्हा, उक्त उजागर अभय वर दीन्हा।

परच्या इक्कीसवां चोर जो पाया, हो अन्धा करनी फल पाया।
परच्या बाईसवां मिर्जो चीहां, सातों तवा बेध प्रभु दीन्हां।

परच्या तेईसवां बादशाह पाया, फेर भक्त को नहीं सताया।
परच्या चैबीसवां बख्शी पाया, मुवा पुत्र पल में उठ धाया।

जब-जब जिसने सुमरण कीन्हां, तब-तब आ तुम दर्शन दीन्हां।
भक्त टेर सुन आतुर धाते, चढ़ लीले पर जल्दी आते।

जो जन प्रभु की लीला गावें, मनवांछित कारज फल पावें।
यह चालीसा सुने सुनावे, ताके कष्ट सकल कट जावे।

जय जय जय प्रभु लीला धारी, तेरी महिमा अपरम्पारी।
मैं मूरख क्या गुण तव गाऊँ, कहाँ बुद्धि शारद सी लाऊँ।

नहीं बुद्धि बल घट लवलेशा, मती अनुसार रची चालीसा।
दास सभी शरण में तेरी, रखियों प्रभु लज्जा मेरी।


चित्र sribabaramdev.org से साभार

सोमवार, 21 नवंबर 2011

ओउम जय श्री श्याम हरे प्रभु जय श्री श्याम हरे | आरती श्री खाटू श्याम जी की | Shri Khatu Shyam Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

ओउम जय श्री श्याम हरे प्रभु जय श्री श्याम हरे | आरती श्री खाटू श्याम जी की | Shri Khatu Shyam Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

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ओउम जय श्री श्याम हरे 
प्रभु जय श्री श्याम हरे
निज भक्तन के तुमने 
पूरण काम करे
ओउम जय श्री श्याम हरे 
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गल पुष्पों की माला 
सिर पर मुकुट धरे
पीत बसन पीताम्बर 
कुण्डल कर्ण पड़े
ओउम जय श्रीश्याम हरे
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रत्नसिंहासन राजत 
सेवक भक्त खड़े
खेवत धूप अग्नि पर 
दीपक ज्योति जरे
ओउम जय श्रीश्याम हरे
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मोदक खीर चूरमा 
सुवर्ण थाल भरे
सेवक भोग लगावत 
सिर पर चंवर ढुरे
ओउम जय श्रीश्याम हरे
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झांझ नगारा और घडि़यावल 
शंख मृदंग घुरे
भक्त आरती गावें 
जय जयकार करें
ओउम जय श्रीश्याम हरे
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जो ध्यावे फल पावे 
सब दुख से उबरे
सेवक जब निज मुख से 
श्री श्याम श्याम उचरे
ओउम जय श्रीश्याम हरे
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श्री श्याम बिहारी जी की आरती 
जो कोई नर गावे
गावत दासमनोहर 
मन वांछित फल पावे
ओउम जय श्री श्याम हरे 
प्रभु जय श्री श्याम हरे
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ओउम जय श्री श्याम हरे प्रभु जय श्री श्याम हरे | आरती श्री खाटू श्याम जी की | Shri Khatu Shyam Ji Ki Aarti Lyrics in Hindi

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Oum jaya shrī shyām hare 
Prabhu jaya shrī shyām hare
Nij bhaktan ke tumane 
Pūraṇ kām kare
Oum jaya shrī shyām hare 
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Gal puṣhpoan kī mālā 
Sir par mukuṭ dhare
Pīt basan pītāmbar 
Kuṇḍal karṇa paḍae
Oum jaya shrīshyām hare
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Ratnasianhāsan rājat 
Sevak bhakta khaḍae
Khevat dhūp agni par 
Dīpak jyoti jare
Oum jaya shrīshyām hare
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Modak khīr chūramā 
Suvarṇa thāl bhare
Sevak bhog lagāvat 
Sir par chanvar ḍhure
Oum jaya shrīshyām hare
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Zāanjha nagārā aur ghaḍiyāval 
Shankha mṛudanga ghure
Bhakta āratī gāvean 
Jaya jayakār karean
Oum jaya shrīshyām hare
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Jo dhyāve fal pāve 
Sab dukh se ubare
Sevak jab nij mukh se 
Shrī shyām shyām uchare
Oum jaya shrīshyām hare
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Shrī shyām bihārī jī kī āratī 
Jo koī nar gāve
Gāvat dāsamanohar 
Man vāanchhit fal pāve
Oum jaya shrī shyām hare 
Prabhu jaya shrī shyām hare
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सोमवार, 14 नवंबर 2011

श्री खाटू श्याम चालीसा || Shri Khatu Shyam Ji Chalisa ||

श्री खाटू श्याम चालीसा || Shri Khatu Shyam Ji Chalisa ||


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दोहा
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श्री गुरु चरण ध्यान धर 
सुमिरि सच्चिदानन्द।
श्याम चालीसा भजत हूँ 
रच चैपाई छन्द।।
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चौपाई
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श्याम श्याम भजि बारम्बारा 
सहज ही हो भवसागर पारा।
इन सम देव न दूजा कोई 
दीन दयालु न दाता होई।
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भीमसुपुत्र अहिलवती जाया 
कहीं भीम का पौत्र कहाया।
यह सब कथा सही कल्पान्तर 
तनिक न मानों इनमें अन्तर।
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बर्बरीक विष्णु अवतारा 
भक्तन हेतु मनुज तनु धारा।
वसुदेव देवकी प्यारे 
यशुमति मैया नन्द दुलारे।
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मधुसूदन गोपाल मुरारी 
बृजकिशोर गोवर्धन धारी।
सियाराम श्री हरि गोविन्दा 
दीनपाल श्री बाल मुकुन्दा।
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दामोदर रणछोड़ बिहारी 
नाथ द्वारिकाधीश खरारी।
नरहरि रूप प्रहलद प्यारा 
खम्भ फारि हिरनाकुश मारा।
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राधा वल्लभ रुक्मिणी कंता 
गोपी बल्लभ कंस हनंता।
मनमोहन चितचोर कहाये 
माखन चोरि चोरि कर खाये।
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मुरलीधर यदुपति घनश्याम 
कृष्ण पतितपावन अभिराम।
मायापति लक्ष्मीपति ईसा 
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।
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विश्वपति त्रिभुवन उजियारा 
दीनबन्धु भक्तन रखवारा।
प्रभु का भेद कोई न पाया 
शेष महेश थके मुनियारा।
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नारद शारद ऋषि योगिन्दर 
श्याम श्याम सब रटत निरन्तर।
कवि कोविद करि सके न गिनन्ता 
नाम अपार अथाह अनन्ता।
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हर सृष्टि हर युग में भाई 
ले अवतार भक्त सुखदाई।
हृदय माँहि करि देखु विचारा 
श्याम भजे तो हो निस्तारा।
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कीर पड़ावत गणिका तारी 
भीलनी की भक्ति बलिहारी।
सती अहिल्या गौतम नारी 
भई श्राप वश शिला दुखारी।
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श्याम चरण रच नित लाई 
पहुँची पतिलोक में जाई।
अजामिल अरु सदन कसाई 
नाम प्रताप परम गति पाई।
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जाके श्याम नाम अधारा 
सुख लहहि दुख दूर हो सारा।
श्याम सुलोचन है अति सुन्दर 
मोर मुकुट सिर तन पीताम्बर।
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गल वैजयन्तिमाल सुहाई 
छवि अनूप भक्तन मन भाई।
श्याम श्याम सुमिरहुं दिनराती 
शाम दुपहरि अरु परभाती।
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श्याम सारथी सिके रथ के 
रोड़े दूर होय उस पथ के।
श्याम भक्त न कहीं पर हारा 
भीर परि तब श्याम पुकारा।
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रसना श्याम नाम पी ले 
जी ले श्याम नाम के हाले।
संसारी सुख भोग मिलेगा 
अन्त श्याम सुख योग मिलेगा।
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श्याम प्रभु हैं तन के काले 
मन के गोरे भोले भाले।
श्याम संत भक्तन हितकारी 
रोग दोष अघ नाशै भारी।
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प्रेम सहित जे नाम पुकारा 
भक्त लगत श्याम को प्यारा।
खाटू में है मथुरा वासी 
पार ब्रह्म पूरण अविनासी।
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सुधा तान भरि मुरली बजाई 
चहुं दिशि नाना जहाँ सुनि पाई।
वृद्ध बाल जेते नारी नर 
मुग्ध भये सुनि वंशी के स्वर।
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दौड़ दौड़ पहुँचे सब जाई 
खाटू में जहाँ श्याम कन्हाई।
जिसने श्याम स्वरूप निहारा 
भव भय से पाया छुटकारा।
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दोहा
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श्याम सलोने साँवरे 
बर्बरीक तनु धार।
इच्छा पूर्ण भक्त की 
करो न लाओ बार।।
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श्री खाटू श्याम चालीसा || Shri Khatu Shyam Ji Chalisa ||

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Dohā
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Shrī guru charaṇ dhyān dhar 
Sumiri sachchidānanda
Shyām chālīsā bhajat hū
Rach chaipāī chhanda
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Chaupāī
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Shyām shyām bhaji bārambārā 
Sahaj hī ho bhavasāgar pārā
In sam dev n dūjā koī 
Dīn dayālu n dātā hoī
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Bhīmasuputra ahilavatī jāyā 
Kahīan bhīm kā pautra kahāyā
Yah sab kathā sahī kalpāntar 
Tanik n mānoan inamean antara
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Barbarīk viṣhṇu avatārā 
Bhaktan hetu manuj tanu dhārā
Vasudev devakī pyāre 
Yashumati maiyā nanda dulāre
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Madhusūdan gopāl murārī 
Bṛujakishor govardhan dhārī
Siyārām shrī hari govindā 
Dīnapāl shrī bāl mukundā
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Dāmodar raṇachhoḍa bihārī 
Nāth dvārikādhīsh kharārī
Narahari rūp prahalad pyārā 
Khambha fāri hiranākush mārā
**
Rādhā vallabh rukmiṇī kantā 
Gopī ballabh kansa hanantā
Manamohan chitachor kahāye 
Mākhan chori chori kar khāye
**
Muralīdhar yadupati ghanashyām 
Kṛuṣhṇa patitapāvan abhirāma
Māyāpati lakṣhmīpati īsā 
Puruṣhottam keshav jagadīshā
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Vishvapati tribhuvan ujiyārā 
Dīnabandhu bhaktan rakhavārā
Prabhu kā bhed koī n pāyā 
Sheṣh mahesh thake muniyārā
**
Nārad shārad ṛuṣhi yogindar 
Shyām shyām sab raṭat nirantara
Kavi kovid kari sake n ginantā 
Nām apār athāh anantā
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Har sṛuṣhṭi har yug mean bhāī 
Le avatār bhakta sukhadāī
Hṛudaya māhi kari dekhu vichārā 
Shyām bhaje to ho nistārā
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Kīr paḍaāvat gaṇikā tārī 
Bhīlanī kī bhakti balihārī
Satī ahilyā gautam nārī 
Bhaī shrāp vash shilā dukhārī
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Shyām charaṇ rach nit lāī 
Pahuchī patilok mean jāī
Ajāmil aru sadan kasāī 
Nām pratāp param gati pāī
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Jāke shyām nām adhārā 
Sukh lahahi dukh dūr ho sārā
Shyām sulochan hai ati sundar 
Mor mukuṭ sir tan pītāmbara
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Gal vaijayantimāl suhāī 
Chhavi anūp bhaktan man bhāī
Shyām shyām sumirahuan dinarātī 
Shām dupahari aru parabhātī
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Shyām sārathī sike rath ke 
Roḍae dūr hoya us path ke
Shyām bhakta n kahīan par hārā 
Bhīr pari tab shyām pukārā
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Rasanā shyām nām pī le 
Jī le shyām nām ke hāle
Sansārī sukh bhog milegā 
Anta shyām sukh yog milegā
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Shyām prabhu haian tan ke kāle 
Man ke gore bhole bhāle
Shyām santa bhaktan hitakārī 
Rog doṣh agh nāshai bhārī
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Prem sahit je nām pukārā 
Bhakta lagat shyām ko pyārā
Khāṭū mean hai mathurā vāsī 
Pār brahma pūraṇ avināsī
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Sudhā tān bhari muralī bajāī 
Chahuan dishi nānā jahā suni pāī
Vṛuddha bāl jete nārī nar 
Mugdha bhaye suni vanshī ke svara
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Dauḍa dauḍa pahuche sab jāī 
Khāṭū mean jahā shyām kanhāī
Jisane shyām svarūp nihārā 
Bhav bhaya se pāyā chhuṭakārā
**
Dohā
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Shyām salone sāvare 
Barbarīk tanu dhāra
Ichchhā pūrṇa bhakta kī 
Karo n lāo bāra
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सोमवार, 7 नवंबर 2011

आरती श्री सरस्वती माँ की || Shri Saraswati Maa Ki Aarti ||

आरती श्री सरस्वती माँ की || Shri Saraswati Maa Ki Aarti ||


आरती करूं सरस्वती मातु, हमारी हो भव भय हारी हो।
हंस वाहन पदमासन तेरा, शुभ्र वस्त्र अनुपम है तेरा।।

रावण का मन कैसे फेरा, वर मांगत बन गया सवेरा।
यह सब कृपा तिहारी, उपकारी हो मातु हमारी हो।।

तमोज्ञान नाशक तुम रवि हो, हम अम्बुजन विकास करती हो।
मंगल भवन मातु सरस्वती हो, बहुमूकन वाचाल करती हो।

विद्या देने वाली वीणा, धारी हो मातु हमारी।
तुम्हारी कृपा गणनायक, लायक विष्णु भये जग के पालक।

अम्बा कहायी सृष्टि ही कारण, भये शम्भु संसार ही घालक।
बन्दों आदि भवानी जग, सुखकारी हो मातु हमारी।

सदबुद्धि विद्याबल मोही दीजै, तुम अज्ञान हटा रख लीजै।
जन्मभूमि हित अर्पण कीजै, कर्मवीर भस्महिं कर दीजै।।

ऐसी विनय हमारी भवभय हरी, मातु हमरी हो, आरती करूँ सरस्वती मातु।।

चित्र theoldgiftshop.com से साभार